Nafrat e Ishq - 44 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 44

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नफ़रत-ए-इश्क - 44

"शायद आपकी कोई बहन ना हो इसीलिए भाई का दर्द या इमोशन आप समझ ना पाए  mr विराट!अपने दिल का एक हिस्सा दे रहा हूं आपको प्लीज संभाल कर रखिएगा।  बहुत भरोसा करती है आप पर मेरी बहन, इस का भरोसा बनाए रखिएगा।"अभय  हाथ जोड़कर विराट के सामने बिनती भरे लहजे में बोला। अपनी लाडली बहन की विदाई का वक्त था तो आंखें नम होना लाजमी भी  थी। लेकिन विराट को अभय के इन इमोशनल बातों से रत्ती पर फर्क नहीं पड़ रहा था। इस वक्त उसके दिलों दिमाग में क्या चल रहा था ये तो बस वही जानता था।

"बहन को चोट पहुंचने से भाई को किस कदर दर्द होता है ये मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता मिस्टर अभय  एंड डोंट वरी धोखा देना विराट अग्निहोत्री के खून में ही नहीं है। अपने प्यार केलिए उसके हक के लिए पूरी दुनिया से लड़ने की ताकत रखता हूं तो अब से आप तपस्या विराट अग्निहोत्री की फिक्र करना छोड़ दें ।" विराट पूरे एटीट्यूड के साथ रुखे अंदाज में बोला। अभय को उसका अंदाज और यूं बेरुखी से बात करना अजीब सा तो लगा लेकिन इस बख्त  उस पर ध्यान देना उसे जरूरी नहीं लगा।

"बेटा हमारी इकलौती बेटी की शादी इस तरह से होगी ये तो हमने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन आप फिक्र मत कीजिए हम बहुत जल्दी एक ग्रैंड रिसेप्शन रखेंगे जहां पर आप दोनों की शादी के अनाउंसमेंट की जाएगी आखिर रायचंद खानदान की बेटी की शादी है।"अनिरुद्ध जी जो वही अभय के साथ ही खड़े थे ,अपने नम पलकों को पोंछ ते  हुए बोले ।तपस्या रोते हुए उनसे लिपट गई। वहीं चित्रा जी उलझी हुई सी परेशान खड़े थे।

"बेटा आपके घर में सब ...हमारा मतलब है कि ...आपके घर में आपकी मां और बाकी सब हमारी बेटी को.. और आप दोनों के इस रिश्ते को लेकर कोई बैर तो नहीं रखेंगे ना! उन्हें  हमारी बेटी कुबूल तो

" कैसी बात कर रही है आप बहु!!आप तपस्या रायचंद के बारे में बात कर रही है! यशवर्धन रायचंद की पोती रायचंद इंडस्ट्रीज के मालकिन के बारे में बात कर  रही हैं । किसी के घर की भी रौनक बनना हमारी पोती से ज्यादा उस घर के लिए इज्जत की बात है।" यशवर्धन रायचंद हमेशा की तरह अपने रौब में आ गए थे और चित्रा जी को आधे में ही टोक दिया। एक मां की बेचैनी को वो कब समझे थे। अगर समझे होते तो बस अपने गुरूर केलिए 14 साल की बच्ची को अपने मां बाप से अलग सात समंदर पार थोड़े ही भेजते।

उनकी रौबदार आवाज सुनकर चित्रा जी तो खामोश हो गई लेकिन विराट चित्रा जी के दर्द को समझ रहा था। क्यों के वो बचपन से ही यशवर्धन जी के सामने उनके बहुओं की  औकात देखते आया था। चाहे वो चित्रा जी हो या सरगम।

"डोंट वरी आंटी मेरे घर में आप की प्रिंसेस सचमुच प्रिंसेस बनकर ही रहेगी।"विराट चित्रा जी के हाथों को थाम कर बोला।

" समधन जी से बोलिएगा हम एक दो दिन में उनसे मिलने आएंगे साथ ही साथ बाकी के सारे औपचारिकता भी पूरी कर देंगे।" यशवर्धन जी अपने ही अंदाज में बोले।

"जी बिल्कुल... अग्निहोत्री हाउस को आप सब का इंतजार रहेगा।" विराट भी मुस्कुराकर बोला और थोड़ा रुक कर तपस्या के ओर हाथ बढ़ा दिया। तपस्या रोते हुए अपने मां से कस कर लिपट गई।

"फाइन प्रिंसेस!! तो आप यहीं रुकिए में हमारी सुहागरात जानवी के साथ ही मना लूंगा।"विराट हौले से उसके कानों के पास झुक कर धीरे फुसफुसाया और जाने केलिए जैसे ही पलटा तपस्या एकदम लपक कर उसकी कलाई थाम ली। विराट दबे होंठ मुस्कुरादिया।

"चलें??"विराट उसके हाथों में अपनी पकड़ मजबूत कर धीरे से पूछा।

"बस एक मिनिट"..  रोते हुए ही बोलकर तपस्या बारी बारी तनु सरगम जी समर जी अभय अनिरुद्ध जी चित्रा जी और आखिर में यशवर्ध जी से लिपट कर जी भर कर रोई फिर विराट के साथ गाड़ी में बैठ गई।

अग्निहोत्री हाउस वॉचमैन ... गार्ड्स .... कहां मर गए सब के सब... ये लाइट कैसे चली गई और जनरेटर क्यों काम नहीं कर रहा है ???"....श्लोक इमरजेंसी लाइट हाथों में लिए बाहर की तरफ आया और चीखने लगा।

"क्या हुआ बेटा कुछ पता चला !! ये अचानक लाइट को क्या हुआ जनरेटर को भी अभी खराब होनी थी ....विराट तपस्या को लेकर बस आ ही रहा होगा ....उससे पहले सब ठीक कर दो वरना तुम्हें पता है ना  वो कितना नाराज होगा।" अनुपमा जी फिक्र के साथ बोले।

"यही तो समझ में नहीं आ रहा है मां की क्या हुआ अचानक ही सारे सीसीटीवी  खराब हो गए अचानक से लाइट भी चली गई और अब जनरेटर भी अभी खराब हुआ  ये कोई कोइंसिडेंस नहीं हो सकता कुछ तो चल रहा है.... श्लोक परेशानी से बोल ही रहा था कि अचानक से परिणीति के कमरे से चीखने की आवाज आई... अनुपमा जी श्लोक और पीहू के साथ-साथ  गार्ड्स भी थर्ड फ्लोर की तरफ भागे जहां परी डर के मारे बिल्कुल होश गवा कर काबू से बाहर होती जा रही थी। और चीख चीख कर बस विराट यानी वीर को पुकार रही थी। और बीच बीच में कुछ ऐसी चीजें बडबडा रही थी जो किसीको भी समझ में नहीं आ रहा था। दोनों नर्स भी उसे कस कर थाम रखे थे ताकि कहीं वो खुद को कुछ हार्म न पहुंचा दे।

"क्या हुआ नर्स?? दी डर क्यों रही है??"श्लोक भाग कर आया और परिणीति की बिगड़ी हुई हालत देखकर परेशान होकर पूछा। पीहू भी अपनी मां की ऐसी हालत देखकर एकदम से सहन गई थी और अनुपम जी के पीछे जाकर छिप गई।

पता नहीं सर परी मैडम तो सो रही थी अचानक से लाइट चली गई  और जनरेटर भी चालू नहीं हुई तो हम नीचे आ गए देखने के लिए लेकिन तब पता नहीं कैसे उठकर चीख ने चिल्लाने लगे तब से ही काबू में नहीं आ रहे हैं समझ में नहीं आ रहा है क्या कुछ बड़बड़ा रही है।"नर्स भी घबरा कर  बोली।

आपको किसने कहा था नीचे आने के लिए लाइट गई तो फोन करके भी तो पूछ सकती थी ना आप दोनों को मना किया गया था एक पल के लिए भी परी दी को छोड़कर नहीं जाना है आपको !! दी की हालत अगर बिगड़ी तो आप समझ सकते हैं ना भाई आप दोनों की क्या हालत करेंगे ??" श्लोक  गुस्से से और घबराहट से बोला ।एक तो परी की हालत बिगड़ रही थी ऊपर से विराट के आने का वक्त भी हो रहा था।

"बेटा अभी ये सब रहने दो पहले डॉक्टर प्रिया को कॉल करो और आने के लिए बोलो या फिर एक काम करो तुम खुद ही जाकर उन्हें ले आओ इससे पहले की विराट आए परी संभल जानी चाहिए।"अनुपम जी श्लोक को शांत करवाते हुए बोले। श्लोक कुछ पल के लिए घूर कर दोनों नर्स को देख डॉक्टर प्रिया को कॉल लगाते हुए कमरे से बाहर चला गया।

.................................

विराट की गाड़ी धीमी रफ्तार में चल रही थी। उसे शायद अपनी मंजिल तक पहुंचाने की जल्दी नहीं थी या फिर वो समझाता था कि मंजिल तक पहुंचने के बाद शायद ये सफर इतना सुहाना ना रहे जितना इस वक्त है। वो तपस्या के साथ रायचंद हाउस से लेकर अभिनेत्री हाउस तक के सफर में खो जाना चाहता था चाहे वो कुछ पल के लिए ही सही। और तपस्या खामोशी से गाड़ी चलाते हुए विराट को बस निहार रही थी और उसके हाथों को अपनी नाजुक उंगलियों में उलझा कर थामे रखी थी।

"बस इतना मोहब्बत कर जितना हम सह सके जो बिछड़ना भी पड़ा तो जिंदा रह सके । "

विराट जिसकी नजर अभी भी रोड पर थी तपस्या के इंटेंस नजरों को खुद पर महसूस कर शायराना अंदाज में बोला। और विराट का ये शायराना अंदाज तपस्या के दिल में वापस से अपने डफर की यादों ताजा कर गई।

"अगर आप में ढेर सारी मासूमियत होती और गुस्सा बिल्कुल भी नहीं होता तो आप काफी हद तक मेरे डफर जैसे ही होते । वो भी हमारे लिए रोज अपनी शायरी के पिटारों को खोलता था।" तपस्या विराट के चेहरे में खोई हुई सी बोली।

"हमेशा डफर की बातें करती रहती हैं! आपकी डफर है कहां और किस  हाल में है कभी पता लगाने का मन नहीं किया आपका??"विराट आवाज में तल्खी लिए बोला।

"लापता हो गया एक दिन खुद ही; ना मुझसे मिला ना बात की बस यूं ही चला गया। और फिर दादू ने हमें लंदन भेज दिया फिर कैसे ढूंढते उसे??"....तपस्या  मुरझाई हुई आवाज में बोली।

"यही होता है  प्रिंसेस मासूम लोगों के साथ.... खो जाते हैं कहीं लापता हो जाते हैं और किसी को फर्क ही नहीं पड़ता। तो मैने भी अपनी मासूमियत बेच कर गुरूर और अकड़ खरीद ली।"विराट तंज से मुस्कुरा कर  मन ही मन बोला।

"आपका  नया नवेला दूल्हा जिसने न जाने कितने  पापड़ बेल कर आपसे शादी की उसे छोड़कर आप अपनी डफर की यादों में खोई हुई है !!नॉट फेयर प्रिंसेस!"..... तपस्या की  मायूस  चेहरे को देखकर विराट शरारत से बोला।

"अगर हमारा नया नवेला दूल्हा अपनी नई नवेली दुल्हन को छोड़कर सुहागरात किसी छिपकली के साथ मनाना  चाहेंगे तो हम भी अपने डफर को ही याद करेंगे ना!!"तपस्या मुंह बनाकर बोली और गुस्से से खिड़की के बाहर झांकने लगी। उसकी मासूम सी नाराज चेहरे को देख विराट मुस्कुरा दिया।

अगर मेरी दुल्हन मुझे छोड़ कर मेरी सासू मां से लिपटेगी तो सुहागरात मुझे किसी छिपकली के साथ ही मनानी पड़ेगी न!!" विराट उसी के ही अंदाज में बोला। तपस्या पलट कर उसे घूर ने लगी। विराट  फौरन ही उसके सामने चॉकलेट का एक पैकेट बढ़ा दिया जिसे देखकर एक झटके में ही तपस्या के चेहरे से नाराजगी गायब हो गई और एक बड़ी सी मुस्कान खिल गई।

"अरे वाह आपको तो ये भी पता है कि जब  हम नाराज होते हैं तो आप हमें चॉकलेट से मना सकते हैं! ये ट्रिक तो बस डफर ही जानता था!"तपस्या  चहकते हुए बोली।

" डोंट वरी प्रिंसेस मैं आपके बारे में वो सब कुछ जानता हूं जो आपका डफर जानता था तो मेरे होते हुए आप अपने डफर को कभी मिस नहीं करेंगे आई प्रॉमिस। और मैं आपको बिल्कुल वैसे ही रखूंगा जैसे आपका डफर रखता था एकदम प्रिंसेस की तरह।"प्यार से कहते हुए विराट ने गाड़ी को साइड में रोका और अपनी दांतों से चॉकलेट के रैपर को खोलकर चॉकलेट का एक टुकड़ा मुंह में दबाकर होठों को तपस्या के आगे बढ़ा दिया।

"हम... हमें... घर...तपस्या शरमा कर हकलाते हुए बोल ही रही थी कि विराट ने उसकी कमर पर हाथ डाल उसे पूरी तरह से अपने और खींच लिया ।तपस्या एक ही झटके में उसकी बाहों में समा गई। अपने होठों में वो चॉकलेट का टुकड़ा दबा कर वो अभी भी तपस्या को देख रहा था। तपस्या अपने झुकी घनी पलकों को उठा कर उसे देखने लगी और धीरे से अपने होठों को विराट के होठों के करीब बढ़ा दिया।

..................

जानवी अपने कमरे में बेड पर लेटी किसी सनकी पागल की तरह हंसे जा रही थी। पूरे बेड पर विराट की छोटी बड़ी तस्वीरें और कुछ सामान बिखरे पड़े थे। शराब के बॉटल्स सिगरेट के टुकड़ों के साथ-साथ तपस्या की कई सारी  आधी जली तस्वीर भी फर्श पर बिखरे हुए थे जो  जानवी की तपस्या के लिए नफरत और विराट के लिए पागलपन साफ बयां कर रहे थे।

"तू अपनी जख्मों पर उस तपस्या के प्यार की मलहम लगाने चला है.....और तुझे लगता है इससे तेरे  घावों भर जाएंगे तो ये तेरी गलतफहमी है विराट !!क्योंकि तेरे  ज़ख्मों को मैं कभी भरने नहीं दूंगी बल्कि उसे इतना नासूर बना दूंगी .....जब भी तू उन्हें दिखेगा चाह कर भी अपनी  प्रिंसेस से प्यार नहीं कर पाएगा।"... जानवी बेड पर लेटी हाथों में विराट की एक तस्वीर लिए उसे होठों पर लगाकर नशीली आवाज में बड़बड़ा रही थी।

"आज शादी है ना तेरी तो अपनी सबसे अच्छी दोस्त की तरफ से एक अच्छी सी गिफ्ट तो बनती ही है!!! घर जा और देख मैंने कितनी शानदार गिफ्ट तैयार किया है तेरे लिए!! परी दी की उन जख्मों को मैंने वापस से हरा कर दिया है जिन्हें भरने के लिए तुझे सालों लगे थे और उन जख्मों को वापस से देखकर तेरी मोहब्बत पर तेरी नफरत अगर भारी न पड़ी तो मेरा नाम भी जानवी नहीं।" सनकी  आवाज में बोलते हुए जानवी पागलों की तरह हंसने लगी।

...................विराट की गाड़ी अग्निहोत्री हाउस के गेट के सामने पहुंची तो गार्ड ने जल्दी से गेट खोल दिया। गाड़ी पार्किंग में रोक कर विराट बाहर निकाला तो उसकी नजर डॉक्टर प्रिया पर पड़ी जो श्लोक और अनुपमा जी के साथ कुछ बातें कर रही थी। तीनों की परेशानी भरी चेहरे को देखकर विराट को इतना तो समझ में आ चुका था की परिणीति की हालत सही नहीं है। बात करते हुए श्लोक की नजर विराट पर पड़ी तो वो तेजी से विराट की तरफ बढ़ा लेकिन उससे पहले ही विराट भागते हुए घर के अंदर और परिणीति के कमरे की ओर बढ़ चुका था। उसे तो ये भी होश नहीं था कि उसके साथ पैसेंजर सीट पर अभी भी तपस्या बैठी हुई है।

"भाई 1 मिनट रुकिए !!!.......श्लोक विराट को आवाज देते हुए बोला लेकिन उससे पहले ही विराट थर्ड फ्लोर के लिए लिफ्ट के अंदर घुस चुका था।

....................

"मां आप भाभी की गृह प्रवेश की तैयारी कीजिए मैं भाभी को लेकर आता हूं  ... पता नहीं वो क्या सोच रही होंगी रही होगी!!!!".. श्लोक अनुपम जी से बोलकर  गाड़ी के तरफ चला गया जहां तपस्या ना समझी में पहले से ही गाड़ी से उतरकर  विराट को यूं अचानक भागते हुए देख रही थी।

"डॉ प्रिया मुझे पता है कि आपका और रायचंद फैमिली का बहुत क्लोज रिलेशन है लेकिन मुझे और भाई को पूरा भरोसा है कि आप अपनी पेशेंट के बारे में या उनकी प्राइवेट लाइफ के बारे में कभी भी किसी के साथ डिस्कस नहीं करती होगी। बस एक रिक्वेस्ट है कि

" डोंट वरी श्लोक एक डॉक्टर होने के नाते मुझे मेरी रिस्पांसिबिलिटी पता है और जितनी क्लोज रिलेशनशिप मेरी रायचंद फैमिली से है उतनी ही तुम सब से भी है तो बे फ़िक्र रहो... तपस्या को मैं परिणीति के बारे में कुछ नहीं बताऊंगी।"... श्लोक की बातों को और परेशानी को समझते हुए प्रिया ने उसे आधे में ही टोक कर कहा और श्लोक के साथ ही तपस्या के पास चली गई।

" Dr प्रिया !! आप यहां  विराट के घर पर!!".. डॉ प्रिया को विराट के घर पर देख तपस्या एकदम से शॉक्ड हो गई थी ।

"पहले तो कांग्रेचुलेशन आप को.. अभय के साथ इंगेजमेंट टूटने के वजह से आप के शादी में जाना मुझे सही नहीं लगा.... लेकिन जब न्यूज में आप की और विराट के शादी के बारे में देखा जो शॉकिंग तो था लेकिन में आप दोनों केलिए खुश भी हूं। विराट इज रियली ए ज्वेल और सिद्धार्थ ओबेरॉय से तो लाख गुना बैटर.. इट्स रियली ए गुड डिसीजन तपस्या।" dr प्रिया तपस्या के गले मिलते हुए मुस्कुरा कर बोली  और वापस चली गई।

"पार्टनर ये विराट यूं अचानक क्यों भागे?? कोई प्रॉब्लम हुई है क्या?? और ये डॉक्टर प्रिया यहां??""....प्रिया के जाने के बाद तपस्या ने श्लोक के ऊपर सवालों के बरसात कर दिए थे। और श्लोक के पास एक भी जवाब  नहीं थी या यूं कहें के विराट से बिना पूछे वो तपस्या को कोई जवाब देना नहीं चाहता था।

"रात भर बहु को बाहर ही खड़े रखना है या गृह प्रवेश भी करवाना हे नालायक!!".... अनुपमा जी श्लोक की मुश्किल समझ कर उसे डपट ने के अंदाज से बोले ।

तपस्या अनुपमा जी को देख श्लोक को सवालिया अंदाज में देखने लगी।"ये आप की सासु मां है भाभी।"... श्लोक मजाकिया अंदाज में बोला जिसे सुन कर तपस्या अनुपमा जी के पैर छू ने केलिए झुकी।

"अरे नहीं नहीं बेटा आप घर की लक्ष्मी है..... और घर की लक्ष्मी पैर नहीं छू ती।"अनुपमा जी तपस्या को सीने से लगा कर बोली।

"चलिए भाभी अपने घर के अंदर... मां कलश वगैरा रेडी करके न जाने कब से बैठी है... किक मार कर आप गृह प्रवेश कीजिए।"... श्लोक हमेशा की तरह शरारत से बोला।

"लेकिन विराट!!! उन्हें क्या हुआ?? घर में कोई और भी है क्या?? जिनकी तबीयत ठीक नहीं जिसलिये dr प्रिया भी आई थी।"... विराट का यूं घबरा कर घर के अंदर भागना तपस्या को अभी तक खटक रही थी। उसके बार बार सवाल पूछने से श्लोक और अनुपमा जी दोनों ही सोच में पड़ गए। विराट से पूछे बगैर वो कुछ बता भी तो नहीं सकते थे।

"वो घर में हमारी मम्मा है ... जिनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी... उनकी मेंटल कंडीशन ठीक नहीं है... पार्टनर उन्हीं के पास ही गए हैं... और dr प्रिया उनकी ही डॉक्टर है। "... इससे पहले के श्लोक और अनुपमा जी कुछ सोच पाए पीहू बात को संभाल ने केलिए बोली।

वहीं दूसरे ओर परी के कमरे में....

कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️