Manzile - 25 in Hindi Motivational Stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | मंजिले - भाग 25

Featured Books
  • అధూరి కథ - 6

    రాధిక తో పాటు Luggage తీసుకుని బయటకు వెళ్తున్న సమయంలో tv లో...

  • థ జాంబి ఎంపరర్ - 17

    జాంబీ జనరల్స్ యుద్ధం - ఆదిత్య పునరాగమనంసుమంత్ కింద పడే పెట్ట...

  • అంతం కాదు - 24

     ఇక సముద్రం పైన చూస్తే చనిపోయిన శవాన్ని అంటే సామ్రాట్ శవాన్న...

  • మౌనం మట్లాడేనే - 8

    ఎపిసోడ్ - 8 విక్రం యొక్క అంగీకారంప్రియా, ఆదిత్య దగ్గరకు పరుగ...

  • కళింగ రహస్యం - 4

    ఆ రోజు రాత్రి 9 ఏళ్ళ అనిరుద్ కి వీరఘాతకుడి కధ చెప్పి శాంతి న...

Categories
Share

मंजिले - भाग 25

                  ---- एक अजनबी ----

                 वर्षो बाद किसी की याद आये.. "तो उसे कभी आपना जान लेना,  या मान लेना " बड़ी मूर्खता होती हैं। याद रखना," जो आपने हैं, वो अजनबी हैं। तो अजनबी तो फिर अजनबी से भी बदतर हुआ न।" शतरज के खिलाड़ी हो, साहब " कभी शे राजे को पेयादा दे जाता हैं। " गोली कभी चलती नहीं, आवाज करती हैं, साहब बाहुदर। " किसी के आगे कितना गिर सकते हो, मुंडी तो जमीन पर ही रहेगी, बारखुरदार। " जीना किसे कहते हो, जोश इंजॉय। बाद मे खाली हाथ ही देखा हैं मैंने उन परिदो को, जिसके घोसले भी नीलाम हो गए।  

                      कहानी कम सीखा देना चाहता हू, "अजनबी को अजनबी ही रहने दो।" दिल के ज़ब भी कोई करीब आये, तो समझ लेना.... मतलब से जयादा कुछ नहीं।

                       "दर्द लिखें नहीं जाते, साहब, बोल दिया करो।" आपने तो अजनबी ही हैं, "--पर सब से जयादा जड़े यही काटे गे। जो अजनबी हैं, वो आप को लूट लेगा। " न तुम घर के रहोगे, न घाट के। हुस्न मेरे अल्फाज़ो मे बहुत पचीदा मोहरा हैं। खूब लुटे गे, कौन अजनबी आपना बन के... ऐसे लोगों से कब खुदक आती हैं, ज़ब ये उसी के नमक को चुटकी मे हवा मे उड़ा देते हैं। " बेशरम, कमीने, बत्तमीज ---------"

                       " ---उन लोगों से अक्सर नफ़रत रही, जो ये देख क़र यारी डाल लेते हैं, घर मे हुस्न हैं, बैंक बैलेंस हैं, चलो जा कर सेवा ही करा ले। " 

                    "  ---बहुत दुःख देते हैं वो लोग, जो आपने होके अजनबी , सीधा वार सीने पे करते हैं, बहुत दुःख देते हैं, वो अजनबी जो आपने बन कर वार पीठ पे करते हैं। "

                     जो कहना हैं, मुँह पे कह दो। सच कड़वा लगे गा। जहर से हमेशा हरकोई बच के रहता हैं। कौन कहता हैं, तुम उड़े ही नहीं, ऐसा मत सोचो। उड़ कर कया उखाड़ लोगे। हमने कया उखाड़ लिया। बताओ, जरा एक बार सोचना जरूर। 

                         " तुम जिसकी गवाही दे रहो हो, वो भी तो चोर ही हैं, कया जमाने में उसने कभी पाप करके, सच्चे का हाथ नहीं थामा। " जो चिल्लाता हैं, जरूरी नहीं वो सच हो, सोचो। " कभी गहरा घाव देखा हैं, देखा होगा, बस  अगर देखा हैं, तो चुप ही रहो। "

                      " --लोग खत्म होने की कगार पे आ गए हैं। पूछो गे नहीं कयो ???????? "

                       "  -----    जीने का लुत्फ़ बड़ रहा हैं, साहब। " जो हमारी पम्पराए, सस्कारो से आगे बड़ चले हैं हम,  पीछे कोई ऐसा नहीं हैं, जो बता सके। मनोरजन  ही बस अब सब कुछ बन रहा हैं। " 

                       हम दुःख पा रहे हैं, पैसा इतना हैं, इन्वेस्ट कहा करे, यही सोच रहे हो, किसे लताड़े हुए को घर, तीन दिन से भूखे को रजवा खाना खिला दो, सकून मिल जायेगा। जो कभी नहीं मिला, अब मिल जायेगा।

कभी सोचना... हम इतना पिछड़ कयो गए  हैं, आधुनिक युग मे, किसी की सुनने की आदत डाल लो। बहुत से प्रश्न हल हो जायेगे। एक बात हमेशा याद रखना -----" बहुती जानकारी खतरकान होती हैं। कम जानकारी मे, कभी कोई गलत काम मत करना... समझ गए हो तो बंद करो ये कहानी। 🙏🏻।

( चलदा )                     -- नीरज शर्मा 

                   निशुल्क कहानी सगरे हैं।

मेरी कहानी सत्य पर आधरत होती हैं। ये नकल हो, तो मै जिम्मेदारी लेता हू।

                                       शाहकोट, जालंधर।

                                  (144702 )