तक्ष की खुनी प्यास......
विवेक : आप नहीं समझोगे भाई......और न ही समझा सकता.... मुझे अब किसी की हेल्प चाहिए...(अपनी जेब से लाकेट निकालता हुआ बोला)...अब इन सबके बारे में मुझे अघोरी बाबा ही बता सकते है....अब वो ही मेरी मदद करेंगे.. ?..
अब आगे.........
इशान विवेक को पकड़कर झंझोरता है...." विवेक क्या बोल रहा है...?.... क्या अघोरी बाबा...?... क्या हो गया है तुझे...?
विवेक लाकेट को वापस जेब में रखते हुए बोला..." कुछ नहीं भाई.... कुछ नहीं हुआ है मुझे.... मैं ठीक हूं बस मुझे अदिति को बचाना....
इशान : उसे कुछ नहीं हुआ है सिर्फ बेहोश हुई है...चल अंदर ...
विवेक : आप नहीं जानते उसे क्या हुआ है...आप जाइए मै बाद में आऊंगा....(इशान विवेक को बाहर छोड़कर अंदर पहुंचता है...)
अंदर की सिचुएशन अब ठीक ही थी.....
इशान : अदिति ठीक है....(आदित्य के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा)..
आदित्य : हां उसे होश आ गया है.... बड़ी मां के काढ़े से....
इशान : मां के काढ़े से तो अच्छे अच्छे ठीक हो जाते हैं... फिर तो बेचारी हमारी अदिति...
इशान की बात पर सब मुस्कुरा देते हैं लेकिन सुविता जी उसे घूरती हुई कहती हैं...." तूने कितने बार पिया है... "
इशान : मां मैं मजाक कर रहा हूं.....
सब आपस में ही बातें करने में व्यस्त थे , कंचन अदिति के पास उसका ध्यान रख रही थी...तक्ष चुपचाप यहां से बाहर की तरफ चला जाता है लेकिन श्रुति उसके सामने खड़ी होती है.....
श्रुति : तक्ष कहां जा रहे हो तुम....?
तक्ष : तुमसे मतलब....हटो मेरे रास्ते से....
श्रुति : अरे चले जाना.... थोड़ी देर मेरे साथ तो रूको...(श्रुति के मन में हल्का डर भी था सबकी बातों से उसे अजीब सा लग रहा था...कहीं तक्ष पिशाच तो नहीं... अपने मन को शांत करके श्रुति तक्ष के पास जाकर उसके हाथ को अपने हाथ में लेती हुई कहती हैं)...तक्ष तुम औरों के जैसे नहीं हो....
तक्ष : मैं समझा नहीं...?
श्रुति : इधर आओ..... मेरे कहने का मतलब है तुम भी औरों की तरह नहीं हो..... ब्रेव हो ... इंटेलिजेंट हो किसी से ज्यादा बात नहीं करते...
तक्ष : हां नहीं करता मुझे सबसे बात करना पसंद नहीं.. तुम्हें कुछ काम है मुझसे...?
श्रुति : तुम्हें किसी लड़की से बात करने का मन नहीं करता...
तक्ष : अदिति से बात कर लेता हूं वो काफी है.....
श्रुति : अदिति कुछ खास है...?
तक्ष : हां बहुत खास है मैं उसकी वजह से...(तभी चुप हो जाता है)...
श्रुति : मैं उसकी वजह से क्या तक्ष ...?
तक्ष : कुछ नहीं....(तक्ष जाने के लिए आगे बढ़ता है तभी श्रुति उसका हाथ पकड़ लेती है)
श्रुति : रूको तो सही तक्ष
तक्ष : (हाथ की तरफ इशारा करते हुए)... छोड़ो...
श्रुति : तुम बहुत रूड हो.... इतनी प्यारी लड़की तुमसे बात करने के लिए कह रही है और तुम्हें जाने की पड़ी है....
तक्ष : मुझे तुमसे भी जरूरी काम है इसलिए अच्छा होगा मुझे जाने दो....
श्रुति : वैसे तक्ष मैंने.... अदिति से सुना है तुम
तक्ष : क्या सुना है तुमने...?
श्रुति : तुम्हें बुरा लगेगा....
तक्ष : जो भी कहा होगा दोबारा कभी नहीं बोल पाएगी ....बस दो मावस....(इतना कहते कहते चला जाता है)..
श्रुति : ये क्या बोल गया.... अदिति दोबारा नहीं बोल पाएगी...?...दो मावस ..?.... क्या है ये सब ..?..कहीं विवेक का डर सच नं हो...... मुझे इसका पीछा करना चाहिए... हां यही सही होगा...(श्रुति तक्ष का पीछा करने की सोचकर बाहर जाती है सामने से विवेक से टकरा जाती है)..... विवेक
विवेक : कहां ध्यान है तुम्हारा...?
श्रुति : विवेक तक्ष को नहीं देखा तुमने बाहर जाते हुए....?
विवेक : नहीं तो.... मैंने उसे नहीं देखा.... क्यूं बाहर गया है क्या वो...?
श्रुति : हां मैं भी उसके पीछे ही जाने वाली थी इतने में तुम टकरा गये....
विवेक : श्रुति तक्ष बाहर नहीं है वो देखो वहां सोफे के पास..
श्रुति : ये यहां कैसे....?(श्रुति तक्ष को देखकर हैरान रह जाती है)....
विवेक : तुम्हारा वहम होगा....हम उसके बारे में ज्यादा सोच रहे हैं न इसलिए....
श्रुति : मेरा वहम नहीं है विवेक...
विवेक : ओह कम ऑन श्रुति एंजॉय द पार्टी......(श्रुति बिना कुछ सोचे समझे विवेक के गले लग जाती है... विवेक श्रुति को दूर करता है)... श्रुति संभालो अपने को (विवेक उसको समझाते हुए बोला)....
श्रुति : एम सॉरी विवेक.... मुझे पता नहीं क्यूं अजीब सा लग रहा है
विवेक : इट्स ओके.......सब ठीक हो जाएगा.....अभी जाओ अदिति के पास उसे तुम्हारी जरूरत है....
श्रुति वहां से सीधा अदिति के रुम की तरफ जाती है.....
अब पार्टी का लास्ट होती है आखिरी ड्रिंक के साथ सबने आज खुब एंजॉय किया सिवाय तक्ष के..... उसके मन में चल रही हलचल ने उसे ये मौका नहीं दिया.....अब तो तक्ष को प्यास थी बस अदिति के खून की वो जल्द से जल्द अदिति के पास पहुंचना चाहता था..... लेकिन कोई भी अदिति को छोड़कर नहीं गया था.... खासकर विवेक कि नजर हर पल बस अदिति पर थी वो कहां जा रही है अकेले तो नहीं है.... विवेक अदिति पर नजरें जमाए हुए था और तक्ष विवेक की हर हरकत पर नजर रखे हुए था.....
पहले तो उबांक ने उसे सर्तक कर दिया था लेकिन अब वो जल्द अदिति के पास पहुंचना चाहता था.....
रात काफी हो चुकी इसलिए सब सोने के लिए अपनी अपनी जगह पर पहुंच रहे थे......इसी बात का फायदा उठाकर तक्ष बिना कुछ कहे सीधा अदिति के कमरे की तरफ जाता है.... अदिति के रुम में अभी भी श्रुति और कंचन थी.... तीनों गपशप कर रही थी...तक्ष को तीनों को साथ देखकर काफी गुस्सा आता है तभी वो अचानक आंखें बंद करके कुछ धीरे से बोलता है..... जिससे अदिति अब दोनों को जाने के लिए कह देती है.... काफी देर मना करने के बाद कंचन रुम से जाने के लिए हां कहती हैं.... दोनों अदिति के पास से चली जाती हैं.....
थोड़ी देर रूकने के बाद तक्ष सीधा अदिति के रुम में एंटर होता है और दरवाजा बंद कर लेता है....
अदिति हैरानी से पूछती है...." तक्ष तुम इतनी रात को...सोये नहीं... कुछ काम था..."
तक्ष बिना कुछ कहे अदिति के होंठों पर ऊंगली रखते हुए उसे चुप रहने का इशारा करता है......
अदिति : कुछ काम
तक्ष : चुप रहो..... ध्यान से देखो इसे...(अदिति के गले में पड़े लाकेट को उसे दिखाते हुए कहा)...
इस तरह लाकेट दिखाकर तक्ष कुछ बड़बड़ाता है जिससे अदिति की आंखें बंद होने लगती है....अब वो पूरी तरह बेहोश हो चुकी थी.....
......................to be continued................
आगे क्या होगा जानने के लिए बने रहिए कहानी के साथ .....