कई महीनों के बाद, मेरी मुलाकात जय से हुई। जब मैंने उसे देखा तो बस देखती ही रह गई। क्योंकि जय को देखे हुए बहुत समय हो गया था। उसे देखकर मेरा हृदय खुशी से भर गया। उसका अचानक आना और वह भी कई महीनों के बाद.......
सुबह का समय था। करीब सात बजे होंगे, मैं बगीचे में बेठे तितलियों के साथ शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद ले रही थी। तभी अचानक कोई मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। जब मैंने उसे देखा तो देखती ही रह गयी। वह कोई और नहीं बल्कि मेरा बचपन का दोस्त जय था। मेरा वो दोस्त जो मेरा पहला और आखिरी दोस्त रहा है। लेकिन हमारे बीच कुछ गलतफहमियां हो गईं और हम दूर हो गये। उसके बाद भी हम दोस्त हैं, लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं रही।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, क्या पूछूं, इसलिए मैं बस उसे देखती रही, तभी मैंने जय की आवाज सुनी, जो मुझे कह रहा था। "मुझे माफ करदो, मुझे माफ करदो, यह सब मेरी गलती थी, मैं इसे स्वीकार करता हूं, बस मुझे माफ़ कर दो।" मैं ऐसा दोबारा नहीं करूंगा,
I am sorry yar 🥹
यह कहकर वह ज़मीन पर बैठ गया। मैं उसकी हालत समझ नहीं पाई, वह बहुत रो रहा था. उसे देखकर मैं मानो मूर्ति में तब्दील हो गई, अपने विचारों में गुम जय को समझने की कोशिश करने लगे। मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। जय की हालत से मेरे दिल को बहुत दुख हो रहा था।
थोड़ी देर बाद अपने विचारों से बाहर आ कर, जय को उठाया, उसके आंसू पोंछे और गले से लगा लिया।
इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाती सब धुँधला होने लगा। वह मेरे सामने से गायब हो गया। और में जय, जय चिल्लाने लगी, तभी मेरी आँखें खुल गईं।
चारों और देखा तो अंधेरे के अलावा और कोई नहीं था। और खुदको घर पर अपने कमरे के बेड़ पर पाया। इसके बाद तो मेरे दिल की धड़कन इतनी बढ़ गई कि उसकी आवाज़ मेरे कानों तक पहुँच रही थी।
फिर एहसास हुआ कि यह हकीकत नहीं बल्कि एक बुरा सपना था। जो कुछ दिन पहले मुझे आया था और आज फिर आया।
उसके बाद तो मानो मेरी नींद ही गायब हो गई, जय की आंखों से बहते आंसू बार बार नजर के सामने आ रहे थे।
वह रात एक साल जितनी बड़ी लग रही थी। मन में बस यही था कि सुबह होते ही जय को फोन करूँ और पूछूँ, "कैसे हो तुम, सब ठीक है न?"
जैसे ही सुबह हुई, मुझे किसी और से जय के बारे में खबर मिली। वो एक दम ठीक था। यह सुनकर दिल को सुकून मिला। पर....
फिर भी एक प्रश्न था। मुझे ऐसा सपना क्यों आया और बार-बार वही सपना क्यों देखती हूँ? जिसे हर वक़्त खुश देखना चाहती हूँ, उसे अपने सपने में रोते हुए क्यूँ देखती हूँ।
यह सपना जो एकबार नहीं ब्लकि कहीं बार आया है, मुझे क्या बताना चाह रहा है? कुछ तो रहस्य छिपा है जो मुझे समझ में नहीं आ रहा। इसका रहस्य क्या है? मैं आज भी इसका उत्तर ढूंढ रही हूं।
अभी तो नहीं जानती पर उम्मीद है कि शायद समझ आ जाए कि एसा क्या है इस सपने में जो मुझे समझ नहीं आ रहा।
कुछ हकीकत छुपी है तो कुछ शब्द को जोड़े है। कहानी काल्पनिक नहीं कुछ सच्ची कुछ मन के ख्वाबों निकले ज़ज्बात से लिखी है। उम्मीद है पसंद आएगी। ।
रेटिंग जरूर दीजियेगा
_Miss Chhoti