राहुल और रिया की अधूरी प्रेम कहानी
भाग 1: पहली मुलाकात
राहुल एक साधारण लड़का था, जिसका सपना था बड़ा लेखक बनने का। वह शब्दों से खेलता था, भावनाओं को कागज़ पर उकेरता था। दूसरी ओर, रिया एक खुशमिजाज और बेबाक लड़की थी, जो जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीती थी। दोनों की पहली मुलाकात कॉलेज के पहले दिन हुई थी।
राहुल हमेशा अकेला रहता था, किताबों में डूबा रहता, लेकिन रिया उससे बिल्कुल उलट थी—हंसमुख, बिंदास और हर किसी से घुलमिल जाने वाली। एक दिन लाइब्रेरी में, जब राहुल अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था, तभी रिया ने उसे छेड़ते हुए कहा,
"कौन-सी लड़की के बारे में लिख रहे हो, लेखक साहब?"
राहुल ने चौंक कर उसे देखा और मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जिसे अभी तक देखा नहीं, लेकिन शायद जल्द ही मिल जाऊं।"
रिया को राहुल की बातें अनोखी लगीं। उसने हंसते हुए कहा, "अगर तुम्हें कोई ऐसी लड़की मिल जाए तो मुझे भी बताना।"
यही पहली बातचीत थी, जिसने उनकी दोस्ती की नींव रखी।
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भाग 2: दोस्ती से प्यार तक
समय बीतता गया, और राहुल और रिया की दोस्ती गहरी होती गई। राहुल को महसूस होने लगा कि रिया उसकी जिंदगी का वो हिस्सा बन गई है, जिसे वह कभी खोना नहीं चाहता। वह उसकी हंसी में अपनी खुशी देखता था, उसकी हर बात को दिल से महसूस करता था।
वहीं, रिया को राहुल की सादगी और ईमानदारी पसंद थी। उसने कई लड़कों को देखा था जो सिर्फ दिखावे में जीते थे, लेकिन राहुल सच्चा था, गहरा था। वह रिया की हर छोटी-बड़ी बातों का ख्याल रखता था, उसके पसंदीदा गुलाब जामुन लाना कभी नहीं भूलता था, और जब भी वह उदास होती, उसे अपनी कविताएँ सुनाकर हंसाने की कोशिश करता था।
एक दिन कॉलेज के गार्डन में, जब बारिश हो रही थी, रिया ने अचानक कहा,
"राहुल, कभी सोचा है कि किसी से इतना प्यार हो जाए कि बिना कहे भी वो तुम्हारी हर बात समझ जाए?"
राहुल ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा, "हाँ, मैंने सोचा है… और मैं शायद उसे जानता भी हूँ।"
रिया कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन उसने इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
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भाग 3: कबूलनामा
राहुल के लिए अब यह छुपाना मुश्किल हो रहा था। उसने फैसला किया कि रिया को अपने दिल की बात बता ही देनी चाहिए।
एक शाम, कॉलेज का आखिरी साल चल रहा था। राहुल ने रिया को अपनी डायरी की सबसे खूबसूरत कविता सुनाई, जो उसने सिर्फ उसके लिए लिखी थी।
"तू मेरी धड़कनों में धड़कता है,
हर लफ्ज़ तेरा नाम लिखता है।
मोहब्बत हो गई तुझसे,
अब ये दिल तेरा इंतजार करता है..."
रिया ने कविता सुनी, मुस्कुराई, लेकिन कुछ बोली नहीं। राहुल ने उसकी आँखों में देखा और कहा,
"रिया, मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ। क्या तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा बनोगी?"
रिया की आँखों में आंसू आ गए। उसने राहुल का हाथ पकड़ा और कहा, "राहुल, तुम दुनिया के सबसे अच्छे लड़के हो, लेकिन… लेकिन मेरा रिश्ता कहीं और तय हो चुका है।"
यह सुनकर राहुल को ऐसा लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया थम गई हो। वह कुछ बोल ही नहीं पाया। रिया ने रोते हुए कहा, "काश, मैं तुम्हें पहले मिली होती…"
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भाग 4: अधूरी मोहब्बत
रिया की शादी का दिन आ गया। राहुल ने खुद को कमरे में बंद कर लिया, किसी से नहीं मिला। वह बस अपनी कविताओं में डूबा रहा, बार-बार रिया की हंसी, उसकी बातें, उसकी आँखें याद कर रहा था।
शादी के बाद रिया विदेश चली गई। राहुल की जिंदगी में वही अकेलापन लौट आया, लेकिन अब वह सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि यादों में भी खोया रहता था।
कई साल बाद, जब रिया भारत आई, तो उसने राहुल की किताबें देखीं, जो अब मशहूर हो चुकी थीं। उन किताबों के हर पन्ने पर उसका जिक्र था, हर कविता में उसकी महक थी। रिया ने राहुल से मिलने की कोशिश की, लेकिन राहुल अब कहीं खो चुका था, सिर्फ उसके शब्दों में जिंदा था।
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अंतिम शब्द
कुछ प्रेम कहानियाँ मुकम्मल नहीं होतीं, लेकिन उनकी खूबसूरती उनकी अधूरापन में ही होती है। राहुल और रिया की मोहब्बत भी अधूरी थी, लेकिन शायद यही अधूरापन उन्हें हमेशा के लिए अमर बना गया।