1."ख़ामोश लफ़्ज़"
ख़ामोश लफ़्ज़, बेज़ुबान रातें,
आँखों में बसी कुछ अधूरी बातें।
चाँद भी थककर सो गया है,
पर दिल मेरा अब भी रो गया है।
सांसें चलती हैं, पर रूह ठहरी है,
तेरी यादें अब भी वहीं ठहरी हैं।
हवा में घुला है तेरा अहसास,
पर छू नहीं सकता, यही है त्रास।
एक मोड़ था, जहाँ हम रुके थे,
एक लम्हा था, जब हम जुड़े थे।
अब वही मोड़, वीरान लगता है,
तेरी यादों का तूफान लगता है।
लफ़्ज़ बिखरते हैं, मगर जुड़ते नहीं,
ज़ख़्म पुराने हैं, मगर मिटते नहीं।
इश्क़ था, या बस एक फ़साना,
पर दिल कहता है, तुझे भुलाना न आना।
2."टूटी शाख का दर्द"
सूखा हुआ एक पत्ता हूँ,
टूटी शाख से बिछड़ा हूँ।
कल तक था मैं घना साया,
आज हवाओं में बिखरा हूँ।
कभी बहारों ने चूमा था,
कभी धूप ने सहलाया था।
अब तन्हाई की गहरी रातें,
मुझे हर रोज़ डराती हैं।
थी जिस डाल से पहचान मेरी,
वो अब किसी और का सहारा है।
मैं ज़मीन पर गिरा हुआ हूँ,
और मेरा कोई किनारा है?
बादल भी रोते लगते हैं,
जब यादों की बारिश होती है।
पर इस बंजर दिल की मिट्टी में,
अब कोई कली नहीं खिलती है।
3."बिखरी हुई बातें"
कुछ बातें बिखर गई हवा में,
कुछ आंसू सूख गए दुआ में।
जो कहा नहीं, वो दर्द बन गया,
जो सुना नहीं, वो ख़्वाब बन गया।
रास्तों पर ठहरे हैं साए,
मंज़िलें पूछती हैं ठिकाने,
खुद को समझाने निकले थे,
पर और उलझ गए फ़साने।
चाँदनी भी उदास लगती है,
अब रातों में वो बात नहीं,
ख़ुशबू भी ठहर सी जाती है,
अब सांसों में वो ज़ज्बात नहीं।
जो खो गया, शायद लौटे नहीं,
पर दिल में इक खालीपन छोड़ गया,
कुछ रिश्ते अधूरे रह जाते हैं,
जिन्हें वक़्त भी नहीं जोड़ पाया।
4."बिछड़ने की वो आखिरी शाम"
ख़ामोशियों में लिपटी थी,
वो आखिरी शाम हमारी…
न लफ्ज़ बोले, न आँसू गिरे,
बस आँखों में थी बेकरारी।
हवा में बिखरी थी यादें,
जो अब लौटकर न आएँगी,
तेरी हँसी की वो गूँज,
मेरे दिल में रह जाएँगी।
छूटा था हाथ जो कभी थामा था,
अब बस लकीरों में रह गया,
जो सपना तेरी आँखों में था,
वो अधूरा ही ढह गया।
मैंने तुझमें जो खुद को पाया था,
वो हिस्सा मेरा नहीं रहा,
तेरी दुनिया में अब मैं हूँ ही नहीं,
पर मेरी रूह तुझसे जुदा नहीं रहा।
चलो, अब इस दर्द को ओढ़ लेते हैं,
तेरी यादों का साया बनकर,
जो मुकद्दर में नहीं लिखा था,
उसे अश्कों में बहा देते हैं।
5."खोई हुई मुस्कान"
वो हँसी जो कभी मेरे होठों पे थी,
अब आईने में भी नज़र नहीं आती।
दिल जो कभी बेफिक्र धड़कता था,
अब हर धड़कन में उदासी समाती।
ख़्वाब जो आँखों में जगमगाते थे,
अब बिखरे पड़े हैं ज़मीं पर कहीं।
कभी जो रोशनी संग चलते थे,
अब अंधेरे ही हैं हमराह यहीं।
लफ़्ज़ों में छुपा था जो प्यार कभी,
अब सिसकियों में ढल गया है।
जो रिश्ता कभी सांसों सा था,
अब बस यादों में जल गया है।
मैं ढूँढता हूँ खुद को हर राह में,
पर परछाइयों से आगे नहीं जाता।
जो अपना था, अब अजनबी सा है,
और दिल किसी से कुछ कह नहीं पाता…
6.खो गया हूँ कहीं
खो गया हूँ कहीं, खुद को ही ढूँढता हूँ,
हर राह पर बस तन्हाई से जूझता हूँ।
कोई आवाज़ दे, कोई पास आए,
पर हर तरफ़ बस सन्नाटे गूँजता हूँ।
ख्वाब जो देखे थे, अधूरे से लगते हैं,
हर रंग फीका है, उजाले भी जलते हैं।
हवा भी अब नाम मेरा भूल गई,
आइने में अजनबी से दिखते हैं।
जिसे चाहा था, वो दूर हो गई,
वो हँसी, वो लम्हे, बस धुंध हो गई।
अब दिल की किताब बंद कर दी है,
ज़िन्दगी की स्याही भी सुस्त हो गई।
खो गया हूँ कहीं, कोई ढूँढे मुझे,
या फिर इस खामोशी में रहने दे।
अब शोर से रिश्ता नहीं कोई,
बस यादों की आग में जलने दे।
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