Vo Jo kitabo me likha tha - 8 in Hindi Detective stories by nk.... books and stories PDF | वो जो किताबों में लिखा था - भाग 8

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वो जो किताबों में लिखा था - भाग 8

"वो जो किताबों में लिखा था" – भाग 8
("अंतिम द्वार और नियति का रहस्य")



प्रकाश का द्वार जैसे ही बंद हुआ, एक गूंजती शांति पूरे वातावरण में फैल गई। वो कोई साधारण शांति नहीं थी, बल्कि ऐसी जो समय को निगल जाती है। सामने एक विशाल, अनंत मैदान था — हरियाली नहीं, पर शून्य भी नहीं। जमीन पर रहस्यमयी चिह्न खुदे हुए थे, जो धीरे-धीरे जलने लगे जैसे वे जाग रहे हों।

नायरा और आरव एक-दूसरे का हाथ थामे खड़े थे। दूर कहीं से एक स्वर आया — गंभीर, स्थिर, और समय से परे।

"तुमने द्वार पार किया है, अब निर्णय तुम्हारा है। क्या तुम सत्य जानने को तैयार हो, उस कीमत पर भी, जहाँ अपना आप खो बैठो?"

आरव ने बिना हिचके कहा, "हाँ।"

अचानक से एक विस्फोट-सा हुआ। धरती फटी, और एक वृत्ताकार मंच ऊपर उठा — उसके केंद्र में एक आईना था। लेकिन वो कोई साधारण आईना नहीं था; वो आत्मा का आईना था।

"पहले, आरव," नायरा ने कहा, "इसमें झाँको… क्योंकि इससे पहले कि तुम मेरा सच जानो, तुम्हें खुद का चेहरा देखना होगा — वो, जो तुमने कभी नहीं जाना।"

आरव ने जैसे ही आईने में झाँका, उसके भीतर हज़ारों प्रतिबिंब बनने लगे। उसमें उसका बचपन, जवानी, संघर्ष — सब कुछ था। लेकिन फिर वो चेहरा उभरा, जो आरव को बिल्कुल अपरिचित था। एक योद्धा… एक राजा… और अंत में, एक विनाशक।

आईने ने सच बयां किया —
आरव पूर्वजन्म में वह था जिसने अंधकार को पहली बार धरती पर बुलाया था। वही था जिसने नायरा की आत्मा को बलिदान के लिए चुना था।

"ये… ये कैसे हो सकता है?" आरव पीछे हट गया।

नायरा ने कहा, "क्योंकि यही कारण है कि हमें फिर मिलाया गया। किताब सिर्फ तुम्हारी परीक्षा नहीं थी, बल्कि मेरी क्षमा का अवसर भी थी।"

आरव की आँखों में पानी भर आया।
"तुमने मुझे माफ किया?"

"नहीं," नायरा ने शांत स्वर में कहा, "अब तक नहीं। लेकिन अभी ये तय होगा… अंतिम परीक्षा में।"


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अचानक मैदान रूपांतरित हो गया। चारों ओर आग के स्तंभ उठे, और मंच अब एक युद्ध भूमि बन गई। सामने एक परछाई उभरी — नायरा की छाया, जो अब स्वतंत्र थी। उसकी आंखों में अंधकार था, और वो केवल एक उद्देश्य से बनी थी — विनाश।

"तुम्हारा निर्णय ही अंतिम भाग्य तय करेगा," किताब की आवाज गूंजी, "या तो नायरा की छाया मिटेगी… या तुम।"

आरव ने सांस भरी और नायरा की ओर देखा,
"अगर मुझे खुद से लड़ना है… तो मैं लड़ूंगा। लेकिन तुम्हें नहीं खोऊंगा।"

नायरा की आंखों से एक आँसू टपका —
"तो लड़ो… लेकिन अपने भीतर के अंधकार से, न मुझसे।"

…और जैसे ही नायरा की छाया आगे बढ़ी, हवा कांप उठी। आरव ने आंखें बंद कीं, और अपने भीतर झांका। वहाँ सिर्फ अंधकार नहीं था — एक किरण भी थी, नायरा के स्पर्श से मिली हुई।

"तू मेरा अंधकार हो सकता है, लेकिन मैं नायरा की रौशनी से बना हूँ," आरव ने कहा, और उसकी हथेली से एक तेज़ उजाला निकला, जिसने छाया को पीछे धकेल दिया।

नायरा की असली आत्मा सामने आई — चमकती हुई, प्राचीन और शांत।
"अब तुम्हें मेरे साथ चलना होगा," उसने कहा।
आरव ने मुस्कराते हुए हाथ बढ़ाया —
"हम साथ ही इस कहानी का अंत लिखेंगे।"


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[भाग 9 में जारी...]