Monster the risky love - 47 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 47

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दानव द रिस्की लव - 47

जूस में क्या था....

अब आगे........

श्रुति : विवेक क्या हुआ...? ‌‌...भाई से बात करने के बाद तुम्हारे चेहरे पर हवाइयां क्यूं उड़ने लगी....?

हितेन : हां बोल विवेक क्या हुआ....?

विवेक : क्या बताऊं कि भाई ने क्या कहा......ओह गॉड मैं कितना बेवकूफ हूं सब जानते हुए भी....(इतना कहकर विवेक वहीं सोफे पर बैठ जाता है)...

विवेक की ऐसी उलझन भरी बातें दोनों को समझ नहीं आ रही थी... श्रुति और हितेन दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए कहा..." इसे क्या हो गया अचानक....?.."

हितेन : विवेक बात क्या है....?.... बोलो विवेक ऐसे सिर पर हाथ रखने से हमें कुछ समझ नहीं आएगा....

विवेक : अभी भाई का काॅल आया था और पता उन्होंने क्या कहा.

" क्या कहा..." दोनों ने हैरानी से पूछा

विवेक : वो कह रहे थे अदिति का ध्यान रखना

श्रुति : तो इसमें परेशान होने की क्या बात है...?

विवेक : पहले पूरी बात तो सुन लो...

हितेन : हां बोल...

विवेक : अदिति का ध्यान रखना ठीक है

फ्लैशबैक ...

आन द काॅल ....

विवेक : हां भाई बोलिए....

आदित्य : विवेक अदि ठीक तो है न...

विवेक : हां भाई उसे बिल्कुल अभी होश आया है...

आदित्य : अभी होश आया है मतलब...?(हैरानी से पूछा)... क्या कल फिर से डर गई थी अदि...?

विवेक : नहीं तो भाई.....?(आदित्य की बात सुनकर विवेक भी शाक्ड हो जाता है)....

आदित्य : तो फिर.... कैसे...?..... तुमने मेडिसिन नहीं दी थी....?

विवेक : भाई आप क्या कह रहे हो ...?..कल शाम आपने ही उसे मेडिसिन दी थी....

आदित्य झिलमिलाते हुए कहता है.." क्या कह रहे हो विवेक...आज पी ली है क्या सुबह सुबह ... मैं कब आया था... अरे मैं तो खुद कल बिजी था..और अदि को साॅरी बोलने के लिए फोन किया है और तुम कह रहे हो मैं शाम को वहां आया था... दिमाग ठिकाने तो है तुम्हारा... कहां है अदि बात कराओ उससे.... बर्थडे विश भी करना है मुझे...दो फोन उसे...

आदित्य की बात सुनकर विवेक को सब समझ आ जाता है कि ये किया धरा सब तक्ष का है ...वो कल शाम आदित्य के भेष में यहां आया था....

आदित्य : विवेक चुप क्यूं हो  अदि से बात कराओ...

विवेक : भाई मैं थोड़ी देर में बात करवाता हूं अभी बाहर हूं...

आदित्य : ठीक है...वो फोन नहीं उठा रही है इसलिए तुम्हें किया है और मैं शाम तक पहुंच जाऊंगा वहां....

विवेक : ठीक है भाई...

फ्लैशबैक आफ......

विवेक : तो ये बात थी...

हितेन : तो इसका मतलब कल जो आये थे वो भाई नहीं तक्ष था.... अजीब तो हमें लगा था...

विवेक : हमें अजीब लगा था लेकिन स्योर नहीं हुए... उसकी बातों से ही समझ आ रहा था लेकिन मेरी लापरवाही की वजह से वो अदिति तक पहुंच गया....

हितेन : तू टेंशन क्यूं ले रहा है अदिति तो ठीक है न...

विवेक : हां तूने सही कहा....(कुछ याद करते हुए)... मुझे याद आया वो तो अदिति को छू भी नहीं सकता था....

हितेन : कैसे...?.(हितेन ने हैरानी से पूछा)..

विवेक : वो इसलिए क्योंकि अदिति के पास भोले नाथ जी का त्रिशूल लाकेट है और उसके होते हुए वो उसे हाथ भी नहीं लगा सकता....

" कौन हाथ नहीं लगा सकता.." (तीनों हैरानी से पीछे मुड़ते हैं)...

विवेक : अदिति..... तुम बाहर क्यूं आई...?

अदिति : क्या बात चल रही है यहां पर....कौन किसे हाथ नहीं लगा सकता विवेक....?

विवेक : (कंचन की तरफ देखते हुए)...इसे आराम करना चाहिए था न...

कंचन : मैं क्या करूं विवेक ये मानी नहीं....

अदिति : विवेक बताओ न.....

विवेक : तुम यहां बैठो पहले.... मैं बताता हूं....

अदिति : बताओ फिर...

विवेक : अदिति कल शाम को भाई नहीं आये थे....

अदिति : क्या कह रहे हो विवेक....?

विवेक : कल शाम को जब आदित्य भाई आये थे न वो भाई नहीं थे तक्ष था.... वो तक्ष ही कल आया था भाई के भेष में और अब भी भाई को कुछ नहीं पता..... हमे उन्हें तक्ष की सच्चाई बतानी होगी अदिति.....

अदिति उलझन भरी आवाज में बोली...." विवेक तुम क्या कह रहे हो... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है....कल भाई आये थे वो तक्ष ....ओह विवेक तुम क्या कह रहे हो....?

विवेक : अदिति तुम्हें हो क्या गया है....?

अदिति : विवेक मुझे तो कुछ नहीं हुआ लेकिन तुम क्या कह रहे हो तक्ष की सच्चाई...... कैसी सच्चाई विवेक....?... क्या छुपाया है तक्ष ने......?(अदिति की ये बात सुनकर विवेक शाक्ड हो चुका था... बात को संभालते हुए हितेन ने कहा)..

" कुछ नहीं हुआ अदिति... विवेक तुम्हारे लिए थोड़ा ज्यादा परेशान हो गया था.... उसे तुम्हारा तक्ष के साथ रहना अच्छा नहीं लग रहा होगा इसलिए ऐसा बोल रहा है...."(हितेन विवेक को इशारों में कुछ और न‌ पुछने के लिए कहता है)...

विवेक : अदिति .... ज्यादा मत सोचो वो ये जूस पीयो और मेडिसिन लेकर आराम करो..... बाकी की बात हम बाद में करेंगे ठीक है.....

अदिति : ठीक है विवेक......(जूस का गिलास लेकर पहले विवेक की तरफ करती हुई कहती हैं).... विवेक पहले तुम पीयो.....

विवेक : नहीं अदिति तुम पीयो जल्दी.....(अदिति गुस्से में गिलास टेबल पर रख देती है)...ओह अदिति ठीक है (गिलास उठा लेता है)..लो पी लिया मैंने...अब तुम पीयो जल्दी...

अदिति : हां......(अदिति जूस को अपने होंठों से ही लगा पाती है तभी अचानक उसके हाथ से गिलास गिर जाता है)...

कंचन : अदिति क्या हुआ...?

अदिति : मुझे जूस नहीं पीना.... पता नहीं उसमें इतना अजीब टेस्ट क्यूं है....?

कंचन : अदिति पहले जूस विवेक ने पीया है न ....(विवेक की तरफ देखकर)... तुम्हें अजीब टेस्ट लगा इसका....?

विवेक : नहीं.... अदिति ये तो तुम्हारा फेवरेट जूस है न....

अदिति : विवेक मैंने कहा न मुझे अजीब लगा तो क्या मैं झुठ बोल रही हूं....

विवेक : नहीं अदिति

अदिति : मुझे कुछ नहीं चाहिए (गुस्से में चली जाती हैं)....

विवेक : जूस में ऐसा क्या है जो अदिति को पसंद नहीं आया....?

................to be continued..........