नवंबर की सर्द रात थी। दिल्ली में मौसम बदल रहा था, लेकिन आरव शर्मा के दिल में ठंड पहले से ही घर कर चुकी थी।
"कल से फिर वही अंधेरा आने वाला है," आरव ने अपने लैपटॉप स्क्रीन पर चमकते हुए न्यूज़ हेडलाइन को घूरते हुए कहा।
"हाँ, और इस बार यह अंधेरा पहले से भी ज्यादा खतरनाक होगा," नैना वर्मा ने जवाब दिया। वह एक वैज्ञानिक थी, जो पिछले पांच सालों से इस अजीबोगरीब घटना पर रिसर्च कर रही थी।
आरव, नैना, अयान और जिया – चारों लोग एक ही मकसद से एक साथ आए थे। वे इस रहस्य को उजागर करना चाहते थे। पिछले साल इस अंधेरे के दौरान आरव ने अपने छोटे भाई को खो दिया था। जिया का पूरा परिवार गायब हो गया था। अयान ने सेना में रहते हुए कुछ ऐसा देखा था, जिसे बताने की हिम्मत भी नहीं कर सकता था। और नैना को यकीन था कि यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि किसी शैतानी ताकत का काम था।
"इस बार हमें सतर्क रहना होगा," अयान ने अपनी बंदूक चेक करते हुए कहा। "अगर वे सच में इस दुनिया में हैं, तो हमें उनसे पहले जवाब खोजना होगा।
रात के ठीक 12 बजे, जैसे ही घड़ी ने अगला दिन दर्शाया, पूरे शहर में घना अंधेरा छा गया। यह कोई आम रात की तरह नहीं था। सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट्स बंद हो गईं। कारों की हेडलाइट्स फेल हो गईं। यहाँ तक कि मोबाइल फोन और टॉर्च की रोशनी भी बेकार हो गई।
"यह कैसे हो सकता है?" नैना ने घबराकर कहा। "कोई भी कृत्रिम रोशनी काम क्यों नहीं कर रही?"
आरव ने खिड़की से बाहर झाँका। दूर-दूर तक घना अंधेरा था। लेकिन तभी, उसने कुछ अजीब देखा। एक परछाईं… नहीं, कई परछाइयाँ… जो इस अंधेरे में भी उससे ज्यादा काली थीं। वे हिल रही थीं, रेंग रही थीं।
"वे आ गए..." अयान ने फुसफुसाया।
जिया ने काँपते हुए पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन तभी एक कर्कश आवाज गूंज उठी—ऐसी आवाज जो इंसानों की नहीं हो सकती थी।
"इंतज़ार खत्म हुआ... अब शिकार शुरू होगा…"
सड़कें सुनसान थीं। हर कोई अपने-अपने घरों में बंद था। लेकिन इस बार, अंधेरा अंदर भी घुस चुका था।
अचानक, आरव का लैपटॉप स्क्रीन ब्लिंक करने लगा। उस पर कुछ लिखा था—"बाहर मत जाना। जो चला गया, वह वापस नहीं आएगा।"
"यह कौन कर रहा है?" जिया ने घबराकर कहा।
"हमें शहर छोड़ देना चाहिए," अयान ने कहा।
"लेकिन कैसे? हमारे पास कोई साधन नहीं बचा है। और यह अंधेरा... यह हमें जाने भी नहीं देगा।"
नैना ने अपने लैपटॉप पर कुछ टाइप किया और अंधेरे के पिछले वर्षों के रिकॉर्ड खोजने लगी।
"यह देखो," उसने कहा। "हर बार, यह अंधेरा 21 दिनों के बाद खत्म हो जाता है। लेकिन हर बार, कोई न कोई गायब हो जाता है। और वे कभी वापस नहीं आते।"
आरव ने एक गहरी सांस ली। "तो इस बार कौन गायब होगा? हमें इसका जवाब जल्द से जल्द खोजना होगा।"
तभी, दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
दरवाजे पर दस्तक फिर से हुई। इस बार थोड़ी तेज़।
आरव, नैना, अयान और जिया एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। सबके चेहरों पर डर साफ झलक रहा था।
"कोई भी दरवाजा मत खोलो," अयान ने फुसफुसाते हुए कहा, अपनी बंदूक मजबूती से पकड़े हुए।
लेकिन तभी, दस्तक के साथ एक आवाज़ आई।
"कृपया… दरवाजा खोलो! मैं अंदर आना चाहता हूँ!"
आवाज़ किसी इंसान की लग रही थी। किसी लड़के की। उसकी घबराहट उसकी आवाज़ में साफ थी।
"क्या करें?" जिया ने पूछा। "अगर वो सच में मुसीबत में है तो?"
"या फिर यह कोई जाल भी हो सकता है," नैना ने धीरे से कहा।
आरव ने एक गहरी सांस ली और धीमे कदमों से दरवाजे के करीब गया। उसने आँखों से इशारा किया कि सभी तैयार रहें। फिर धीरे से दरवाजे की जालीदार खिड़की से झाँका।
बाहर एक 17-18 साल का लड़का खड़ा था। उसके कपड़े फटे हुए थे, और वह बुरी तरह से काँप रहा था।
"कृपया… मुझे अंदर आने दो… वे मेरा पीछा कर रहे हैं…" उसकी आवाज़ टूटी हुई थी। उसकी आँखों में साफ डर झलक रहा था।
आरव ने एक पल सोचा। क्या यह कोई जाल था? या फिर यह लड़का सच में खतरे में था?
अचानक, पीछे गली में हलचल हुई। कुछ परछाइयाँ हिल रही थीं। वे आकार में बहुत बड़ी थीं… और इंसानों जैसी नहीं लग रही थीं।
"हम उसे ऐसे नहीं छोड़ सकते," आरव ने कहा और दरवाजे की चेन हटाकर लड़के को अंदर खींच लिया।
जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, बाहर कोई ज़ोर से चीखा।
लड़का अंदर आकर एक कोने में गिर पड़ा। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। नैना ने उसे पानी दिया।
"तुम कौन हो? और बाहर क्या था?" अयान ने सख्त लहजे में पूछा।
लड़के ने काँपते हुए कहा, "म…मेरा नाम समीर है। मैं यहाँ से कुछ दूर रहता हूँ। मुझे नहीं पता था कि यह सब सच है…"
"क्या सच है?" जिया ने पूछा।
समीर ने उनकी ओर देखा। उसकी आँखों में डर और बेबसी थी।
"यह अंधेरा… यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं है। ये… ये चीज़ें… अंधेरे के भीतर से आती हैं। वे इंसानों का शिकार करती हैं।"
"हम जानते हैं," नैना ने कहा। "लेकिन तुम कैसे बचकर आए?"
समीर ने अपने कांपते हाथों से अपनी जैकेट उतारी। उसकी बाँह पर गहरे नाखूनों के निशान थे।
"वे मुझे पकड़ने वाले थे… लेकिन किसी तरह मैं भाग निकला। मैं जानता हूँ कि इस बार वे और ज्यादा खतरनाक हो चुके हैं।"
आरव ने उसकी बात सुनी और खिड़की से बाहर देखा। चारों तरफ सिर्फ घना अंधेरा था। लेकिन एक चीज़ अलग थी…
अब बाहर से धीमी-धीमी सरसराने की आवाज़ें आ रही थीं।
"हमें जल्द से जल्द कोई हल निकालना होगा," नैना ने कहा। "अगर यह 21 दिनों तक चला, तो हमें पता लगाना होगा कि हम कैसे ज़िंदा रह सकते हैं।"
अयान ने अपनी बंदूक की मैगज़ीन चेक की। "अगर वे अंदर आए, तो हमारे पास बचने का कोई रास्ता नहीं होगा।"
"हमें बाहर जाकर देखना होगा कि ये चीज़ें आखिर हैं क्या," आरव ने कहा। "क्योंकि अगर हम सिर्फ छिपे रहेंगे, तो यह जगह भी सुरक्षित नहीं रहेगी।"
"नहीं!" समीर अचानक चिल्लाया। "बाहर मत जाना! वे… वे तुम्हें देख सकते हैं! तुम्हारी परछाई को पकड़ सकते हैं! और फिर तुम कभी वापस नहीं आओगे!"
जिया ने घबराकर पूछा, "तुम्हारा क्या मतलब है?"
समीर ने धीमे स्वर में कहा, "जो भी इस अंधेरे में बाहर जाता है, उसकी परछाई पहले उससे अलग हो जाती है… और फिर वह खुद गायब हो जाता है… हमेशा के लिए।"
कमरे में सन्नाटा छा गया।
तभी… एक ज़ोर की आवाज़ आई। जैसे किसी चीज़ ने खिड़की पर ज़ोर से वार किया हो।
"भगवान…" नैना के मुँह से अनायास निकल पड़ा।
फिर एक और ज़ोरदार धमाका। खिड़की का काँच चटकने लगा।
आरव ने अपनी टॉर्च ऑन करने की कोशिश की, लेकिन वह अब भी काम नहीं कर रही थी।
"हमें कहीं और जाना होगा," अयान ने कहा। "यहाँ ज़्यादा देर तक रहना सुरक्षित नहीं।"
लेकिन तभी, खिड़की का काँच अचानक टूट गया। ठंडी हवा अंदर आई… और उसके साथ कोई चीज़ भी अंदर आ गई।