chapter 13
आदर्श अग्रवाल, तुम अपनी लिमिट क्रॉस कर रहे हो। तुम्हें अच्छी तरह पता है कि एक बीस्ट टेमर को मारना कितना बड़ा अपराध होता है। अगर तुमने यहां किसी भी बी-टेमर को चोट पहुँचाने की कोशिश की... तो तुम सोच भी नहीं सकते तुम्हारे साथ क्या होगा। लोग भूल जाएंगे कि तुम कभी किसी डॉन हुआ करते थे।”
प्रिंसिपल रंजीत आदर्श को कड़ी नजरों से घूरते हुए बोले।
आदर्श हल्की हँसी के साथ बोला,
"अरे प्रिंसिपल साहब, मैं अगर किसी बी-टेमर को मारूं तो बात समझ भी आती। लेकिन ये लड़का... इस वक्त न तो बी-टेमर है, न ही किसी टेम की क्लास में। बस एक जूनियर स्टूडेंट है जिसने गलती से न्यूरो कोर जनरेट कर लिया है। अब तक इसने न किसी बीस्ट को टेम किया है, न कोई मिशन पूरा किया है। इस हिसाब से तो यह धरती पर एक बोझ है, और कुछ नहीं।"
तभी एक अजीब-सा पक्षी जिसकी चोंच खंजर जैसी थी, शौर्य की ओर तेजी से बढ़ने लगा।
शौर्य ने मन ही मन कहा, "रुको... मत आओ।"
पर पक्षी ठिठक गया, जैसे उसकी बात सुन रहा हो।
फिर एक कर्कश आवाज गूंजी,
“क्या... क्या तुम मेरी आवाज़ सुन सकते हो?”
शौर्य ने बिना बोले जवाब दिया,
“हाँ, मैं तुमसे बात कर सकता हूँ... लेकिन अगर तुम मुझे मार दोगे तो—”
“बहुत अच्छा... पहली बार कोई मुझसे बात करता हुआ मरेगा।”
इतना कहकर वो पक्षी शौर्य की ओर झपट पड़ा।
लेकिन अगले ही पल, शौर्य के पीछे से एक तेज़ हरी रोशनी चमकी और पलक झपकते ही वह रोशनी उस पक्षी से लिपट गई।
हर कोई स्तब्ध रह गया।
वो रोशनी... अब एक विषैले कांटेदार स्नेक की शक्ल में थी। वो पक्षी अब फंसा हुआ था, साँस लेने की कोशिश में तड़प रहा था।
भीड़ से एक हैरान आवाज़ आई—
“ये... ये तो हाइब्रिड है! लेकिन... हाइब्रिड मॉन्स्टर्स तो सिर्फ़ हाई-रैंक डॉक्टर बना सकते हैं!”
आदर्श अग्रवाल चौकन्ने हो गए। उनकी नजरें शौर्य के पीछे जा टिकीं—
डॉक्टर अनिकेत और डॉक्टर अनन्या।
“आप दोनों... यहाँ?” आदर्श ने पूछा।
डॉक्टर अनिकेत मुस्कुराए,
“हमारा कोई खास यहां मौजूद है... उसी के लिए आए हैं।”
“तो फिर उसके पास जाइए। मेरे काम में दखल मत दीजिए, डॉक्टर।”
आदर्श की आवाज़ अब कड़कने लगी थी।
डॉक्टर अनन्या एक कदम आगे आईं।
“हम जिस ‘खास’ की बात कर रहे हैं... वो है शौर्य।”
सन्नाटा छा गया।
हर कोई हैरान था—शौर्य? अनाथ शौर्य? इन हाई रैंक डॉक्टरों का 'अपना'?
डॉक्टर अनन्या ने गुस्से से आदर्श की ओर देखा।
“अगली बार मेरे भाई पर हाथ उठाने से पहले सौ बार सोचना।”
शौर्य हतप्रभ खड़ा था। लोग फुसफुसाने लगे—
“ये कैसे हो सकता है? ये तो हमेशा कहता था कि अनाथ है... और अब इसकी बहन... टू स्टार डॉक्टर निकली?”
आदर्श हँसा,
“तुम मजाक कर रही हो। मैंने इसकी पूरी हिस्ट्री खुद देखी है। ये अनाथ है!”
“मुझे फर्क नहीं पड़ता कि तुम क्या मानते हो, आदर्श। मैं इसकी बहन हूँ। और मैं एक टू स्टार डॉक्टर होते हुए भी इसके लिए यहां हूं। सोच लो… इसका क्या मतलब है।”
डॉक्टर अनन्या की आवाज़ में लहज़ा ठोस था।
आदर्श की आँखें सिकुड़ गईं।
“अब समझ आया… इस लड़के ने इतनी कम उम्र में न्यूरो कोर क्यों जेनरेट किया। टैलेंट है इसमें, मानता हूँ। लेकिन तुमने मेरे बेटे को घायल किया, हॉस्पिटल तक पहुंचा दिया… इसका अंजाम तुम सोच भी नहीं सकते।”
आदर्श पीछे हटता है। उसके बॉडीगार्ड्स गन निकालते हैं, लोड करते हैं, और...
गनें अब शौर्य, डॉक्टर अनन्या, डॉक्टर अनिकेत और प्रिंसिपल रंजीत की ओर तनी हुई हैं। कुछ गनें छात्रों की भी ओर।
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"मुझे यकीन नहीं हो रहा... इस आदर्श अग्रवाल ने सारी हदें पार कर दी हैं..."
प्रिंसिपल रंजीत मन ही मन बड़बड़ाए, उनकी आँखों में गुस्से और हैरानी की चिंगारियाँ चमक रही थीं।
उधर, आदर्श अग्रवाल अपने भारी-भरकम बॉडीगार्ड्स के बीच जाकर खड़ा हो गया।
डॉ. अनन्या और डॉ. अनिकेत, दोनों ही तजुर्बेकार डॉक्टर थे, लेकिन प्रोफेशनल बीस्ट टेमर नहीं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी इंसानी शरीर को समझने और बचाने में लगा दी थी, बीस्ट्स की ट्रेनिंग में नहीं। उनके पास जो कुछ बीस्ट्स थे, वे लैब में बनाए गए हाइब्रिड क्रिएशन्स थे — अनोखे ज़रूर, लेकिन जंग के मैदान में कमजोर।
प्रिंसिपल रंजीत जरूर बीस्ट टेमर थे, लेकिन लोअर रैंक के। उनके पास मौजूद बीस्ट्स इतने दुर्बल थे कि उन्हें सिर्फ जूनियर सेक्शन की जिम्मेदारी दी गई थी।
"तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो, आदर्श अग्रवाल..."
रंजीत ने सख्त लहजे में कहा,
"अगर ये खबर ज़रा सी भी बाहर चली गई, तो पूरी बी-टेम ऑर्गेनाइजेशन तुम्हारे खिलाफ खड़ी हो जाएगी। और जब डॉक्टर लोग किसी के पीछे पड़ जाएँ, तो उसका अंजाम तुम बख़ूबी जानते हो..."
आदर्श मुस्कराया, मानो ये सब उसकी प्लानिंग का हिस्सा हो।
"यहाँ की सारी सीसीटीवी फुटेज मैंने आते ही डिलीट करवा दी। और आगे की रिकॉर्डिंग्स सिर्फ मेरी मर्ज़ी से होंगी। इसलिए चिंता मत करो, प्रिंसिपल साहब… फँसूँगा नहीं। और हाँ, आपकी चिंता के लिए शुक्रिया।"
इतना कहकर आदर्श अपने विशाल, सांड जैसे बीस्ट पर बैठ गया और सामने खड़े लोगों को घूरते हुए मुस्कराता रहा।
इस बीच, शौर को वो घूरता रहा — जिसका चेहरा न डर में डूबा था, न किसी घबराहट में।
उसके चेहरे की निडरता ने आदर्श को थोड़ी देर के लिए चौंकाया, लेकिन फिर वो मुस्कराया और हुक्म दिया:
"ख़त्म कर दो इन्हें!"
बॉडीगार्ड्स ने गन लोड की, निशाना साधा…
तभी —
"रुको।"
शब्द गूंजे — आवाज़ शौर की थी। लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।
बॉडीगार्ड्स ट्रिगर दबाने ही वाले थे कि…
मुझे पता था। इतना बड़ा स्कूल है, कोई न कोई इंतज़ाम ज़रूर होगा..."
वो नीचे उतरता है, अपने उस सांड जैसे बीस्ट से।
"पर तुम लोग ये भूल रहे हो — ये जानवर म्यूटेड नहीं हैं। ये बीस्ट्स के सामने कुछ नहीं।"
चैप्टर 14
मुझे पता था। इतना बड़ा स्कूल है, कोई न कोई इंतज़ाम ज़रूर होगा..."
वो नीचे उतरता है, अपने उस सांड जैसे बीस्ट से।
"पर तुम लोग ये भूल रहे हो — ये जानवर म्यूटेड नहीं हैं। ये बीस्ट्स के सामने कुछ नहीं।"
और तभी — उसका वह विशाल सांड जैसा बीस्ट तेज़ी से दौड़ता है और अपने सिंगों से जानवरों को कुचलना शुरू कर देता है।
कई जानवर तड़पते हुए गिरते हैं, कुछ तो उठ भी नहीं पाते।
बाक़ी जो छोटे-मोटे बीस्ट्स बचे थे, वो भी डर के मारे पीछे हटने लगते हैं।
आदर्श अब खुलकर हँस रहा था।
"ये था तुम्हारा बैकअप प्लान? अब देखो मेरा प्लान कैसे सब पर भारी पड़ता है..."
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बिलकुल! यहाँ वही सीन है जिसमें "ड्रेगो" को "शेर" और "शौर" को "शौर्य" कर दिया गया है:
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"मैंने कहा था न... मुझसे पंगा मत लेना। मैं भले ही पावरफुल नहीं हु , लेकिन मेरे पास भी ऐसे 'मास्टर्स' हैं जो किसी के भी होश उड़ा दें," आदर्श अग्रवाल ने घमंड से भरी आवाज़ में कहा, सबकी ओर नज़रें घुमाते हुए।
वो भैंसा लगातार बेकाबू तबाही मचाए जा रहा था। तभी एक हिरण जैसे दिखने वाला एलियन उसकी ओर बढ़ा — और बस एक झटके में वो भैंसा उसे आसमान में उछाल देता है। हिरण ज़मीन पर इतनी ज़ोर से गिरता है कि उसकी टाँगें चटक जाती हैं। अब तो फ्रड भी कुछ महसूस कर रहा था, मगर चाह कर भी कोई कुछ नहीं कर सकता था। बस नज़ारा देख रहे थे... अपनी आने वाली मौत का।
इसी बीच, आदर्श के सारे बॉडीगार्ड्स भी आज़ाद हो जाते हैं और अपनी जगहों पर खड़े हो जाते हैं। सब एक-दूसरे की तरफ देखने लगते हैं।
"क्या घूर रहे हो? मारो इन्हें!" आदर्श चीखा।
बॉडीगार्ड्स जैसे नींद से जागे और फौरन गनें शौर्य, अनन्या और अनिकेत की तरफ तान दीं।
शौर्य के चेहरे पर डर साफ़ झलक रहा था। "ओह नो... ये प्लान भी फेल हो गया," उसने मन ही मन कहा।
गन की आवाज़ गूंजती है।
शौर्य, अनन्या, अनिकेत, प्रिंसिपल रंजीत — सबने आँखें बंद कर लीं।
पर... कुछ नहीं हुआ।
धीरे-धीरे सबने आँखें खोलीं — और देखा कि उनके सामने एक विशालकाय शेर खड़ा है, जिसने अपनी छाती से गोलियाँ रोकी थीं। वही शेर... लेकिन पहले से भी कहीं ज़्यादा ताकतवर। उसकी मसल्स, उसकी मौजूदगी... डरावनी थी।
शेर के ऊपर एक स्मार्ट लड़का बैठा था।
"ये तो हमारे सीनियर में से एक है!" किसी स्टूडेंट ने चिल्लाकर कहा।
सारे बच्चे उत्साहित हो उठे।
वो लड़का शेर से उतरा और आदर्श की ओर तेज़ कदमों से बढ़ा। उसकी आँखों में गुस्सा भरा था।
"क्या कहा तुमने? कि सबको मार दोगे? सबूत मिटा दोगे? क्यूंकि तुम डॉन हो?" उसने ताली बजाकर हँसते हुए कहा, "जूनियर्स को तंग करने का हक़ सिर्फ़ सीनियर्स का होता है, ये बात पता नहीं तुम्हें?"
"तू भूल रहा है कि मैं कौन हूँ," आदर्श फुंकारा और अपने भैंसे को इशारा किया।
भैंसा झपटता है... मगर वो लड़का वहीं खड़ा रहा। एक हाथ से भैंसे को रोका... और ज़ोरदार पंच!
भैंसा ज़मीन पर धड़ाम से गिरता है... बेहोश।
"किसने कहा कि मेरे पास हुकुम के पत्ते नहीं?" आदर्श बोला।
उसके सारे बॉडीगार्ड्स ने एकसाथ फायर किया। लेकिन शेर फिर सामने आ गया — गोलियाँ उसकी खाल से टकराकर नीचे गिर गईं।
"मैं एक प्रोफेशनल बीमर हूँ," वो लड़का बोला, "और तुम्हारे जैसे कई साम्राज्य तबाह कर चुका हूँ।"
शेर ने एक ज़ोरदार दहाड़ मारी।
बॉडीगार्ड्स डर के मारे भाग गए। आदर्श भी गिरता-पड़ता वहाँ से निकल गया।
"तुम्हारे घमंड का जवाब तुम्हें मिल गया," लड़का बोला, फिर शौर्य और बाकियों की ओर मुड़ा, "सब ठीक हो?"
"हाँ, बेटा... अब तुम दिखे हो बहुत दिनों बाद। बड़े भी हो गए हो," प्रिंसिपल रंजीत मुस्कराए।
"मैं यहाँ इसलिए आया क्योंकि सुना कि किसी ने 15 साल की उम्र में न्यूरो जनरेट किया है।"
"हाँ हाँ... मिलवाता हूँ," रंजीत बोले।
"इसका नाम आदित्य है," रंजीत ने सबसे कहा।
"आदित्य...? अरे, ये तो वही है! सीनियर्स की टॉप 10 टीम का लीडर!" बच्चे आपस में बातें करने लगे।
आदित्य अब शौर्य की ओर बढ़ा। "मैंने तुम्हें उन एनिमल्स को कंट्रोल करते देखा। बहुत इम्प्रेस किया।"
सभी हक्के-बक्के रह गए। इतने सारे एनिमल्स को...?
"तुमने इन्हें सालों से फीड किया, दोस्ती की... और अब ये तुम्हारे अपने हैं," आदित्य ने कहा।
आदित्य ने शौर्य के कंधे पर हाथ रखा और मुस्कराया। फिर अपने शेर की ओर मुड़ा।
शौर्य उस शेर को देख रहा था। उसने मन में कहा: "सुनो शेर इधर आओ.."
शेर मुड़ा। शौर्य के पास आया। बस खड़ा हो गया... फिर हल्का सा लिक कर चला गया।
आदित्य भी मुस्कराया।
"तुम पहले हो जिसने मेरे शेर को इम्प्रेस किया है। जल्द ही मिलेंगे सीनियर लेवल पर... बहुत लोग हैं जो तुमसे मिलना चाहते हैं।"
और फिर आदित्य, अपने शेर के साथ... वहां से चला गया।
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चैप्टर 15
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"शौर्य, क्या तुमने सच में न्यूरो कोड जनरेट कर लिया है?" डॉक्टर अनन्या शौर्य को देखते हुए पूछती हैं। इस वक्त सभी लोग घर लौट आए थे। अब शौर्य अपनी बहन के बड़े से फ्लैट में रहने वाला था, जो उसी का था। इसलिए शौर्य को अब इस बात की चिंता नहीं थी कि जब वो रात में टेलीपोर्ट होकर उस अजीब सी जगह जाएगा और सुबह वापस लौटेगा, तो कोई उसे देखेगा भी। वो बस अपने कमरे में बंद हो जाएगा और सुबह 9 बजे तक वापस आ जाएगा—बिलकुल चुपचाप।
शौर्य शहर के सबसे बड़े स्टोर से ढेर सारा खाना, मछलियाँ और फल खरीदता है। फिर वह स्कूल के जानवरों के पास जाता है और उन्हें खिलाता है। शौर्य ने मन ही मन जानवरों से वादा किया था कि अगर वे उसकी मदद करेंगे, तो वह उन्हें सबसे अच्छा और महंगा खाना खिलाएगा। इसलिए कुछ ऐसे जानवर भी जो पहले से टेम किए गए थे, वे भी शौर्य की मदद को आगे आ गए। अब वादा पूरा करने की बारी थी।
जानवरों को खाना खिलाने के बाद शौर्य घायल जानवरों से मिलने जाता है। वहाँ डॉक्टर प्रीति भी मौजूद होती हैं।
"शौर्य, क्या तुमने सच में इन सबको टेम कर लिया है?" डॉक्टर प्रीति हैरानी से पूछती हैं।
"नहीं डॉक्टर, ये सब बस मदद करने आ गए थे। शायद सबको लगता है कि मैंने इन्हें टेम कर लिया है," शौर्य शांत लहजे में जवाब देता है।
"तो फिर बताओ, जब ये जानवर तुम्हें डराकर भगा देते थे, तब अब इतने प्यार से क्यों देख रहे हैं? हिडन भी तुम्हें ऐसे देख रही है जैसे वो तुम्हारे साथ घर चलना चाहती हो!" डॉक्टर प्रीति मुस्कुराकर कहती हैं।
शौर्य उस हिरण को देखता है और समझ जाता है कि ये जानवर अब उसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि वो उनकी भाषा समझ सकता है। और कौन नहीं रहना चाहेगा ऐसे इंसान के साथ जो आपकी बात समझ सके?
इसके बाद शौर्य डॉक्टर प्रीति के साथ मिलकर घायल जानवरों की मदद करता है। समय का पता ही नहीं चलता और कब 10 बज जाते हैं, किसी को एहसास नहीं होता।
"शौर्य, अब तुम्हें घर जाना चाहिए। मैं भी कुछ जानवरों को दवा देकर निकल रही हूँ," डॉक्टर प्रीति कहती हैं।
शौर्य घर लौटता है। घड़ी में 11 बज चुके होते हैं और उसकी बहन अनन्या उसका इंतज़ार कर रही होती है।
"शौर्य, चलो आज साथ में खाना खाते हैं," अनन्या मुस्कुराकर कहती है।
"दीदी, देखो... मतलब मैं अभी-अभी आपके साथ रहने आया हूँ, शायद आपको मेरे रूटीन का पता नहीं। अगर मैं लेट आऊँ तो प्लीज़ आप खाना खा लिया करो," शौर्य थोड़ा झिझकते हुए कहता है।
"आज पहला दिन है, थोड़ा इंतज़ार तो बनता है। भूख को समझा लिया मैंने कि आज भाई के साथ खाना है," अनन्या प्यार से जवाब देती है।
शौर्य मुस्कुरा देता है और फिर दोनों साथ में खाना खाते हैं। शौर्य को वो दिन याद आते हैं जब उसे खाना खरीदने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे, और कितनी बार उसे उन कामों से निकाल भी दिया गया था। लेकिन अब हालात बदल चुके थे—अब उसकी बहन एक डॉक्टर है, और उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है।
और सबसे बड़ी बात—शौर्य ने न्यूरो कोर जनरेट कर लिया है।
न्यूरो कोर जनरेट करना किसी इंसान को सामान्य मानव सभ्यता से आगे ले जाता है। ये ताकत का वो स्तर होता है जहाँ इंसान 'नॉर्मल' नहीं रहता। न्यूरो कोर के ज़रिए कोई भी अपनी शक्ति बहुत आगे तक बढ़ा सकता है। और अगर वो ब-टेमर हुआ, तो जानवरों के न्यूरो कोर को इस्तेमाल करके अपनी क्षमता और तेज़ी से बढ़ा सकता है।
न्यूरो कोर के दो मुख्य स्तर होते हैं—**क्लासिक लेवल** और **फाइटर लेवल**। ये दोनों ही बेहद खतरनाक होते हैं। शौर्य को अभी तक ये नहीं पता कि वो किस स्तर पर है—क्लासिक का लेवल 1 या 2—लेकिन उसकी बहन, जो पिछले चार साल से न्यूरो कोर जनरेट कर चुकी है, क्लासिक लेवल के आठवें स्तर पर है। वो अकेले ही कई लोगों को एक पंच में गिरा सकती है।
जंगल में मौजूद मॉन्स्टर्स का शुरुआती स्तर ही फाइव-स्टार क्लासिक लेवल से शुरू होता है। इसलिए अगर शौर्य को वहां ज़िंदा रहना है, तो उसे अपनी ताकत बहुत तेज़ी से बढ़ानी होगी। नहीं तो वो जंगलों में या उस अजीब टाइम-जंप वाली जगह में ज़िंदा नहीं रह पाएगा।
अचानक शौर्य को कुछ याद आता है। वो खाना अधूरा छोड़ देता है।
"दीदी, मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूँ," कहकर वो तेजी से अपने कमरे की ओर चला जाता है।
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सुबह से अब तक बहुत तमाशा हो गया था। शौर्य अपनी बहन को देखते हुए बोला, "दीदी, अब बस करो ना। बहुत शोर हो गया है।"
उस वक्त रात के 12 बजने में बस 5 मिनट बाकी थे।
"ठीक है, मैं समझ सकती हूं। तुम जाओ और आराम से सो जाओ। सुबह तुम्हारा स्कूल है, 10 बजे से। याद है ना?" अनन्या ने मुस्कराते हुए कहा।
"दीदी, मैं सालू के साथ स्कूल जा रहा हूं। टाइम मुझे कैसे नहीं पता होगा?" शौर्य इतना बोलकर जल्दी-जल्दी अपने कमरे में घुस गया और दरवाज़ा लॉक कर लिया।
"सिर्फ एक मिनट बाकी है..." शौर्य खुद से बुदबुदाया और फिर अपने जरूरी सामान जैसे खाना, पानी और कुछ ज़रूरी चीज़ें लेकर तैयार हो गया। उसने सब कुछ अपनी बॉडी से चिपका कर रखा था। पिछली बार जब वह टेलीपोर्ट होकर जंगल में गया था, तो उसे इतनी प्यास लगी थी कि वह पूरी रात बिना पानी के तड़पता रहा था।
12 बजते ही शौर्य के सीने से एक तेज़ रोशनी फूटी और वह उसी रोशनी में गायब हो गया।
जैसे ही रोशनी हटी, शौर्य खुद को उसी अंधेरे, डरावने जंगल में खड़ा पाया। उसने फटाफट अपने हाथ चेक किए — खाना और पानी सही सलामत थे। वह राहत की सांस लेता है और पेड़ की तरफ बढ़ता है। उसी पुराने मोटे पेड़ के पास वह बैठ जाता है और धीरे-धीरे खाना खाने लगता है।
"काश थोड़ा और आराम से खा पाता," शौर्य मन ही मन बड़बड़ाया। उसे याद आया कि उसे हर हाल में इस जंगल में आना ही होता है, चाहे वह चाहे या नहीं। इसलिए वह जल्दी में बस खाना समेटकर आ गया था। मगर कुछ स्नैक्स उसने जेब में छिपा लिए थे, जिन्हें अब वह मज़े से खा रहा था।