love is a deception in Hindi Love Stories by saif Ansari books and stories PDF | इश्क एक धोखा

Featured Books
Categories
Share

इश्क एक धोखा

आगरा की एक शाम थी, जब सबाना की निगाहें साहिल से टकराईं। मेहताब बाग़ की दीवारों से ताजमहल का मंज़र धुंधला सा दिख रहा था, लेकिन सबाना की आँखों में एक चमक थी, जो साहिल ने दूर से ही महसूस की। सबाना, अपनी सहेलियों के साथ हंस रही थी, उसके बालों से शाम की हवा खेल रही थी। साहिल, अपने दोस्तों के साथ उस तरफ आ रहा था, जब उसकी नज़र सबाना पर पड़ी।
कुछ लम्हों के लिए, जैसे वक़्त थम गया। सबाना की बड़ी, काजल से सजी आँखें साहिल को अपनी जानिब खींच रही थीं। उन आँखों में एक गहराई थी, एक राज़ था जिसे साहिल जानना चाहता था। सबाना की हंसी, जो उस पल हवा में घुल रही थी, साहिल के कानों में एक नग़मे की तरह बज रही थी।
साहिल के कदम खुद ब खुद उस तरफ बढ़ गए। उसके दोस्तों ने उसे आवाज़ दी, लेकिन उसका ध्यान सिर्फ सबाना पर था। जब वो सबाना के क़रीब पहुंचा, तो उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई। सबाना ने भी उसकी तरफ देखा, और उसकी हंसी हल्की सी थम गई। उनकी नज़रें एक दूसरे से बंध गईं, जैसे कोई पुराना रिश्ता आज फिर से जुड़ रहा हो।
सबाना के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट आई, जो साहिल के दिल में उतर गई। उस मुस्कराहट में एक मासूमियत थी, एक शर्म थी, और एक गहरा एहसास था जो साहिल समझ नहीं पा रहा था। साहिल ने कभी किसी को इस तरह नहीं देखा था। सबाना की हर चीज़ उसके लिए नई और दिलकश थी।
उस शाम, मेहताब बाग़ की हवा में कुछ खास था। ताजमहल की सफेदी चांदनी में और चमक रही थी, और सबाना और साहिल की आँखों में एक कहानी शुरू हो रही थी। बिना किसी बात के, बिना किसी मुलाक़ात के, उनकी नज़रों ने एक रिश्ता बना लिया था, एक ऐसा रिश्ता जो शायद उनकी ज़िन्दगी बदलने वाला था।
साहिल ने हिम्मत करके सबाना से बात करने की सोची, लेकिन उसके पास अल्फ़ाज़ नहीं थे। सबाना की मौजूदगी ही उस पर इतना असर कर रही थी कि वो कुछ कह नहीं पा रहा था। सबाना की सहेलियों ने उसे आवाज़ दी, और वो एक पल के लिए साहिल से नज़रें हटा कर उनकी तरफ मुड़ गई। उस लम्हे में, साहिल को लगा जैसे उसने कुछ खो दिया हो।

भाग1: अनकही बातें
सबाना अपनी सहेलियों की तरफ मुड़ी, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार साहिल की ओर जा रही थीं। साहिल अब भी वहीं खड़ा था, उसे देखता हुआ। उसकी आँखों में एक सवाल था, एक चाहत थी। सबाना के दिल में भी कुछ हलचल हो रही थी। उसने कभी किसी अजनबी को इस तरह नहीं देखा था, जिसने उसे इतना बेचैन कर दिया हो।
उसकी एक सहेली ने उससे कुछ कहा, और सबाना को मजबूरन अपनी सहेलियों के साथ आगे बढ़ना पड़ा। चलते-चलते भी उसकी नज़रें साहिल को ढूंढ रही थीं। साहिल भी अपनी जगह से नहीं हिला था, जैसे पत्थर की मूरत बन गया हो। जब सबाना और उसकी सहेलियाँ नज़रों से ओझल हो गईं, तो साहिल ने एक गहरी साँस ली। उस शाम की मुलाकात उसके दिल पर एक गहरी छाप छोड़ गई थी।

भाग 2: इत्तेफाक या किस्मत?
अगले कुछ दिनों तक साहिल के ज़हन में सिर्फ सबाना का चेहरा घूमता रहा। उसने अपने दोस्तों से उसके बारे में पता करने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई जानकारी नहीं मिल पाई। उसे लगने लगा था कि शायद वो उस लड़की को दोबारा कभी नहीं देख पाएगा।
एक शाम, साहिल अपने दोस्त के साथ आगरा के मशहूर सदर बाज़ार में घूम रहा था। भीड़भाड़ और शोरगुल के बीच अचानक उसकी नज़रें एक जानी-पहचानी चेहरे पर पड़ीं। वो सबाना थी, कुछ खरीदारी कर रही थी। साहिल का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। ये महज़ एक इत्तेफाक था या किस्मत का इशारा, वो समझ नहीं पा रहा था।
भाग
3: मुलाक़ात की शुरुआत
साहिल ने हिम्मत करके सबाना के पास जाने का फैसला किया। वो थोड़ा घबराया हुआ था, लेकिन उस अनजानी कशिश ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दी। जब वो सबाना के क़रीब पहुंचा, तो उसने धीरे से आवाज़ दी, "एक्सक्यूज़ मी?"
सबाना मुड़ी और साहिल को देखकर हैरान रह गई। उसकी आँखों में वही चमक थी जो उसने मेहताब बाग़ में देखी थी। कुछ पल की खामोशी के बाद, सबाना ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या हम पहले मिले हैं?"
साहिल ने राहत की सांस ली। "हाँ, मेहताब बाग़ में। कुछ दिन पहले।"
सबाना को याद आया। "ओह, हाँ! मुझे याद है।"
उस दिन सदर बाज़ार में उनकी पहली औपचारिक बातचीत शुरू हुई। उन्होंने थोड़ी देर बातें कीं, एक-दूसरे के बारे में जाना। साहिल को सबाना की सादगी और उसकी बातों में छिपी समझदारी बहुत पसंद आई। सबाना को साहिल की आँखों में एक ईमानदारी और एक अलग तरह का आकर्षण दिखा।
भाग
4: धोखे का पर्दाफाश
सदर बाज़ार की वो मुलाकात उनकी ज़िंदगी का एक अहम मोड़ साबित हुई। उसके बाद उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं। आगरा के अलग-अलग खूबसूरत जगहों पर वो मिलने लगे। ताजमहल की चांदनी रातें, फतेहपुर सीकरी की ऐतिहासिक गलियां, और किनारी बाज़ार की चहल-पहल, उनकी मुलाकातों के गवाह बने।
धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदलने लगी। साहिल सबाना की मोहब्बत में पूरी तरह से गिरफ्तार हो चुका था। उसे लगता था कि सबाना भी उससे उतनी ही मोहब्बत करती है। लेकिन, हकीकत कुछ और ही थी।
कुछ महीनों बाद, साहिल को पता चला कि सबाना का किसी और लड़के, अमन के साथ अफेयर चल रहा है। उसे यह जानकर गहरा सदमा लगा। जिस सबाना पर उसने इतना एतबार किया था, उसने उसे फरेब दिया था।
एक दिन, साहिल ने सबाना का सामना किया। सबाना ने अपनी गलती तस्लीम की, लेकिन उसने यह भी कहा कि उसकी भावनाएं कभी साहिल के लिए उतनी गहरी नहीं थीं जितनी साहिल समझता था।
उस शाम, मेहताब बाग़ की यादें साहिल के दिल में एक नासूर की तरह रह गईं। जिस कहानी की शुरुआत उन नज़रों के मिलने से हुई थी, उसका अंजाम धोखे और दर्द के साथ हुआ। आगरा की वो शाम, जो कभी प्यार की उम्मीद जगा रही थी, अब साहिल के लिए एक कड़वी याद बन गई थी। उसे एहसास हुआ कि कभी-कभी पहली नज़र का प्यार सिर्फ एक धोखा भी साबित हो सकता है।

भाग 5: एहसास-ए-नदामत
वक़्त गुज़रता गया। साहिल ने सबाना के धोखे को भुलाने की कोशिश की और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। उसकी लगन और मेहनत रंग लाई और वो एक कामयाब डॉक्टर बन गया। उसने आगरा में ही अपना क्लीनिक खोला, और अपनी नेक दिली और इलाज के हुनर से जल्द ही शहर में मशहूर हो गया।
दूसरी तरफ, अमन अपनी ज़िंदगी में कुछ खास नहीं कर पाया। उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई और वो बेरोज़गार घूमता रहा। सबाना, जिसने कभी साहिल के प्यार को ठुकरा दिया था, अब अपनी ज़िंदगी में खुश नहीं थी। अमन के साथ उसका रिश्ता उम्मीदों के मुताबिक नहीं चला, और धीरे-धीरे उन्हें एहसास होने लगा कि उन्होंने एक गलत फैसला लिया था।
एक दिन, सबाना की एक सहेली ने उसे बताया कि साहिल शहर का एक जाना-माना डॉक्टर बन गया है और मरीज़ों की सेवा में लगा रहता है। सबाना को यह सुनकर हैरत हुई और साथ ही एक पछतावा भी हुआ। उसने साहिल की कामयाबी के बारे में और जानने की कोशिश की।
जब सबाना को पता चला कि साहिल आज भी उतना ही नेक और मददगार है जितना पहले था, तो उसे अपनी गलती का गहरा एहसास हुआ। उसे याद आया कि कैसे साहिल ने उसकी खुशी चाही थी, भले ही उसमें वो शामिल न हो। और उसने बदले में उसे क्या दिया था - धोखा और दर्द।
सबाना के दिल में साहिल के लिए एक बार फिर से इज़्तिराब पैदा हुआ। वो उससे माफ़ी मांगना चाहती थी, अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहती थी। लेकिन वो यह भी जानती थी कि उसने साहिल को इतना दर्द दिया है कि शायद वो उसे कभी माफ नहीं करेगा।
एक शाम, सबाना हिम्मत करके साहिल के क्लीनिक पहुंची। बाहर उसकी नेम प्लेट देखकर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने अंदर जाने की हिम्मत जुटाई और रिसेप्शन पर बैठी नर्स से साहिल से मिलने की इजाज़त मांगी।
जब साहिल ने सबाना को देखा, तो एक पल के लिए वो हैरान रह गया। उसकी आँखों में कोई गुस्सा नहीं था, बस एक उदासी थी और एक सवाल था। सबाना ने साहिल के सामने हाथ जोड़े और अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी। उसने बताया कि कैसे उसे अपनी नादानी का एहसास हुआ और कैसे वो आज भी उस धोखे के लिए शर्मिंदा है।
साहिल ने सबाना की बातें सुनीं। उसके दिल में अब कोई कड़वाहट नहीं थी। उसने सबाना को माफ कर दिया, लेकिन उसे यह भी समझाया कि जो वक़्त गुज़र गया, वो वापस नहीं आ सकता। उनकी राहें अब अलग हो चुकी थीं, और उन्हें अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना होगा।
सबाना ने साहिल की बात समझी। वो जानती थी कि अब उनके बीच कुछ भी मुमकिन नहीं है। लेकिन साहिल की माफ़ी ने उसके दिल पर से एक बोझ हल्का कर दिया था। वो साहिल को उसकी कामयाबी के लिए मुबारकबाद देकर वहां से चली गई।
उस शाम, साहिल अपने क्लीनिक में बैठा, उस शाम को याद कर रहा था जब उसने पहली बार सबाना को मेहताब बाग़ में देखा था। ज़िंदगी ने उन्हें कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया था। धोखा मिला था, दर्द हुआ था, लेकिन उस दर्द ने उसे मजबूत बनाया था और उसे अपनी मंज़िल तक पहुंचाया था। और शायद, सबाना को भी अपनी गलती का एहसास दिलाकर ज़िंदगी ने उसे एक सबक सिखाया था। आगरा की वो शाम, एक अधूरे प्यार की कहानी ज़रूर थी, लेकिन उस कहानी में ज़िंदगी के कई सबक छिपे हुए थे।
 
ये कहानी सच्ची घटना पर आधारित है
 
जिसे लेखक ने अपने दोस्त की करीना ए जिन्दगी से लिया है

सीख

पहले सक्सेस प्राप्त करें 
प्यार खुद मिल जाता है
   

Writer saif ansari