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खाना खाकर उन तीनों ने अपनी अपनी थालियाँ धोई और नीम की छाँव में जा बैठे । जतिन गगन की आगे की कहानी सुनने के लिए उत्सुक था । रविंद्र भी जानना चाहता था कि ऐसा क्या हो गया कि गगन ने अपनी ही प्रेमिका को बेरहमी से मार दिया तो वे उत्सुकता से गगन को देखने लगे ।
सुना रहा हूँ , सुना रहा हूँ ।
जतिन से बिल्कुल सब्र नहीं हो रहा था ।
भाई तुम्हारी हर रोज की तपस्या का कोई फल मिला भी या नहीं . या यों ही सुबह उठ कर एक टाँग पर खङे होकर तपस्या करते रहे ।
गगन ने बात आगे बढाई - उसके बाद तो यह हर रोज का नियम ही बन गया था । मैं हर रोज सुबह उठते ही नहा धोकर तैयार होता , बाल बनाकर ढेर सारा सैंट छिङकता और सीधा चौक पर जा पहुँचता । वहाँ सङक पर टकटकी लगाए खङा रहता और उसका इंतजार करता रहता । वह सामने से निकल जाती तो घर लौट आता । दस दिन यों ही देखा देखी में बीत गये । फिर धीरे धीरे हमारा एक मुस्कान का रिश्ता बना । जैसे ही वह मेरे सामने से होकर निकलती , उसके होठों पर एक प्यारी सी हँसी उजली किरण की तरह छा जाती । मैं भी उसे देख कर मुस्करा उठता । मुझे अपनी ओर मुस्कुरा कर देखता पाकर वह शर्मा कर नजरें झुका लेती और आगे बढ जाती । मैं उसे मुस्कराते देख कर निहाल हो जाता । देखते ही देखते पूरा महीना बीत गया । अब तक न उसने कोई बात की थी , न मैने । फिर भी एक अनाम सा रिश्ता बन गया था । जिस दिन वह न आती , मैं पूरा दिन बेचैन भटकता रहता । बात बात में खीझ उठता । चैन उसे अगले दिन देख कर ही आती । एक अजीब सा पागलपन मुझ पर सवार हो गया था । सोते जागते बस उसकी सूरत आँखों के सामने घूमती रहती ।
एक दिन जैसे ही वह चौंक में पहुँची , अचानक बारिश शुरु हो गयी । हम दोनों भाग कर सङक किनारे बनी चाय की गुमटी में घुस गये । थोङी देर पहले आसमान बिल्कुल साफ था और यह बदली अचानक भटकती हुई इस ओर चली आई थी । थोङी ही देर में बारिश की रफ्तार तेज हो गयी । मोटी मोटी बूँदें जोर से बरसने लगी थी । बचते बचते भी वह थोङा बहुत भीग गयी थी । मैंने जेब से अपना रुमाल निकाल कर उसकी ओर बढा दिया । झिझकते झिझकते उसने रुमाल पकङा । चेहरा , सिर और हाथ पोंछे और मेरा रुमाल वापिस कर दिया । यकीन मानना , वह रुमाल मैंने सहेज कर रखा और उसे छ महीने नहीं धोया । उसकी खुशबू आ बसी थी न रुमाल में ।
हम सर्दी महसूस कर रहे थे । मैंने चायवाले को चाय बनाने का इशारा किया । हम दोनों आमने सामने नजरें झुकाए खङे थे । बात करना चाहते थे पर समझ ही नहीं आ रहा था कि बात शुरू कहाँ से की जाय । कुछ और लोग भी बारिश से बचने के लिए गुमटी के भीतर आ गये थे । उबलती चाय की खुश्बू सारे वातावरण में फैली थी और उस समय वह खुशबू मुझे दुनिया का सबसे महंगा इत्र लग रही थी । चाय खौलनी शुरु हो गयी थी और मैं उस खौलती चाय की खुशबू को भीतर उतार लेना चाहता था । चाय वाले ने कुल्हङ में चाय डाल कर हमें पकङा दी तो हम चाय पीने लगे । थोङी देर बाद में बारिश रुक गयी । हम गुमटी से बाहर निकले और मैं उसे उसके कालिज तक छोङ आया । उस दिन पूरा दिन मैं एक नशे में डूबा रहा । खुद को पृथ्वी राज चौहान से कम न समझता था । अपनी संयोगिता को चाय पिला दी थी मैंने । उसके बाद हमारा मिलना जुलना चलता रहा । मैं हर रोज पहले की तरह उसका इंतजार करता । वह आती तो मैं चुपचाप उसके साथ हो लेता । उसके कालिज के गेट तक जाता , वह मेरी ओर देख कर मुस्कुराती और मैं बाय कह कर लौट आता । कबी कभी हम चाट या गोलगप्पे खाने के ले भी रुक जाते या किसी गिफ्ट गैलरी में कोई सुंदर सी चीज देखने लगते । मेरी अधिकांश जेबखर्ची उसको खिलाने पिलाने या उपहार दिलाने में खर्च होती । वह मेरे साथ खुश थी और मैं , मैं तो खुद को शहंशाह से कम न समझता । एक साल हँसी खुशी बीत गया । एक दिन वह मुझे मिलने आई तो उसकी कलाई में एक महंगी घङी बंधी थी । मैंने प्रशंसा से देखा था – वाह , टाईटन की रागा सीरीज की वाच । यह तो बहुत महंगी होगी । उसने हाथ छिपाने की असफल सी कोशिश की थी ।
अरे दिखा न , मुझे देखनी है ।
तू क्या करेगा देख कर ।
किसने दिलाई । इतनी महंगी घङी ।
बङे भइया ने ।
वह अनमनेपन के साथ हङबङाहट से भर उठी थी ।
मैं चलती हूँ ।
क्या हुआ । बैठ न । अभी तो आई है । दो मिनट भी नहीं हुए । चल आज तुझे टिक्की खिलाता हूँ ।
मुझे अभी जाना है । मैं आज रुक नहीं सकती ।
पर हुआ क्या , बता तो सही ।
पर वह चली गयी । बिना कोई कारण बताए ।
मैं हतप्रभ हुआ उसे जाते देखता रहा । उसके अगले चार दिन मैं इंतजार करता रहा पर वह नहीं आई । मैं हर रोज सही समय पर आता । उसका रास्ता देखता । थक जाता तो निराश होकर लौट जाता ।
फिर एक दिन वह काफीशाप में एक स्मार्ट से लङके के साथ काफी पीती हुई दिखाई दी । मैं लपकता हुआ उसके मेज तक पहुँचा । मुझे सामने देख कर वह घबरा गई और काफी बीच में ही छोङ कर चली गयी । पता चला कि यह लङका रोमिल अग्रवाल है जिसके साथ पिछले एक महीने से वह इश्क का चक्कर चला रही है । अमीर बिजनेसमैन का इकलौता बेटा है । लङकियाँ पटाना और उन्हें महंगे महंगे उपहार देकर उन्हें बहकाना उसका शगल है । उसकी कई गर्लफ्रैंड हैं ।
मैं अगले दिन उससे मिला । उसे रोमिल की असलियत बताई तो वह खिलखिला कर हँस पङी ।
यू आर जैलस गगन ।
नहीं यार मैं क्यों जैलस होने लगा । मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ । मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही है ।
मेरी फिक्र तुम न ही करो तो अच्छा है । मैं दूधपीती बच्ची नहीं हूँ । मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ । और प्यार ... प्यार करने के लिए तुम्हारी औकात है क्या । मुझे रोमिल पसंद है । तुम मेरा पीछा करना छोङ दो ।
वह पैर पटकती हुई चली गयी । मेरा दिल टूट गया पर मैंने हिम्मत नहीं छोङी । उसकी सहेलियों के जरिए उसको आने वाली मुसीबत से सावधान किया पर उस पर कोई असर होता दिखाई नहीं दिया । बल्कि अब वह अक्सर उसके मोटरसाइकिलपर उसके कंधे पर झुकी हुई या उसकी कार में उसमें खोई हुई दिखाई देती ।
बाकी फिर ...