The Chronicles of the Nexus - 2 in Hindi Mythological Stories by Hanu Man books and stories PDF | The Chronicles of the Nexus - 2

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The Chronicles of the Nexus - 2

Chapter 2: "भूलाभुलैया और रक्तपथ"
(ये चैप्टर तुम्हारा दिमाग हिला देगा, पढ़ते ही आग लगेगी दिल में)

पिछले अध्याय में:
शिवाय एक रहस्यमयी घड़ी के ज़रिए एक अनजानी दुनिया में पहुंच चुका है — एक ऐसी दुनिया जिसे नैक्सस कहा जाता है। उसके सामने एक रहस्यमय दरवाज़ा खुला और एक अनजानी आवाज़ ने कहा — "तुम आ गए हो, शिवाय। नैक्सस तुम्हारा इंतजार कर रहा है।"

अब आगे…

शिवाय का दिल जोरों से धड़क रहा था।
हर कदम पर ज़मीन कांपती थी, जैसे धरती खुद उससे डरती हो। सामने एक भूलाभुलैया थी — जाल जैसा बना हुआ, हज़ारों रास्तों वाला, और हर रास्ते पर छुपा था मौत का एक खेल।

"अगर ज़िंदा रहना है, तो चलना पड़ेगा… पीछे जाना अब नामुमकिन है," उसके कानों में फिर वही आवाज़ गूंजी।

शिवाय ने एक पतली सी सांस ली, और पहला कदम अंदर रखा।
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1st Trial: 'द ब्लेड रन'

भूलाभुलैया में पहला कॉरिडोर खुलते ही…
झन्न-झन्न-झन्ननन!!

छत से स्टील के ब्लेड्स घूमते हुए गिरे। हवा चीरी जा रही थी, और ज़मीन पर गिरने की आवाज़ें ऐसी थीं जैसे कोई शरीर टुकड़ों में काटा जा रहा हो।
शिवाय ने झुककर, लुढ़ककर, दीवार पर चढ़कर खुद को बचाया।

पर एक ब्लेड उसकी बाजू छू गया — खून की एक लाल सी धार बह निकली।
"मैं डरूंगा नहीं…"
उसने खुद से कहा। उसके हाथ की घड़ी अचानक लाल चमकी — और जख्म कुछ ही सेकंड में भर गया।

"तू अब नॉर्मल नहीं है, शिवाय… तू नैक्सियन बन चुका है।"
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2nd Trial: 'आईने का राक्षस'

अब वो एक कमरे में आया, जिसकी दीवारें शीशों से भरी थीं।
हर शीशे में उसका अक्स अलग दिखता था — कहीं डरपोक, कहीं दानव, कहीं रोता हुआ।

फिर एक शीशा चटक गया… और उसमें से निकला एक भयानक अंधेरा।
शिवाय की शक्ल वाला एक राक्षस, पर आंखें काली, हाथों में नाखून जैसे खंजर।

"मैं तेरा डर हूँ… अगर तू मुझे हरा नहीं सका, तो तू नैक्सस से बाहर नहीं जा पाएगा!"

एक भीषण लड़ाई शुरू हुई।
राक्षस की हर चाल शिवाय को पहले से पता थी — क्योंकि वो उसी का हिस्सा था।

शिवाय ने अपनी घड़ी की ऊर्जा को अपनी हथेली में समेटा, और कहा:

"तू मेरा डर है… लेकिन मैं अब डर नहीं रहा।"

एक तेज़ चीख, और शीशा चकनाचूर।

3rd Trial: 'रक्तपथ'

आखिर में वो एक पुल पर पहुंचा, जो खून से भरी नदी पर बना था। नीचे लाशें बह रही थीं, और पुल पर हर कदम पर एक सवाल लिखा था।

अगर जवाब सही, तो अगला पत्थर उभरेगा।
गलत, तो मौत।

पहला सवाल:
"तू कौन है?"

शिवाय ने कहा: "मैं वो हूँ जो नहीं था, पर अब होगा… एक उम्मीद।"
पत्थर उभरा।

दूसरा सवाल:
"क्या तू अपनों को खोकर भी लड़ पाएगा?"

शिवाय ने आंखें बंद कीं, माँ की मुस्कान याद आई, दोस्त की हंसी… और कहा:
"अगर ज़रूरत पड़ी, तो हाँ… क्योंकि मेरा उद्देश्य सबसे बड़ा है।"

अंतिम पत्थर उभरा — और पुल पार हो गया।


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End of Chapter 2
शिवाय अब भूलाभुलैया से बाहर था, पर उसके कपड़े खून से सने थे। शरीर थक चुका था, पर उसकी आँखों में अब आग थी।

जैसे ही वो ज़मीन पर गिरा — सामने एक रहस्यमय स्त्री आई — काले लिबास में, लाल आंखों वाली, हाथ में त्रिशूल और सिर पर चांदी का मुकुट।

"मैं हूँ वैरागिनी — नैक्सस की रक्षक। अगला मोड़ तुझे नर्क और स्वर्ग के बीच ले जाएगा… तैयार रहना, शिवाय। असली युद्ध अब शुरू होगा।"


क्या होगा Chapter 3 में?
शिवाय की मुलाक़ात 'वैरागिनी' से आगे कौन सा भेद खोलेगी?
कौन है वो जो नैक्सस की असली चाबी चाहता है?
और शिवाय को किस कीमत पर अपनी शक्तियाँ मिलेगी?