Monster the risky love - 35 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 35

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दानव द रिस्की लव - 35

ये चिंगारी क्यू भड़की......

…..Now on..........

 
विवेक : क्या हुआ हाथ में बताओ भी.......?
अदिति : कुछ नहीं हल्की सी चोट है ठीक हो जाएगी.....
विवेक : तुम्हारे हाथ पर बहुत चोट लगने लगी हैं...…
अदिति : विवेक इतना serious होने की जरूरत नहीं है....... चलो अब..
विवेक: हां......
आदित्य : अदि तक्ष नहीं जाएगा......
अदिति : पता नहीं भैय्या......
तक्ष : मैं जाऊंगा..….(नीचे आते हुए तक्ष ने कहा).....
विवेक : ये ठीक है अब......?
अदिति : हां.....
आदित्य : अच्छी बात है जाओ .....
विवेक : (मन में)......कल तो बिल्कुल गिरा हुआ हो रहा था...आज ठीक भी हो गया....कल ही अदिति के साथ में चोट लगी..कुछ तो mysterious है जो सामने है वो झूठ है..
अदिति : विवेक कहां खो गए चलो.....
विवेक : हां...…. चलो 
अदिति : bye भैय्या....
आदित्य : bye 
तीनों कालेज पहुंचते हैं.....…
कंचन ‌‌: लो हमारे best couple भी आ गये.......
हितेन : hey Aditi looking beautiful....…!
अदिति : thanks ..... श्रुति (श्रुति तो बस तक्ष को ही देख रही थी)..... श्रुति (पकड़ कर हिलाती है)....
श्रुति : हां.....
अदिति : कहां खो गई madam......?
श्रुति : कहीं नहीं बस ऐसे ही ...…
विवेक : (तक्ष को देखकर).. लगता है श्रुति भी किसी में खो गई है....(धीरे से)... प्यार अच्छा है पर सोच समझकर कर ही फैसला लेना जो जैसा दिखता है वैसा ज़रुरी नहीं सामने हो.....(श्रुति कुछ नहीं कहती बस विवेक की बातें सुनकर उलझन सी खड़ी हो जाती है)..….
कंचन : चलो अब तुम दोनों यही खड़े रहोगे क्या.....?
विवेक : हां......
तक्ष : (मन में)....ये मुझे क्यूं देख रहा था.…(गुस्से में)...कुछ तो करना पड़ेगा मैं ये और बर्दाश्त नहीं कर सकता.... तुम्हें और नजदीक नहीं आने दूंगा.......
हितेन : guys मैंने एक plan सोचा है......
विवेक : कैसे plan ......?
हितेन : क्यूं न   इस  Weekend  camping के लिए चलो....
अदिति : nice .....
विवेक : तुम्हें जाना है......
अदिति : हां विवेक चलते हैं न......
श्रुति : हां......
विवेक : done इस .  weekend हम camping पर चलेंगे...
कंचन : बात अब बाद में करना जाओ दोनों ......
अदिति : हां......
दोनों function hall में पहुंचते हैं .... दोनों के पहुंचते ही hooting शुरू हो जाती है ....
कंचन : इन दोनों की बात ही अलग है .....
हितेन : पूरा कालेज दोनों के performance का बेसब्री से इंतजार करता है.…....
कंचन : हां.....
तक्ष को पता नहीं क्यूं बहुत गुस्सा आ रहा था.....
श्रुति : तक्ष क्या बात है तुम कुछ अजीब react कर रहे हो....
तक्ष : कुछ नहीं.....
श्रुति भी तक्ष से बात करने के बहाने ढूंढ रही थी...पर तक्ष का कोई खास reaction नहीं था ......
(दोनों की performance पूरी होती है).....
.......out of functions hall.....
हितेन : तुम दोनों ने तो कमाल कर दिया......
विवेक : thanks....चल अब ....
हितेन : cafe ......
विवेक : भुख्कड चल ..…
अदिति : अरे ! मैं अपना बैग भूल आई......तू चल मैं पहुंच जाऊंगी...
कंचन : ठीक है जल्दी आना......
अदिति : हां बस दो मिनट......
कंचन : ओ मैडम.....अब उसे ही ताड़ती रहेगी....
श्रुति : यार ये तक्ष तो कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है.....
कंचन : उसे तू पसंद नहीं.....
श्रुति : क्या.....मुझ जैसी लड़की उसे कहीं नहीं मिलेगी.....
कंचन : हां वो तो सब जानते हैं......
श्रुति : तू मेरा मजाक बना रहीं है......
कंचन : गुस्सा क्यूं होती है उससे बात कर.....(अदिति आती है)....
अदिति : किससे बात करनी है....?
श्रुति : अदिति तू बैग ले आई.....
अदिति : हां.... बता तो क्या बात करनी है.....?
कंचन : मैं बताती हूं.…...ये मैडम तक्ष को चाहने लगी हैं.....
अदिति : तक्ष को.....(हैरानी से)..... तो ..... क्या उसने मना कर दिया..?
कंचन : इसने अभी बात ही नहीं करी .....
अदिति : तो बोल उससे.....
हितेन : hey girls चलो जल्दी.....
कंचन : हां.....
अदिति : तक्ष एक मिनट इधर आओ.......
श्रुति : उसे क्यूं बुला रही हैं.….?
अदिति : तू चुप कर .....
तक्ष : क्या बात है अदिति......?
अदिति : तक्ष श्रुति तुमसे कुछ कहना चाहती है.....
तक्ष : क्या बात है....?
अदिति : कंचन चल......(दोनों चली जाती है)....
तक्ष : क्या बात है.....?
श्रुति : तुम ऐसे ही rude हो......
तक्ष : क्यूं......?
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विवेक : श्रुति कहां है.......?..... वो नहीं आई....
अदिति : आएगी अभी.....
हितेन : सबसे पहले आने वाली आज गायब है......
विवेक : तक्ष भी नहीं है.....?
कंचन : विवेक तुम ज्यादा ही सवाल करते हो .....सुनो फिर श्रुति को तक्ष पसंद है बस अपने दिल की बात बताने गई है.....
विवेक : क्या .....मैं बताया था पर वो समझी नहीं.....
अदिति : विवेक तक्ष बुरा नहीं है.....
विवेक : शांत रहो अदिति (चला जाता है)....ये पिशाच पता नहीं किस किस को और फंसायेंगे......
अदिति : विवेक ...... ऐसा क्यूं कर रहे हो तुम..... 
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विवेक : श्रुति......जाओ यहां से तुम .....!
श्रुति : विवेक ...... क्या बात है....? ( तक्ष चला जाता है)
विवेक : चलो यहां से .... मैंने तुम्हें समझाया था न जो भी करो सोच समझकर ही करना अचानक फिर.....
श्रुति : मैं अभी तैयार नहीं थी पर अदिति ने force किया तो.....
विवेक : अदिति..... क्या हुआ तुम्हें .... श्रुति ध्यान से सुनो तक्ष तुम्हारे तो क्या किसी के लायक नहीं है तुम अभी सच्चाई से अंजान हो वक्त आने दो सब समझा दूंगा......
श्रुति : ठीक है.....
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अदिति : तक्ष .....इतने उदास क्या हुआ......?
तक्ष : (मन में)... अदिति को विवेक से दूर करने का तरीका तो ढूंढ ही रहा था............. अदिति श्रुति मुझे पसंद है वो भी खुश थी लेकिन विवेक ने सब कुछ बिगाड़ दिया... अदिति मैं पिशाच नहीं हूं विवेक मुझे पिशाच क्यूं कहता है.....(रोने का नाटक करता है).....
अदिति :  तक्ष चुप हो जाओ  , मेरी ही गलती थी …पता नहीं विवेक को क्या हुआ है......
तक्ष : नही अदिति ……
विवेक : क्या हुआ है मुझे अदिति....…?
अदिति : विवेक क्या problem है तक्ष में श्रुति को भी तक्ष पसंद है तो तुम्हें क्या परेशानी है.....और बार बार तक्ष को पिशाच क्यूं कह रहे हो.. क्या तुम्हें ये पिशाच लगता है.....
विवेक : लगता नहीं है .... है ये.....और तुम अदिति क्यूं श्रुति पर forcefully हां करवा रही हो......
श्रुति : तुम दोनों प्लीज शांत हो जाओ ……
अदिति : तुम्हें श्रुति की बहुत चिंता है.......रखो इसे अपने पास... चलो तक्ष .…और हां तक्ष पिशाच नहीं है …..
विवेक : अदिति ये क्या बोल रही हो ..... मैं तो सिर्फ दोस्ती की वजह से साथ हूं.....
अदिति कुछ नहीं बोलती बस चली जाती है.........तक्ष विवेक के पास आकर कहता है
तक्ष : ह... मुझसे जरा दूर ही रहा करो ज्यादा जासूसी करना ऐसे ही भारी पड़ सकता है....…(चला जाता है)......
 
.................to be continued...............