Mohabbat ek Badla - 7 in Hindi Love Stories by saif Ansari books and stories PDF | मोहब्बत एक बदला भाग 7

Featured Books
Categories
Share

मोहब्बत एक बदला भाग 7

भाग 7: इंतज़ार

ज़ोया के जाने के बाद, आरिफ़ की ज़िंदगी एक ठहरी हुई झील की तरह शांत और उदास हो गई थी। घर की हर चीज़ उसे ज़ोया की याद दिलाती थी - रसोई में उसकी पसंदीदा चाय की प्याली, बैठक में उसकी बुनी हुई शॉल, और आँगन में उसके लगाए हुए गुलाब के पौधे, जो अब भी हर मौसम में खिलते थे, मानो उसकी याद को ताज़ा करते हों।

बच्चों ने आरिफ़ को संभालने की बहुत कोशिश की। वे उसके पास बैठते, उससे बातें करते, और उसे पुरानी तस्वीरें दिखाते, जिनमें ज़ोया की हँसी गूँजती हुई महसूस होती थी। लेकिन आरिफ़ की आँखों की उदासी कम नहीं होती थी। वह शारीरिक रूप से तो उनके साथ रहता था, पर उसका दिल कहीं दूर, ज़ोया के पास ही अटका हुआ था।

हर शुक्रवार, कब्र पर जाना उसकी रूह का सुकून था। वह घंटों ज़ोया की कब्र के पास बैठा रहता, अपनी दिनभर की बातें बताता, अपनी तकलीफें साझा करता। उसे ऐसा लगता था जैसे ज़ोया उसकी हर बात सुन रही हो, अपनी खामोश मोहब्बत से उसे तसल्ली दे रही हो।

एक सर्द दोपहर, जब आरिफ़ कब्र पर बैठा हुआ था, उसने महसूस किया कि कोई उसे देख रहा है। उसने पलटकर देखा तो एक बूढ़ी औरत, जिसके चेहरे पर झुर्रियाँ थीं और आँखों में एक अजीब सी चमक थी, कुछ दूरी पर खड़ी उसे ही देख रही थी। आरिफ़ उसे पहचान नहीं पाया।

"क्या आप ठीक हैं?" बूढ़ी औरत ने धीमी आवाज़ में पूछा।

आरिफ़ थोड़ा चौंका। "जी, मैं ठीक हूँ।"

बूढ़ी औरत धीरे-धीरे उसके पास आई और ज़ोया की कब्र पर रखे फूलों को देखा। "यह किसकी कब्र है?" उसने पूछा।

"यह... यह मेरी पत्नी, ज़ोया की कब्र है," आरिफ़ ने भारी मन से जवाब दिया।

बूढ़ी औरत ने एक गहरी साँस ली। "ज़ोया... यह नाम मैंने सुना है।"

आरिफ़ ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। "क्या आप उसे जानती थीं?"

बूढ़ी औरत ने एक उदास मुस्कान के साथ कहा, "मैं उसे बहुत अच्छी तरह जानती थी। हम बचपन की सहेलियाँ थीं।"

आरिफ़ के लिए यह एक अनपेक्षित मोड़ था। ज़ोया ने कभी अपनी बचपन की सहेलियों के बारे में ज़्यादा बात नहीं की थी। "आप... आप कौन हैं?" उसने उत्सुकता से पूछा।

बूढ़ी औरत ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। "मेरा नाम सलमा है।"

आरिफ़ ने धीरे से उसका हाथ थामा। सलमा की आँखों में एक दर्द भरी कहानी छिपी हुई लग रही थी। क्या सलमा ज़ोया के अतीत का कोई ऐसा राज़ जानती थी, जो आरिफ़ से अनजान था? क्या ज़ोया की ज़िंदगी में कुछ ऐसा था जिसके बारे में आरिफ़ को कभी पता नहीं चला?

अगले शुक्रवार, आरिफ़ कब्र पर सलमा का इंतज़ार कर रहा था। उसके दिल में कई सवाल थे, और वह जानना चाहता था कि सलमा ज़ोया के बारे में क्या जानती है। जब सलमा आई, तो उसकी आँखों में एक रहस्यमय चमक थी, मानो वह कोई महत्वपूर्ण बात बताने वाली हो।

"आरिफ़," सलमा ने कहा, उसकी आवाज़ में हिचकिचाहट थी, "ज़ोया ने मरने से पहले मुझे एक बात बताई थी... एक ऐसा राज़ जो सिर्फ़ मैं जानती हूँ।"

आरिफ़ का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। यह कैसा राज़ हो सकता है? क्या यह ज़ोया के अतीत से जुड़ा था, या उनके वर्तमान से? और क्या यह राज़ आरिफ़ की बची हुई ज़िंदगी को बदल देगा?