Monster the risky love - 31 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 31

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दानव द रिस्की लव - 31

तक्ष अदिति तक नही पहुंच पाया.....


…Now on ………

तक्ष : मैंने खाना खा लिया ….मैं जाता हूं ……(तक्ष चला जाता है)
आदित्य : अदि ……बबिता को medicine दे देना वो तक्ष को दे आएगी ….!
अदिति : हां भैय्या ….
विवेक : मैं दे देता हूँ ….(मन में) मैं camera भी लगा दूंगा...
आदित्य : बबिता दे आएगी विवेक.. …
विवेक : भैय्या …… मुझे लग रहा है तक्ष बहुत उदासी सा feel कर रहा हैं.. इसलिए भैय्या मैं पुछ भी लूंगा उसे क्या पता अच्छा लगे……
अदिति : ठीक कह रहा है विवेक भैय्या ……
आदित्य : ठीक‌ है ……
विवेक medicine लेकर तक्ष के कमरे में पहुंचता है ……
….in taksh room ……
तक्ष : मेरा वशीकरण तावीज अदिति के गले से कैसे दूर हो गया .…उसे तो सिर्फ मैं निकाल सकता हूँ … ……(हड़बड़ा कर) ….कौन...?
विवेक : अरे! भाई तू घबरा गया ….मैं हूं विवेक ……वैसे किससे बातें कर रहे हो …?
तक्ष : तुम …यहां ……क्यूं आऐ हो ……?
विवेक : तुम तो लड़कियों की तरह question कर रहे हो …
तक्ष : क्या काम है तुम्हें ……?
विवेक : ये लो medicine ……
तक्ष : हां …. (मन में) मुझे दवाई नही चाहिए मुझे खुन चाहिए. …
विवेक : किस सोच में खो गये ……देखो (तक्ष के कंधे पर हाथ रखने ही वाला था_)
तक्ष : दूर से बात करो ……
विवेक : क्यूं क्या हुआ ….? (मन में) नरभक्षी जानवर हो या क्या वही तो पता करना चाहता हूँ ….
तक्ष : मैंने दवाई ले ली है तुम जा सकते हो ….
विवेक : मैं तो तुमसे बात करने आया था ….( बात करते करते विवेक secret camera flower vase में लगा देता है …लेकिन उबांक उसे देख लेती हैं) …….तुम अपनी problems अकेले ही नही सुलझा सकते …मैं तुम्हारी help I mean मदद कर सकता हूँ …..क्या हम तुम अपनी problem share करोगे मुझसे ……?
तक्ष : उसकी जरुरत नहीं है……
विवेक : जैसी तुम्हारी मर्जी……!(विवेक चला जाता है)
उबांक : दानव राज..
तक्ष : क्या बात है उबांक ……?
उबांक : दानव राज.. ये अभी यहां कुछ लगा रहा था ……
तक्ष : (हैरानी से) क्या ….?....(तक्ष flower vase में से secret camera निकाल लेता है) ……ये क्या है ….ओह ! तो अब ये मेरी जासूसी कर रहा हैं.. वशीकरण तावीज भी इसी ने निकाला होगा ….!
उबांक : पर दानव राज.. उसे तो आपके अलावा कोई नहीं निकाल सकता फिर ……
तक्ष : इन सबका पता मैं बाद में करूंगा …अभी मैं बहुत कमजोर पड़ता जा रहा हूँ ….
उबांक : आप चाहे तो मैं आपके लिए रक्त ले आता हूं ….
तक्ष : तेरे छोटे मुंह से मेरा क्या होगा ……?.....मुझे खुद ही रक्त पीना है ….!
..……in dining hall ….
आदित्य : दे आऐ medicine. ……
विवेक : हां भैय्या. ….
अदिति : तुम्हारी बात हो गई उससे ……
विवेक : नही …उसका बात करने का moond नही है ….
आदित्य : कोई बात नही ……अब तुम दोनों जाओ सोने ….(तभी तक्ष नीचे आता है) …क्या हुआ तक्ष सोये नही …!
तक्ष : सोने ही जा रहा था ……क्या मुझे थोड़ा गर्म पानी देंगी …!
आदित्य : अदि ….तू दे दे..…
अदिति : हां भैय्या ……
विवेक : हमारे साथ बैठ जाओ तक्ष जबतक ….
तक्ष  : नही मैं आराम करूंगा. ….
आदित्य : कोई बात नही तुम आराम कर लो …
अदिति पानी लेकर आती हैं ….
अदिति : लो तक्ष ..….(तक्ष पहले से ही अदिति के हाथ पर कट करने के लिए blade हाथ में लेकर आया था …पर जैसे ही अदिति के हाथ से touch करता है वैसे ही झटककर हट जाता है…उसे क्या पता था शिवजी का लाकेट अब उसके गले में हैं …)….………तक्ष क्या हुआ ….?
आदित्य : गिर कैसे गये तुम …..?
तक्ष : (मन में) मुझे अचानक झटका कैसे लगा ……?
विवेक : (मन में) मैं अब पूरी तरह sure हो गया.. …तुमने सोचा भी नहीं था …(मुस्कुरा जाता है)
आदित्य : उठो.……जाओ तक्ष आराम कर लो ठीक हो जाओगे ……
अदिति : हां …. (अदिति पास जाती हैं)
तक्ष : मैं चला जाऊंगा.….
अदिति : तुम मुझसे डर क्यूं रहे हो …….?
तक्ष : नहीं ऐसा नहीं है……(तक्ष अपने कमरे में चला जाता है)
अदिति : अजीब है ……(तक्ष की शक्ति कमजोर पड़ने के कारण अदिति के दिमाग पर जोर पड़ता है …अदिति अपना सिर पकड़ लेती हैं…उसके सामने बीती हुई घटना धुंधले से आकार में सामने आने लगती हैं)
आदित्य : अब तुझे क्या हुआ अदि ……?
विवेक : क्या हुआ अदिति …?
अदिति : कुछ नहीं भैय्या बस थोड़ा headache है ….
आदित्य : अभी तो ठीक थी फिर अचानक headache
अदिति : कुछ नहीं आप बातें करो मैं जाती हूं ……
आदित्य : ठीक‌ है ……(अदिति अपने room में चली जाती हैं) 
विवेक : (मन में) अदिति को अचानक headache क्यूं होने लगा ….
आदित्य : विवेक जाओ तुम भी सो जाओ ……
विवेक : हां भैय्या. …(दोनों सोने चले जाते हैं) ……(मन में) मुझे तक्ष की हरकतों को देखना है कौन है ये ….
…….…in taksh…….…
तक्ष : आखिर मुझे झटका क्यूं लगा. ……ऐसा तो विवेक. को मारने की कोशिश में हुआ था ……
उबांक : दानव राज.. कही वही तावीज अदिति को तो नही दे दिया ……
तक्ष : सही कहा उबांक ऐसा हो सकता है ……मैं ज्यादा इंतजार नही कर सकता ……पर उसे तावीज दिया किसने …?
उबांक : कही उस लड़के ने तो नही दिया ……
तक्ष : हो सकता है ….मैं अदिति तक नही पहुंच पा रहा हूँ.. …
उबांक : मैं आपके लिए रक्त लेकर आता हूं दानव राज..
तक्ष : नही उबांक तुम जल जाओगे ….उस तावीज की ऊर्जा को मैं सहन नही कर सकता तो तुम तो खत्म हो जाओगे ….मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ……बस अब बहुत हुआ विवेक …(तक्ष अपने असली रुप में आ जाता है)
.…….in guest room………
विवेक : ये camera …दिखा क्यूं नही रहा हैं.. …camera खराब तो नही हो गया ……अब मुझे ही जाना पड़ेगा ….मैं ऐसे हार नहीं मान सकता …चल विवेक ….
विवेक तक्ष के कमरे की तरफ बढ़ता है ….जैसे ही दरवाजा खोलता है हैरान रह जाता है……
 
……….to be continued ………
क्या विवेक तक्ष का असली रुप देख लेता है ……?
अगले भाग में जाने ….