Ek Ankahi Dastaan in Hindi Love Stories by Sun books and stories PDF | एक अनकही दास्तान

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एक अनकही दास्तान

चलिए एक नई कहानी शुरू करते हैं –
***

दिल्ली का लड़का और हरियाणा की लड़की:
***

सर्दी की हल्की गुनगुनी धूप थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी का कैंपस अपने ही रंग में डूबा था। सड़कों पर चहल-पहल थी, चाय की दुकानों पर दोस्त गप्पें लड़ा रहे थे, और लाइब्रेरी के सामने कुछ लड़के-लड़कियां पढ़ाई के बहाने टाइम पास कर रहे थे।   
 
उसी भीड़ में एक लड़की थी - गेहुँआ रंग, लंबी कद-काठी, आँखों में एक अजीब सा आत्मविश्वास। उसका नाम था सपना। वह हरियाणा के झज्जर जिले से थी। उसकी चाल में और उसके पहनावे में गाँव की मस्तानी झलक और बोलने में हरियाणवी अंदाज था।  
 
दूसरी तरफ था राहुल दिल्ली का छोरा, जो अपनी स्मार्टनेस और बेबाकी के लिए मशहूर था। थोड़ा स्टाइलिश, थोड़ा अकड़ू, और अपनी खुद की दुनिया में मस्त।  
 
***
 
सपना पहली बार लाइब्रेरी आई थी, उसे कुछ नोट्स निकालने थे। वह वहाँ जाकर बुक्स देख ही रही थी कि पीछे से राहुल ने मजाकिया अंदाज में कहा –  
 "ओ मैडम! ये बुक पढ़कर UPSC की तैयारी कर रही हो या IAS बनने का सपना देख रही हो?"  
 
सपना ने घूरकर देखा और बड़े ठेठ अंदाज में जवाब दिया ।  
 
सपना: "के करूं, तेरे जइसे छोरे ने देख के तो IAS ही बनना पड़ेगा, नहीं तो जिन्दगी भर तेरी बकवास झेलनी पड़ेगी!"  
 
राहुल हक्का-बक्का रह गया। दिल्ली में उसने लड़कियों को चिकनी-चुपड़ी बातें करते देखा था, लेकिन यह लड़की कुछ अलग थी। ठेठ देशी अंदाज, किसी से डरने का नाम नहीं। उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई और बोला –  
 
राहुल: "ओहो! लगता है, तू तो पूरे गाँव की सरपंच बनने का प्लान बना रही है!"  
 
सपना: "सरपंच के लिए तो वोट चाहिए होते हैं, पर मैं बिन वोट लिए तेरी क्लास लगाऊंगी!"  
  
धीरे-धीरे दोनों के बीच नोंकझोंक बढ़ती गई, लेकिन एक अनकही दोस्ती भी बन गई। सपना राहुल की क्लासमेट बन चुकी थी। दोनों के बीच खूब तकरार होती, कभी नोट्स के लिए, कभी कैंटीन में खाने के लिए, तो कभी बस मजाक-मजाक में।  
 
एक दिन कैंटीन में सपना चाय पी रही थी, राहुल आकर बैठ गया।  
 
राहुल: "सुन, तुझे चाय पीनी आती भी है या ऐसे ही ग्लास पकड़के रखती है?"  
 
सपना: "तू चिंता मत कर, मैं चाय भी पी सकती हूँ और तेरी अकड़ भी उतार सकती हूँ!"  
 
राहुल मुस्कराया, उसे सपना का बिंदास अंदाज पसंद आने लगा था।  
 
धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी होने लगी। अब राहुल और सपना घंटों बातें करने लगे। राहुल को सपना के गाँव के किस्से सुनना अच्छा लगता, और सपना को राहुल के दिल्ली के मॉडर्न लाइफस्टाइल की बातें मजेदार लगतीं।  
  
एक दिन सपना की तबीयत खराब हो गई। राहुल ने पहली बार उसे कॉलेज में मिस किया। उसने तुरंत कॉल किया –  
 
राहुल: "ओये, आज तू कॉलेज क्यों नहीं आई?"  
 
सपना: "तबीयत ठीक नहीं थी, सिर में दर्द था।"  
 
राहुल: "बता देती, मैं कुछ दवा-ववा लेकर आता।"  
 
सपना: "हाहाहा! तू डॉक्टर कब से बन गया?"  
 
लेकिन राहुल सच में उसे देखने के लिए उसके पीजी पहुँच गया। उसके हाथ में उसके फेवरेट मोमोज और चाय थी। सपना उसे देखकर चौंक गई –  
 
सपना: "ओ ताऊ, तू यहाँ कैसे?"  
 
राहुल: "तू मेरी इतनी अच्छी दोस्त है, तेरी तबीयत खराब हो और मैं देखने भी ना आऊं, ऐसा कैसे हो सकता है?"  
 
सपना चुप हो गई। उसे पहली बार राहुल की बातें अलग लगीं। कुछ ऐसा जिसे उसने पहले महसूस नहीं किया था।  
 
धीरे-धीरे, दोनों के बीच एक अलग तरह की समझदारी और नज़दीकी आ गई।  
 
एक दिन राहुल ने सपना को कॉल किया –  
 
राहुल: "सुन, आज शाम को मिल सकती है?"  
 
सपना: "क्यों? कुछ खास बात है?"  
 
राहुल: "बस मिल, फिर बताता हूँ।"  
 
शाम को दोनों कैंपस के गार्डन में मिले। हल्की बारिश हो रही थी, और ठंडी हवा बह रही थी। राहुल थोड़ा नर्वस लग रहा था।  
 
सपना: "ओए, क्या हुआ? आज तेरी जुबान क्यों लड़खड़ा रही है?"  
 
राहुल ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से बोला –  
 
राहुल: "सपना, मुझे लगता है, मैं तुझसे..."  
 
वह रुक गया।  
 
सपना मुस्कराई –  
 
सपना: "पूरा बोल, अर ना तो मैं फिर से वही हरियाणवी अंदाज में तेरी खिंचाई करूंगी!"  
 
राहुल ने गहरी सांस ली और कहा –  
 
राहुल: "मैं तुझसे बहुत प्यार करने लगा हूँ।"  
 
सपना ने उसकी ओर देखा। कुछ देर चुप रही, फिर धीरे से बोली –  
 
सपना: "और मैं कब से तेरा जवाब सुनने का इंतजार कर रही थी, बावले!"  
 
अब उनकी जिंदगी में प्यार की मिठास भी आ गई थी, लेकिन तकरार भी बनी रही।  
 
राहुल: "यार, तू हर चीज में इतनी देसी क्यों है?"  
 
सपना: "तो तू क्यों हर चीज में इतना स्टाइलिश है?"  
 
राहुल: "क्योंकि मैं दिल्ली वाला हूँ!"  
 
सपना: "और मैं हरियाणा की छोरी, जिसका जवाब नहीं!"  
 
उनकी नोंकझोंक अब भी जारी थी, लेकिन इस बार प्यार भरा तड़का भी था।  
 
एक दिन कॉलेज का कैंपस, लंच ब्रेक का समय। सपना अपने हरियाणवी अंदाज में कढ़ी-चावल खा रही थी, और राहुल पास बैठा उसे घूर रहा था।  
 
राहुल (हँसते हुए): "अरे यार, तुझे देखकर ऐसा लग रहा है जैसे तू किसी ढाबे पर बैठी है! तू चम्मच से खा सकती है, हाथ से क्यों खा रही है?"  
 
सपना (मुँह में कढ़ी का कौर डालते हुए): "ओ छोरे, खाने का असली मज़ा हाथ से ही आता है! तू ना, बस अंग्रेज बन के बैठा रह!"  
 
राहुल (मजाक उड़ाते हुए): "अच्छा, और ये बोल, तू रोज ऐसे ही बटर लगे परांठे खाती है? कोई सलाद-वलाद नहीं खाती फिट रहने के लिए?"  
 
सपना: "फिटनेस के नाम पर तेरा सूखा हुआ चेहरा देखकर ही मुझे भूख लग जाती है! परांठा खा ले तू भी, थोड़ा हट्टा-कट्टा दिखेगा!"  
 
राहुल ठहाका लगाकर हँस पड़ा।  
  
कैंटीन में सपना अपने दोस्तों से ठेठ हरियाणवी में बातें कर रही थी। राहुल दूर से सुन रहा था और हँसते हुए पास आया।  
 
राहुल: "ओ मैडम! ये कौन सी एलियन लैंग्वेज बोल रही थी तू?"  
 
सपना (भौहें चढ़ाकर): "हरियाणवी है, समझ आया के ना?"  
 
राहुल: "समझ तो कुछ नहीं आया, पर ऐसा लग रहा था जैसे तू किसी से कर्ज़ वापसी के लिए धमकी दे रही हो!"  
 
सपना: "ओए दिल्ली के नकली अंग्रेज, तू अपनी हिंग्लिश सँभाल! 'Like, dude, you know' टाइप की भाषा में बात करके खुद को कोहली समझता है?"  
 
राहुल: "ओहो! देखो भई, हमारी छोरी आज पूरे मूड में है!"  
  
एक दिन राहुल सपना के देसी पहनावे का मजाक उड़ा रहा था।  
 
राहुल: "यार, तू हमेशा ये सलवार-सूट ही क्यों पहनती है? थोड़ा जींस-टीशर्ट भी पहन लिया कर!"  
 
सपना: "तेरे लिए ना?"  
 
राहुल: "हाँ, मतलब थोड़ा स्टाइलिश लगेगी ना!"  
 
सपना (आँखें घुमाकर): "और तू धोती पहन के दिखा, मैं भी जींस पहन लूंगी!"  
 
राहुल सन्न रह गया। सपना की बात सुनकर उसके दोस्त ठहाके लगाने लगे।  
 
राहुल (बचाव में): "अरे यार, मैं मजाक कर रहा था!"  
 
सपना (मुस्कुराते हुए): "मजाक के मजाक में भी हरियाणवी छोरियाँ जवाब देना जानती हैं, समझा?"  
 
राहुल: "समझ गया, जय हरियाणा!"  
 
लड़ाई के बाद राहुल ने सपना को एक चॉकलेट दी और बोला –  
 
राहुल: "सॉरी यार, मैं बस मजाक कर रहा था। तेरा देसी अंदाज ही तुझे स्पेशल बनाता है।"  
 
सपना (चॉकलेट लेते हुए): "तू हमेशा ऐसे ही सिर खाएगा या कभी प्यार भी करेगा?"  
 
राहुल (हँसते हुए): "तेरी लड़ाई में भी प्यार ही छुपा है, समझी?"  
 
और दोनों फिर से हँस पड़े। उनका झगड़ा बस एक मीठी तकरार थी, जिसमें मजाक भी था, तकरार भी, और सबसे ज्यादा एक-दूसरे के लिए प्यार।
 
एक दिन कॉलेज की लाइब्रेरी में सपना बैठी थी । बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। सपना किताब पढ़ रही थी, और राहुल उसकी हर हरकत को चुपचाप देख रहा था। अचानक बिजली चमकी और सपना हल्का सा चौंक गई। राहुल मुस्कुरा उठा।  
 
राहुल (छेड़ते हुए): "ओए, तू इतनी बहादुर हरियाणवी छोरी और बिजली से डर गई?"  
 
सपना (गुस्से से): "डर मैं किसी से ना, पर तू पास आके चुपचाप ना देख, वरना सच में डर जाऊँगी!"  
 
राहुल हँसते हुए उसके और करीब आया, उसकी किताब से पेन उठाया और धीरे से सपना के हाथ पर रखा।  
 
राहुल: "तू डर मत, जब तक मैं हूँ, तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता, यहाँ तक कि ये बिजली भी!"  
 
सपना ने पहली बार राहुल की आँखों में एक अलग चमक देखी। उसने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा –  
 
सपना: "फालतू की बातें मत कर, चाय पिलाएगा तो ठीक लगेगा!"  
 
राहुल (हाथ पकड़ते हुए): "चाय भी मिलेगी और साथ भी, पर उसके लिए तू मेरे साथ चलेगी?"  
 
सपना ने कोई जवाब नहीं दिया, बस उसके हाथ को हल्के से थाम लिया।  
 
एक दिन राहुल अपनी बाइक लेकर आया और सपना को घुमाने ले गया। सपना पहले तो मना कर रही थी, लेकिन जब राहुल ने ज़िद की, तो वो मान गई।  
 
जैसे ही बाइक तेज़ हुई, सपना ने राहुल की कमर पकड़ ली।  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "ओहो! हरियाणा की छोरी डर गई?"  
 
सपना: "डरने की बात मत कर, गिराएगा तो कान पकड़कर उठक-बैठक करवा दूँगी!"  
 
राहुल ज़ोर से हँस पड़ा और बाइक थोड़ा और तेज़ चला दी। सपना ने ज़ोर से राहुल को पकड़ लिया और पहली बार राहुल को उसकी साँसें अपने कानों के पास महसूस हुईं।  
 
राहुल (धीमे से): "ऐसे ही पकड़ के रखना, वरना गिर गई तो तुझे उठाने के लिए मैं भी गिर जाऊँगा!"  
 
सपना ने हल्का सा उसके कंधे पर सिर रख दिया। राहुल मुस्कुराया और बाइक धीरे कर दी, ताकि ये पल लंबा चल सके।  
 
एक दिन सपना अपने पीजी की छत पर खड़ी थी, जब राहुल चुपके से वहाँ आ गया।  
 
राहुल: "क्या देख रही है?"  
 
सपना: "चाँद को!"  
 
राहुल: "अच्छा? पर चाँद तो मेरे सामने खड़ा है!"  
 
सपना ने उसे घूरा और बोली –  
 
सपना: "तू ना, बहुत फ़िल्मी होता जा रहा है!"  
 
राहुल: "तू कहे तो असली में भी रोमांटिक हो जाऊँ?"  
 
सपना मुस्कुरा दी और राहुल के करीब आ गई। हल्की हवा बह रही थी, और सपना की जुल्फ़ें उड़कर राहुल के चेहरे पर आ रही थीं। राहुल ने धीरे से सपना की ज़ुल्फों को हटाया और उसके चेहरे को हल्के से छू लिया।  
 
राहुल (धीमे से): "तेरे बिना ये चाँदनी रात अधूरी लगती है।"  
 
सपना ने उसकी आँखों में देखा और हल्का सा मुस्कुराकर बोली –  
 
सपना: "अगर इतनी ही पसंद हूँ, तो कभी छोड़कर तो नहीं जाएगा ना?"  
 
राहुल ने धीरे से उसका हाथ पकड़कर कहा –  
 
राहुल: "तू जहाँ, मैं वहाँ।"  
 
उस पल में दोनों को एहसास हुआ कि ये सिर्फ तकरार नहीं थी, बल्कि एक खूबसूरत प्यार की शुरुआत थी।  
  
कॉलेज से लौटते समय अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई। सपना भीगते हुए हँसने लगी, और राहुल उसे देखकर मुस्कुराने लगा।  
 
सपना (खुश होकर): "बारिश कितनी अच्छी लगती है ना?"  
 
राहुल (हाथ फैलाते हुए): "हाँ, पर तुझसे ज़्यादा नहीं!"  
 
सपना ने झट से राहुल के ऊपर पानी झटक दिया और भागने लगी। राहुल भी पीछा करने लगा। दोनों पार्क में भागते हुए हँस रहे थे। अचानक सपना का पैर फिसला और वह राहुल के ऊपर गिर पड़ी।  
 
दोनों की आँखें मिलीं, बारिश की बूँदें उनके चेहरों पर गिर रही थीं। राहुल ने धीरे से सपना के चेहरे से बारिश की बूँदें हटाईं और हल्के से बोला –  
 
राहुल: "अगर तू हमेशा ऐसे ही गिरती रही, तो मैं हमेशा तुझे पकड़ता रहूँगा!"  
 
सपना शरमा गई और धीरे से उठी, लेकिन राहुल ने उसका हाथ पकड़ लिया।  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "अब इतनी जल्दी भाग मत, मुझे तेरा साथ और चाहिए!"  
 
सपना ने हँसते हुए उसकी ओर पानी के छींटे मारे और बोली –  
 
सपना: "पहले पकड़ के दिखा, फिर साथ देना!"  
 
राहुल भी हँस पड़ा और दोनों फिर से बारिश में भागने लगे, प्यार की मिठास को महसूस करते हुए।  
  
कॉलेज फेस्टिवल की तैयारियाँ ज़ोरों पर थीं। सपना और राहुल दोनों ही अलग-अलग टीमों में थे। सपना इवेंट मैनेजमेंट देख रही थी, और राहुल परफॉर्मिंग आर्ट्स की टीम में था।  
 
एक मीटिंग के दौरान, सपना ने सुझाव दिया कि फेस्टिवल में एक पारंपरिक हरियाणवी नृत्य होना चाहिए।  
 
सपना: "हरियाणा का नाम भी तो रोशन होना चाहिए, थोड़ा कल्चर भी दिखाना जरूरी है।"  
 
राहुल (टोकते हुए): "हाँ, पर ऐसा भी नहीं कि पूरा फेस्टिवल गाँव का मेले जैसा लगे!"  
 
सपना ने राहुल को घूरा।  
 
सपना: "मतलब? गाँव का मेला तुझे कमतर लगता है?"  
 
राहुल: "अरे यार, मेरा वो मतलब नहीं था। मैं बस कह रहा था कि मॉडर्न टच भी होना चाहिए।"  
 
सपना (तेज़ आवाज़ में): "तेरे मॉडर्न टच से अच्छा मेरा देसी अंदाज है, राहुल!"  
 
पूरी टीम उनकी बहस देख रही थी। राहुल चुप रह गया, लेकिन उसकी आँखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। मीटिंग खत्म हुई, और दोनों बिना एक-दूसरे से बात किए चले गए।  
  
पहले जहाँ राहुल और सपना घंटों फोन पर बातें करते थे, अब बात करने का समय कम होता जा रहा था। दोनों ही अपनी-अपनी ज़िद में थे।  
 
एक दिन सपना ने राहुल को फोन किया।  
 
सपना: "आज पूरे दिन कॉल क्यों नहीं किया?"  
 
राहुल (ठंडे लहजे में): "तूने भी तो नहीं किया!"  
 
सपना: "मैंने सोचा, तू बिज़ी होगा…"  
 
राहुल: "तो मैं भी यही सोच सकता था, सपना।"  
 
दोनों चुप हो गए। पहले जहाँ उनकी बातें बिना रुके चलती थीं, अब खामोशी लंबी होती जा रही थी।  
  
एक दिन कॉलेज के बाद दोनों एक ही चाय की दुकान पर अक्सर मिला करते थे। पर अब सपना अकेले बैठी थी, राहुल नहीं आया।  
 
वह गुस्से में राहुल के पास गई।  
 
सपना: "क्या बात है, अब तू दिखता भी नहीं, कॉल भी नहीं करता?"  
 
राहुल: "यार, थोड़ा बिज़ी था, जरूरी काम थे।"  
 
सपना: "पहले तो कोई भी जरूरी काम नहीं था, जब मैं फोन करती थी तो छोड़कर बात करता था!"  
 
राहुल: "अब हर बार सब छोड़कर तेरी बातें ही सुनूँ?"  
 
सपना को झटका लगा। वह बिना कुछ कहे चली गई।  
  
कुछ दिन बाद सपना अपने एक क्लासमेट रवि के साथ कैंटीन में हँस-हँसकर बातें कर रही थी। राहुल दूर से देख रहा था।  
 
राहुल (मन ही मन): "तो अब इसे मेरी जरूरत नहीं रही?"  
 
उसने सपना को कॉल नहीं किया, न ही कोई मैसेज भेजा। वह जलन महसूस कर रहा था, लेकिन अपनी फीलिंग्स जाहिर नहीं कर सकता था।  
  
घर आकर सपना ने फोन उठाया और राहुल का नंबर डायल किया। घंटी बजती रही, लेकिन राहुल ने नहीं उठाया। सपना की आँखें भर आईं।  
 
सपना (खुद से): "पहले तू ही था जो घंटों कॉल करता था, और अब… अब तू एक कॉल तक नहीं उठा सकता?"  
 
उसने फोन तकिए के पास रख दिया और खुद को समझाने की कोशिश करने लगी कि शायद ये सिर्फ एक फेज़ है, लेकिन कहीं न कहीं उसे महसूस हो रहा था कि कुछ बदल गया है।  
 
एक दिन कॉलेज में सपना ने राहुल को पकड़ ही लिया।  
 
सपना: "कब तक ऐसे ही भागता रहेगा?"  
 
राहुल (गुस्से में): "मैं भाग नहीं रहा, सपना! मैं बस… अब थक चुका हूँ!"  
 
सपना: "थक चुका है या तेरा अहंकार तुझे रोक रहा है?"  
 
राहुल: "ओह प्लीज़! ये हरियाणवी अंदाज में जबरदस्ती का ताना मत मार!"  
 
सपना (आँखों में आँसू लिए): "राहुल, हमने एक-दूसरे से प्यार किया था या ये बस टाइमपास था?"  
 
राहुल पहली बार चुप हो गया। उसके पास कोई जवाब नहीं था। उस समय राहुल का जवाब ना पाकर सपना वापिस आ गई।
 
राहुल अपने कमरे में बैठा सपना के पुराने मैसेज पढ़ रहा था। उसकी तस्वीर देख रहा था, लेकिन मैसेज करने की हिम्मत नहीं हुई।  
 
दूसरी ओर, सपना अपनी छत पर खड़ी थी। उसने फोन उठाया और राहुल को मैसेज किया –  
 
"अगर तू सच में थक गया है, तो मैं तुझे और परेशान नहीं करूंगी। लेकिन याद रखना, प्यार कभी बोझ नहीं होता, राहुल।"  
 
राहुल ने मैसेज पढ़ा, पर जवाब नहीं दिया।  
  
दूरियाँ आ चुकी थीं, पर सवाल ये था। क्या उनका प्यार इन दूरियों से बड़ा था?
  
सपना के मैसेज को पढ़कर भी राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया। उसका मन कह रहा था कि उसे सपना से बात करनी चाहिए, लेकिन उसका अहंकार उसे रोक रहा था।  
 
राहुल (मन में): "अगर मैंने अभी बात कर ली, तो सपना सोचेगी कि मैं गलती मान रहा हूँ… और वैसे भी, गलती मेरी ही क्यों मानी जाए?"  
 
उधर, सपना ने जब देखा कि राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया, तो उसने फोन साइलेंट पर रख दिया और खुद को समझाने लगी कि शायद ये रिश्ता अब खत्म हो गया है।  
 
सपना (अपने आप से): "अगर इसे सच में मेरी परवाह होती, तो अब तक फोन आ गया होता…"  
 
पर दिल की गहराइयों में सपना जानती थी कि राहुल उससे प्यार करता है, बस अपने अहंकार के चलते कदम बढ़ाने से डर रहा है।  
  
राहुल पहले तो अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताने लगा, खुद को बिज़ी रखने की कोशिश कर रहा था। लेकिन जब भी कोई हरियाणवी गाना बजता, सपना की याद आ जाती।  
 
एक दिन राहुल कॉलेज के कैंपस में बैठा था, जब उसने सपना को रवि के साथ हँसते हुए देखा।  
 
राहुल (मन में): "क्या वो सच में खुश है मेरे बिना?"  
 
उसका दिल बैठ गया। उसे अहसास हुआ कि सपना की हँसी में अब वो मासूमियत नहीं थी, जो पहले हुआ करती थी। वो जबरदस्ती खुद को खुश दिखा रही थी।  
 
रात को राहुल अपने कमरे में बैठा सपना की पुरानी तस्वीरें देखने लगा। उसने पहली बार अपने अंदर झाँका और महसूस किया कि उससे गलती हो गई है।  
 
राहुल (खुद से): "मैंने ही तो उससे दूर जाने का फैसला किया था… पर मैं उससे दूर रह ही नहीं पा रहा।"  
  
अगले दिन राहुल सपना को कॉल करने की हिम्मत जुटा ही रहा था कि उसे कैंपस में सपना दिख गई।  
 
वो हिम्मत करके उसके पास गया।  
 
राहुल: "सपना, एक मिनट रुक… मुझे तुझसे बात करनी है।"  
 
सपना बिना देखे आगे बढ़ गई।  
 
राहुल (फिर से): "सपना, प्लीज, एक बार मेरी बात सुन ले।"  
 
सपना ने ठहरकर उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में गुस्सा और दर्द दोनों थे।  
 
सपना: "अब सुनाने के लिए रह क्या गया है, राहुल?"  
 
राहुल: "मैं… मैं जानता हूँ कि मैंने तुझे तकलीफ दी है। पर सच कहूँ तो, मैंने खुद को भी तकलीफ दी है।"  
 
सपना ने उसकी आँखों में देखा, फिर भी उसने खुद को मजबूत बनाए रखा।  
 
सपना: "तो अब क्या चाहता है? माफी?"  
 
राहुल: "सिर्फ माफी नहीं… तुझे वापस।"  
 
सपना का दिल पिघलने लगा, लेकिन उसने खुद को रोकते हुए कहा –  
 
सपना: "और फिर से जब अहंकार आ जाएगा, तो क्या करेगा?"  
 
राहुल (गहरी साँस लेकर): "मैं वादा करता हूँ कि इस बार तू चाहे जितना भी लड़ ले, तुझे मनाने के लिए हर बार सबसे पहले मैं आऊँगा।"  
 
सपना का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।  
  
सपना ने उसे देखते हुए एक शर्त रखी।  
 
सपना: "अगर तुझे सच में अपनी गलती का अहसास हुआ है, तो मुझे साबित करके दिखा कि तू इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है।"  
 
राहुल (हैरान होकर): "कैसे?"  
 
सपना (मुस्कुराते हुए): "तू कॉलेज के फाइनल इवेंट में सबके सामने बोलेगा कि तूने मुझे कितना मिस किया और तुझे मुझसे कितना प्यार है।"  
 
राहुल को झटका लगा।  
 
राहुल: "पूरा कॉलेज? सबके सामने?"  
 
सपना: "हिम्मत है तो कर, नहीं तो मत कर।"  
 
राहुल थोड़ा घबराया, पर फिर मुस्कुरा दिया।  
  
फाइनल इवेंट के दिन, स्टेज पर राहुल ने माइक उठाया।  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "आज मैं एक ऐसी लड़की के बारे में बोलना चाहता हूँ, जिसने मुझे सिखाया कि प्यार जीतने से ज्यादा निभाने की चीज़ होती है।"  
 
पूरे हॉल में खामोशी छा गई। सपना भी अचरज में थी।  
 
राहुल: "मैंने उससे प्यार किया, फिर अपनी ज़िद और अहंकार में उसे खो दिया। और जब वो मुझसे दूर हुई, तब मुझे अहसास हुआ कि मैं उसके बिना अधूरा हूँ।"  
 
सपना की आँखें भर आईं।  
 
राहुल (सपना की ओर देखते हुए): "सपना, मैं तुझसे हर दिन लड़ सकता हूँ, पर तुझसे दूर नहीं रह सकता। तू ही मेरी सबसे बड़ी तकरार और सबसे बड़ा प्यार है।"  
 
पूरे हॉल में तालियाँ गूँजने लगीं। सपना की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन ये आँसू खुशी के थे।  
 
  
इवेंट के बाद सपना ने राहुल को देखा और धीरे से कहा–  
 
सपना: "इतनी हिम्मत तो मुझे भी तुझसे उम्मीद नहीं थी!"  
 
राहुल मुस्कुराया और उसके पास आकर धीरे से बोला–  
 
राहुल: "अब भी तुझमें यकीन दिलाने की ज़रूरत है, या तू मेरे साथ चाय पीने चलेगी?"  
 
सपना हल्का सा हँस दी और बोली –  
 
सपना: "चाय के साथ परांठे भी चाहिए!"  
 
राहुल (हँसते हुए): "तू जहाँ, तेरी हर चीज़ वहीं!"  
 
सपना मुस्कुराई और राहुल का हाथ थाम लिया। उनके बीच की दूरियाँ मिट चुकी थीं, और अब उनकी कहानी एक नए, खूबसूरत अध्याय की ओर बढ़ रही थी। प्यार के साथ, तकरार के साथ, और एक-दूसरे की सच्ची परवाह के साथ।
 
राहुल और सपना के बीच सबकुछ फिर से ठीक हो गया था। दोनों रोज़ मिलते, चाय पीते, हँसी-मज़ाक करते और छोटे-छोटे झगड़ों में भी प्यार खोज लेते।  
 
लेकिन एक दिन, सपना अचानक कॉलेज नहीं आई। राहुल ने पहले सोचा कि वो किसी काम में बिज़ी होगी, लेकिन जब पूरा दिन निकल गया और सपना का कोई कॉल या मैसेज नहीं आया, तो उसे अजीब लगने लगा।  
 
रात को उसने सपना को फोन किया, लेकिन उसका नंबर स्विच ऑफ था।  
 
राहुल (मन में): "ये क्या माजरा है? बिना बताए कहाँ चली गई?"  
 
अगले दिन भी सपना कॉलेज नहीं आई। राहुल अब सच में परेशान हो चुका था। उसने सपना की रूममेट नेहा से पूछा –  
 
राहुल: "नेहा, सपना कहाँ है?"  
 
नेहा: "अरे, उसे पता नहीं क्या हुआ, अचानक रात में बैग पैक किया और बोलकर चली गई कि उसे गाँव जाना है।"  
 
राहुल (हैरानी से): "गाँव? पर क्यों?"  
 
नेहा: "ये तो मुझे भी नहीं पता। उसने कुछ बताया ही नहीं!"  
 
राहुल को यकीन नहीं हुआ। सपना उसे बिना बताए कैसे जा सकती थी? उसने फिर से कॉल लगाने की कोशिश की, लेकिन फोन अब भी बंद था।  
 
राहुल को अब सपना की कमी खलने लगी थी। जब वो आसपास होती थी, तो उसकी मौजूदगी की अहमियत शायद कम लगती थी, लेकिन अब जब वो अचानक चली गई, तो उसे एहसास हुआ कि उसकी जिंदगी का हर छोटा-बड़ा पल सपना से जुड़ा हुआ था।  
 
कॉलेज की कैंटीन में चाय पीते हुए वो सपना की खाली कुर्सी को देखता। लाइब्रेरी में उसकी पसंदीदा सीट खाली रहती। और जब भी कोई हरियाणवी गाना बजता, तो उसे सपना की खिलखिलाती हँसी याद आ जाती।  
 
राहुल (खुद से): "तूने मुझे बताया तक नहीं, सपना… आखिर बात क्या थी?"  
  
राहुल ने सपना के गाँव जाने की बात किसी को नहीं बताई, लेकिन अंदर से बेचैन था। एक दिन वो कैंपस के गार्डन में बैठा था, जब नेहा उसके पास आई।  
 
नेहा: "तू उदास क्यों रहता है? सपना के बिना रह नहीं सकता?"  
 
राहुल (हल्की मुस्कान के साथ): "मुझे लगता था कि मैं रह लूँगा… पर अब लग रहा है कि नहीं रह सकता।"  
 
नेहा ने एक गहरी साँस ली और धीरे से कहा –  
 
नेहा: "अगर इतना ही परेशान है, तो उसके गाँव क्यों नहीं चला जाता?"  
 
राहुल को जैसे रास्ता मिल गया।  
 
राहुल ने तुरंत सपना के गाँव का पता निकाला। उसे बस इतना पता था कि सपना हरियाणा के जींद जिले के एक गाँव से थी।  
 
उसने इंटरनेट पर गाँव के बारे में सर्च किया, और फिर बिना किसी को बताए एक बैग पैक किया और हरियाणा के लिए निकल पड़ा।  
 
बस में बैठते ही उसके दिमाग में कई सवाल चल रहे थे।  
 
- सपना अचानक क्यों चली गई?  
- कहीं उसे कोई परेशानी तो नहीं हो गई?  
- क्या वो मुझसे दूर होना चाहती थी?  
 
लेकिन जो भी हो, वो बिना उससे मिले वापस नहीं लौटने वाला था।  
  
गाँव पहुँचने के बाद राहुल ने सबसे पहले एक दुकान पर सपना के बारे में पूछा।  
 
राहुल: "भाईसाहब, सपना… सपना चौधरी नहीं, सपना मलिक! यहीं की रहने वाली है, जानते हैं आप?"  
 
दुकानदार हँस पड़ा।  
 
दुकानदार: "अरे हाँ, सपना मलिक तो हमारी गाँव की छोरी है। वो तो आज चौपाल पर गई थी अपनी दादी के साथ।"  
 
राहुल चौपाल की तरफ बढ़ा, और दूर से ही उसने सपना को देखा। वह सफेद सूट पहने अपनी दादी के पास बैठी थी, और हँस-हँसकर बात कर रही थी।  
 
पर ये हँसी वैसी नहीं थी, जैसी राहुल के साथ हुआ करती थी।  
 
राहुल को देखकर सपना की हँसी अचानक रुक गई। उसे यकीन ही नहीं हुआ कि राहुल उसके गाँव तक आ जाएगा।  
 
सपना (हैरानी से): "तू… तू यहाँ कैसे?"  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "ऐसे ही घूमने आया था, सोचा तेरे गाँव की मिट्टी भी देख लूँ!"  
 
सपना खड़ी हो गई और राहुल को एक तरफ ले गई।  
 
सपना (गुस्से से): "तू यहाँ क्यों आया है, राहुल?"  


 अब तक आपने पढ़ा कि राहुल और सपना के बीच काफी तकरार और लड़ाइयां हुई लेकिन उन दोनों के प्यार ने एक दूसरे को आपस में बांधे रखा। उनकी जिंदगी में सब सही चल ही रहा था कि सपना बिना राहुल को कुछ बताएं अपने गांव चली गई जिससे राहुल परेशान रहने लगा। तब सपना की फ्रेंड नेहा ने राहुल को सपना के गांव जाने का आइडिया दिया। नेहा की बात मानकर राहुल फौरन सपना के गांव के लिए निकल गया। अब वो दोनों आमने सामने खड़े थे ।
अब आगे:
सपना (गुस्से से): "तू यहाँ क्यों आया है, राहुल?"  
 
राहुल: "क्या तू सच में नहीं जानती?"  
 
सपना चुप हो गई।  
 
राहुल ने गहरी साँस ली और सपना की आँखों में देखा।  
 
राहुल: "तू बिना बताए चली गई, सपना… मुझे एक बार बता तो देती कि क्या हुआ?"  
 
सपना की आँखें नम हो गईं। उसने धीरे से कहा –  
 
सपना: "मुझे पापा ने बुलाया था राहुल… घर में कुछ परेशानियाँ थीं। मैं नहीं चाहती थी कि तुझे फालतू टेंशन दूँ।"  
 
राहुल को अब समझ आया कि सपना ने उसे क्यों नहीं बताया।  
 
राहुल: "पर तू ये क्यों सोचती है कि तेरा दर्द सिर्फ तेरा है? अगर हम साथ हैं, तो मुझे भी जानने का हक़ है ना?"  
 
सपना ने पहली बार उसकी बात पर गहराई से सोचा।  
 
राहुल और सपना गाँव की गलियों में साथ घूमे। राहुल ने पहली बार असली हरियाणवी माहौल महसूस किया – चौपाल, लस्सी, और हर तरफ खेत।  
 
चलते-चलते राहुल ने सपना का हाथ पकड़ लिया।  
 
राहुल: "अब दोबारा ऐसे बिना बताए मत जाना, वरना मैं पूरे गाँव को सिर पर उठा लूँगा!"  
 
सपना हँस दी और बोली –  
 
सपना: "पगला गया है क्या? पूरा गाँव मुझे चिढ़ाएगा!"  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "तो चिढ़ाने दे, पर तू अब दूर नहीं जाएगी!"  
 
सपना की आँखों में प्यार झलक रहा था। उसने हल्के से अपना सिर राहुल के कंधे पर रख दिया।  
 
गाँव की गलियों में घूमने के बाद सपना को अहसास हुआ कि अब राहुल को उसके परिवार से मिलवाना ही पड़ेगा। वो उसे लेकर अपने घर की तरफ बढ़ी।  
 
घर के बाहर चौपाल जैसी बड़ी सी खाट पड़ी थी, जिस पर सपना के ताऊजी, पापा और दादा बैठे थे। ताईजी और बाकी औरतें अंदर चौके में काम कर रही थीं।  
 
जैसे ही सपना राहुल को लेकर पहुँची, ताऊजी ने आँखें तरेर लीं।  
 
ताऊजी (गहरी आवाज़ में): "राम-राम, सपना! यो छोरा के है तेरा पाछे-पाछे?"  
 
सपना घबरा गई, लेकिन राहुल पूरी ठसक में खड़ा था।  
 
सपना: "ताऊजी, यो राहुल सै… मेरा सै।"  
 
ताऊजी ने आँखें छोटी करके राहुल को ऊपर से नीचे तक देखा और फिर सपना से बोले –  
 
ताऊजी: "तेरा सै? अर्रै यो के बात होई? घणी ठेठ बोले सै!"  
 
राहुल समझ गया कि मामला थोड़ा तगड़ा है, पर उसने खुद को संभाले रखा और हाथ जोड़कर बोला –  
 
राहुल: "राम-राम, ताऊजी! के हाल चाल?"  
 
दादा (हाथ में हुक्का पकड़ते हुए): "कहाँ का सै तू?"  
 
राहुल: "दिल्ली का सै, दादा जी!"  
 
इतना सुनते ही ताऊजी ने तिरछी नजरों से सपना को देखा।  
 
ताऊजी: "अर्रै सपना, दिल्ली वाला छोरा? अर गाँव में इतने छोररे थे, यो ही मिला?"  
 
सपना झेंप गई, लेकिन राहुल को मज़ा आ रहा था। उसने हिम्मत करके कहा –  
 
राहुल: "ताऊजी, दिल्ली का हूँ, पर दिल पक्का देसी सै!"  
 
दादा (हँसते हुए): "ओहो! मनै लागे है छोरा देसी रंग में रंगण की कोशिश कर रहा सै।"  
 
इतने में सपना की ताईजी अंदर से आ गईं।  
 
ताईजी: "किते का छोरा सै रे?"  
 
सपना (धीरे से): "दिल्ली का सै, ताईजी।"  
 
ताईजी (हैरानी से): "दिल्ली का! अर्रै सपना, यो किस्सा कब हो गया? घर में बताइये बिना? तेरी अम्मा जाणे सै?"  
 
सपना चुप हो गई। तभी उसकी माँ भी बाहर आ गईं।  
 
माँ (सपना को घूरते हुए): "यो के नवा तमाशा सै? बिना पूछे लड़का लिया आई?"  
 
राहुल ने माँ के तेवर देखे और तुरंत आगे बढ़कर बोला–  
 
राहुल: "आंटीजी, राम-राम! मनै माफ करयो, बिना बताए आया पर सपना बिना बोले गाँव आ गई, तो सोचा देख लूँ के सब ठीक सै या कोणी।"  
 
माँ ने उसे ध्यान से देखा और फिर सपना से बोलीं –  
 
माँ: "यो ध्यान राखे सै तेरे पे?!"  
 
सपना ने धीरे से सिर हिलाया।  
 
दादा (हुक्का खींचते हुए): "अच्छा छोरा, तने दूध-दही खाणा पसंद सै के बर्गर-पीजा?"  
 
राहुल (मुस्कुराते हुए): "दादा जी, दूध-दही, मट्ठा, और बाजरे की रोटी, सब पसंद सै!"  
 
ताईजी (हँसते हुए): "हम्म… चालाक सै छोरा!"  
  
इतने में सपना का छोटा भाई वीर दौड़ता हुआ आया और राहुल को घूरने लगा।  
 
वीर: "यो तू ही सै दिल्ली वाला जीजू?"  
 
पूरे घर में हँसी गूँज गई। सपना ने वीर को घूरा, लेकिन राहुल ने मुस्कुरा दिया।  
 
राहुल: "हाँ भाई, तेरे जीजू के नाम का टैटू बनवाना है?"  
 
वीर हँसने लगा, पर ताऊजी अब भी गंभीर थे।  
 
ताऊजी: "देख छोरे, हरियाणा के छोरियाँ मजबूत सै, अर्रै हम इनके खातिर जान भी दे दें! तू सपना का सच्चा साथ देगा के मज़ाक सै?"  
 
राहुल ने सीधे ताऊजी की आँखों में देखा और कहा –  
 
राहुल: "ताऊजी, सपना मेरी जान सै, और यो रिश्ता मेरे लिए मज़ाक ना सै। मैं ता दिल से सपना नै पसंद करूं, अर उसके खातिर कुछ भी कर सकूं!"  
 
दादा ने सिर हिलाया और कहा –  
 
दादा: "देख भाई, बात तो सैरी ठीक, पर यो देख्या जाएगा तन्ने हरियाणवी टेस्ट पास करैगा के ना!"  
 
राहुल (हैरान होकर): "के टेस्ट, दादा जी?"  
 
ताऊजी (मुस्कुराते हुए): "आज तू सपने की मम्मी के हाथ की बाजरे की रोटी खाएगा और दही भी पीएगा, अगर तू सच्चा देसी सै, तो सब चट कर जाएगा!"  
 
राहुल को ये टेस्ट पसंद आया।  
 
राहुल (हँसते हुए): "चिंता मत करो ताऊजी, दो-दो रोटी खा जाऊँगा!"  
 
सपना हँस दी और बोली –  
 
सपना: "फिर देखूँगी तेरा सिटी वाला स्टाइल!"  
  
शाम को जब राहुल ने बाजरे की रोटी, मक्खन और दही खाया, तो सब देखकर खुश हो गए।  
 
दादा (हँसते हुए): "ओहो! छोरा तो असल में देसी निकळ्या!"  
 
माँ: "अच्छा सुन, सपने का ख्याल रखेगा?"  
 
राहुल (गंभीर होते हुए): "आंटी, सपना मेरी जिम्मेदारी सै। मैं इस नै हमेशा खुश राखूंगा।"  
 
माँ की आँखों में खुशी झलक गई।  
 
ताऊजी: "तो फेर ठीक सै, पर एक बात याद राख! सपना पे आंच आई तो तेरा दिल्ली भी ना बच पाएगा!"  
 
पूरे घर में हँसी गूँज गई, और सपना राहुल को देखकर मुस्कुरा दी। उसे यकीन हो गया था कि अब उसका परिवार राहुल को अपना चुका था।  
 
गाँव की इस मुलाकात के बाद, राहुल सिर्फ सपना का नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार का दुलारा बन चुका था!
 
गाँव में राहुल ने सपना के परिवार को मनवा लिया था, लेकिन असली इम्तिहान अभी बाकी था। सपना की मुलाकात राहुल के दिल्ली वाले परिवार से जो करवानी थी!  
 
राहुल का परिवार ठेठ दिल्ली वाला था – थोड़े मॉडर्न, थोड़े ठेठ पंजाबी स्टाइल के। उसके पापा बिज़नेस मैन, मम्मी घर संभालने वाली सख्त लेकिन दिल की नरम, और छोटी बहन रिया थी, जो पूरी दिल्ली की स्टाइल क्वीन थी।  
 
जब सपना पहली बार राहुल के घर पहुँची, तो उसे दिल्ली की रफ़्तार से थोड़ा डर सा लगा, लेकिन अंदर से वो निडर थी।  
 
सपना (मन में): "चल सपना, तू गाँव की छोरी सै, किसे से भी दबेगी कोनी!"  
  
दरवाज़ा खुला, और सामने राहुल की मम्मी खड़ी थीं। गोल्डन बॉर्डर वाली साड़ी पहने, हल्का सा मेकअप, और आँखों में एक माँ वाली जाँच परखने वाली नजर!  
 
मम्मी (थोड़ा सख्त लहजे में): "तो तू ही है सपना?"  
 
सपना (मुस्कुराते हुए, हाथ जोड़कर): "राम-राम, आंटी जी!"  
 
मम्मी ने हल्की मुस्कान दी, पर तुरंत बोलीं –  
 
मम्मी: "राम-राम तो ठीक सै, पर राहुल से मिलकै कित्ते दिन हो गए?"  
 
सपना थोड़ा घबरा गई, पर फिर सँभलकर बोली –  
 
सपना: "जी, 2 साल से जानूँ सै इसे… अर अब तो अपने जैस्सा लागे सै!"  
 
मम्मी ने आँखें छोटी कर लीं। जैसे कोई सस्पेंस खोलने वाली हों।  
 
मम्मी: "अपने जैस्सा? मतलब?"  
 
राहुल (बीच में कूदते हुए): "मम्मी, सपना का मतलब था कि हम एक-दूजे को अच्छे से जान गए हैं!"  
 
मम्मी ने सिर हिलाया और बोलीं –  
 
मम्मी: "अच्छा ठीक सै, अंदर आजा। चाय पीएगी?"  
 
सपना (मुस्कुराते हुए): "अगर घर में लस्सी हो तो बढ़िया रहेगा!"  
 
मम्मी हल्का सा मुस्काईं – पहली बार सपना ने उनके दिल में जगह बनाई!  
 
इतने में राहुल की छोटी बहन रिया नीचे उतरी। पूरी दिल्ली की स्टाइल में। जींस, टॉप और हाथ में मोबाइल, इंस्टाग्राम पर स्क्रॉल करते हुए!  
 
रिया (तेज़ आवाज़ में): "ओ भाई! ये भाभी सै?"  
 
सपना ने मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा।  
 
सपना: "हाँ, तू भी पक्का ससुराल वाली भाभी लागे सै!"  
 
रिया चौंकी – दिल्ली वाली ठसक के आगे ये देसी तड़का अलग ही था!  
 
रिया: "भाभी, हरियाणा से हो ना?"  
 
सपना: "हाँ जी, पर तन्ने कैसे पता लाग्या?"  
 
रिया (हँसते हुए): "अरे जब तूने राम-राम कहा ना, तभी समझ गई!"  
 
सब हँसने लगे। रिया ने सपना का हाथ पकड़ लिया –  
 
रिया: "चलो भाभी, आपको पहले घर घुमा दूं!"  
 
सपना मुस्कुराई – राहुल की बहन ने उसे अपनाना शुरू कर दिया था।  
 
थोड़ी देर बाद राहुल के पापा आए। सूट-बूट पहने, अख़बार हाथ में और आँखों में वही बिज़नेस वाले आदमी की गंभीरता!  
 
उन्होंने सपना को देखा और बोले –  
 
पापा: "तो तुम हो राहुल की पसंद?"  
 
सपना ने तुरंत हाथ जोड़कर कहा –  
 
सपना: "जी अंकल, राम-राम!"  
 
पापा ने अख़बार नीचे रखा और राहुल को घूरा।  
 
पापा: "तूने बताया था कि सपना गाँव से है, पर ये तो बड़ी स्मार्ट लग रही है!"  
 
सपना हल्का सा हँसी और बोली –  
 
सपना: "गाँव की छोरी सै, पर अक्कल में किसी से कम कोनी!"  
 
पापा ने हल्की मुस्कान दी। राहुल को ये देखकर तसल्ली हुई कि सपना उनके सामने भी बिना झिझक बात कर रही थी।  
  
डिनर के दौरान सपना ने पूरी देसी स्टाइल में खाना खाया – रोटी हाथ से तोड़कर, घी से चुपड़कर और चटनी के साथ मज़े लेकर।  
 
राहुल की मम्मी ने देखा और मुस्कुराई –  
 
मम्मी: "बेटा, तू तो पूरा पंजाबी खाना खा रही है!"  
 
सपना (हँसते हुए): "मम्मी जी, हरियाणा के बिना पंजाबी अधूरे सै!"  
 
इतना सुनते ही पापा, मम्मी और रिया सब हँस पड़े।  
 
राहुल ने सपना की तरफ देखा। उसकी देसी अदाएँ और बिंदास अंदाज़ ने पूरे घर को जीत लिया था।  
  
रात को जब सब अपने कमरे में चले गए, राहुल और सपना बालकनी में खड़े थे।  
 
राहुल: "तो कैसा लगा मेरा दिल्ली वाला परिवार?"  
 
सपना: "बिलकुल तेरे जैसा – थोड़े अक्खड़, थोड़े मॉडर्न, और दिल के पूरे सोने जैसे!"  
 
राहुल हँस दिया और धीरे से सपना का हाथ पकड़ लिया।  
 
राहुल: "अब दोनों परिवार मान गए, तो शादी की डेट फिक्स कर दें?"  
 
सपना शरमा गई और बोली –  
 
सपना: "थोड़ा इंतजार कर ले, दिल्ली वाला छोरे! प्यार का मज़ा धीरे-धीरे लेना चाहिए!"  
 
राहुल ने हँसकर उसे गले लगा लिया।  
 
अब दिल्ली और हरियाणा का ये प्यार पूरी तरह से मंज़िल की तरफ बढ़ चुका था – दो दिल, दो परिवार, और एक दिलचस्प लव स्टोरी!
 
***
 
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