"एक अधूरी मोहब्बत की खूबसूरत कहानी"
रवि और सिया की कहानी किसी सपने से कम नहीं थी। दोनों की मुलाकात कॉलेज के पहले दिन हुई थी। रवि एक सीधा-साधा लड़का था, जिसे किताबों और कविता लिखने का शौक था, जबकि सिया एक चंचल और खुशमिजाज लड़की थी, जिसे जिंदगी को खुलकर जीना पसंद था।
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई। सिया को रवि की कविताएँ बहुत पसंद आती थीं, और रवि सिया की मुस्कान का दीवाना था। दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों को पता ही नहीं चला। रवि की दुनिया सिया के बिना अधूरी लगने लगी, और सिया के दिल में भी रवि के लिए एक खास जगह बन गई।
लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। सिया का परिवार उसे किसी और के साथ देखना नहीं चाहता था। उन्होंने उसकी शादी एक बड़े बिजनेसमैन से तय कर दी। रवि ने बहुत कोशिश की, पर सिया अपने परिवार के खिलाफ नहीं जा सकी।
शादी के दिन रवि दूर से देखता रहा, आँखों में आँसू लिए, दिल में अधूरी मोहब्बत का दर्द लिए। सिया भी रवि को खोज रही थी, लेकिन वह जानती थी कि अब सब कुछ बदल चुका है।
शादी के बाद सिया विदेश चली गई, और रवि ने अपने दर्द को अपनी कविताओं में उतार दिया। उसकी हर कविता में सिया की झलक होती थी, हर शब्द में उसकी अधूरी मोहब्बत की टीस महसूस होती थी।
वक्त बीतता गया, पर उनकी यादें कभी धुंधली नहीं हुईं। सिया को जब भी रवि की कविताएँ इंटरनेट पर मिलतीं, उसकी आँखों में आंसू आ जाते। रवि को भी सिया की मुस्कान आज भी उतनी ही याद थी, जितनी उस दिन जब उन्होंने पहली बार एक-दूसरे को देखा था।
कभी-कभी प्यार मुकम्मल होने के लिए नहीं, बल्कि हमेशा दिल में जिंदा रहने के लिए होता है...
ये एक अधूरी मगर खूबसूरत मोहब्बत की कहानी थी, जो शायद कभी पूरी नहीं होगी, लेकिन हमेशा यादों में जिंदा रहेगी।
एक अधूरी मोहब्बत: बारिश की रात
रवि और सिया की प्रेम कहानी किसी खूबसूरत कविता जैसी थी, जिसे किस्मत ने अधूरा छोड़ दिया। उस रात भी बारिश हो रही थी, जैसे आसमान भी उनके दर्द में रो रहा हो। रवि, हाथ में अपनी डायरी लिए, उसी जगह खड़ा था जहाँ कभी सिया ने उससे कहा था, "तुम्हारी कविताओं में मैं खुद को देख सकती हूँ।" आज भी उसकी आँखों में वही चमक थी, पर होंठों पर एक दर्द भरी मुस्कान थी।
दूसरी ओर, सिया अपनी शादी के बाद पहली बार उसी शहर में आई थी। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, आँखें बारिश से भीगी हुई थीं या शायद आँसुओं से, उसे खुद नहीं पता। जब उसने रवि को देखा, तो वह वहीं ठहर गई। वह पास जाना चाहती थी, उसे बताना चाहती थी कि वह अब भी उसी की है, लेकिन फासले इतने बढ़ चुके थे कि अब सिर्फ निगाहें ही बात कर सकती थीं।
कुछ देर बाद रवि ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुका लिया और धीरे-धीरे वहाँ से चला गया। सिया बस उसे जाते हुए देखती रही, समझ नहीं पाई कि यह बारिश थी या उसकी आँखों का सैलाब, जो उसे रोक नहीं सका।