Shuddhi - 3 in Hindi Thriller by Astrophile Writer books and stories PDF | शुद्धि ( ध बेटल ऑफ निर्वाणा ) - 3

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शुद्धि ( ध बेटल ऑफ निर्वाणा ) - 3

घर के लिविंग रूम में नीचे एक लाश पड़ी हुई थी जिसके शरीर से लगभग सारा खून बह गया था,  ज़ब क्षितिज ने उस लाश को गौर से देखा तो उसकी दाये हाथ की एक ऊँगली कटी हुई थी, और उस लाश के ठीक सिर के ऊपर की तरफ फर्श पर उसके खून से लिखा था -

" अदभिर्गात्राणि शुध्यन्ति मनः सत्येन शुध्यति
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बुद्धिर्ज्ञानेन शुध्यति..
     शुद्धि... शुद्धि... शुद्धि....   "

और उसी के पास उस लाश की ऊँगली को जलाकर फेंक दिया था।
  जो पुलिस इंस्पेक्टर फॉरेंसिक टीम के साथ वहाँ मौजूद था, उसका नाम रजत था, उसने इंस्पेक्टर क्षितिज से कहा -
" ये देखिए सर,, ब्लड सैंपल लेने पर पता चला है कि ये इस लड़की के खून से लिखा गया है, खूनी ने ना जाने इसका इतना सारा खून बहा कर इस श्लोक को यहां क्यों लिखा है,, यहां पर किसी को इसका मतलब भी नहीं पता "

तभी इंस्पेक्टर क्षितिज उसे तरफ देखते हुए गंभीर आवाज में कहने लगा -
" जल से अंग शुद्ध होते हैं, सत्य से मन शुद्ध होता है, विद्या और तप से आत्मा शुद्ध होती है, तथा ज्ञान से बुद्धि शुद्ध होती है। यह श्लोक मनुस्मृति के पाँचवें अध्याय के 109वें श्लोक में है, "

  रजत हैरानी से क्षितिज को देखने लगा, क्षितिज के पास काफ़ी नॉलेज था,, उसे लगभग बीस से पचीस भाषा का ज्ञान था, और संस्कृत में भी उसका कोई हाथ पकड़ नहीं सकता था, रजत मन ही मन यह सोचने लगा कि क्षितिज ने ऐसे ही महज पचीस साल की उम्र में क्षितिज ने पुलिस डिपार्टमेंट में अपनी अलग जगह बनाई थी और इतने हाई पोस्ट में कार्यरत था क्योंकि क्षितिज उसके काबिल था। उसे मन ही मन क्षितिज पर प्राउड फील हो रहा था।

रजत ने कहा -
" वाह सर आपको तो संस्कृत का भी बहुत अच्छा नॉलेज है, यहां पर हम में से किसी को इस बारे में कुछ पता ही नहीं था लेकिन आपने एक बार में देखते ही इसे समझ भी लिया, यु आर ग्रेट सर । "
इसके जवाब में क्षितिज ने कुछ भी नहीं कहा, फिर रजत ने आगे कहा - 
" सर डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ेगा.. "
ये सुनकर क्षितिज ने हां मैं अपना सिर हिला दिया और बॉडी को फॉर्मेलिटी करके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया, बॉडी के लेब में जाने के बाद रजत ने क्षितिज से पूछा - 
" सर आपको क्या लगता है? कत्ल का मोटिव क्या हो सकता है? "

  काफ़ी देर तक खामोश रहने के बाद क्षितिज ने कुछ सोचते हुए कहा -
" इसका मोटिव तो लड़की की बैकग्राउंड चेक करने के बाद ही पता चलेगा,, रजत इस लड़की के बैकग्राउंड को टटोलो, कॉल रिकॉर्ड निकालो, इसके दोस्त, बॉयफ्रेंड? ये लड़की किस किस से मिली थी,, इन सब के बारे में पता करो उसके बाद ही कोई नतीजे पर आ सकते हैं हम,, ऐसे कुछ भी जजमेंट देना सही नहीं,, "
रजत में हां कहा और अपने काम पर लग गया।
क्षितिज ने वापस अपने चश्मे अपनी आंखों में चढ़ा लिए लेकिन उसकी नज़रें अब भी उस श्लोक पर ही थी।

*
ए.पी.यु.

  सूर्य की किरणें पेड़ों की छाया से छनकर जमीन पर झिलमिलाती हुईं गिर रही थीं। हवा में युवाओं की हँसी और गुनगुनाहट की लहरें दौड़ रही थीं। लॉन में कुछ छात्र छात्राएँ किताबें पढ़ रहे थे, कुछ गिटार बजा रहे थे, तो कुछ दोस्तों के साथ बैठकर चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। दूर दूर तक फैले हुए भवनों की इमारतें, पुस्तकालय का विशाल गुंबद, और खेल के मैदान पर रंग बिरंगे खेलों का आयोजन – सब कुछ यहाँ जीवन से भरपूर था। कैम्पस में एक अनोखी ऊर्जा व्याप्त थी, जहां ज्ञान की प्यास बुझ रही थी और युवाओं के सपने पंख फैला रहे थे।

ए.पी. यूनिवर्सिटी हमेशा अपने खूबसूरत कैम्पस और वाइब्रेट छात्र और छात्राओं के लिए प्रसिद्ध रही है, इस यूनिवर्सिटी ने देश को बहुत सारे आईएएस और आईपीएस दिए हैं, इसलिए एपीयु का पूरे अरुणाचल प्रदेश में एक अलग ही रुतबा था,, इस यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले स्टूडेंट की वैल्यू आम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले स्टूडेंट से कई ज्यादा थी क्युकी इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए एक स्पेसिफिक एग्जाम देनी होती थी, जिसे पास करना किसी ऐरे गेरे स्टूडेंट के बस की बात नहीं थी।

इस कैम्पस के गलियारे से एक लड़की हाथ में दो बुक्स पकड़े गुजर रही थी, उसके पीठ में एक बैकपैक था जिसमें शायद किताबें रखी हुई थी, उसने पर्पल रंग की ओवरसाइज हुडी पहनी थी जिसकी लेफ्ट साइड में सफ़ेद और लवेंडर रंग के ऑर्किड के फूल बने हुए थे, वह एक वूलन हुडी थी जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह हैंडमेड होगी, नीचे ब्लेक रंग का जींस पहना हुआ था, 

उस लड़की के बाल कंधे से नीचे आते थे, इस वक्त उसने अपने बालों की पोनीटेल बना रखी थी और साइड में उसके कुछ बाल साइड पार्टीशन होकर उसके कान के पीछे थे, वह लड़की की आंखें बड़ी बड़ी थी और उसकी पलके घनी और खूबसूरत थी, उसके तीखे नैन नख्स बेहद खूबसूरत लग रहे थे, उसके होंठ पतले और भरावदार थे और नेचरली गुलाबी रंग के थे, उसकी कद काठी भी काफी अच्छी थी, जोकि उसकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहे थे।

  वह लड़की अपनी नज़रें यूनिवर्सिटी के चारों ओर घूमाते हुए चल रही थी, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आज पहली बार यूनिवर्सिटी में आई हो,  अभी वो लड़की जा ही रही थी कि तभी उसके सामने अचानक कहीं से पांच लड़के लड़कियों का ग्रुप आकर खड़ा हो गया। उस ग्रुप ने उस लड़की का रास्ता रोक लिया।

  उस लड़की ने एक नजर उन सभी को देखा और अपना रास्ता बदल कर जाने लगी, लेकिन तभी उस ग्रुप में से एक लड़की ने अपना हाथ उसके सामने लाकर उसे जाने से रोक दिया, ये देखकर वो नई लड़की कुछ कदम पीछे हो गई। जिस लड़की ने उसका रास्ता रोका था उसका नाम रावी था, रावी ने उसे हाथ दिखाते हुए कहा -
" हे न्यू बी.. ऐसे भटकती आत्मा की तरह कहां जा रही हो? तुम्हें पता नहीं है क्या,, इस कॉलेज में नए आने वाले स्टूडेंट को अपने सीनियर्स को पहले एनंटरटेन करना होता है, और उसके बाद ही उन्हें उनकी क्लास में एंट्री मिलती है।

उस नई लड़की ने रावी की तरफ देखा, लेकिन उससे कुछ कहा नहीं, तभी उसके पास खड़ा हुआ लड़का जिसका नाम गौरव था, उसने अपने होंठ की ओर इशारा करते हुए कहा -
" अंआ.. गूंगी हो क्या..? "
उस नई लड़की ने ना में अपना सिर हिला दिया। जिसे देखकर गौरव ने कहा -
" वेरी गुड.. तो बोलो मै अपने सीनियर की गुलाम हूँ, और उसके बाद हम तुम्हे जो भी कहने को कहे वो तुमको करना होगा..  चलो बोलो.. "

उस नई लड़की बस पलके झपकाकर मुस्कुराते हुए गौरव को देखा, और दोबारा ना में अपना सिर हिला दिया, ये देखकर गौरव ने अपने आस पास देखा और हँसते हुए कहने लगा - 
" लगता है कि ये लड़की थोड़ी खिसकी हुई है,, ऐसे कैसे इसे एपीयु में एडमिशन मिल गया,,? हाँ? "

तभी वहाँ ख़डी एक दूसरी लड़की जिसका नाम सानवी था, वो हँसते हुए कहने लगी -
" एपीयु को अपना स्टैण्डर्ड मेंटेन करना चाहिए, या हो सकता है कि ये कोई गरीब कोटा से आ गई हो, वैसे इसके कपड़े भी काफ़ी डाउनमार्किट ही लग रहे है.. "
तभी उस ग्रुप का दूसरा लड़का अजय कहने लगा -
" यह लड़की कोई खिसकी हुई नहीं है बस नाटक कर रही है, ताकि हमारा टाइम वेस्ट हो जाये और क्लास चालू हो जाएगी। और क्लास शुरू होंगी तो ये बच जाएगी,, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला समझी... यहाँ ये खुद को बहुत ओवरस्मार्ट समझ रही है ना.. तो हमें भी इसके साथ कुछ रेगिंग से कुछ ज्यादा ही करना चाहिए.. क्यों दोस्तों? "

सभी ने हाँ कहा, लेकिन अब तक वो नई लड़की शांत थी, जैसे उसे उनकी बातो से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो.. वो बस ख़ामोशी के साथ उन सब की बाते सुन रही थी, तभी उनमे से एक लड़का जिसका नाम कियान था, वो कहने लगा -
" हाँ, हम इसे पांच बार बाहर ग्राउंड में भागने की सजा देते है.. "
उसकी बात सुनकर सानवी हँसते हुए कहने लगी -
" अबे लल्लू.. तु क्या इसे स्कुल की प्रेयर देर से अटेंड करने की पनिसमेंट दे रहा है क्या? अबे कुछ बड़ा सोचना.., जैसे कि.. " 
उसकी बात खत्म भी नहीं हुई थी कि अजय बीच में बोल पड़ा -
" जैसे कि इस पीलर के पास एक हॉट पोल डांस करना, वो भी इसी वक़्त,, सबके सामने.. "

उन सभी के चेहरे पर एक शरारत वाली मुस्कान थी, तभी पीछे से एक लडके की आवाज़ आई -
" हेय.. तुम लोग उसे परेशान मत करो.. "
उन सभी ने उस ओर देखा तो एक लड़का अपने कंधे में बेग लिए उसी तरफ आ रहा था। उस लडके की हाईट करीब पांच फुट नौ इंच थी, दिखने में वो लड़का टॉल, डार्क और हेंडसम था। वो लड़का उस नयी लड़की के पास आकर कहने लगा -
" मै इसे जानता हूँ, तुम लोग इस से कोई रेगिंग नहीं  करोगे.. "
तभी रावी बीच में बोल पड़ी - 
" भव्य,, तुम बीच में से हट जाओ,, भले ही तुम इसे जानते हो, लेकिन ये हमारा उसूल है कि न्यू बी स्टूडेंट को हम पुराने स्टूडेंट का कहना मानना ही पड़ता है.. इसे भी मानना ही पड़ेगा.. "
कोई कुछ कहता उससे पहले ही कियान हैरानी से उस नई लड़की की ओर देखते हुए बोला -
" ये क्या कर रही है? "
उसकी बात सुनते ही सबके सब उसकी ओर देखने लगे, भव्य ने भी उस ओर देखा, उसके मुंह से कुछ शब्द निकले -
" हो गया स्यापा.. "

क्या होगा आगे.. जानने के लिए जुड़े रहे कहानी के साथ...
धन्यवाद 🙏