जीवन का प्रत्येक पल प्रहर नव संदेश का आगमन होता है एवं प्रत्येक सूर्योदय नव सूर्योदय अर्थात सत्य यही है कि प्रत्येक प्राणी का जीवन उसके जीवन के प्रत्येक पल प्रहर के अनुसार ही परिभाषित होता है एव जाना पहचाना जाता है ।समय कि गणना के लिए पल प्रहर प्रभात संध्या दिवस रात्रि दिवस सप्ताह पक्ष माह वर्ष में विभाजित कर राशियों एव ग्रहों कि गति एव उनकी स्थिति के अनुसार समय काल कि गणना कि जाति है ।दिवस चौबीस प्रहर का सप्ताह सात दिवस का और पक्ष पंद्रह दिवसों का एव माह दो पक्षो को मिलाकर तीस दिवसों के माह में कुल दो पक्ष होते है जो चंद्रमा कि गति पर आधारित होते है क्रमश चंद्रमा का एक से पंद्रह दिनों आकार बढ़ता है और पूर्णिमा को पूर्ण चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण चमक चाँदनी उजियार के साथ उदय होता है पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार भाटे कि ऊंची ऊंची लहरे उठती है जो बड़े वेग से आकाश में चंद्रमा कि तरफ अर्थात चंद्रमा को छू लेने कि कोशिश करती है ।पूर्णिमा के अगले दिन से निरंतर पंद्रह दिनों तक चंद्रमा का छरण होता है और पन्द्रहवें दिन चंद्रमा का अस्तित्व शून्य में समाहित हो जाता है इस रात्रि विशेष को आमस्या के रूप में जाना जाता है अमावस्या अर्थात घनघोर अंधेरा चारो तरफ अंधेरा अर्थात काल का सत्यार्थ।जीवन का पराक्रम काल सूर्योदय से सूर्यास्त तक एव जन्म जीवन का सत्यार्थ निशा काल है ठीक माह के दो पक्षो कि तरह शुक्ल पक्ष है जीवन के पराक्रम काल का उजियार तो निद्रा कि निशा जन्म जीवन के यथार्थ का अंतिम सत्य है। अंधेरा यह सामान्य काल समय का नियम जो प्राणि विशेषकर मानव जिसे सोचने समझने अन्वेषण करने एव जानने की क्षमता प्राप्त है अपने पराक्रम ज्ञान योग तप साधना से निशा कि निद्रा अमावस्या के भयानक अंधकार को उपलब्धियों के उजियार में परिवर्तित कर प्रारब्ध पराक्रम एव परमात्मा के समन्वय का नव काल सृजित कर जन्म जीवन के कालचक्र कि महामाया जाल से स्वंय को मुक्त कर लेते है ।सनातन में ऋषियों की साधना तप एव उनकी उपलब्धि को ब्रह्मांडीय सत्य के रूप में प्रस्तुत कर प्राणि को परमात्मा के सत्य तत्व के अन्वेषण एव उसमें विलय कि प्रेरणा देते है।वर्ष कि गणना सूर्य एव चंद्रमा कि गतियों के आधार पर किया जाता है।(अ )चन्द्र वर्ष-- चन्द्र वर्ष तीन सौ चौवन तीनो का होता है।(आ)सूर्य वर्ष--पृथ्वी द्वारा अपनी कक्षीय धुरी पर सूर्य कि पूर्ण परिक्रमा को सूर्य आधारित वर्ष कहा जाता है जो 365 दिवसों का होता है।जिसके अनुसार वर्ष में दो अयन छः छः मास के दो दो माह कि छः ऋतुएं एव एक आयन में तीन ऋतुएं उत्तरायण एव दक्षिणायन होते है।इन्ही सिंद्धान्तों के अंतर्गत वैदिक गणना के अनुसार समय काल की गणना कि जाती है और वर्षों की गणना कि जाती है ।सनातन धर्म के नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है चूंकि सनातन में ही नारी को ब्रम्ह शक्ति सत्ता अर्थात परमेश्वर परमात्मा सत्ता के केंद्र के रूप में प्रतिस्थापित स्वीकार किया गया है अतः सनातन नव वर्ष का शुभारंभ वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिवस नारीशक्ति कि आराधना से होती है। ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयव प्रकृति एव प्राणि में प्रकृति पुत्री शैल पुत्री कि आराधना केसाथ।(क)नवसवत्सर का शुभारंभ वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिन से चैत्र प्रतिपदा से ही क्यों ?--आर्यावर्त के बचे शेष भाग भारत मे ही सनातन बहुतायत है आर्यावर्त में चार मौसम तीन तीन माह एव छः ऋतुएं दो दो माह का प्रत्यक्ष प्रभाव परिलक्षित होता है शीत काल की समाप्ति एव ग्रीष्म के मध्य का समय वेहद आकर्षक एव प्रकृति प्राणि एव प्राण के लिए सर्वथा प्रसन्नता लिए होता है ना सर्द ना गर्म सुंदर मनोहर वातावरण प्रकृति कि निराली छटा सूर्य मकर राशि मे उत्तरायण प्रकृति कि काया में सकारतात्मक परिवर्तन पेड़ों से पुराने पत्ते त्याग नए कोमल किसलय के आगमन नव जीवन के उत्साह उमंग का एहसास कराती है ऋतु एव मौसम दोनों प्राणि के पराक्रम प्रारब्ध के अनुकूल पवन के हल्के हल्के झोंको में भीनी भीनी सुगंध आम के बौर एव महुए के चौर पलाश के फूल चिड़ियों की चहक किसानों के खेते में उनके पराक्रम पुरुषार्थ के भविष्य की फसलों की झूमती बाली प्रत्येक प्रभात नव उत्साह उमंग जीवन संस्कार संदेश लिए दिनकर आदित्य चहूं ओर खुशहाली प्रकृति प्राणि परमेश्वर परमात्मा के अद्भुत संयोग सामंजस्य का काल समय नकारात्मक होलीका दहन युग सृष्टि के नव आशा विश्वास नाकारात्मकता के शिखर दानवता कि कोख से युग प्रवर्तक प्रह्लाद का अभ्युदय नारायण श्री हरि का प्रकृति प्राणि के समन्व के पराक्रम उत्कर्ष का सिंह एव मानव का संयुक्त नरसिंह अवतार मधुमास वसंत भौंरो का गुंजन पुष्पों के विविधता के रंग नए काल समय को परिभाषित करने एव आगमन के लिए सर्वथा सबसे उपयुक्त अवसर हैं ।संधिकाल पुराने संवत्सर कि उपलब्धियों हानि लाभ जय पराजय दुःख सुख संयोग वियोग कि स्मृतियां होती है तो नवआशा विश्वास उत्साह उमंग उपलब्धि कि आकांक्षाओं से आकच्छादित स्वच्छ सुंदर आकर्षक आकाश तो प्रकृति परमेश्वर कि संयुक्तता से संजी संवरी अवनी नए संवत्सर के आगमन एव स्वागत हेतु प्रकृति प्राणि ब्रह्मांड ब्रह्म परमात्मा परमेश्वर के बिभन्न स्वरूपों में नवकाल समय का अभिनंदन करती है।(ख)नवसंवत्सर के शुभारंभ के पावन अवसर पर अद्भुत संयोग---नवसंवत्सर का शुभारंभ सिंह लग्न में एव सूर्य चंद्रमा मीन लग्न में संचरण करेंगे जो नए सवंत्सर का शुभारंभ विशिष्ट एव अद्भुत उपलब्धियों के संकेत देता सूर्य चंद्रमा बुध शनि और राहु कि युति बुधादित्य मालव्य राजयोग भी होंगे।खनिज धातु बुध खाद्य पदार्थो का स्वामी मंगल वर्षा के स्वामी सूर्य फलेश के स्वामी शनि है।रोहिणी का निवास समुद्र होगा रेवती नक्षत्र संध्या 6.14 तदुपरांत अश्वनी नक्षत्र शुरू होगा मीन लग्न सुबह 6.36 तद्पश्चात मेष लग्न का शुरू होगा। सूर्य बुध शुक्र शनि शुक्र एक साथ मीन राशि मे संचरण करेंगे केतु कन्या राशि मे देवगुरु बृहस्पति बृषभ राशि मे मंगल मिथुन राशि मे रहेंगे नव सवंत्सर कलयुक्त का स्वामी सूर्य है जो माली के घर निवास करेंगे।(ग)नवसंवत्सर के राजा और मंत्री( सूर्य)के पर्याय नाम एव विशेषताएं--सूरज के अन्य नाम- आदित्य ,अर्क ,भानु ,सविता, पूषन, रवि, मार्तण्ड ,मित्रा ,भास्कर, काथीरावन ,विवस्वान ,प्रभाकर, दिवाकर आदि सूरज नाम माता अदिति के नाम पर पड़ा है सूरजसूरज ऋषि कश्यप एव अदिति के पुत्र है वामन अवतार भी ऋषि कश्यप एव अदिति के प्रारब्ध से ही हुआ था सूर्य पुत्र शनि है जो न्याय के दण्डधारी देव एव ग्रह है।(घ)सूर्य के गुण- सूर्य पराक्रम काल का उदय तथा प्रारब्ध एव पराक्रम कि प्रेरणा उत्साह उपलब्धि अवसर है स्वभाव से बहुत तेजस्वी अंतर्मन गहराई में ज्वाला अंगार अंधकार को समाप्त करने वाला आशा विश्वास निराशा को समाप्त कर आशा के रक्त लालिमा का प्रवाह हैं सूर्य निराशा एव तमस का नाश करते है।(ई)--नवसंवत्सर सिद्धार्थी (2082)- भारतीय परिपेक्ष्य में नवसंवत्सर कि अवधारणा सनातन आस्था के अस्तित्व का सत्यार्थ है अतः भारत के परिपेक्ष्य में नवसंवत्सर कि गणनाएं प्रथम एव आवश्यक है भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र राष्ट्र एव जन संख्या के आधार पर लगभग बीस प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनित्व करता है अतः भारत की आर्थिक सामाजिक राजनीतिक स्थिति अवस्थाएं सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करती है अतः भारत के परिपेक्ष्य में नवसवत्सर सिधार्थी का ज्योतिषी गणित विज्ञान के आधार भविष्य के संकेत प्रस्तुत है1-आर्थिक -- नवसंवत्सर के राजा एव मंत्री दोनों ही सूर्य ही है जिनका उदय प्रत्येक प्रातः आशाओं कि शीतल लालिमा लिए होता है मध्यान प्रचंडता लिए तो संध्या प्रभात कि तरह शीतल और दिवस कि व्याख्या एव अवसर उपलब्धियों कि व्यख्या होती है ठीक इसी प्रकार इस वर्ष भारतीय अर्थ व्यवस्था अप्रैल से जून तक अपने प्रभाव के प्रथम चरण में मजबूती का प्रदर्शन करेगी एव 6.5 प्रतिशत सकल घरेलु उत्पाद कि संभावना कि प्रबलता को परिलक्षित करेगी जुलाई से अट्यूबर नवसवत्सर अपना प्रभाव दिखायेगा और अर्थव्यवस्था में तेज उतार चढ़ाव के अस्थाई दौर से गुजरता रहेगा आद्योगिक उत्पादन एव निवेश कि भूमिका विशेष रहेगी आयात निर्यात में असंतुलन कि स्थिति दिखेगी और किंतु इस दौर में अनेको विसंगतियों के वावजूद विकास कि दर निरंतर अपनी गति से चलती रहेगी जिसमे स्टील सीमेंट रियल स्टेट एव आटोमोबाइल सेक्टर के एव अध्याय आयाम बन सकते हैनवसवत्सर सिद्धार्थी के अन्तिम छः महीनों में अर्थव्यवस्था में तेजी दिखेगी जो सभी अनुमानों से आगे निकलती परिलक्षित होगी भरतीय मुद्रा का अंतराष्ट्रीय स्तर पर अवमूल्यन संसय को बरकरार रखेगा जिसमे सुधार होंगे कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर मजबूत एव राष्ट्रीय विश्वास का मापांक ही होगा।2-मौसम--नवसवत्सर में अनुमानित वर्षा से कम वर्षा अवश्य होगी किंतु सूखे की भयंकर स्थिति नहीं बनेगी वर्षा सर्दी की अति देखने को नही मिलेगी नवसंवत्सर कि गणनाएं स्प्ष्ट करती है कि प्राकृतिक आपदा पर राष्ट्रीय व्यय पिछले वर्षों की तुलना में घटेगा अर्थात प्राकृतिक आपदाओं कि संख्या और आयाम(फ्रीक्वेंसी) नियंत्रण में रहेगी ऋतुएं अपनी गति एव मौसम सामान्य ही रहने की कोशिश करेंगे असमान्य होने की गति से दूर रहेंगे।3-कृषि--- भारत कृषि प्रधान देश है कभी 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर थी तेजी से बदलते राष्ट्रीय एव अंतराष्ट्रीय हालत एव तेजी से हो रहे शहरीकरण ने कृषि पर भरतीय समाज की निर्भरता को समेटना शुरू किया है जो आप कुल आबादी का 70 प्रतिशत के दायरे में है यह प्रक्रिया और तेजी से वर्तमान नवसवत्सर में बढ़ेगी किंतु कुल कृषि उत्पादन में आश्चर्यजनक बृद्धि कि प्रबल सम्भावनाओ का नवसवत्सर है सिधार्थी नवसवत्सर में कृषि उत्पाद भरतीय कृषि कृषक एव समाज को उत्साहित कर सकते है गेंहू धान का उत्पादन बढ़ने का विश्वास है तो तिलहन दलहन दुग्ध मछली मांस आदि कृषि उत्पादों में अनुमान से अधिक उत्पादन एव निर्यात के निखार को स्प्ष्ट करता है नवसवत्सर सिद्धार्थी सब्जी के का कोई उत्पाद इस संवत्सर में कोई समस्या नही बनेगा जैसे प्याज टमाटर आलुआदि कुल मिलाजुलाकर सकल घरेलु उत्पाद में भरतीय कृषि का योगदान बढ़ेगा।4-पड़ोसियों से सम्बंध--- भारतीय उपमहाद्वीप के लिए पड़ोसी ही चुनौती है सम्बन्धो में उतार चढ़ाव तेज होगा और हानिकारक होगा चीन जिसका नेतृत्व कर सकता है क्योकि भरतीय उपमहाद्वीप के पड़ोसी देश अपनी आंतरिक स्थिति के कारण चीन का स्वागत करगे एव चीन को सभी सम्भव व्यापारिक सामरिक सुविधाओं को देकर आत्मसर्मपण करेंगे जिसका परिणाम भारत के सीमाओं पर दिखेगा जो भारत की चिंताओं को बढ़ा सकता है ।5-आंतरिक स्थिति--भारत कि आंतरिक शांति में उथल पुथल वेवजह होंगे जिसका कोई अर्थ वर्तमान एव भविष्य के लिए नहीं होगा सामाजिक तनाव की गर्मी से भरतीय समाज असाधरण ताप को महसूस करता रहेगा जिसमे ऐसे लोंगो की संदिग्ध भूमिका सम्भवः है जो समय सामर्थ्य का उपयोग राष्ट्र समाज के लिए नहीं बल्कि व्यक्तिगत हितों के लिए करते है अतः भरतीय समाज को आंतरिक सुरक्षा के प्रति सजग एव स्प्ष्ट नीतियों के साथ दृढ़ रहने को आदेशित करता है नवसवत्सर सिद्धार्थी।6-राजनीतिक स्थिति---नव संवत्सर में 2082 में सिर्फ बिहार राज्य के चुनौतीपूर्ण चुनाव होने वाले है जिसमें शांत विग्रह है जन सुराज भारतीय जनता पार्टी एव कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए महत्वपूर्ण है यह चुनाव मैंने अपने बहुत से मित्रों को प्रशांत किशोर एव चिराग बिहार कि नई चेतना विकास के लिए तब कहा था जब 2024 के लोकसभा के आम चुनाव नही हुआ था अब समय एव समीकरण दोनों बहुत आगे निकल चुके है हालांकि किसी भी राजनीतिक सर्वे में जनसुराज कि शक्ति को नही आंका गया है और उसे शून्य ही मानकर सभी राजनैतिक दल अपनी अपनी रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे है जबकि सभी सच्चाई से अनभिज्ञ है मैं नहीं जानता कि बिहार के जातिवादी दलदल में प्रशांत किशोर किस जाति से आते है मैं तो सिर्फ एक गणतिय गणना ही प्रस्तुत कर रहा हूँ प्रशांत किशोर को कम आंकने कि भूल करने वाले या तो बिहार को नही जानते या बिहारी राजनीति को प्रशांत किशोर शत्रुघ्न सिन्हा नहीं है नवसवत्सर की गणनाएं यह स्प्ष्ट नही करती की जनसुराज बिहार की सत्ता शिखर बनने जा रही है किंतु उसके शसक्त राजनैतिक उदय को बहुत स्प्ष्ट करती है। नवसवत्सर कि गणनाएं और परिणाम भारतीय जनता पार्टी एवं जे डी यू को सत्ता का मजबूत दावेदार मानते है किंतु तेजस्वी का भाग्योदय होने के पथ पर नवसवत्सर उन्हें किसी भी उपहार से उपकृत कर सकता है अतः यह चुनांव नीतीश जी एव मोदी जी के लिए बहुत बड़े संकेत देंगे अतः नवसवत्सर सिद्धार्थी सत्ता शक्ति की जागृति का आवाहन करता है जो भविष्य के अनेक संकेतो को अपने अंतर्मन में समेटे हुए है।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।