अर्ज किया है.....
बंदिशों से घिरा है ये इश्क मेरा....तुझे चाहना भी है.... और उस चाहत को खुद से छुपाना भी है .....तेरे लिए तड़पना भी है..... और तेरे ही बाहों में इस तड़प की इंतहा भी है ........नाराजगी भी तुझी से है...... और शिकायत भी तुझसे ही करनी है .....दर्द भी तुझसे है और इस दर्द की दवा भी तेरे अघोष मिलना है।
विराट अपने ही शायराना अंदाज में गहराई से सरघोधी करते हुए ही तपस्या को पीछे से बाहों में भर लिया। तपस्या जो इस बख्त अपने कमरे के बालकनी में अंधेरे में खामोश खड़ी थी अचानक विराट की आवाज और स्पर्श से ठिठक गई। विराट का अपने दिल के हाल बयां करने का ये शायराना अंदाज हमेशा से तपस्या के ज़हन में वीर का एहसास ताज़ा कर दिया करता था। विराट के करीब वो खुद को वीर के और करीब महसूस करती थी। विराट से नाराजगी के वाबजूद भी एक अजीब से एहसास ने उसे घेरा। खुद के पूरे होने का एहसास जिसे वो अक्षर विराट के बाहों में महसूस करने लगे थी।
"नाराज हैं अभी तक???" यूं ही उसे बाहों में भर कर ही विराट ने गहरी आवाज में पूछा।
"हक है क्या हमें??? आप से पूछे बगैर कैसे नाराज हो सकते है?? " उसकी आवाज में नाराजगी के साथ साथ दर्द भी था। जिसे महसूस कर विराट का दिल तड़प रहा था।
"ये नहीं कहा था के मेरे इजाजत लेनी होगी आप को हर चीज केलिए....."विराट अपने हाथों के उंगलियों को तपस्या के कोरे कमर के ऊपर कसते हुए गहरी आवाज में बोला। और उसके गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। तपस्या एक दम से सिहर उठी।
"हर चीज का एक बख्त तय है प्रिंसेस और में चाहता हूं सब अपने तय बख्त पर हो।".. विराट ने ठंडे आवाज में कहा। होंठ अभी भी गहराई से उसके गर्दन को चूम रहे थे।
उस अंधेरे बालकनी में बाहर से आती हुई वो सर्द हवा और साथ साथ विराट की वो नजदीकी उसे बहका रही थी। उसके हाथ अपने कमर पर कस रहे विराट के हाथों पर ठहर गए।
" आप की कोई बात समझ नहीं आती हमे विराट!!! डर लगने लगा है....कुछ भी कहना था हमसे कहते ...आपको मां को सामने से ऐसे मना नहीं करना चाहिए था। उन्हें बुरा लगा होगा और सब पता नहीं आप के बारे में क्या सोच रहे होंगे।"... वो कांपती आवाज में बोली।अपने पूरे बदन में सिहरन सी महसूस कर वो कांप रही थी और ये महसूस कर विराट के चेहरे पर सुकून उतर रहा था।
"कोई क्या समझता है आइ डोंट केयर प्रिंसेस आई ओनली केयर अबाउट यू।"विराट अपने होठों को उसके गर्दन से कंधे तक फिसला ते हुए मदहोश हो कर बोला। तपस्या की सासें तेजी से बढ़ रही थी।
"क्या आप सच में हमसे प्यार करते है विराट?? या हमसे शादी करने की वजह कुछ और है?? कल शादी के बाद से आपकी बातें... अचानक से आप की ये मिस्टीरियस बिहेवियर ये यूं अचानक तो नहीं हो सकता।"... अपने तेज चल रही सासों और धड़कनों को संभाल कर तपस्या धीरे से पूछी।
विराट एक ही झटके में उसे अपनी ओर पलट दिया। हड़बड़ाते हुए तपस्या ने अपनी दोनों हाथ विराट के सीने के पास रख दिए। विराट उसके चेहरे के एकदम करीब था। बिल्कुल उसके चेहरे को अपने होठों से छूं ते हुए।
"सिर्फ एक सवाल..... सिर्फ एक सवाल की इजाजत है आप को... इन दोनों में से किसी एक सवाल का जवाब दे सकता हूं में.. अब आप तय कीजिए किस सवाल का जवाब चाहिए आप को।".. अपने होठों से तपस्या के पूरे चेहरे को मदहोशी में छू ते हूं विराट ने पूछा। तपस्या ठहर सी गई। दिमाग अपना शक दूर करना चाहता था ये पूछ कर के उसके तपस्या से शादी करने के पीछे मकसद क्या है और दिल बस इतना सुनना चाहता था विराट उससे प्यार करता है या नहीं।"क्या आप हमसे प्यार करते है विराट??"... तपस्या अजीब सी कसमस और उलझन में घिरी हुई सी बोली। लेकिन उसके सवाल सुन कर विराट खुल कर मुस्कुरा दिया।
" ना ढूंढा कर मेरे इश्क़ की गहराई को किसी अल्फ़ाज़ में...... तेरे होठों को छूकर जो गुजरी...... हाँ वही लफ्ज हूँ मैं.........फड़क उठती है आज भी बेइंतहा जो तेरे नाम पर........ टटोलकर देख इश्क का धंसा हुआ वही नब्ज हूँ मैं !
अपने होठों से तपस्या के होठों को हर लफ्ज़ के साथ छू ते हुए विराट बेहद धीमी और गहराई से बोला। तपस्या की बोझल हो रही आंखे अब पूरी तरह से बंद हो चुकी थी। और वो अब पूरे शिद्दत के साथ विराट के एहसासों में घुल रही थी। तपस्या के अंदर न अब कोई शिकायत की गुंजाइश थी और नाहीं विराट इस बख्त तपस्या के मोहब्बत के इलावा कोई और एहसास महसूस करने के हालत में था। तपस्या की बहक ती सासों की भीनी सी खुशबू विराट को जिस सुकून से रूबरू करवा रहा था इस पल में विराट का दिल कुछ और सोचना भी नहीं चाह रहा था। दिमाग अब दिल से हार ने लगा था। तपस्या के हाथ विराट के सीने पर कसने लगे थे।
दूसरे और रायचंद इंडस्ट्रीज में
"मे आई कम इन सर"आलोक जो अभय का असिस्टेंट है उसके केबिन का दरवाजा नॉक करते हुए पूछा। अभय जो इस वक्त विराट के बारे में गहरी सोच में था आलोक को देखकर इशारे से अंदर आने के लिए कहा।
"ये लीजिए सर इसमें विराट अग्निहोत्री की पैदाइश से लेकर आज तक के सारे डिटेल्स है ।"आलोक उसके तरफ एक फाइल बढ़ाते हुए बोला। अभय ने उस फाइल के पन्ने पलट कर देखें फिर गुस्से से उसे नीचे फर्श पर फेंक दिया। आलोक असमंजस में उसे देखने लगा।
"इसमें क्या नया है आलोक इसमें विराट अग्निहोत्री के बारे में जो डिटेल्स तुमने दिया है वो शायद हर छोटे बड़े मैगजींस पेपर्स या न्यूज एजेंसीज मुझे दे सकती है तो फिर तुमने कौन सा बड़ा तीर मार लिया??" अभय गुस्से से आलोक की तरफ देखकर पूछा।
"सर जितना भी कोशिश कर लूं इससे ज्यादा इनफॉरमेशन मिस्टर अग्निहोत्री के बारे में कोई दे ही नहीं पा रहा है और मुझे लगता है शायद आपको कोई गलतफहमी हो गई है क्योंकि मिस्टर अग्निहोत्री की लाइफ का हर पन्ना बिल्कुल साफ है। वो बिल्कुल एक खुली किताब है।"... आलोक यकीन के साथ जवाब देते हुए बोला।
"यही तो प्रॉब्लम है आलोक! उनके लाइफ का किताब कुछ ज्यादा ही साफ सुथरा है। या फिर हम सब उतना ही पढ़ पा रहे हैं जितना वो हमें पढ़ा ना चाहते हैं ।मुझे वो चाहिए जो इन साफ सुथरे किताबों में लिखा नहीं है। हमें विराट अग्निहोत्री के जिंदगी का वो पहलू जानना है जो वो किसीको दिखा नहीं रहे है।" अभय सिगरेट निकाल कर अपने होठों पर दबाए लाइटर जलाते ते हुए खिड़की के पास खड़ा हो गया।
"मैं एक बार फिर कोशिश करता हूं सर ।"आलोक बोलकर पलट कर जाने लगा"
"कर्मा mr अभय रायचंद!!! कर्मा!! हो सकता है आप के वजह से भी किसी के बहन के आंखों में और किस्मत में जिंदगी भर केलिए आसूं लिख दिया गया हो और उसकी सजा अब आप की बहन को मिलने वाले हो!!"... विराट के कहे हुए आखिरी के वो कुछ लफ्ज़ अभय के ज़हन में वापस से टकराए थे।
"1 मिनट रुको आलोक " अभय सिगरेट की एक लंबी कस भर कर सिगरेट खिड़की के बाहर फेंक ते हुए पलट कर आलोक को आवाज दिया और फर्श पर पड़े फाइल को उठाकर वापस से एक-एक पन्ना पलट कर पढ़ने लगा। आलोक दरवाजे के पास ही खड़ा था।
"विराट अग्निहोत्री पिता किशोर अग्निहोत्री मां अनुपमा अग्निहोत्री छोटा भाई श्लोक अग्निहोत्री इसमें उनकी बहन का कोई जिक्र नहीं है। उनकी एक बहन भी तो है ना!!" अभय आलोक की तरफ देखकर पूछा।
"जी वो एक्चुअली मेंटली अनस्टेबल है ऐसा अफवाह है इसलिए शायद कभी किसी ने उन्हें किसी पार्टी में या फिर फंक्शंस में नहीं देखा है और मिस्टर अग्निहोत्री ने भी उनका कभी-कहीं जिक्र नहीं किया है। वो उन्हें लाइमलाइट से दूर ही रखते है।"आलोक नॉर्मली बोला। अभय का दिल एक अजीब सी बेचैनी से घिर गया।
"उनकी बहन के बारे में पता लगाइए और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी मुझे इनफार्मेशन चाहिए। और इस बारे में mr यशवर्धन रायचंद को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।" अभय सपाट लहजे में बोला और अपनी केबिन से बाहर निकल गया। आलोक वहीं खड़े-खड़े ही किसी को फोन मिला चुका था।........................................
विराट दुनिया से बेखबर तपस्या की आगोश में उसके होठों को अपने होठों में भर कर मदहोशी में उसे चूमे जा रहा था। सांसों की कमी के वजह से तपस्या छटपटा ने लगी तो विराट अपने होठों से उसके होठों को आजाद कर उसकी माथे से माथा जोड़ गहरी सांस भरने लगा । तपस्या की भी सासें बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी। विराट उसे अपने आगोश में भरकर उसके पीठ सहलाने लगा।
"लव मी विराट आई वांट टू बी योर्स कंपलीटली।" तपस्या अपनी उखड़ती सांसों को थाम कर धीमी और गहराई से भरी हुई आवाज में विराट के कान के पास सरघोसी कर बोली। और विराट के शर्ट के बटंस एक एक कर खोल उसके गर्दन पर अपने कांपते होंठ रख दिए। विराट कुछ पल अपनी बाहों में लिपटी बहकी हुई सी उस प्यारी लड़की को देखता रहा जिसमें उसकी जान बसती थी। फिर हल्की मुस्कान के साथ उसे बाहों में भरकर बेड की तरह बढ़ गया। और प्यार से उसे बेड पर लेटा कर शरमाई हुई सी उसकी बहकी हुई चेहरे को निहारने लगा।
"कुछ ज्यादा ही जल्दी नहीं है आपको mrs अग्निहोत्री पूरी तरह से कंप्लीट होने की। मतलब खुद ही मुझे बहकाए जा रही हो!!"विराट उसके ऊपर हल्का सा झुक कर शरारती अंदाज में बोला। तपस्या जो अब तक शर्मा रही थी नजरे उठाकर बुरी तरह से उसे घूरने लगी।
"तो क्या करें हम!!जब आप शादी के पहले रात से ही हमसे दूर भाग रहे हैं हमें भी तो डर लग रहा है कहीं आप उस छिपकली से जाकर चिपक ना जाए। या फिर वो कहीं आपके ऊपर कोई जादू टोना ना करदे।उससे पहले ही हम पूरी तरह से आपको हमारे गुलाम बना देना चाहते हैं ताकि आपको हमारी इलावा कुछ दिखाइए या सुनाई ना दे।"तपस्या एटीट्यूड के साथ बोली और विराट की शर्ट की कॉलर को खींचकर पूरी तरह से अपने ऊपर झुका दी।
"आपकी ऐसी गुलामी करने के लिए तो में हमेशा तैयार हूं प्रिंसेस और आपको मुझे अपने बस में करने के लिए किसी जादू टोने की भी जरूरत नहीं बस यूं ही बहकी नजरों से मुझे देख लीजिए मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा।" विराट उसके चेहरे की तरफ झुक कर बोला और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए । उसके साड़ी के पल्लू को सीने से सरका ते हुए उसने अपनी होठों को फिसला कर उसके खुले सीन पर रखे। तपस्या सिसकियां भरती हुई विराट को अपनी आगोश में कसकर भर चुकी थी। उसके हाथों की उंगलियों विराट के बालों में उलझे हुए थे।विराट के हाथ तपस्या के बदन के हर हिस्से को महसूस कर रही थी। उसके कोरे पेट और खुले कमर पर अपने उंगलियों को फिसला ते हुए उसने जैसे ही तपस्या की साड़ी के प्लीट पर अपनी हाथ रखे मोबाइल की रिंग की आवाज से उसकी उंगलियां वहीं पर थम गए।
विराट अपनी बहक ती सांसों को संभाल कर जैसे ही फोन पिक करने के लिए उठने को हुआ तपस्या ने कसकर उसे थाम लिया।....." प्लीज ना विराट डोंट गो ... बजने दो फोन को ।".... वो बहकी हुई सी बोली । विराट ने एक सेकंड उसके चेहरे को देखा फिर प्यार से उसके माथे को चुनकर धीमी आवाज में बोला ...."1 मिनट प्रिंसेस वो दी की तबीयत ठीक नहीं रहती ना तो मैं कोई फोन अवार्ड नहीं करता ।"....विराट ने जैसे ही इतना कहा तपस्या ने अपनी आंखें खोल दी और विराट को देखने लगा। विराट हल्की मुस्कान के साथ उसे ही देख रहा था
विराट वापस से उसकी होठों को हल्का सा अपने होठों से छू ते हुए उठा और एक बार कट कर दोबारा बज रहे फोन को उठाकर बालकनी की तरफ चला गया। तपस्या उठकर बैठी और अपनी आंचल को समेट कर वापस से अपने कंधे पर डाला। और विराट के पीछे-पीछे बालकनी के ओर चली गई।
"हम्ममम !!कोई फर्क नहीं पड़ता करने दो क्या पता करना चाहता है अब तो वैसे भी विराट अग्निहोत्री के जिंदगी के किताब की वो पन्ने भी खुलने वाले हैं जो अब तक उसने बंद करके रखा था।"विराट बालकनी की रेलिंग के पास खड़ा अंधेरे को निहारत हुए शांत आवाज में बोला।
"जी सर सॉरी आपको डिस्टर्ब करने के लिए लेकिन लगा कि ये जरूरी था इसलिए इन्फॉर्म कर दिया।"... दूसरे तरफ से उसके आदमी ने कहा ।"नो इट्स ओके। "...विराट ने बोला और फोन कट करने ही वाला था की दूसरी तरफ से आवाज आई सर आप पहुंच रहे हैं ना 1 घंटे में?? आपकी मीटिंग है।"
"ओह्ह्ह शीट मैं तो भूल ही गया था थैंक यू सो मच यार।" विराट ने कहा और फोन बंद कर पॉकेट में रखते हुए जल्दी से पलट गया। तपस्या बालकनी के दरवाजे के पास टिक कर उसे ही देख रही थी। आंखों में खुमारी अभी भी कायम थी।
"विराट अग्निहोत्री के किताब के में से ऐसे कौन से पन्ने हैं जो mrs विराट अग्निहोत्री ने नहीं पढ़े !!"..तपस्या प्यार से पूछी।
"विराट अग्निहोत्री की किताब कि किसी भी पन्ने को mrs विराट अग्निहोत्री ने नहीं पढ़ा है अभी तक।अगर पढ़ लिया होता तो अब तक कयामत आ जाती।"... विराट ने गहराई से कहा और तपस्या के बिखरे वालों को समेटकर उसके माथे को चुन लिया।
"तो मिस्टर विराट अग्निहोत्री कब mrs विराट अग्निहोत्री के सामने खुली किताब बनने वाले हैं??"....तपस्या मुंह फुला कर बोली । नाराजगी उसकी शब्दों में साफ झलक रही थी ।विराट मुस्कुरा दिया।
"बोला ना अभी कि अगर आपने पढ़ लिया तो कयामत आ जाएगी तो जब कयामत लानी होगी तब खुली किताब बन जाऊंगा। तब तक इन पलों को मेरे साथ महसूस कीजिए ।"....बोलकर वो तपस्या को बाहों में भरकर ही मिरर के पास आ गया और तपस्या को अपने पास खड़ा कर खुद को सही करने लगा ।
"आप कहीं जा रहे हैं??"... तपस्या असमंजस में पूछी और घड़ी की तरफ देखा रात के 10:00 बज रहे थे ।
"एक मीटिंग है प्रिंसेस 11:00 बजे .....जाना ही पड़ेगा मैं भूल ही गया था आपके चक्कर में।".... विराट जल्दी-जल्दी में बोला और अपने ऊपर परफ्यूम्स स्प्रे करके तपस्या के दोनों गालों को चूम कर तेजी से वहां से निकल गया । तपस्या आंखें फाड़ विराट को देखती रही।
"चले भी गए।!! कितने अजीब इंसान है अभी तो इतना प्यार कर रहे थे और अभी ऐसे ही छोड़ कर चले गए ठीक से बात भी नहीं कि हमसे। "....इतना बोलकर उसने झपटकर अपना फोन उठाया और श्लोक को कॉल लगा दिया।
"एक बात बताइए आप हमें देवर जी .....आपके भाई क्या सचमुच इतनी बिजी हैं या फिर बस हमें चकमा देने के लिए एक्टिंग कर रहे हैं क्योंकि हमारा बिज़नेस भी बहुत बड़ा है और हमारे पापा भाई चाचू और दादू भी बहत बड़े बिजनेसमैन मेन है लेकिन हमने तो उन्हें कभी रात के 11:00 बजे मीटिंग अटेंड करते नहीं देखा ! वो भी अपने नए नवेली दुल्हन को यूं अकेले छोड़ कर!!!" श्लोक के फोन उठाते ही तपस्या उस पर बरस पड़ी थी ।
"अरे अरे भाभी जरा रुकिए सांस तो लीजिए और बताइए आखिर बात क्या है क्यों इतनी जोर से भड़क रहे हैं???".... श्लोक जो अभी-अभी ऑफिस से लौटा था और वॉशरूम के तरफ ही बढ़ रहा था तपस्या की बात सुन कर सोफे पर ही बैठ गया था।
कहानी जारी है ❤️ ❤️