Ishq da Mara - 75 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 75

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इश्क दा मारा - 75

यूवी गीतिका को लिए हुए ही कार चला रहा होता है और गीतिका यूवी को कस कर पकड़ी रहती है।

थोड़ी देर बाद यूवी गीतिका को एक घर में ले कर आता है। और गीतिका को गोद से उतार देता है और बोलता है, "बच्चा देखो तुम्हारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं और तुम्हारे कपड़ो पर शराब भी गिर गई है, तो तुम पहले नहा लो"।

तब गीतिका बोलती है, "आप मुझे ये कहा पर लाए हैं "।

तब यूवी बोलता है, "डरो मत ये मेरा ही घर है, मैं यहां पर अपने दोस्तों के पार्टी करता हूं और जब कुछ जरूरी काम होता है तो वो करता हूं"।

उसके बाद यूवी गीतिका को अपनी अलमारी में से शर्ट और ट्राउजर ला कर देता है और बोलता है ये लो नहा कर ये पहन लेना"।

तब गीतिका बोलती है, "ये तो लड़कों के कपड़े है आपके पास सूट सलवार नहीं है क्या ????

तब यूवी बोलता है, "बच्चा मैं सूट सलवार का क्या करूंगा, मैं जो पहनता हूं वहीं तो तुम्हे दूंगा न, और तुम्हे ये पहनने से क्या प्रॉब्लम है, कौन सा तुम्हे कही बाहर जाना है, चलो अब जल्दी से जा कर नहा लो और हा डरना मत, मैं यही पर हु"।

तब गीतिका बोलती है, "आप पक्का यही पर है न, आप मुझे छोड़ कर तो नहीं चले जाएंगे न, मुझे डर लग रहा है वो दोबारा आ जाएगा " 

तब यूवी बोलता है, "बच्चा कोई भी नहीं आएगा, मैं हूं ना यहां पर, चलो अब जल्दी से जाओ "।

उसके बाद गीतिका कपड़े ले कर नहाने चली जाती है ।

इधर बंटी खाना ले कर आता है यूवी के पास और बोलता है, "भाभी कहा है ?????

तब यूवी बोलता है, "नहाने गई है "।

तब बंटी बोलता है, "यार जब भाभी मिल गई है तो उसके घर वालों को बता देना, बेचारे बहुत परेशान हो रहे हैं, और अगर भाभी रात भर गायब रहेगी तो उनके बारे में सब गलत भी सोचेंगे"।

तब यूवी बोलता है, "जिसको जो सोचना है सोचना दे, और तू देख नहीं रहा है उसकी हालत, इस हालत में मैं उसे अकेला छोड़ दूं"।

तब बंटी बोलता है, "यार वो एक लड़की है, और लड़की का रात में घर से बाहर रहना अच्छा नहीं माना जाता है "।

तब यूवी बोलता है, "और जब वो दिन भर घर से गायब थी उसका क्या, देख मेरा दिमाग वैसे भी बहुत खराब है और तू और खराब मत कर, चल अब निकल यहां से "।

उसके बाद बंटी चला जाता है।

गीतिका नहा कर आ जाती है। यूवी उसे चेयर पर बैठाता है और टॉवेल ले कर उसके बालों को सुखाता है। गीतिका चुप चाप बैठी रहती है।

थोड़ी देर बाद यूवी गीतिका को ले कर बेड पर बैठता है और अपने हाथों से खाना खिलाने लगता है। तब गीतिका बोलती है, "मुझे भूख नहीं लग रही है"।

तब यूवी बोलता है, "ऐसे कैसे भूख नहीं लग रही है बच्चा, तुमने सुबह से कुछ भी नहीं खाया है और मैं तुम्हे अपने हाथों से खिला रहा हूं, चलो चुप चाप अच्छे बच्चे की तरह खा लो"।

उसके बाद यूवी गीतिका को खाना खिलाने लगता है।

खाना खिलाने के बाद यूवी गीतिका को अपने सीने से लगा लेता है। तब गीतिका रोते हुए बोलती है, "यूवी मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है"।

तब यूवी बोलता है, "बच्चा तुम रो क्यों रही हों, मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं अभी तुम्हारा सारा दर्द ठीक हो जाएगा "।

उसके बाद यूवी गीतिका का सर दबाने लगता है। गीतिका यूवी की बाहों में आराम से लेटी रहती है।

उधर गीतिका की बुआ जी बहुत ही परेशान होती है और बोलती है, "सुबह से रात हो गई है अभी तक गीतिका का कुछ भी पता नहीं चला है, मुझे लगता है कि हमे अब भाई को सब कुछ बता देना चाहिए...........