भगवद गीता
श्रीमद्भगवद्गीता - संस्कृत सहित हिंदी अनुवाद
[ॐ ]
महाभारत के भीष्म पर्व से
Translated / Edited by: [prem shukla]
भागवद गीता क्या है
भागवद गीता, जिसे आमतौर पर गीता कहा जाता है, एक 700 श्लोकों वाला हिंदू धर्मग्रंथ है, जो भारतीय महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है (विशेष रूप से भीष्म पर्व, अध्याय 23-40)। यह भगवान श्रीकृष्ण और योद्धा अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में हुआ एक दार्शनिक और आध्यात्मिक संवाद है। गीता जीवन, कर्तव्य, नैतिकता और आध्यात्मिकता से जुड़े गहरे सवालों का जवाब देती है, और यह बताती है कि एक धर्मी और संतुष्ट जीवन कैसे जिया जाए।
गीता में मुख्य अवधारणाएँ शामिल हैं:
धर्म (कर्तव्य और नैतिकता)
योग (आध्यात्मिक मुक्ति के मार्ग, जैसे कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, और ध्यान योग)
मोक्ष (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति)
आत्म-साक्षात्कार और आत्मा की प्रकृति
निष्काम कर्म (फल की इच्छा के बिना कर्तव्य करना)
यह संस्कृत में लिखी गई है और हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक मानी जाती है, जो अपनी आध्यात्मिक, दार्शनिक और व्यावहारिक शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध है।
हमें इसे क्यों पढ़ना चाहिए?
जीवन का मार्गदर्शन: गीता जीवन की चुनौतियों, जैसे निर्णय लेना, तनाव से निपटना और जिम्मेदारियों को संतुलित करना, में व्यावहारिक सलाह देती है। यह सिखाती है कि फल की चिंता किए बिना कर्म कैसे करें, जो आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक है।
नैतिक स्पष्टता: यह हमें अपने कर्तव्यों (धर्म) को समझने और कठिन परिस्थितियों में नैतिक निर्णय लेने में मदद करती है, जैसे अर्जुन की युद्धक्षेत्र में दुविधा।
मानसिक शांति और लचीलापन: गीता की शिक्षाएँ, जैसे निष्काम कर्म, ध्यान और ईश्वर के प्रति समर्पण, चिंता, भय और भ्रम को कम करके आंतरिक शांति देती हैं।
सार्वभौमिक ज्ञान: हालाँकि यह हिंदू धर्म में निहित है, इसकी शिक्षाएँ सभी के लिए प्रासंगिक हैं। यह अहंकार, इच्छा और जीवन के उद्देश्य जैसे मानवीय मुद्दों को संबोधित करती है।
आध्यात्मिक विकास: जो लोग आध्यात्मिक प्रगति चाहते हैं, उनके लिए गीता भक्ति, ज्ञान और कर्म योग जैसे मार्ग प्रदान करती है, जो आत्मा और ईश्वर से जुड़ने में मदद करते हैं।
कालातीत प्रासंगिकता: गीता की शिक्षाएँ समय और स्थान से परे हैं। चाहे आप व्यक्तिगत, पेशेवर या आध्यात्मिक समस्याओं का सामना कर रहे हों, गीता समाधान देती है।
खुद क्यों पढ़ें? गीता को स्वयं पढ़ने से (किसी विश्वसनीय अनुवाद या टीका के साथ, जैसे स्वामी विवेकानंद, ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद या एकनाथ ईश्वरन की) आप इसे अपने जीवन के संदर्भ में समझ सकते हैं। यह आत्म-चिंतन और आत्म-खोज को प्रोत्साहित करती है, जो व्यक्तिगत विकास और स्पष्टता लाती है।
अध्याय 1: अर्जुन का दुख (अर्जुनविषाद योग)
क्या होता है? अर्जुन युद्ध के मैदान में अपने परिवार और गुरुओं को देखकर डर जाते हैं। उन्हें लगता है कि युद्ध करना गलत है, और वो उदास होकर श्रीकृष्ण से मदद मांगते हैं।
जीवन से मतलब: कई बार हमें भी अपने काम या फैसले लेने में डर लगता है। जैसे, स्कूल में कोई बड़ा काम करना हो और डर लगे कि क्या होगा। गीता कहती है—डर को छोड़ो और सही सलाह लो।
आसान बात: डरना ठीक है, लेकिन अपने डर को किसी समझदार से बात करके दूर करो।