Pahli Dastak - 3 in Hindi Drama by Divya Shree books and stories PDF | पहली दस्तक - 3

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पहली दस्तक - 3

अगले दिन नव्या तय कर चुकी थी —

आज वो किसी की बात में नहीं पड़ेगी।
कौन कैसा है, कौन क्या सोचता है — उससे कोई मतलब नहीं।
वह सिर्फ एक शिक्षक की तरह पेश आएगी — न्यूट्रल, प्रोफेशनल और शांत।
स्कूल पहुँचकर वह ऑफिस में रजिस्टर पर साइन करती है और असेंबली की तरफ़ बढ़ती है।
विनीता मैम उसे दूर से देखकर मुस्कुराती हैं,
नव्या भी हल्की सी स्माइल रिटर्न करती है।
जो भी टीचर्स असेंबली में थे, नव्या सबसे "गुड मॉर्निंग" कहती है। फिर वह बच्चों को लाइन में लगाने में और असेंबली को व्यवस्थित करने में पूरी मदद करती है।
नव्या अब धीरे-धीरे खुद को उस माहौल में ढाल रही थी — पर एक नए ढंग से, अपने सीमित किनारों के साथ, भावनाओं को भीतर रखकर, सिर्फ अपने कर्तव्य के साथ।

थोड़ी देर बाद सभी टीचर्स अपने-अपने क्लासरूम पहुँच गए थे।
इतने में विनीता मैडम नव्या को बुलाने आईं और बोलीं,
"नव्या, प्रिंसिपल मैडम के ऑफिस में चलो, मीटिंग है।"
कुछ ही देर में सभी टीचर्स प्रिंसिपल ऑफिस में इकट्ठा हो गए। प्रिंसिपल मैडम ने गंभीर स्वर में कहा,
"आज बच्चे कल के मुकाबले थोड़े ज़्यादा आए हैं।
सब अपनी-अपनी क्लास और क्लास इनचार्ज डिसाइड कर लो।
अपने-अपने क्लासरूम को अलग-अलग बिठाओ।
और उसी के हिसाब से टाइम टेबल बनाओ।"

फिर उन्होंने किसी की तरफ़ देखा और कहा,
"नव्या, आपका काम है ये टाइम टेबल बनाना।
इसे छुट्टी तक मुझसे टैली करवा देना।
अभी टेंपरेरी टाइम टेबल बना लो,
फिर जब फाइनल हो जाए तो असली टाइम टेबल बना लेना। टाइम टेबल बनाने की पूरी रिस्पॉन्सिबिलिटी आपकी है।"
नव्या की नजरें उठीं तो वही सर खड़े थे,
जो कल अटेंडेंस रजिस्टर देने आए थे।
विनीता मैडम ने बताया था कि ये सर कई टीचर्स की ज़िम्मेदारी संभालते हैं।
नव्या ने मन ही मन सोचा,
"इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी! इन्हीं पर भरोसा क्यों दिया गया होगा।"

प्रिंसिपल मैडम ने फिर कहा,
"अब आप सब अपनी-अपनी क्लासरूम जा सकते हो।
टाइम टेबल आज ही बन जाएगा और आपको प्रोवाइड कर दिया जाएगा।"

सभी टीचर्स निकलने लगे।
विनीता मैडम और नव्या साथ-साथ चल रही थीं।
विनीता मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा,
"देखा, मैडम, टाइम टेबल भी वही सर बनाएंगे।
मैंने कहा था ना, ये बहुत ज़्यादा समझदार और जिम्मेदार हैं।
इसीलिए प्रिंसिपल मैडम ने इन्हें ये काम दिया है।
काम तो जिम्मेदार इंसान को ही दिया जाता है। अब आपको अंदाज़ा हो गया होगा कि ये कितने भरोसेमंद हैं।"

नव्या बोली,
"जी, बिल्कुल।"

दोनों अपने-अपने क्लासरूम चली गईं।


---

थोड़ी देर बाद नव्या का पीरियड खत्म हुआ और वो स्टाफ रूम में चली गई।
स्टाफ रूम में दो टीचर्स बैठी थीं —
एक अंजली मैडम, जो नव्या की सीनियर थीं,
और दूसरी वही मैडम जो कल किसी के बारे में उल्टी-सीधी बातें कर रही थीं।

नव्या स्टाफ रूम के दरवाज़े पर रुक गई।
वो अंदर नहीं गई क्योंकि उसे फिर से वही बातें सुनना पसंद नहीं था।

अंजली मैडम ने नव्या को देखा और पूछा,
"नव्या, कहाँ जा रही हो? तुम्हारी क्लास है क्या?
चलो, हमारे पास बैठो, बात करते हैं।"

नव्या सोचने लगी, अगर वह मना करेगी तो कोई बुरा मान सकता है।
इसलिए वो चली गई और बैठ गई।

वहीं दूसरी मैडम बोली,
"यहाँ तो गर्मी लग रही है, चलो बाहर बैठते हैं, अपनी डायरी वहीं लिखेंगे।"

तीनों बाहर जाकर बैठ गए।
पास में दो टीचर्स टाइम टेबल बना रहे थे।
उनमें से एक ने पूछा,
"मैडम, आपका नाम क्या है?"

अंजली मैडम मुस्कुराईं,
"सर, मेरा नाम अंजली है। आप ऐसे पूछ रहे हैं जैसे मेरा पहला दिन हो।"

सर हँसते हुए बोले,
"नहीं, मैं आपकी बात नहीं कर रहा, दूसरी मैडम का नाम पूछ रहा हूँ।"

दूसरी मैडम हँसी और बोली,
"अच्छा, तो मेरा नाम पूछ रहे हो?"

तभी सर ने कहा,
"मैं तो आपके साथ बैठी मैडम का नाम जानना चाहता था।"

नव्या ने सर की तरफ देखा और पूछा,
"क्यों सर?"

सर ने बताया,
"टाइम टेबल बनाना है तो टीचर्स के नाम और विषय दोनों पता होना जरूरी है।
पुराने टीचर्स के बारे में तो पता था, लेकिन नए टीचर्स के बारे में नहीं।"

दोनों मैडम हँसने लगीं,
"यह कौन बात कर रहा है?"

तभी एक मैडम बोली,
"रिज़ल्ट वाले दिन से तेरे से ज़्यादा फ्रेंडली नहीं हो गया ये, जबसे तूने उसकी फोटो खींची है।"

दोनों हँसने लगीं।

नव्या ने कहा,
"मुझे लगता है हमें हँसना चाहिए, हँसी अच्छी बात है,
लेकिन उनके बारे में नहीं, वरना वो गलत समझेंगे।"

मैडम बोलीं,
"कोई बात नहीं, कोई कुछ नहीं समझेगा, टेंशन मत लो।"

फिर दोनों हँसने लगीं।

अंजली मैडम ने कहा,
"ये तो हमारा बड़ा फैन है, बहाने ढूंढता है हमसे बात करने के।
आज तो भगवान मेहरबान हो गया कि हमें ये दिख गया, वरना दीदार के लिए तरसता था।"

नव्या उनके चेहरे देख रही थी,
दोनों मैडम फिर हँसीं और बोलीं,
"हम मज़ाक कर रहे हैं, हमारी बात पर ध्यान मत दो।"

अंजली मैडम ने जोड़ा,
"वैसे ये सर भी ऐसे ही हैं, बस मज़ाकिया स्वभाव के।"

नव्या चुप हो गई, कुछ नहीं बोली।

मन ही मन सोचने लगी,
"बोलने से कोई फायदा नहीं। लोग जल्दी जज कर लेते हैं।
मुझे गुस्सा आता है, लेकिन स्कूल में हूं, इसलिए खुद को कंट्रोल करती हूं।
पता नहीं ये स्कूल का स्टाफ़ ऐसा है या ये टीचर्स ऐसे हैं।
मेरी बातों को भी कोई अनजाने सामने ऐसे ही कह देता है।"

इतने में एक मैडम बोली,
"आपको पता है ये सर हमारे पीछे कितने फ्लैट के मालिक हैं।"

नव्या ने बीच में बोलते हुए कहा,
"माफ़ कीजिए, पर आपका पर्सनल मैटर आप खुद तक रखें।
मुझे इस तरह की बातें जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है।"

दूसरी मैडम बोली,
"इतना गुस्सा क्यों हो रही हो? अगर कोई तुम्हारी दीदार को तरस रहा हो तो बताओ।"

नव्या गुस्से से उठकर वहाँ से चली गई, कुछ नहीं बोली।

वो सोच रही थी,
"इन टीचर्स को कोई और काम नहीं है क्या?
जब देखो किसी की बुराई करते रहते हैं।
इसी एक टॉपिक पर बार-बार बातें करते हैं।
गुस्सा आता है, लेकिन खुद को संभालती हूं।
क्योंकि ये स्कूल है।"

मन ही मन बोली,
"आज तो दूसरा ही दिन है।
अगर अभी से ऐसी बातें चल रही हैं, तो आगे क्या होगा?"