Towards the Light – Reminiscence in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

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नमस्कार स्नेही मित्रों 

आज इस विषय पर थोड़ी बात करते हैं 

 

वर्तमान समय में सनातन धर्म एवं संस्कृति की प्रासंगिकता

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सामान्य अर्थ में धर्म को कर्त्तव्य भी कहा जा सकता है लेकिन धर्म की परिभाषा इससे विस्तृत होती है। धर्म एक मनुष्य तथा समाज के लिए सत्य और सही आदर्श नियमावली, कर्त्तव्य को निर्धारित करता है। कोई भी धर्म उसके अनुयायियों के लिए सही तरीके से जीवन जीने तथा उचित मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। धर्म का सम्बन्ध उसके निश्चित नियम, रीति -रिवाज, प्रथाएँ तथा आस्था से होता है। एक मनुष्य का धर्म अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग हो सकता है लेकिन धर्म की एक व्यापक अवधारणा हमेशा सामान रहती है। सनातन धर्म को विश्व का सबसे पुराना धर्म माना गया है। 

 

 सनातन धर्म का अर्थ होता है "सदा बने रहने वाला धर्म" जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "शाश्वत धर्म" जिसे अनादि तथा अनंत भी कहा जाता है। अन्य शब्दों में सनातन धर्म को सत्य, वैदिक और हिन्दू धर्म के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है की सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है जिसके प्रमाण आज के आधुनिक युग में भी मिलते रहते है। 

  वर्तमान में भी सत्य, अहिंसा, प्रेम, अस्तेय की इतनी ही महत्ता है जितनी पुरातन युग में थी जब सृष्टि का अवतरण हुआ था क्योंकि मनुष्य के जीवन के मूलभूत गुण ही सदा उसके जीवन को कल्याणकारी बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं । 

 

मित्रों! सोचिए कि उपरोक्त सनातन में कितनी सच्चाईव दृढ़ता है ? धर्म और संस्कृति से जीवन का मार्ग सुगम व सुंदर रहता है तथा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए चैतन्य रहता है । 

 

अगली बार किसी दूसरे विषय पर विचार करते हैं जिससे हम सभी अंधकार से उजाले की ओर सरलता, सहजता से अग्रसर हो सकें ।

 

आप सबकी मित्र 

डॉ. प्रणव भारती