Ek Ladki sabke saath wo Sab Karti - 2 in Hindi Women Focused by Rakesh books and stories PDF | एक लड़की सबके साथ वो सब करती - 2

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एक लड़की सबके साथ वो सब करती - 2

16 में उसकी मां ने कहा —  
"चुप रह, इज्ज़त चली जाएगी।"  
और नैना ने समझ लिया कि इज्ज़त औरत की नहीं, उसके शरीर की होती है।

17 में जब उसके बॉयफ्रेंड ने नशे में उसके साथ रेप किया, तो उसने सिर्फ एक बात सीखी —  
"जिससे प्यार करो, वही सबसे पहले नोचता है।"

19 में जब उसकी सहेली ने उसके सामने एक बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी — क्योंकि उसके बॉस ने उसकी वीडियो वायरल कर दी थी —  
तो नैना ने कसम खा ली।

"अब और कोई नहीं मरेगा। अब मैं मरूंगी सबके लिए।"

और वहीं से शुरू हुई 'नैना की रातें'।

---

दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में, होटल रूम नंबर 407 की लाइट हर शुक्रवार जलती थी।  
और हर शुक्रवार, वहां कोई बड़ा नाम आता था — नेता, बिजनेसमैन, पुलिस अफसर, जज… कोई भी।

नैना अपने जिस्म को हथियार बना चुकी थी।  
वो उनके सामने झुकती नहीं थी —  
उन्हें अपने सामने झुकवाती थी।

वो सब कुछ करती थी —  
हर गुनाह, हर पाप, हर नीच हरकत — जो किसी और लड़की को नहीं करनी चाहिए।

पर करती क्यों थी?

"ताकि मैं हर हैवान का चेहरा कैमरे में कैद कर सकूं।"

उसके पास एक पूरा 'ब्लैक रूम' था —  
जहां वो हर आदमी की असलियत रखती थी।  
वीडियो, ऑडियो, डियने सैंपल, खून के धब्बे तक।

उसके पास देश के 56 नामी चेहरों के राज़ थे।

एक बार एक नेता ने उसकी बहन को उठाने की धमकी दी।  
उस रात नैना ने उसके साथ 'वो सब' किया —  
लेकिन सुबह वो नेता लटकता मिला अपने बंगले की छत से।

और उसके पास एक चिट्ठी —  
"मैंने नैना को सिर्फ इंसान समझा।  
गलती थी। वो तो काल थी।"

---

अब नैना को कोई प्यार नहीं करता था,  
पर कोई उसे छूने की हिम्मत भी नहीं करता था।

क्योंकि सब जानते थे —  
"जिसने उसे छुआ, वो खत्म हो गया।"

वो लड़की जो सबके साथ वो सब करती है —  
असल में वही अकेली है जो सबको नंगा करती है।









"मैंने सबको तोड़ दिया था…  
पर अब कोई आया है, जो मुझे तोड़ने आया है।"

अध्याय: शिकार अब खुद शिकारी बन गया है।

एक रात, जब नैना रूटीन की तरह होटल 407 में पहुँची — सब कुछ बदल गया।

कमरा खाली था।  
कोई कस्टमर नहीं।  
केवल एक लिफाफा टेबल पर रखा था — उस पर सिर्फ लिखा था:  
“मैं जानता हूँ, तुम क्या करती हो। अब बारी मेरी है।”

नैना को पहली बार डर लगा।  
उसका दिल धड़क उठा।  
CCTV चेक किया — फीड गायब थी।  
लिफाफे में एक चॉकलेट थी — डार्क चॉकलेट, जिसे नैना बचपन में खाती थी, जब उसकी मां ज़िंदा थी।

और उसके साथ एक फोटो — नैना 6 साल की, स्कूल यूनिफॉर्म में।

"ये तस्वीर किसी के पास नहीं हो सकती… कोई बहुत अंदर तक गया है…"  
नैना ने बुदबुदाया।

वो समझ चुकी थी —  
अब कोई ऐसा दुश्मन सामने है जो उसके अतीत से जुड़ा है।  
जो जानता है कि नैना सिर्फ एक नाम नहीं है —  
बल्कि एक कहानी है, एक घाव है, एक आत्मा है जो हर रात एक बदला लेती है।

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तीन दिन बाद…

उसके ब्लैक रूम में आग लग चुकी थी।

सब फूटेज, सब सबूत, सब कुछ जल गया।

केवल एक कोना बचा था — जिसमें एक दीवार पर किसी ने खून से लिखा था:

"तुमने 56 शिकार किए,  
अब मैं तुम्हारा 57वां बनूंगा —  
पर उल्टा।"

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नैना अब टूटने लगी थी।  
उसके फोन पर अननोन नंबर से रोज़ रात एक कॉल आता —  
कोई बोलता नहीं, बस वही गाना बजता जिसे नैना की मां गुनगुनाती थी:  
"लोरी… चंदा मामा दूर के…"

वो पागल हो रही थी…  
या फिर उसे पागल किया जा रहा था?

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अंत में, नैना ने फैसला किया।

"जिसने भी मेरी रूह को छुने की हिम्मत की है —  
अब मैं उसकी हड्डियाँ भी नहीं छोड़ूंगी।"

और वहीं से शुरू हुआ —  
नैना बनाम अनदेखा शिकारी।