Veera Humari Bahadur Mukhiya - 18 in Hindi Women Focused by Pooja Singh books and stories PDF | वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 18

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 18

इशिता बेहोश हो चुकी थी जिसके कारण फाइरिंग रुक गई... खडगेल को इस बात का अंदाजा हो चुका था इसलिए वो बरगद के पेड़ की तरफ बढ़ने लगा... लेकिन सोमेश ने इशिता की तरफ बढ़ते हुए खड़गेल को रोक लिया और उसकी तरफ गुस्से में देखते हुआ बोला.... " वीरा जी से दूर रहो.. उन तक पहुंचने के लिए अभी मुझ से होकर जाना होगा.... " 

खडगेल जोर से हंसते हुए कहता है.... " एक बहादुर लड़की क्या आ गयी चूहों में भी शेर बनने की ठान ली है क्या.... " 

खडगेल उसे धक्का देता हैऔर अपने साथियो से उसे पकड़ने का इशारा करके इशिता की तरफ बढ़ता है.... वो जैसे हीं इशिता को पकड़ता है तभी एक तीर उसके गले पर जाकर लगता है, वो अपनी गर्दन पर हाथ रखकर पीछे मुड़कर देखते हुए कहता है ..." रांगा तुम मुझे इस विषबंम्बू से क्यू वार किया.. " वो वही गिर जाता है... रांगा गुस्से में घूरते हुए उसे कहता है... " जो भी मेरे अलावा वीरा की तरफ बढ़ेगा उसका यही हाल होगा... सिर्फ मौत तेरी और तेरे इन साथियो की होंगी.... " इतना कहकर रांगा अपने सिपाहियों से सबको खत्म करने के लिए कहकर इशिता की तरफ जाता लेकिन उसे किसी ने रोका.... " रुक जाओ रांगा तुमने वीरा की जान बचाई उसके लिये धन्यवाद लेकिन अब तुम भी जाओ.. "

रांगा उसे अक्कड कर कहता है... " वीरा को बचाना मेरी जिम्मेदारी है, और इनका भी उपचार भी... " 

बरखा गुस्से से कहती है... " इनका उपचार भी हम करेंगे तुम नहीं... " रांगा हॅसते हुए कहता है... " तुम उपचार करोगे कभी खुद के घाव ठीक किये है... पिछले साल हीं किसी की मेरे खंजर के हल्के से वार से हीं वो बिना उपचार के हीं मर गया... हटो मेरे रास्ते से... " बरखा कुछ बोल पाती रांगा नहीं उसे हटाकर इशिता को को उठा लिया.... तभी मेयर जी बाहर आकर उसे रोकते हुए कहते है... " तुम्हे उपचार करवाना है तो यही गाँव में रहकर उपचार करवायो, वीरा को कहाँ लेकिन जा रहे हो.... " 

रांगा दांतो को भींचते हुए कहता है... " वीरा तो अब हमारे साथ हीं रहेंगी युहीं मेहनत नहीं की है मैंने... " रांगा की बात केवल उसके समझ में हीं थी कोई उसकी बातों का मतलब नहीं समझ पाया... गाँव वालो नहीं उसे रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन रांगा के सामने किसी की नहीं चली वो इशिता को किडनेप करके ले गया और कोई कुछ नहीं कर पाया.... मेयर जी गुस्से में चिल्लाते हुए कहते है... " तू एक घायल शेरनी को लेकर गया है, और घायल शेरनी बहुत ख़तरनाक हो जाती है तू भी भुगतेगा जल्द हीं.... एक बार वीरा ठीक हो जाये उसके बाद वो वापस यही होंगी... तू कुछ नहीं कर पायेगा.... " 

खड़गेल का तो अंत हो गया लेकिन रांगा अभी बाकी है वो नहीं जनता उसने बहुत बड़ी गलती की है इशिता को कैद करके.... गाँव में हुई रात की अफरा तफरी तो ख़तम हो चुकी थी लेकिन एक सन्नाटा फ़ैल चुका है,, अपनी वीरा के चले जाने से सब दुखी से अपने घरो में कैद हो गए....

....... To be continued.....

क्या सन्नाटा फिर टूटेगा..?... पर कैसे...?.