DOO PAL (LOVE IS BLIND) - 10 in Hindi Love Stories by ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત books and stories PDF | दो पल (love is blind) - 10

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दो पल (love is blind) - 10

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        आंख न बंद हो जाए, इसलिए हरदम जगती रहती है। उसे डर रहता था कि जो आंख बंद हो गई तो फिर सुबह न हो पाएगी। बस, यही फिक्र कि वजह से मीरा इंतजार कर रही थी। उसको एक हसीन सपना की तरह आनेवाला वक्त उस दो पल के लिए जिंदा रख रहा था। फिर मीरा वही अपनी पुरानी स्मरण में चली जाती है।

   मीरा श्याम के करीब 5 या 6 बजे के आसपास अपनी नींद से जगती है। आंख खुलते ही अचानक से लेटर याद आ जाता है। फिर घड़ी के सामने देखती है। जल्दी से तैयार होकर बाजार की और निकल पड़ती है। बाजार में वही दुकान पर जाती है, जहां गुरु का लेटर था। मीरा बहुत सारे लेटर देखती है, पर उलझन बढ़ती जाती है, क्योंकि मीरा ऐसा लेटर पसंद करना चाहती है कि बिन कहे ही सबकुछ बया हो जाए। काफी देर के बाद वो एक लेटर पसंद करती है। वह लेटर को लेकर घर आती है। 

     मीरा लिखने के लिए काफी सोचती है पर कुछ लिख नहीं पाती। उसके मन में एक ही सवाल था कि "क्या लिखूं? "। ऐसा क्या लिखूं कि उसे भी पसंद आए और अलग भी लगे। वजह यह थी कि गुरु एक लेखक था, तो उसकी ही भाषा में कुछ लिखना चाहती थी। सोचते सोचते वो छत पर चली जाती है। श्याम का समय था , चारोओर रोशनी जगमगाती अलकापुरी जैसी लग रही थी। दूसरी ओर मंद मंद महकती फिदा बह रही थी। वह हवा की वजह से मीरा की खुली जुल्फे हवा से गुफ्तगू कर रही थी। आंखों में अजब सी झलक होती है, सांसे भी ताजा हो जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है। होठों पर हल्की सी स्मित लहराती है। जब कोई पसंद आने लगता है तब मौसम की हर बात महसूस होने लगता है। उसे करीब से गुजरते हुए पाते है। ये अनुभव तब ही होता है जब इंसान किसी लगाव में आ जाता है। लगाव व्यक्ति या वस्तु या खुद में रहने वाला आनन्द भी हो सकता है। एक प्रेमी या प्रेमिका, जोगी हो या उपासक हो या कोई पागल दिखने वाला इंसान ही मौसम और कुदरत की हर नुमाइश को भीतर पाता है। मीरा हाथ को फैलाकर हवा में पंछी की भाती बहती हो ऐसा ही प्रतीत कर रही थी। मीरा बाहरी सभी रिश्ते नाते भूलकर , सभी रिवाजों से मुक्त होकर सांसों को दिल की गहराई में छुपे हुए जुनून को जगा रही थी। वह दो पल पूरी जिंदगी की हर पैमाने को जिंदा होने का अहसास कर रही थी। वह दो पल जिंदगी के बेहतरीन स्थिति का वक्त था।
               हमारी जिंदगी में कुछ पल ही ऐसे गुजरते है कि जिसे हम खोना नहीं चाहते, पर उसे आने वाले वक्त में फिर दोहराना चाहते है। वह वक्त फिर कभी वापस नहीं आता। जितना भी प्रयास किया जाए पर कुछ पल वापस नहीं आते। भले ही जगह वह हो, लोग वह हो और मौसम भी वैसा ही हो फिर भी दोबारा महसूस होना मुमकिन नहीं है। इसलिए ही इंसान वह दो पल को अपने भीतर की गहराई में बसा लेता है। कभी कभी ऐसा लगता है कि पूरी जिंदगी वही हो। इसीलिए इंसान को जो दो पल हसीन मिले उसे जी भर के जी लेना चाहिए, नहीं तो जिंदगी नहीं मिलेगी दोबारा की तरह ही अधूरा सा ही जीवन रह जाता है।
           मीरा ने यह दो पल को अपने स्मरण की किताब में सजा लिया। अचानक से, मीरा की आंख से आंसू टपक ने लगते है। वजह थी कि वही दो पल कही खो न जाए। वह अपने पास ही रखना चाहती थी, यह इच्छा के साथ अपने कमरे में चली जाती है। एक नई ताजगी, उत्साह के साथी खत को लिखने की शुरुआत करती है। मीरा का मानना था कि खत अलग तरीके से ही लिखा जाए। वह कविता के तौर पर खत लिखना तय करती है। पर सवाल था कि जो नोवेल्स का रिव्यू देना था वह तो अनजान है। फिर कैसे लिख पाए। वह सच बताना चाहती है पर बता नहीं पाती। उसको लगता था कि जो सच बता दिया तो गुरु को लगेगा कि पहलीबार ही किसी ने नोवेल्स पढ़ी और वह भी गटर में गिरा दी। उसका मोरल डाउन हो जाएगा। वह बता नहीं पाती। थोड़ी देर सोचती है और अपने दिल में हो रहा महसूस कहानी को ही कविता से प्रस्तुत करती है। 
   " जिंदगी कभी अच्छी लगी तो कभी बुरी,
     फिर भी उम्मीद न रही खाली।
     हर कदम पर जीना सिखाती रही,
     हम हर कदम उसी ओर बढ़ाते गए।
     न चाहते हुए भी अपनी जिंदगी को
     संसार से दबाते गए।
     खत्म हो गई जिंदगी जीना सीखते सीखते,
     फिर भी मज़ा तो उस दो पल में ही आया।।।।"

     मीरा की सोच खत में लिख चुकी थी। उसे एक ही बात का पता था कि जो भी लिखा है वह मैने अपने हसीन पल से ही लिखा था। मीरा को पता ही नहीं चला कि कुदरत का वही दस्तूर था जो कुछ पल पहले ही महसूस हुआ था। वह कुदरत का एक तौफ़ा था, जो खत में लिखा था। 
      मीरा भी अपना नाम छिपाती है। वह मुस्कान नाम से खत लिखती है। वह सोच में पड़ जाती है कि में क्यों अपना नाम छिपाऊं। कोई वजह ही नहीं है नाम छिपाने का फिर भी छिपाती है। उसको जो मुस्कान मिली थी वहीं मुस्कान को अपना नाम दे देती है। मीरा खत और पढ़ाई की कुछ चीजें अपनी बेग में रख लेती है। वह स्मृति के साथ प्रसन्न नींद में सो जाती है।