The Demon Catcher - Part 3 in Hindi Science-Fiction by Rakesh books and stories PDF | The Demon Catcher - Part 3

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The Demon Catcher - Part 3

Chapter 16खाने के बाद पानी पीकर वह वहीं पेड़ के नीचे लेट गया, "कितने दिन हो गए… नींद ही नहीं ली। आज तो चैन की नींद लूंगा।" ये कहते ही शौर्य लंबी अंगड़ाई लेकर सो गया।करीब 3-4 घंटे बाद, किसी आवाज़ से उसकी नींद खुलती है। उसने आंखें खोलीं, तो सामने एक मोटा सा कीड़ा था। वह डर गया — ये उसका अपना कीड़ा था या कोई जंगली?शौर्य ने अपने हाथ आगे किए, उसे बुलाने की कोशिश की, पर वह नहीं आया।"मतलब ये मेरा ही कीड़ा है…" शौर्य ने राहत की सांस ली।मगर तभी कीड़ा बोला, "चुपचाप रहो! और हां, मोटा कीड़ा? ये कैसा नाम है मेरे लिए? तुम्हारे दिमाग में मेरा नाम यही है?""सॉरी, सॉरी! लेकिन ये बताओ कि तुम इतने सीरियस क्यों हो?" शौर्य बोला।"एक्चुअली, एक डायनासोर यहां घूम रहा है। बड़ा है, मैं अकेले उसे नहीं मार सकता और ना ही खा सकता। और अभी वो इस पेड़ के पीछे है। इसलिए ज़रा भी मत हिलना।"ये सुनकर शौर्य के पसीने छूटने लगे। वह कांपता रहा और धीरे-धीरे सांसें लेने लगा।तभी वह मोटा कीड़ा ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा, "उल्लू बनाया! बड़ा मजा आया!"  वो पेड़ के नीचे लोटपोट होकर हंस रहा था।शौर्य को गुस्सा आया, "आधा घंटा डर के मरा जा रहा था मैं!"  वह मोटे कीड़े को उठाता है और उसे आसमान में फेंक देता है।मगर कुछ ही देर में शौर्य को पीछे से आवाज़ आती है। वह मुड़कर देखता है — वही मोटा कीड़ा उसकी ओर दौड़ा चला आ रहा था।"अबे पागल! मैंने इसे मास्टर बना लिया, अब ये मुझे ही फेंक रहा है!" कीड़ा चिल्लाता है।शौर्य को अब उस कीड़े के पीछे भागता हुआ एक डायनासोर भी दिखा। छोटा था, मगर उसके पंख थे।"अरे, इसे तो खा सकते हो! छोटा है!" शौर्य चिल्लाता है।"इतनी स्पीड में घूमता है कि मैं झपट्टा भी मारूं तो चूक जाऊं। और अगर उसने मुझे पकड़ लिया तो उसके दांतों में मैं फंस जाऊंगा।"  कीड़ा अब शौर्य के साथ भागने लगा।उसकी स्पीड देखकर शौर्य हैरान रह गया।वह सीधे ज़मीन में सुराख बनाकर उसमें घुस गया और शौर्य से आगे निकल गया।"धोकेबाज़! तूने मुझे मास्टर बनाया और अब खुद ही भाग रहा है!"  शौर्य चिल्लाया लेकिन कीड़ा रुका नहीं।पीछे से डायनासोर की धमकती कदमों की आवाज़ें और भी पास आने लगीं।  अब शौर्य जान बचाने के लिए और तेज़ी से दौड़ने लगा।शौर्य की स्पीड बहुत तेज़ नहीं थी। तभी उसने अपने कंधे और पीठ पर किसी के नुकीले पंजे महसूस किए, जैसे किसी जानवर ने उसे बुरी तरह नोच डाला हो। दर्द से कराहता हुआ शौर्य ज़मीन पर लुढ़कता हुआ गिर गया। वह तुरंत पीछे मुड़ा तो देखा—एक अजीब-सा छोटा डायनासोर उसे घूर रहा था। उसके छोटे हाथों से हल्के पंख निकल रहे थे, पूंछ उसके शरीर से कहीं ज़्यादा लंबी थी, और उसकी आंखों में गुस्से की आग जल रही थी।"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि मेरी नींद खराब की?" डायनासोर गुर्राया।"नहीं! मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था... मैं बस अपने दोस्त को बाहर फेंक रहा था क्योंकि वो मुझे तंग कर रहा था।"शौर्य की बात सुनकर डायनासोर हैरान रह गया। "तुम... मेरी बात समझ सकते हो?""हां, मैं मॉन्स्टर्स और डायनासोर की भाषा समझ सकता हूं," शौर्य ने जवाब दिया।"और इससे मुझे क्या फायदा? क्या इससे मेरा पेट भर जाएगा?" कहते ही वह डायनासोर उस पर झपटा।शौर्य को इस हमले की उम्मीद नहीं थी। लेकिन तभी, ज़मीन के नीचे से कुछ हलचल हुई। एक मोटा कीड़ा अचानक ज़मीन फाड़कर निकला और डायनासोर के पैर से चिपककर उसे खाने लगा।"छोड़ मुझे! छोड़!" डायनासोर दर्द में चीखता है।वो कीड़ा उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा था। डर के मारे डायनासोर भागने लगा, जिससे कीड़ा उसका पीछा छोड़ नीचे गिर गया। मगर अब वो डायनासोर और ज़्यादा गुस्से में था और फिर से शौर्य पर झपटने को तैयार।इस बार मोटा कीड़ा शौर्य के कंधे पर चढ़ चुका था, जैसे किसी मौके की तलाश में हो। तभी हवा में से एक लंबा तीर आकर डायनासोर की पीठ में गहराई तक धंस गया। वो चीखता हुआ ज़मीन पर गिरा और हांफने लगा। उसकी आंखें अब भी सिर्फ शौर्य को देख रही थीं।शौर्य की सांसें तेज़ हो गईं। वह डर गया था कि अगला तीर कहीं उसी पर न लगे।फिर किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। शौर्य चौंकते हुए पीछे मुड़ा—एक हट्टा-कट्टा, बुज़ुर्ग आदमी खड़ा था। चेहरा सख्त, पर नजरों में अनुभव की गहराई थी।"ये जंगल बच्चों के लिए नहीं है। तुम यहां इतने रात गए क्या कर रहे हो?" उसने सख्त लहजे में पूछा।"मैं... मैं भटक गया था," शौर्य ने जल्दी से जवाब दिया।वो बुज़ुर्ग डायनासोर की ओर बढ़ा, उसे ध्यान से देखा और बोला, "तुम्हारी किस्मत अच्छी है, बच्चे। ये ‘डायनासोर ’ है। आमतौर पर ये झुंड में रहते हैं, कम से कम तीन होते हैं। पर ये अकेला है, ये तो अजीब बात है।""मैंने इसे ज़हर वाला तीर मारा है। अब शायद ही बचे। हां, अगर ये मुझे अपना मास्टर चुन ले, तो शायद बच जाए।"बुज़ुर्ग ने उसके सिर पर हाथ रखने की कोशिश की, लेकिन डायनासोर  ने उसकी कलाई को चबा डालने की कोशिश की।"जिद्दी है... लेकिन अब मरने वाला है।"उसी समय कुछ बच्चे पेड़ से नीचे उतरकर वहां पहुंचते हैं, जो सब कुछ ऊपर से देख रहे थे।"तुम तो काफी तेज़ भागते हो!" एक लड़का हँसते हुए बोला।"थैंक यू... असल में मैं रास्ता भटक गया हूं। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?" शौर्य ने घबराते हुए कहा।"अगर हमारे कबीले में रहना है, तो खुद को साबित करना होगा। हम अपने साथ किसी बेकार को नहीं रखते," बुज़ुर्ग गंभीरता से बोला।"मुझे थोड़ा समय दीजिए। मैं खुद को साबित कर दूंगा। अगर हमेशा के लिए नहीं तो कुछ दिन के लिए ही सही, मुझे अपने साथ रख लीजिए।" शौर्य की आवाज़ में विनम्रता थी।तभी दो छोटी बच्चियाँ वहां आईं। उनमें से एक बोली, "दादू, चलिए ना, इसे अपने साथ ले चलते हैं। हो सकता है ये किसी हाई रैंक वाले कबीले से हो। अगर ऐसा हुआ तो हमें इनाम मिल सकता है!"बुज़ुर्ग की आंखों में चमक आ गई। उसने बच्चियों के सिर सहलाए और बोला, "शायद तुम सही कह रही हो। इसके कपड़े भी बाकी लोगों से अलग हैं। हो सकता है..."फिर उसने शौर्य की ओर देखा, "ठीक है बच्चे, मैं तुझे अपने साथ ले चलता हूं। लेकिन एक बात ध्यान रखना—हमारे कबीले के बुज़ुर्ग बहुत सख्त हैं। उन्हें समझाना तुम्हारी जिम्मेदारी है।""जी… जैसा आप कहें।"दोनों बच्चियों ने शौर्य का हाथ थाम लिया और उसकी तरफ मुस्कराकर बोलीं, "तो अब ये हमारे साथ चलेगा!""ठीक है, चलो," बुज़ुर्ग बोला और चल पड़ा।"लेकिन दादू, उस डायनासोर  का क्या करें?" एक लड़के ने पीछे से पूछा।"मरने दो। जब मेरे साथ आने से मना कर दिया, तो अब भुगते," उसने नज़रें फेर लीं।"लेकिन शौर्य, तुम इसका तीर निकालकर ले आओ," बुज़ुर्ग ने आदेश दिया।शौर्य धीरे-धीरे उस तड़पते हुए डायनासोर  के पास गया, जो अब भी सिर्फ उसी को देख रहा था...चैप्टर 17शौर्य धीरे-धीरे उस विशाल वेनस एडॉप्टर डायनासोर की तरफ बढ़ रहा था। वो बुरी तरह घायल था—उसकी साँसें उखड़ रही थीं, और उसकी आंखों में एक अजीब सी नाराज़गी और थकावट थी।“क्या हुआ?” डायनासोर ने फटी-फटी आंखों से शौर्य को देखते हुए कहा, “तुम भी मुझे पालतू बनाने आए हो? मुझे पता था… सारे इंसान एक जैसे होते हैं।”उसने खून की उल्टी की और ज़मीन पर सिर पटकते हुए फिर से उठने की नाकाम कोशिश की। उसका पूरा शरीर नीला पड़ चुका था—ज़हर उसकी नसों में दौड़ चुका था। उसकी मांसपेशियाँ जवाब दे चुकी थीं, और लकवे के कारण वो एक इंच भी हिल नहीं पा रहा था।शौर्य वहीं खड़ा रहा, उसकी आंखों में दर्द झलक रहा था।“देखो, मुझे नहीं पता तुम्हारे दिमाग में इंसानों की क्या छवि है, लेकिन मैं उन सब जैसा नहीं हूं। मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूं,” शौर्य की आवाज़ में सच्चाई थी।डायनासोर ने उसकी तरफ देखा… पर कुछ नहीं कहा।“अगर तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं करना, तो मत करो। पर अगर तुमने भरोसा नहीं किया, तो तुम मर जाओगे,” शौर्य की आवाज़ इस बार थोड़ी सख्त थी।डायनासोर ने इस बार आंखें बंद कर लीं—मानो मौत को स्वीकार कर चुका हो।“तुम मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे?” शौर्य की आवाज़ कांप गई, “मुझे तुम्हें यूं मरता हुआ देखना अच्छा नहीं लग रहा… अगर तुम्हें बचना है, तो मेरे साथ चलो।”उसके शब्द सुनकर डायनासोर ने फिर से आंखें खोलीं, और इस बार शौर्य को बेहद घिन से देखा।“आख़िरकार… औकात पर आ ही गए। तुम्हारा भी मक़सद वही है, मुझे पालतू बनाना…” कहकर उसने मुंह फेर लिया।उसी वक्त, शौर्य की कमीज़ के अंदर से वो मोटा कीड़ा धीरे-धीरे बाहर आया और कंधे पर चढ़ गया।“तू इसके पीछे क्यों टाइम बर्बाद कर रहा है? चल यहां से! अगर वो बूढ़ा वापस आ गया या हमें छोड़ गया, तो?” मोटा कीड़ा गुस्से में बड़बड़ाया, “तेरे पास बस एक रास्ता है—कबीले जाना। इंसानों के साथ कम से कम सेफ रहेगा, वरना रोज़ ऐसे गधे मिलते रहेंगे।”शौर्य ने बिना कुछ कहे उस मोटे कीड़े के सिर पर ज़ोर से एक थप्पड़ मार दिया।“बकवास बंद कर… दिख नहीं रहा, वो दर्द में है।” उसकी आवाज़ में गुस्सा था।वेनस एडॉप्टर ने आंखें खोलीं और पहली बार ध्यान से शौर्य को देखा। शायद पहली बार उसे यकीन हुआ कि ये इंसान अलग है।“ठीक है… ठीक है, डांटना बंद कर। मैं एक बार कोशिश करता हूं…” मोटा कीड़ा कहता हुआ डायनासोर के सिर पर चढ़ गया।“अगर तू शौर का पालतू नहीं बना, तो मैं तेरी आंखें फोड़ दूंगा!” वह चिल्लाया।शौर्य ने माथा पकड़ लिया, और फिर गुस्से में उसे पकड़ कर दूर फेंक दिया। "क्यों भेज दिया मैंने तुझे वहाँ!" वो चिल्लाया।टप… टप… की आवाज़ के साथ कीड़ा दूर जा गिरा।डायनासोर हल्के से मुस्कराया। “अजीब बात है… तू उसका मालिक है, फिर भी वो तुझे सुनता नहीं।”“मैंने कहा ना… मैं बाकियों से अलग हूं,” शौर्य धीमे स्वर में बोला, “मैं नहीं जानता क्यों… लेकिन जिन बीस्ट्स को मैं टेम करता हूं, वो मुझे कभी मालिक नहीं समझते। शायद इसलिए कि मैं उन्हें दोस्त मानता हूं।”“ये कैसे हो सकता है?” डायनासोर चौंका। “हर बीस्ट टेमर जब किसी को टेम करता है, वो उसका गुलाम बन जाता है… उसकी हर बात मानता है—even अगर उसे मरने का हुक्म दे।”शौर्य कुछ देर शांत रहा, शायद सोच में डूबा हुआ।तभी वो मोटा कीड़ा फिर से पास आया और झल्लाते हुए बोला, “आज के बाद मैं तेरी कोई मदद नहीं करूंगा… देख लेना!”शौर्य ने उसे प्यार से उठाया, मुस्कराया और बोला, “अच्छा सुनो… तालाब दिख रहा है? उसमें जाकर डूब जाओ… और मर जाओ।”वो हँसते हुए उस कीड़े को देखता रहा… और डायनासोर अब एकदम शांत, गहराई से उसे निहार रहा था।वो मोटा कीड़ा कभी तालाब की तरफ देखता, तो कभी शौर्य को अजीब, बड़ी आंखों से घूरता।  "क्या तुम भी मेरे साथ तालाब में डूबने चलोगे?"  शौर्य उसकी बात सुनकर थोड़ी देर शांत रहा और फिर बोला, "अगर यही सही रास्ता है, तो मैं चलने को तैयार हूं।"अगले ही पल, वो मोटा कीड़ा अचानक पत्थर की तरह उछलकर शौर्य के चेहरे पर हमला कर देता है। शौर्य का मुंह लाल हो जाता है।  "पागल समझ रखा है क्या? तालाब में जाकर डूब जाऊं और मर जाऊं? ये क्या कमांड हुई?" शौर्य गुस्से में बोला।वो मोटा कीड़ा ठहरकर शौर्य को घूरता है और फिर एक चमकती हुई रोशनी में बदलकर वहीं से गायब हो जाता है।लेकिन हैरानी की बात ये थी कि शौर्य उस पूरे वाकये के बाद हल्का-सा मुस्कुरा रहा था।“उस मोटे कीड़े ने तुम्हारी बात नहीं मानी और तुम फिर भी मुस्कुरा रहे हो? तुम्हारे अंदर इतना भी दिमाग नहीं है? अगर कोई बीस्ट तुम्हारी बात नहीं मान रहा, तो तुम बीस्ट टेमर कहलाने के लायक नहीं हो!”  डायनासोर जैसे बीस्ट ने शौर्य से झुंझलाकर कहा।लेकिन तभी उसकी नजर इधर-उधर घूमती है और वो थोड़ा हैरान होता है,  “एक मिनट... वो मोटा कीड़ा कहां गया? वो तो रोशनी में बदला था... इसका मतलब क्या तुम्हारे पास न्यूरो कोर है?!”शौर्य ने शांत स्वर में कहा, “हां, है।”यह सुनकर डायनासोर की आंखें हैरानी से और भी चौड़ी हो गईं।  “लेकिन तुम तो अभी बच्चे हो! तुम न्यूरो कोर कैसे जनरेट कर सकते हो?”वो अभी उलझन में ही था कि अचानक उसका चेहरा पीला पड़ने लगा। वह अपना गला पकड़ता है जैसे कुछ रुक गया हो।  शौर्य हैरान होकर उसे देख रहा था।"मुझे नहीं पता ये न्यूरो कोर मुझमें कैसे आया... लेकिन जो भी बीस्ट मेरे साथ आता है, वो मेरा दोस्त बनकर रहता है, न कि गुलाम।"शौर्य के इतना कहते ही वो डायनासोर लड़खड़ाने लगा। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं। लेकिन आखिरी पल में उसने पूरी ताकत लगाकर कहा,  "तुम... तुम बाकियों जैसे नहीं हो... तुम... अलग हो..."इतना कहकर उसकी आंखें पूरी तरह बंद हो गईं। शौर्य उसकी लंबी-लंबी सांसें सुन पा रहा था। वह उसके पास जाकर घुटनों के बल बैठ गया और उसका चेहरा सहलाया।  "कोई बात नहीं... अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था, तो भी कम से कम इस अंतिम वक्त में कोई तो है तुम्हारे साथ।"शौर्य उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रहा था, लेकिन भीतर ही भीतर बहुत दुखी था। तभी उसने देखा, Chapter 18उस डायनासोर की पूरी देह से रोशनी निकल रही है और वह रोशनी शौर्य के हाथों में समा जाती है।"अरे यार..." शौर्य बस इतना ही कह पाया।उसने आंखें बंद कीं और न्यूरो कोर में ध्यान केंद्रित किया। वहाँ वो डायनासोर खुद को धीरे-धीरे हील कर रहा था।"पता नहीं मेरे साथ जो भी बीस्ट आते हैं, वो इतने अजीब क्यों होते हैं... और फिर भी मुझे ही अजीब समझते हैं," शौर्य मन ही मन सोचता है।वह ज़मीन से वो तीर उठाता है जो गिरा हुआ था, और तेजी से उसी दिशा में दौड़ता है जहाँ बूढ़ा आदमी और उसके बच्चे गए थे। कुछ ही देर में वह उन्हें देख लेता है। वे सब उसका इंतज़ार कर रहे थे।“क्या हुआ बच्चे? उस डायनासोर से डर लग गया था क्या?”  वो बूढ़ा आदमी मुस्कराते हुए बोला।  “वैसे यह तुम्हारी परीक्षा थी। अगर तुम यह तीर नहीं ला पाते, तो इसका मतलब होता कि तुम डरपोक हो और हमारे कबीले के लायक नहीं हो।”शौर्य भी मुस्कराया और बोला,  “अच्छा हुआ कि मैं ये तीर ले आया। वरना शायद अब मैं आपके साथ यहां नहीं होता।”"हमने अभी तक एक-दूसरे का नाम भी नहीं पूछा," बूढ़ा आदमी बोला, "तुम्हारा नाम क्या है बेटा?"“मेरा नाम शौर्य है। और आपका?”“मेरा नाम हरिवंश है। ये चारों मेरे पोते-पोतियाँ हैं। इसका नाम उत्तम है, इसका नाम प्रिंस। और ये दो जुड़वां बच्चियाँ — सोना और सोनी। बहुत शरारती हैं ये दोनों। शायद आगे चलकर तुम्हें थोड़ी परेशान भी करें।”“कोई बात नहीं... बच्चे तो ऐसे ही होते हैं,” शौर्य मुस्कराकर बोला।तभी वह झिझकते हुए पूछता है, “वैसे हरिवंश अंकल...”“देखो बेटा,” बूढ़ा आदमी बात काटते हुए बोला, “मुझे आदत नहीं कि कोई मुझे नाम से बुलाए। कबीले में सब मुझे 'बाबा' कहते हैं। तुम भी मुझे बाबा बुला सकते हो।”शौर्य थोड़ा अजीब-सा महसूस करता है, लेकिन फिर मुस्कराकर कहता है,  “ठीक है बाबा। अब मैं आपको बाबा ही कहूंगा।”वैसे बाबा, एक बात बताइए – क्या कबीले भी रैंकिंग के हिसाब से डिवाइडेड होते हैं? मतलब, इस जंगल में भी?शौर्य थोड़ा कन्फर्म होने के लिए उस बाबा से पूछता है।"हाँ, शायद तुम यहाँ नए हो। वैसे तुम आए किस कबीले से हो? जहाँ पर तुम्हें ये सब सिखाया ही नहीं गया... या फिर तुम्हारी ट्रेनिंग अभी चल रही है?"  वो बूढ़ा, जिसका नाम हरिवंश है, शौर्य को गौर से देखते हुए कहता है,  "वैसे तुम अभी छोटे ही तो हो... कितने साल के हो? 16–17?""जी, मैं उसी के बीच में हूँ।"  शौर्य मुस्कुराते हुए जवाब देता है। उसने अपनी असली उम्र नहीं बताई।  असल में तो शौर्य अभी सिर्फ 14 साल का है – और एक-दो महीने में 15 का होने वाला है। लेकिन वो दूसरों से ज़्यादा बड़ा लगता है क्योंकि उसने न्यूरो कोर जनरेट कर लिया है।  अगर किसी ने सुन लिया कि किसी लड़के ने 14–15 की उम्र में न्यूरो कोर बना लिया है तो वो तो अपने ही बाल नोच लेगा!"वैसे शौर्य भैया… वो डायनासोर अभी जिंदा होगा?"  सोना और सोनी दोनों उसके पास आती हैं और उसका एक-एक हाथ पकड़ लेती हैं।  इस वक्त उनके चेहरे पर मासूमियत साफ़ झलक रही थी… और आंखों में चांद की रोशनी में चमकते हुए आँसू।"हाँ, वो जिंदा था…"  शौर्य का इतना कहना था कि दोनों बच्चियां रोते हुए अपने दादू के पास भागती हैं।"दादू, वापस चलते हैं ना! उसे उठा कर ले आते हैं। वो जिंदा था! आप भविष्य में उसे टेम कर लेना, लेकिन उसे मरने मत देना…"  दोनों बूढ़े को देखकर कहती हैं।"काश ऐसा कर पाता बेटा… लेकिन जंगल में अभी तक कोई म्यूटेंट जानवर या डायनासोर उसे खा चुका होगा। अब उसके पास लौटने का कोई मतलब नहीं। वैसे भी हम कबीले के काफी नज़दीक आ चुके हैं।"हरिवंश की बात सुनकर शौर्य चारों तरफ़ नज़र घुमाने लगा।  उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था।  पर अब उसे राहत महसूस हो रही थी कि सबको यही लग रहा है कि वो डायनासोर मर चुका है।उधर, शौर्य अपने न्यूरो कोर में साफ़ महसूस कर पा रहा था कि वो डायनासोर अभी भी जीवित है और अपने आप को हील कर रहा है।  लेकिन उसे ठीक होने में कुछ वक्त लगेगा।"वैसे बाबा, आपने कहा हम कबीले के पास आ गए हैं, लेकिन यहाँ तो कुछ दिख ही नहीं रहा…"  शौर्य चारों तरफ़ देखता हुआ पूछता है।"हाँ हाँ, जानता हूँ… अगर तुम थोड़ा *नीचे* देखो तो…"  बूढ़ा आदमी मुस्कुराता है।शौर्य नीचे झाँकता है, लेकिन उसे तब भी कुछ नहीं दिखता।"आह! कितना बेवकूफ़ बच्चा है…"  हरिवंश हँसते हुए कहता है, और बाकी बच्चे भी शौर्य को देखकर हँसने लगते हैं।"मेरा मतलब था… थोड़ा आगे जाकर देखो।"शौर्य थोड़ा आगे बढ़ता है, जहाँ एक ढलान थी।  वहाँ से नीचे झाँकते ही उसे बहुत ज़्यादा रोशनी नज़र आती है।नीचे एक कबीला था – किसी गाँव जैसा।  चारों तरफ़ मशालें जल रही थीं, लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे।  बहुत सारे सैनिक मशालों के साथ पहरा दे रहे थे, ताकि कोई म्यूटेंट बीस्ट या डायनासोर हमला ना कर दे।"यह है तुम्हारा कबीला…"  हरिवंश कहता है।"लगता है आपने कभी कबीला देखा ही नहीं। वैसे तुम्हें देखकर अजीब लगता है – तुम्हारा पहनावा, तुम्हारा नेचर… लगता नहीं कि तुम इस दुनिया के हो।""मैं बहुत दूर से आया हूँ… अपने परिवार के साथ… लेकिन हम बिछड़ गए।  पर मैं जानता हूँ कि वो लोग ठीक हैं।  अगर आप मुझे यहाँ रहने दें, और मेरा परिवार मुझे ढूँढते हुए यहाँ आ गया, तो आपको बहुत बड़ा इनाम मिल सकता है।"शौर्य की इस बात पर बूढ़े की आँखों में चमक आ जाती है।असल में वो शौर्य को इसी इरादे से कबीले तक लाया था, लेकिन अब तो शौर्य ने खुद ही वही कहानी कह दी जो वह सुनना चाहता था।"अगर ये सच में किसी बड़े कबीले से है तो… अच्छा ही है…"  हरिवंश मन ही मन सोचता है।इसके बाद सब लोग कबीले के गेट पर पहुँचते हैं।  वहाँ पाँच सिपाही दो विशाल खंभों के पास खड़े थे, उनके हाथ में भारी भरकम भाले थे – ऐसे जैसे वो उनके शरीर का हिस्सा हों।  शौर्य उनकी बॉडी देखकर चौंक जाता है – वो बहुत ताकतवर और खतरनाक दिख रहे थे।"अगर ये लोग हमारी दुनिया में होते तो… लड़कियाँ इन्हें देखकर ही पागल हो जातीं…"  शौर्य मन ही मन सोचता है।सिपाही एक-एक कर सबको चेक करते हैं।  शौर्य की बारी आती है तो हरिवंश उन्हें समझा देता है कि वो कौन है और कितने दिन यहाँ रहेगा।  इसके बाद सबको एंट्री मिल जाती है।"चलो शौर्य… अब हम कबीले में आ गए हैं।  पर ध्यान रखना… किसी को अफेंड मत करना।  अभी तुम कमजोर हो… और यहाँ ताकतवर लोग कमजोर पर हावी होना पसंद करते हैं।  कल सुबह तैयार रहना…""कल तुम्हें हमारे बुज़ुर्ग से मिलना होगा," वो बूढ़ा आदमी शौर्य की तरफ देखते हुए बोला। "उन्हें एक्सप्लेन करना होगा कि तुम यहां कैसे आए, कितने वक्त तक यहां रहने वाले हो... और यहां रहने के बदले तुम उन्हें क्या दे सकते हो।"शौर्य थोड़ी उलझन में पड़ गया, "मतलब दिन में मिलना होगा? क्या मैं रात में नहीं मिल सकता? मैं... मैं पिछले दो दिनों से ठीक से सोया नहीं हूं। जंगल में फंसा हुआ था, और अब थकान से हालत खराब है। अगर आप इजाजत दें तो मैं सुबह सो जाऊं और रात को उस बुज़ुर्ग से मिल लूं।"शौर्य की बात सुनकर बाकी लोग थोड़े सोच में पड़ गए, लेकिन सहमति में सिर हिलाने लगे। मगर जैसे ही शौर्य ने बुज़ुर्ग को लेकर हल्का सा मजाक करना शुरू किया, बूढ़ा आदमी फौरन उसका मुंह अपने हाथ से ढक देता है और चारों ओर घबराई नजरों से देखने लगता है।"शौर्य बेटा," वह धीरे से फुसफुसाता है, "यहां बुज़ुर्ग के बारे में कुछ मत कहना। बहुत बड़ी मुसीबत हो सकती है। ये पूरा कबीला उन्हीं की वजह से बना हुआ है। किसी में हिम्मत नहीं है उनके खिलाफ कुछ बोलने की। लेकिन असली खतरा वो नहीं... उनके दोनों बेटे हैं। और उनकी एक बेटी भी।""वो दोनों बेटे बहुत ही खतरनाक हैं। जान लेने में एक पल भी नहीं लगाते। इसलिए तुम्हें उनसे जितना दूर रह सको, रहो।"वह बूढ़ा आदमी एक बार फिर शौर्य को ऊपर से नीचे तक देखता है।"वैसे तुम्हारा पहनावा बहुत अच्छा है। लड़कियां तो तुम्हारे पीछे दीवानी हो जाएंगी। लेकिन सामने से जितना अच्छा लग रहा है, पीछे से लग रहा है जैसे किसी ने तुम्हारी इज्ज़त लूट ली हो। शायद उस डांसर ने पीठ पर वार किया था, है न?"शौर्य फौरन अपने पीछे हाथ ले जाता है और देखता है कि उसके कपड़े फटे हुए हैं और पीठ पर हल्की-सी खरोंच भी है, जिससे थोड़ा-थोड़ा खून भी निकल रहा है।"डरने की ज़रूरत नहीं," बूढ़ा आदमी हंसते हुए बोला, "वेनस डांसर के हाथ बहुत छोटे होते हैं। चोट ज्यादा गहरी नहीं है। जल्दी ठीक हो जाएगी। लेकिन तुम्हारा दर्द सहने का तरीका... मुझे हैरानी हुई। बिना चीखे सब सह लिया। तुम्हारे जैसी पीढ़ी हम जैसे बूढ़ों को भी पीछे छोड़ सकती है।"शौर्य मुस्कराया ही था कि अचानक बाजार में हलचल मचने लगी। सब लोग किसी को रास्ता देने के लिए एक तरफ हटने लगे।"मर गए... वो दोनों आ रहे हैं!" बूढ़ा आदमी घबराते हुए बोला।चारों तरफ हड़कंप मच गया। तभी सामने से लकड़ी की बनी एक बड़ी सी गाड़ी आती दिखी, जिसे दो छोटे डायनासोर खींच रहे थे, जो घोड़ों जैसे दिखते थे।गाड़ी ठीक शौर्य के सामने आकर रुक जाती है।"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि हमारी तरफ देखकर खड़े हो?" टांगे के ऊपर से एक गुस्से से भरी आवाज आई।बूढ़ा आदमी तुरंत शौर्य की तरफ मुड़ता है, लेकिन शौर्य तो उस वक्त ऊपर देखकर खोया हुआ था।वो किसी और को नहीं, बल्कि उस गाड़ी पर बैठी लड़की को देख रहा था। वो लड़की बेहद खूबसूरत थी। उसके हाथ दूध जैसे सफेद और चेहरे पर अद्भुत नूर था।शौर्य की नजर उसी पर टिकी थी, इसलिए उसने ऊपर वाले लड़के की बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया।यह देखकर उस लड़के का गुस्सा और भी भड़क गया। chapter 19शौर्य के ठीक सामने दो नौजवान आकर खड़े हो गए थे—चेहरे पर गुस्से की आग, आँखों में नफ़रत की चमक।"तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन पर गलत नज़र डालने की?" एक ने दहाड़ते हुए कहा।  "अब इसका जवाब तुझे अपनी मौत से देना होगा!" दूसरे ने झपटते हुए कहा।दोनों शौर्य की ओर बढ़ने लगे ही थे कि तभी बूढ़ा आदमी तेजी से उसके आगे आ गया, और उसे पीछे ढकेलते हुए बोला, "छोटे मालिक... ये लड़का नया है... इसे यहां के तौर-तरीकों का कुछ पता नहीं... माफ कर दीजिए इसे, सच में इसे कुछ समझ नहीं था...""अगर नया है, तो सिखाएंगे भी तो हम ही!" कहकर उनमें से एक ने गुस्से में बूढ़े आदमी को धक्का दे मारा।शौर्य अब भी अपनी जगह से हिला नहीं था। उसकी नज़र अब भी उस लड़की पर टिकी थी। लेकिन... वो नज़र एक तरफा आकर्षण नहीं थी — उसमें चेतावनी थी, अलर्टनेस थी।अचानक शौर्य झुकता है, ज़मीन से एक पत्थर उठाता है और सीधा उस लड़की की ओर फेंक देता है।ये देखकर लड़की के दोनों भाई सन्न रह जाते हैं। "ये क्या कर रहा है!" कहते हुए वे पीछे मुड़ते हैं और दौड़ कर उस पत्थर को रोकने की कोशिश करते हैं।लेकिन पत्थर लड़की तक पहुंचता है—और उसके ठीक कान के पास से गुजर जाता है।"कट!" की तेज़ आवाज गूंजती है।कई लोगों ने सिर्फ आवाज़ नहीं सुनी, बल्कि देखा भी कि वो पत्थर किससे टकराया—एक तीर से।वो तीर उस लड़की के ठीक पीछे छिपे एक हमलावर ने चलाया था। अगर वो पत्थर बीच में नहीं आता, तो तीर सीधा लड़की को घायल कर देता।लेकिन अब दोनों—पत्थर और तीर—जमीन पर गिरते हैं।और तभी ज़मीन में से निकला पत्थर असल में एक मोटा कीड़ा था, जो सीधे शौर्य के न्यूरो कोर में समा गया।असल में शौर्य की नज़र लड़की के पीछे मौजूद उस आदमी पर पड़ी थी, जो धनुष ताने खड़ा था। वो हमला करने ही वाला था। और शौर्य ने उस हमले को रोकने के लिए पत्थर फेंका था। उसकी निशानेबाज़ी आमतौर पर बेहद खराब थी, लेकिन उस कीड़े ने जैसे उसकी सटीकता को तेज़ कर दिया था।लेकिन उसी वक्त लड़की की दर्दनाक चीख़ गूंजती है।"नहीं! ये क्या हुआ?"किसी ने चीख कर कहा, "राजकुमारी की आंखों में ज़हर चला गया है!"जब पत्थर और तीर टकराए, तो तीर पर लगे ज़हर के छींटे राजकुमारी की आंखों में पड़ गए।लोग दौड़ते हुए उसकी मदद को आगे आते हैं—but not all were saviors.कुछ तो बस बहाने से राजकुमारी को छूना चाहते थे।तभी उसका भाई, राजकुमार कार्तिक, तेज़ी से आता है, और आंखों में आग भरकर एक झटके में उन सबकी गर्दनें अलग कर देता है।शौर्य स्तब्ध रह जाता है। **"ये तो... ये तो भेड़-बकरियों की तरह उन्हें मार रहा है... ये गलत है... ये बहुत गलत है..."** वो मन ही मन सोचता है। उसकी अपनी दुनिया में, किसी की जान लेना सबसे बड़ा अपराध था। ऐसा सिर्फ डॉन या अंडरवर्ल्ड वाले करते थे। लेकिन यहां... यहां तो खुद एक राजकुमार ऐसा कर रहा था।"देखा तुमने? जिसने भी राजकुमारी रश्मि को छूने की कोशिश की, राजकुमार कार्तिक ने उसका क्या हाल किया!""हटो हटो! राजकुमार अमन आ रहे हैं!" भीड़ में हलचल होती है।लोग तुरंत पीछे हट जाते हैं। और फिर अमन—राजकुमारी का बड़ा भाई—सीधे शौर्य की तरफ बढ़ता है।"आज के लिए शुक्रिया। लेकिन हम यहां रुक नहीं सकते," अमन गंभीर स्वर में कहता है।वो और कार्तिक जल्दी से टांगे पर चढ़ते हैं। "चलो, जल्दी!" वो टांगेवाले को कहते हैं।टांगा हवा की रफ्तार से वहां से निकल जाता है।सब कुछ शांत हो जाता है। बूढ़ा आदमी गहरी सांस लेकर राहत महसूस करता है।"थैंक गॉड... सब ठीक हो गया..." फिर वह शौर्य की तरफ देखता है और मुस्कराता है।"तुमने अच्छा किया, बच्चे... आज मौत तुम्हारे सामने से होकर निकल गई है, तो थोड़ा अजीब तो लगेगा ही... लेकिन अब जाओ, आराम करो। उत्तम! प्रिंस! इसे इसका कमरा दिखा दो।"वो बूढ़ा आदमी अपने दोनों पोतों से कुछ कहता है और फिर दोनों शौर्य को एक झोपड़ी की ओर ले जाते हैं।"ये झोपड़ी मेहमानों के लिए बनी है," प्रिंस ने मुस्कराते हुए कहा, "हमारे घरों से थोड़ी अलग है, लेकिन रहने में कोई परेशानी नहीं होगी।""अगर किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो हमें याद कर लेना," उत्तम ने कहा।शौर्य इधर-उधर देखकर बोला, "ठीक है… पर तुम दोनों अब भी यहीं खड़े हो? सब ठीक तो है? कुछ चाहिए क्या?"उत्तम थोड़ा झिझकते हुए बोला, "नहीं... मतलब, आज तुमने जो किया वो… बहुत खतरनाक था। अगर राजकुमार कार्तिक और अमन तुम्हें मार डालते तो?"उनकी बात सुनकर शौर्य के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो धीमे से बोलता है, "मुझे नहीं पता था कि वो इतने बेरहम हैं। जब मैंने कार्तिक को इंसानों की गर्दनें उड़ाते देखा… तभी समझ आया कि वो कितने खतरनाक हैं। अब से मैं और सतर्क रहूंगा।"प्रिंस शौर्य की तरफ देखकर कहता है, "वैसे तुम्हारा वो निशाना कमाल का था। क्या तुम तीरंदाज हो?"शौर्य हँसते हुए बोला, "नहीं… बस थोड़ी बहुत प्रैक्टिस की है। तीर चलाना ठीक से आता भी नहीं, बस आज किस्मत साथ थी।"उत्तम ने मुस्कुरा कर कहा, "तुम चाहो तो अच्छे तीरंदाज बन सकते हो। कल हम तीर चलाना सीखने जा रहे हैं, तुम भी चलो ना?"शौर्य थोड़ी गंभीरता से बोला, "दिन में नहीं जा पाऊंगा। मैं रात में जागता हूँ, और दिन में सोता हूँ।"यह सुनकर दोनों के चेहरे पर उदासी आ जाती है।उत्तम फिर बोला, "तो क्या रात में चलेगा हमारे साथ प्रैक्टिस करने?"शौर्य ने तुरंत हामी भरी, "हाँ! रात में तो मैं फ्री रहता हूँ।"इसके बाद शौर्य अपना सामान व्यवस्थित करने लगता है, झोपड़ी के भीतर चारों ओर नजर डालता है और दी गई चीज़ों को गौर से देखता है। फिर वह दोनों के साथ बाहर निकलता है, ताकि वहाँ के बाजार और जगहों को देख सके।चलते-चलते शौर्य ने पूछा, "वैसे उत्तम, एक बात बताओ… यहाँ के लोग दिन में नहीं सोते क्या?"उत्तम हँसकर बोला, "सोते हैं… लेकिन यहाँ आधे लोग दिन में सोते हैं और आधे रात में जागते हैं ताकि बाकी लोगों की सुरक्षा कर सकें। हम सब एक तरह से पहरेदार हैं। जो आज राजकुमार और राजकुमारी आए थे, वो यहाँ के निरीक्षण के लिए आते हैं – ये देखने कि हम अपना काम ठीक से कर रहे हैं या नहीं।"प्रिंस फिर शौर्य की ओर देख कर बोला, "वैसे आज तुमने कमाल का काम किया।"शौर्य थोड़ा झुंझलाकर बोला, "ठीक है ना! अब बार-बार मत कहो।"प्रिंस ने मजाकिया लहजे में पूछा, "अच्छा सच बताओ – तुम्हारी नजर उस तीर मारने वाले पर थी या रश्मी पर?"शौर्य थोड़ा शर्माते हुए बोला, "म…मतलब… मेरी नजर तो बस उस पर थी जो हमला कर रहा था। वरना राजकुमारी को चोट लग जाती।"प्रिंस हँसते हुए बोला, "हाँ हाँ… वैसे भी, अब तुमने उसकी जान बचाई है, तो क्या पता वो इंप्रेस हो गई हो।"इतना कहकर प्रिंस ने शौर्य के कंधे पर हल्की सी चपत मारी।शौर्य हँसते हुए बोला, "कुछ भी! वो एक राजकुमारी है और मैं तो…"फिर वो दोनों कंधे उचकाकर बाजार की ओर देखने लगा।"वैसे, उत्तम – जब उसकी आंख में तीर चला गया था, तब वो लोग उसे कहाँ ले गए?" शौर्य ने पूछा।"वो वैद्य के पास ले गए। यहाँ के वैद्य किसी को भी ठीक कर सकते हैं। तुम्हारे समय में उन्हें डॉक्टर कहते होंगे," उत्तम ने जवाब दिया।शौर्य थोड़ा चौंकते हुए बोला, "अच्छा… तो वैद्य मतलब डॉक्टर! नाम बदल गया, पर काम वही है। ये जगह वाकई दिलचस्प है।"तभी, शौर्य के ठीक सामने एक आदमी, जो पूरे काले कपड़ों में था, जानबूझकर उससे टकरा गया।शौर्य, उत्तम और प्रिंस – तीनों ने नोटिस किया कि वो टक्कर जानबूझकर थी।वो आदमी मुड़कर गुस्से में बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे टकराने की? जानते नहीं मैं कौन हूँ?"चैप्टर 20 "अच्छा… क्या मैं आपकी पहचान जान सकता हूं?" शौर्य ने सख्त लेकिन इज्जत भरी आवाज में पूछा, उसकी नजर उस काले कपड़ों में लिपटे रहस्यमयी शख्स पर जमी हुई थी।पर उसकी बात का कोई जवाब नहीं आया।अगले ही पल, वो आदमी अचानक इतनी तेज़ी से आगे बढ़ा कि शौर्य के लिए समझ पाना मुश्किल हो गया। ये देखकर शर वहीं के वहीं सन्न रह गया।“यह तो…” उसके मन में सवाल उठ ही रहे थे कि वो रहस्यमयी आदमी पलक झपकते ही शौर्य के सामने आ खड़ा हुआ—और एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर दे मारा।शौर्य जमीन पर गिर पड़ा। गाल जल रहे थे, पर समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब क्यों हो रहा है? पहले टकराना और अब हमला… वो सोच में डूबा ही था कि अचानक उसकी आंखें चौड़ी हो गईं।"ये तो वही है…"अब सबकुछ साफ था। उस शख्स की पहचान उसके सामने थी।इस बार शौर्य ने बिना किसी डर के अपनी जगह संभाली। गाल अब भी लाल थे, पर आंखों में सिर्फ आग थी। उसने दृढ़ आवाज़ में कहा, "तुम्हें मुझसे लड़ना ही है ना? तो फिर लड़ो…"लेकिन तभी, उस काले कपड़े वाले आदमी के पांव में एक झटका सा दर्द उठा। वो तड़पता हुआ नीचे गिर पड़ा।सभी चौंक गए—उसके पैर से बहुत तेज़ी से खून बह रहा था।शौर्य के चेहरे पर कोई घबराहट नहीं थी। ये हमला उसका था। उसने अपने "मोटे कीड़े" का इस्तेमाल किया था। वही कीड़ा जो ज़मीन के नीचे छिपा था और जैसे ही वो आदमी उसके ऊपर कदम रखने वाला था, मोटा कीड़ा ज़मीन फाड़कर निकला और उसके पैर का आधा मांस चबा गया।शौर्य खुद भी थोड़ी लाचारी महसूस कर रहा था। वह उस थप्पड़ से बच नहीं पाया था। क्योंकि वो लड़ने में माहिर नहीं था… और सबसे बड़ी बात, वो अपना नीरो कोर सबके सामने ज़ाहिर नहीं कर सकता था।उसका एक मॉन्स्टर—वही मोटा कीड़ा—लोगों के बीच कुख्यात था। लोग उससे डरते थे, घृणा करते थे। कहते थे कि इन मोटे कीड़ों ने कई कबीलों को बेरहमी से खत्म कर दिया है, इंसानों को जिंदा खा लिया है।कभी अगर किसी ने इन्हें टेम भी किया, तो मौका मिलते ही मार दिया जाता था। इन्हें ‘शैतान की औलाद’ समझा जाता था।लेकिन शौर्य जानता था कि वो कीड़ा उसके लिए खास था। भरोसेमंद था।अब शौर्य ने गहरी सांस ली और अपने दोस्तों प्रिंस और उत्तम की ओर देखा, जो अब तक स्तब्ध खड़े थे।"प्रिंस… उत्तम… क्या तुम दोनों मेरी एक मदद कर सकते हो?" दोनों चौंक कर जैसे नींद से जागे और तुरंत उस घायल व्यक्ति को पकड़कर एक अजीब-से, पत्थर के बने पुराने महल की तरफ घसीटते हुए चल पड़े। शौर्य उनके साथ आगे बढ़ा।महल के दरवाजे पर दो सैनिक आ खड़े हुए।"रुको! कहां जा रहे हो तुम?" एक सैनिक ने सख्त लहजे में कहा।"मुझे राजकुमार कार्तिक से मिलना है… बहुत जरूरी बात है।" शौर्य ने दृढ़ता से जवाब दिया।"राजकुमार की तबियत बहुत खराब है। वो अभी किसी से नहीं मिल सकते। कृपया लौट जाइए," सैनिक ने कहा।शौर्य ने एक कदम और आगे बढ़ाया, आंखों में निडरता थी।"मैंने कहा ना, उनसे मिलना ज़रूरी है। जाकर कहो… जिससे उनकी बहन की जान बची थी… वो उससे मिलने आया है।"सैनिक थोड़ा रुका, फिर शौर्य को ऊपर से नीचे तक देखा। "तो… तुम हो वो?"फिर बिना एक शब्द कहे अंदर चला गया।करीब आधे घंटे बाद, राजकुमार कार्तिक खुद बाहर आया।"देखो… तुमने मेरी बहन की जान बचाई। मैं उसका दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता था… लेकिन उस वक्त कुछ भी कह नहीं पाया।" कार्तिक की आंखों में थकान थी, लेकिन लहजे में सच्चाई।"क्या तुम किसी जरूरी बात के लिए आए हो? अगर नहीं… तो अभी के लिए चले जाओ। क्योंकि इस वक्त मैं सिर्फ अपनी बहन के साथ रहना चाहता हूं। वैद कह चुके हैं… शायद अब वो उस आंख से कभी देख न पाए जिसमें ज़हर चला गया था…"कार्तिक की आवाज़ भारी हो गई।"देखो… तुम जो भी हो, अभी के लिए यहाँ से चले जाओ। मैं बस अपनी बहन के साथ रहना चाहता हूँ। और ऊपर से बुज़ुर्ग भी हम पर ग़ुस्से में हैं…" — कार्तिक ने गहरी सांस लेते हुए कहा और मुड़ने लगा।"अच्छा, तो एक बात बताओ… जिसने तुम्हारी बहन का ये हाल किया, क्या तुम उससे बदला नहीं लेना चाहते?" — शौर्य की ये बात सुनते ही कार्तिक के कदम ठिठक गए। वो रुका, फिर कंफ्यूज़न के साथ पीछे मुड़कर शौर्य की ओर देखने लगा।"तुम कहना क्या चाहते हो?" — कार्तिक ने सवालिया निगाहों से पूछा। तभी उसकी नज़र शौर्य के पीछे खड़े एक आदमी पर पड़ी, जो दर्द में कराह रहा था।"ये कौन है? इसे तुम हमारे दरवाज़े पर क्यों लाए हो? हमारे वैद्य सिर्फ़ राजघराने के लोगों का इलाज करते हैं, इसका नहीं!" — सभा में किसी ने तेज़ आवाज़ में कहा।"अगर तुम हमें ये बता दो कि मेरी बहन का वो हाल करने वाला कौन है, तो शायद मैं इसकी मदद कर सकूँ।" — कार्तिक ने गुस्से में कहा।"नहीं, इसकी कोई मदद नहीं करनी!" — शौर्य ने तुरंत जवाब दिया, "असल में... यही है वो! जिसने तुम्हारी बहन पर तीर से हमला किया था।"एक पल के लिए कार्तिक को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ।"क्या? ये? लेकिन मेरी बहन की जान के पीछे तो हमारे ही कबीले का एक आदमी है… उसकी स्पीड इतनी है कि उसे कोई पकड़ नहीं सकता। और तुम कह रहे हो कि ये लंगड़ा, घायल आदमी वही है?" — कार्तिक ने ताने भरे लहजे में कहा।"ठीक है, मैं उस इंसान का चेहरा पहचानता हूँ। इसे देख कर सब समझ आ जाएगा।"कार्तिक ने शौर्य को साइड किया और काले कपड़ों में लिपटे आदमी के पास गया। उसने उसका नकाब हटाया… और फिर सन्न रह गया।"ये… ये तो सच में वही है…" — कार्तिक फुसफुसाया।उसका आधा चेहरा जला हुआ था — वही चेहरा जो कार्तिक को याद था, जब इसने रश्मी को फूल देने की कोशिश की थी और रश्मी ने इंकार कर दिया था। तब इस आदमी ने कसम खाई थी रश्मी को मारने की। और जब कार्तिक ने उसे पकड़ा था, उसने इसी के चेहरे को जला दिया था। तब से ये रश्मी के पीछे पड़ा था।बिना समय गँवाए कार्तिक ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे घसीटते हुए सभा के भीतर ले गया।"तुम अकेले अंदर आ सकते हो…" — कार्तिक ने पीछे देखे बिना शौर्य से कहा।शौर्य ने प्रिंस और उत्तम को इशारे से रोका, "मैं तुम्हें कल रात फिर से उसी घर में मिलूँगा…" — और वो कार्तिक के पीछे चल पड़ा।सभा-स्थल भरा हुआ था। बीच में एक वृद्ध पुरुष बैठा था — सफेद बालों वाला, सख़्त नज़र वाला।"कार्तिक! अब क्या तमाशा कर रहे हो? रश्मी का हाल देखा है तुमने?" — वृद्ध ने गुस्से में कहा।"पिताजी, रश्मी का इलाज चल रहा है। लेकिन ये देखिए… मेरे हाथ क्या लगा है!" — कार्तिक ने घायल को सामने धकेल दिया।सभा में फुसफुसाहटें गूंजने लगीं।"ये तो वही है! इसी की वजह से मेरी बेटी की आंखें…!" — कहते हुए वृद्ध उठ खड़ा हुआ और उस आदमी की ओर बढ़ा। वो barely खड़ा हो पाया ही था कि वृद्ध ने उसे लात मार दी। फिर, क्रोध में आकर, उसके सिर पर इतनी ज़ोर से प्रहार किया कि उसका सिर वहीं फट गया।शौर्य सिहर गया। रोंगटे खड़े हो गए, और एक हल्की सी चक्कर-सी हालत महसूस हुई।तभी पीछे से कुछ बूढ़ी औरतें एक युवती को सहारा देते हुए सभा में लाईं।"बेटी… रश्मी? क्या तुम ठीक हो?" — किसी ने कहा।शौर्य ने देखा — पट्टियों से बंधी आंखें… और एक आंख से बहते आँसू।"घबराओ मत बेटा, जिसने भी ये किया… अब वो खत्म हो चुका है। तुम्हें अब डरने की ज़रूरत नहीं।" — वृद्ध ने रश्मी को गले से लगा लिया।"वैद्य जी… क्या मेरी बेटी की आंखें ठीक हो सकती हैं?" — वृद्ध ने बूढ़ी महिला वैद्य से पूछा।"हमने कोशिश की… लेकिन ये ज़हर बहुत खतरनाक था। ये ज़हर पूर्व के पहाड़ी साँपों का है — बहुत ही दुर्लभ और जानलेवा।""कोई रास्ता?" — वृद्ध की आवाज़ भारी हो गई।"एक रास्ता है… लेकिन उसके लिए हमें पाँच-सितारा कबीले की दवा चाहिए। वो बहुत महंगी है… पूरे कबीले की दौलत भी शायद कम पड़ जाए।" — वैद्य बोली।सभा में सन्नाटा छा गया।तभी शौर्य ने धीमे मगर दृढ़ स्वर में कहा — "सुनिए… क्या मैं कुछ मदद कर सकता हूँ? शायद… मैं इसकी आँखें ठीक कर सकूँ।"सबकी निगाहें अचानक शौर्य पर टिक गईं।