Atit ka Saya - 3 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अतीत का साया - 3

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अतीत का साया - 3

और वे लौट आये थे ।ऑफिस में संजना के व्यवहार में  अंतर नहीं आया था।लेकिन यश फिर भी हैय्य हलो कर ही लेता था।केकेएक शनिवार को लंच ब्रेक में यश संजना से बोला"शाम को एक बात करनी है

और शाम को ऑफिस से बाहर निकलने पर यश उससे बोला,"कल शाम को फ्री हो।"

"क्यो?

"कल शाम को जुहू आ जाओ "

"क्यो?"

"मुझे तुमसे  कुछ बात करनी है।"

"तो उसके लिये जुहू जाने की क्या जरूरत है।बात तो कही भी की जा सकती है

"कुछ बाते ऐसी होती है जो शांत वातावरण में ही हो सकती है,"यश बोला,"आओगी न1

और संजना मान गयी थी

सन्डे को यश को संजना से मिलने की उत्सुकता थी।उसने संजना को 5 बजे बुलाया था।लेकिन खुद 4 बजे ही पहुंच गया था ।  इन तजार की घड़ी वैसे भी लम्बी होती है।जुहू पर लोगो के आने जाने का सिलसिला जारी था।यू तो दिन में भी खाली नही रहता।

यश का समय घड़ी देखकर बीत रहा था।और आखिर में एक बस आयी जिसमे से संजना उतरी थी।यश को देखकर बोली,"क्या मुझे देर हो गयी।"

"नही,"यश बोला था।

"यहा मुझे क्यो बुलाया है?"

"बात करने के लिये

"ऐसी क्या बात है

"बताऊंगा"यश बोला,"पहले  कही चलकर बैठते हैं

जुहू पर काफी भीड़ हो चुकी थी।कुछ लोग समुद्र में मस्ती कर रहे थे।एकांत की तलाश करते हुए यश, संजना के साथ काफी दूर तक चला आया था।एक चट्टान खाली थी।उसका आधा हिस्सा समुद्र में डूबा हुआ था।यश बोला,"यहा बैठते हैं।


और वे उस चट्टान पर बैठ गए थे।शाम ढलान पर थीं।मस्त हवा चल रही थी।समुद्र की लहरें शोर करती हुई आती और किनारे से टकराकर वापस लौट जाती।संजना ने बात शुरू की थी"अब बताओ"

यश अपने प्यार का इजहार करते हुए बोला,"मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"

यश की बात सुनकर संजना कुछ नही बोली तब यश उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला,"मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

"पहले मेरा अतीत तो जान लो।,

"संजना मुझे तुम्हारे अतीत से क्या करना है।मैने तुम्हे वर्तमान में चाहा है और हम भविष्य के बारे में सोचेंगे

"यश अतीत जिंदगी का हिस्सा होता है।उससे आदमी पीछा नही छुड़ा सकता।मेरे पास शादी का प्रस्ताव लेकर कई लोग आए।लेकिन मेरा अतीत जानकर

"तुम्हारी बात को मैं गलत नही बता रहा लेकिन मुझे तुम्हारे अतीत में नही झांकना है

"यश मैं नही चाहती शादी के बाद तुम्हे मेरा अतीत पता चले और या तो दाम्पत्य में दरार आये या तलाक की नोबत आये

"तुम चाहती हो तो अपना अतीत बता दो

"यश मेरा जन्म एक अपराधी पिता के घर मे हुआ था।मेरे पिता तस्करी, चोरी सब कुछ करते थे और उनसे एक खून भी हो गया और अब वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं

यश उसकी बात सुनकर चुप रहा, तब संजना बोली,"सुन रहे हो मैने क्या कहा

"तुंमने तो  किसी का खून नही किया

"नही

"फिर तुम दूसरे के अपराध का बोझ क्यो ले रही हो।जिसने अपराध किया वह सजा भुगत रहा ह4"यश बोला,"मुझे तुम पसन्द हो

संजना ने सोचा था अतीत जानकर औरों की तरह यश भी पीछे हट जाएगा पर ऐसा नही हुआ

औऱ वे लौट आए थे।एक दिन यश,संजना से बोला,"मेरी अमेरिका में नौकरी लग गयी है

"यह तो खुसी की बात है"संजना खुश होते हुए बोली,"कब जा रहे हो

"अगले महीने।अकेला  नहीं

"तो

"पत्नी के साथ।तुम  चलोगी

औऱ यश ने संजना से शादी कर ली औऱ वे नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहे थे

(समाप्त)