Monster the risky love - 51 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 51

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दानव द रिस्की लव - 51

अब अघोरी बाबा करेंगे मदद 

अब आगे.........

विवेक कि बात सुनकर कंचन और श्रुति को बहुत अजीब लगता है ..... विवेक जल्दी से अदिति के रुम की तरफ जाता है उसके पीछे पीछे कंचन और श्रुति भी पहुंचते हैं.. अदिति अपने रुम में पहुंची ही थी कि तभी अचानक दरवाजे पर तीनों को देखकर हैरानी से पूछती है...." क्या हुआ तुम तीनों अचानक...?..."
विवेक : तुम यहां क्या कर रही हो वैसे...?(विवेक के वहां पहुंचने से पहले ही तक्ष जोकि धोखे से अदिति को ऊपर बुलाता है...वहीं पर्दे के पीछे छुप जाता है...)
अदिति : विवेक मैं रुम में नहीं आ सकती क्या...?
विवेक : आ सकती हो लेकिन पार्टी के बीच से अचानक गायब हो गई तो मैं परेशान हो गया था....
अदिति विवेक के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती हैं...." विवेक मैं ठीक हूं..... वो भाई ने बुलाया था तो आई थी..."
विवेक : स्वीट हार्ट भाई नीचे ही है...(खिड़की से बाहर दिखाता हुआ बोला)..वो देखो अदिति वो रहे भाई.....
अदिति : तो फिर सर्वेंट ने मुझे ऊपर आने के लिए क्यूं कहा...?
अदिति को बात से दूर करते हुए विवेक ने कहा..." कोई बात नहीं अदिति गलती से बुला लिया होगा...."
कंचन : तुम दोनों आ जाना नीचे जल्दी चल श्रुति...(कंचन और श्रुति विवेक अदिति को वहीं छोड़कर चली जाती है)..
अदिति : कोई बात नहीं अब ऊपर आ ही गई हूं तो तुम्हारा गिफ्ट भी देख लेती हूं.....
विवेक : हां क्यूं नहीं....
अदिति टेबल पर रखे एनवलप और लिटिल बाक्स को खोलती है...... अदिति गिफ्ट को देखकर खुश हो जाती है और विवेक के गले लग जाती है...
अदिति : बहुत अच्छा है लगा मुझे तुम्हारे दोनों गिफ्ट्स देखकर .... हमारी ये पिक्चर बहुत कुछ याद दिलाती है... विवेक और ब्रेसलेट अमेजिंग है..... बिल्कुल तुम्हारी तरह.... थैंक्यू... मुझे इतना प्यार करने के लिए.....
विवेक : ये तो कुछ नहीं अभी तो बहुत कुछ है जो तुम्हें देखना है....
अदिति : क्या देखना है विवेक..?(विवेक अदिति के पास जाकर अपने हाथों से उसके दोनों गालों को पकड़ता है)
(तक्ष जो छिप कर इन दोनों को देख रहा था धीरे धीरे बुदबुदाता है....ये अब पास नहीं आ सकते फिर...)
विवेक जो अदिति के बहुत करीब था... जैसे ही उसे किस करने के लिए बढ़ता है अचानक रुक जाता है और अपने आप से बोलता है..." विवेक ये तू क्या कर रहा है भूल गया पिछली बार अदिति के किस की थी तो दोनों बार बेहोश होकर चेंज हो गई नहीं अब नहीं... मुझे अपने को रोकना होगा मैं अदिति को कुछ नहीं होने दूंगा...."
विवेक अभी सोच ही रहा था अदिति उसके गाल पर किस करती हुई कहती हैं..." क्या हुआ तुम अचानक कहां खो गए...?..."
विवेक : ये क्यूं किया तुमने...?
अदिति : क्या हुआ विवेक तुम इस तरह क्यूं गुस्सा हो रहे हो...?
विवेक : ओह अदिति दूर रहो मुझसे.....(विवेक वहां से चला जाता है).....
विवेक को जाते हुए देख अदिति रोने जैसा मुंह बनाकर वहीं बैठ जाती है......
अदिति : अचानक क्या हुआ तुम्हें विवेक....?
तभी पीछे से आवाज़ आती है....." वो अब बदल रहा है अदिति...".... अदिति हैरानी से पीछे पलटती है ..
" तक्ष तुम यहां...?...."
तक्ष : मैं तो अभी आया हूं आदित्य ने कहा तुम्हें नीचे लेकर आऊ .....और तुम रो रही हो.... क्यूं...?.... विवेक के लिए...
अदिति : तुम चलो मैं आती हूं (अदिति ने तक्ष की बातों को अनसुना करते हुए कहा)....
तक्ष : तुम मेरी बात पर गौर नहीं कर रही हो कोई बात नहीं तुम्हें सब पता चल जाएगा....
अदिति : मुझे कुछ पता नहीं करना जाओ....(अदिति उठकर चली जाती हैं)....
अदिति के जाते ही उबांक कमरे में आता है....
तक्ष : तूने आज सही समय पर मुझे बता दिया उबांक नहीं तो पता नहीं आज क्या बवाल कर देता ये लड़का...?
उबांक : दानव राज आपकी सहायता करना तो मुझे अच्छा लगता है....
तक्ष : अब मुझे किसी को अलग से खत्म करने की जरूरत नहीं है....अब अदिति मेरी मुठ्ठी में है.....अब वो चाहकर अदिति के करीब नहीं आ सकता....
उबांक : दानव राज...वो लड़का तो अब शायद इसके पास नहीं आएगा लेकिन ये कहीं उसके करीब (उबांक की बात काटते हुए तक्ष बोला..)
" नहीं होगा ऐसा.... अब तू देख मैं क्या करता हूं... इसके दिल में नफ़रत भड़केगी....और अभी रूक थोड़ी देर में ये अपना होश खो बैठेगी.... अपने प्यार के पास जाने की सजा तो तावीज देगा ही....तू देखता जा बस अब..."
अदिति नीचे हाॅल में पहुंचती है........ अदिति की नजर बस विवेक पर थी जो अचानक उसे छोड़कर नीचे आ गया था...
आदित्य : तू अचानक कहां चली गईं थीं अदि.....
अदिति : कहीं नहीं भाई बस रुम में गई थी...
सुविता : अच्छा ठीक बस आदित्य अदिति रुम में ही तो गई थी..... अदिति लो ये छोटा सा नेकलेस तुम्हारे लिए...
अदिति : थैंक्यू बड़ी मां......
अदिति सबसे बातें करने लगती है.... तभी अचानक अदिति बेहोश हो जाती है...
कंचन : अदिति....(कंचन चिल्लाती है).... अदिति बेहोश हो गई...(कंचन की इस बात से सबका ध्यान उसकी ओर जाता है)....
आदित्य : अदि .... क्या हुआ इसे ...?....अभी तो ठीक थी...(सब अदिति को होश में लाने के लिए उसे उठाते हैं)..
विवेक अदिति के पास जाने की बजाय सीधा गार्डन में जाता है...." ये सब मेरी वजह से हुआ है.... क्यूं अदिति मेरे पास आई तुम...." विवेक वहीं बेंच पर बैठा था तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रखता है....
विवेक : भाई....
इशान : तू बाहर क्यूं आया है अदिति के पास नहीं रूकना..
विवेक: नहीं भाई ये सब मेरी वजह से हुआ है....
इशान : क्या तेरी वजह से हुआ है....?...., तुझे अदिति की चिंता है इसलिए....
विवेक : आप नहीं समझोगे भाई......और न ही समझा सकता.... मुझे अब किसी की हेल्प चाहिए...(अपनी जेब से लाकेट निकालता हुआ बोला)...अब इन सबके बारे में मुझे अघोरी बाबा ही बता सकते है....अब वो ही मेरी मदद करेंगे.. ?..
.................to be continued...........
क्या अघोरी बाबा करेंगे मदद जानेंगे अगले भाग में....