Small steps, big flights in Hindi Motivational Stories by Neha books and stories PDF | छोटे क़दम, बड़ी उड़ान

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छोटे क़दम, बड़ी उड़ान

ये कहानी है आरव की — एक छोटे से गाँव में जन्मा एक लड़का, जिसके सपने उसके आसमान से भी ऊँचे थे। लेकिन उस गाँव में, जहाँ बिजली दिन में 5 घंटे भी नहीं आती थी, वहाँ कोई कैसे एक बड़ा वैज्ञानिक बन सकता है? ये सवाल सबके मन में था… सिवाय आरव के।                 "बेटा, खेत में हल चलाना सीख ले, यही तेरा भविष्य है।" – पिताजी की ये बात आरव को अक्सर सुनने को मिलती थी।पर आरव की आँखों में कुछ और ही था — तारों से भरा आसमान, उड़ते जहाज़, और एक सपना… कुछ बड़ा करने का।स्कूल में उसका मन किताबों में ज़्यादा, लेकिन नंबरों में कम लगता था।क्योंकि उसका सवाल था —"पानी गर्म करने की असली वजह सूरज है या ऊर्जा?"जबकि परीक्षा में पूछा जाता —"पानी का क्वथनांक क्या है?"गाँव के लोग उसे "हवाई सपना देखने वाला" कहते थे।पर उसकी माँ हमेशा कहती,"सपने देखो बेटे, क्योंकि उड़ने से पहले पंख नहीं, विश्वास चाहिए।                                                          10वीं की परीक्षा में आरव फेल हो गया।उस दिन पूरे गाँव में एक ही चर्चा थी —"बड़ा वैज्ञानिक बनेगा? दसवीं तो पास नहीं हुई!"उसने खुद को 3 दिन तक कमरे में बंद कर लिया।पर तीसरे दिन माँ ने उसे बाहर खींचते हुए कहा,"फेल होना कोई हार नहीं होती… हार होती है जब तू खुद से उम्मीद छोड़ दे।"आरव ने फिर से मेहनत की — पुराने नोट्स, टूटे पेन और एक फटे बैग के साथ।1 साल बाद वो दोबारा परीक्षा में बैठा — और इस बार 84% अंक लाया।-                                           आरव ने दिल्ली के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया।गाँव से शहर तक का सफर आसान नहीं था।उसकी जेब में पूरे महीने के लिए सिर्फ 500 रुपए होते थे।खुद चाय की दुकान पर काम करता, ताकि थोड़ी पॉकेट मनी बना सके।कॉलेज में उसके जैसे स्मार्टफोन नहीं था, पर उसके दिमाग़ में इंटरनेट जितना ज्ञान था।पुस्तकालय उसका मंदिर था, और Dr. Kalam उसके भगवान।जब सब दोस्त पार्टी में जाते, वो “Nasa ke invention” या “ISRO ke launch” पढ़ता रहता।    फाइनल ईयर में उसे एक बार फिर तगड़ा झटका लगा —उसका प्रोजेक्ट, जिस पर वो 6 महीने से काम कर रहा था, चोरी हो गया।किसी और ने उसी मॉडल को पेश कर दिया — और तारीफें ले गया।आरव फिर से टूट गया।इस बार उसने खुद को कमरे में 7 दिन बंद किया।8वें दिन बाहर आया — आँखों में नींद नहीं, लेकिन सपनों में आग थी।"अब कोई मेरा सपना नहीं चुराएगा, मैं ख़ुद कुछ ऐसा बनाऊँगा जो दुनिया न भूल सके।"-                                                                   उसने नए सिरे से काम शुरू किया।रातें जागकर, दिन भर काम कर के, भूखा रहकर —उसने एक “Portable Water Purifier” बनाया, जो बिना बिजली के भी साफ पानी देता था।ये डिवाइस उसने गाँव की ज़रूरत को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया था।कुछ महीनों में, उसके इस इनोवेशन की चर्चा अख़बारों में छपी।ISRO से लेकर IIT तक — हर जगह से उसे सराहना मिली।उसी साल उसे "यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड" से नवाज़ा गया।-                                                                        आरव उस अवॉर्ड के साथ अपने गाँव लौटा।जहाँ एक दिन लोग कहते थे –"ये कुछ नहीं कर पाएगा…"आज वही लोग उसकी तस्वीर अपने मोबाइल में दिखा रहे थे।उसने अपने गाँव में एक छोटा सा "साइंस लर्निंग सेंटर" खोला, जहाँ बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाता है — ताकि कोई और "आरव" बिना सपनों के ना बड़ा हो।---अंतिम संदेश:आरव की कहानी हमें सिखाती है —हार वो नहीं जब तुम फेल होते हो, हार तब होती है जब तुम उठने की हिम्मत छोड़ देते हो।सपने देखने का हक़ हर किसी को है… और उन्हें पूरा करने का रास्ता, अपने भीतर ढूँढना होता है।ताकत किताबों में नहीं, इंसान के विश्वास में होती है।                            "अगर ख्वाब सच्चे हों और इरादे मजबूत, तो रास्ता खुद बनता है।"