Funeral procession: The highest truth immersed in silence in Hindi Anything by Neha books and stories PDF | शवयात्रा: मौन में डूबा हुआ सबसे ऊँचा सच

The Author
Featured Books
Categories
Share

शवयात्रा: मौन में डूबा हुआ सबसे ऊँचा सच

"मृत्यु एक ऐसा सत्य है, जो न टाला जा सकता है, न भुलाया जा सकता है।और शवयात्रा… उस सत्य का सबसे मौन, सबसे गूंजता रूप है।"शवयात्रा... एक शब्द नहीं, एक अनुभव है।एक ऐसा अनुभव जिसे देखने वाले कभी भूल नहीं पाते,और जो भोगता है, वह हमेशा के लिए बदल जाता है।जीवन से मृत्यु की दूरी बस एक साँस की होती हैकभी आपने गौर किया है कि जब कोई व्यक्ति मरता है,तो सब कुछ उसी पल थम जाता है।ना साँसें चलती हैं, ना हृदय धड़कता है,लेकिन जो सबसे ज़्यादा बदलता है,वो होता है हमारे भीतर का संसार।शवयात्रा उसी बदलाव की शुरुआत है।एक ऐसी यात्रा जो जीवित नहीं करता,पर जीवितों को एक आईना दिखा जाता है ,जब कोई अपना चुपचाप चला जाता हैकोई सुबह उठता है, काम पर जाता है,हँसता है, गले लगाता है — और फिर एक दिन…एक फोन कॉल आता है — "वो अब नहीं रहे।"ये शब्द सुनते ही समय थम जाता है।शवयात्रा तब शुरू होती है,जब इंसान को इंसान नहीं, "शव" कहा जाने लगता है।जिसे अभी कल तक हम नाम से बुलाते थे,अब वह "शव" बन चुका होता है।-कांधा देना सिर्फ रीति नहीं — एक एहसास हैजब आप किसी के शव को कांधा देते हैं,तो आप सिर्फ कंधे से उसे उठा नहीं रहे होते…बल्कि अपने अंदर के एक हिस्से को विदा कर रहे होते हैं।हर एक कदम —एक याद के साथ जुड़ा होता है।"यह वही था, जिसने बचपन में मेरी उंगली थामी थी…""यह वही थी, जिसकी हँसी से घर गूंजता था…"अब वह सब खामोश है।--भीड़ होती है, पर हर चेहरा अकेला होता हैशवयात्रा में दर्जनों लोग होते हैं।रिश्तेदार, पड़ोसी, मित्र…पर सबके चेहरे पर एक समान भाव नहीं होता।कुछ रोते हैं,कुछ अंदर ही अंदर टूटे होते हैं,कुछ सोचते हैं — “अब हमारा क्या होगा?”और कुछ बस खामोश रहते हैं,क्योंकि आँसू भी एक हद के बाद रुक जाते हैं।--- महिलाएं घर में, पुरुष कंधे पर — पर दर्द सबका होता हैअभी भी अधिकांश समाज मेंमहिलाएं शवयात्रा में नहीं जातीं।वो घर के कोने में बैठकर रोती हैं,और हर गुजरते पल के साथउनकी पीड़ा का बोझ और गहरा होता है।उधर पुरुष बाहर शव लेकर जा रहे होते हैं,मगर अंदर उनके सीने में भी आग ही जल रही होती है।-- चिता की लपटें सिर्फ शरीर नहीं जलातींजब चिता जलती है,तो धुआँ ऊपर उठता है —जैसे आत्मा मुक्त हो रही हो।लेकिन उस चिता मेंसिर्फ मृत शरीर नहीं जल रहा होता…वहाँ कोई माँ अपनी ममता जला रही होती है,कोई बेटा अपने सहारे को,कोई पत्नी अपनी दुनिया को,और कोई दोस्त अपनी यादों को। अंतिम संस्कार — एक परंपरा या मन की शांति?हिंदू रीति में मृतक को गंगा जल से स्नान कराया जाता है,फिर चंदन और फूलों से सजाया जाता है।शब्द नहीं होते, बस आँखों से बहते संवाद होते हैं।जब मुखाग्नि दी जाती है —तो सबसे कठिन क्षण होता है।जिसे जीवनभर गले लगाया,आज उसे अग्नि के हवाले कर देना पड़ता है।वो क्षण आत्मा को झकझोर कर रख देता है।- घर लौटना — पर सब कुछ बदल चुका होता हैजब लोग शवयात्रा से लौटते हैं,तो घर वैसा ही होता है — दीवारें, दरवाज़े, सामान…पर सब कुछ बिना जीवन के लगता है।वो कुर्सी जहाँ वो बैठते थे, अब खाली है।वो कप जिसमे वो चाय पीते थे, अब धूल से ढंका है।वो हँसी… जो गूंजती थी, अब खामोशी बन गई है।-मृत्यु सिखाती है — जीवन का मूल्यशवयात्रा का अनुभव इतना गहरा होता है,कि इंसान भीतर से बदल जाता है।वो अहंकार, वो झगड़े, वो दिखावा…सब व्यर्थ लगने लगता है।सिर्फ एक चीज़ मायने रखती है —समय।जो तुमने अपनों के साथ बिताया —या नहीं बिताया।जीवन की सबसे बड़ी सीखशवयात्रा से लौटकर जब आप आईने में खुद को देखते हैं,तो सवाल करते हैं —"क्या मैं जी रहा हूँ, या बस चल रहा हूँ?"क्या मैंने आज तकमाँ-बाप को गले लगाया है?भाई से दिल की बात की है?दोस्त से बिना वजह हालचाल पूछा है?क्योंकि मौत अचानक आती है,और फिर कुछ कहने का वक़्त नहीं देती।- कोई नहीं जानता अगली शवयात्रा किसकी होगीहम प्लान करते हैं — घर, गाड़ी, करियर…पर कभी ये प्लान नहीं करते किअगर कल चले गए,तो कौन हमारे पीछे रोएगा?शवयात्रा हमें सिखाती है किवसीयत, पैसा, नाम — सब छूट जाता है।बस एक चीज़ रह जाती है —आपने किसे कितना सच्चा प्यार दिया।- क्या मृत्यु के बाद भी कुछ बाकी रहता है?शरीर तो राख हो जाता है,पर यादें कभी नहीं जलतीं।वो बातें, वो स्पर्श, वो उपदेश —जिन्हें हमने जीते हुए नज़रअंदाज़ किया,मृत्यु के बाद उनका मूल्य समझ आता है।शवयात्रा एक जीवन का अंत नहीं,बल्कि उस व्यक्ति की अमरता की शुरुआत होती है —हमारी यादों में, हमारी सोच में, हमारे संस्कारों में।---अंत में…शवयात्रा एक मौन शिक्षिका है।वो कुछ नहीं कहती,पर सबसे ज़्यादा सिखाती है।सिखाती है कि:समय सीमित है,रिश्ते अनमोल हैं,अहंकार व्यर्थ है,और ज़िंदगी — बस एक साँस का खेल है।तो जब तक साँसे चल रही हैं —प्यार करना सीखो,माफ करना सीखो,क्योंकि एक दिन जब तुम्हारी शवयात्रा निकलेगी,तो लोग सिर्फ ये याद करेंगे कि"तुमने कैसे जिया, और किसे कितना चाहा।"