Apajit - 1 in Hindi Thriller by Aniket Kushwah books and stories PDF | अपराजित - 1

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अपराजित - 1

अध्याय 1

अनजान अतीत की आहट

शौर्य की सामान्य ज़िंदगी

शौर्य की ज़िंदगी हमेशा सामान्य रही थी। एक छोटा सा कस्बा, कॉलेज, दोस्त और एक साधारण दिनचर्या। लेकिन कुछ दिनों से उसे अजीब सपने आने लगे थे। हर रात वह खुद को किसी अंधेरे खंडहर में खड़ा पाता, जहाँ सिर्फ राख और जलती मशालें थीं। ठंडी हवा उसके कानों में अजीब सी फुसफुसाहट भर देती, जैसे कोई उसे पुकार रहा हो। कोई परछाईं उसका पीछा करती, लेकिन जब भी वह पलटता, वहाँ कुछ नहीं होता।

"फिर वही सपना... इसका क्या मतलब है?" शौर्य बुदबुदाया।

रात भर इन सपनों से जूझने के बाद, सुबह की रोशनी उसे वास्तविकता में लौटाती, लेकिन मन में बेचैनी बनी रहती। वह सोचता कि कहीं यह सिर्फ उसका वहम तो नहीं? लेकिन हर रात वही सपना आना इसे एक संयोग नहीं बना सकता था।

पहला संकेत

कॉलेज के कैंटीन में बैठे हुए अचानक उसके सिर में तेज़ दर्द उठा। उसकी आँखों के सामने सबकुछ धुंधला हो गया और फिर वही खंडहर, वही परछाईं दिखी। लेकिन इस बार, वहाँ कोई खड़ा था – एक लंबा, काले कपड़ों में लिपटा आदमी, जिसकी आँखें जल रही थीं।

"शौर्य! क्या हुआ?" दोस्त की आवाज़ आई।

शौर्य ने घबराकर सिर झटका और सबकुछ सामान्य हो गया। लेकिन अंदर कुछ बदल चुका था। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। उसे लगने लगा कि कुछ गलत हो रहा है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या।

कॉलेज की घड़ी ने दोपहर के दो बजाए, और वह क्लासरूम से बाहर निकला। लेकिन आज उसे कुछ अजीब लग रहा था, जैसे किसी की नज़रें उस पर टिकी हों। हर मोड़ पर उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह खुद को समझाने की कोशिश कर रहा था कि यह सिर्फ उसका वहम है, लेकिन उसका दिल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था।

अजनबी से मुलाकात

शाम को घर लौटते वक्त उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने मुड़कर देखा, लेकिन उसे कुछ नहीं दिखा। उसकी चाल तेज़ हो गई, लेकिन उसके पीछे चलने वाली परछाईं भी तेज़ हो गई। अचानक, एक मोड़ पर एक बूढ़ा आदमी सामने आ खड़ा हुआ। उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी।

"शौर्य... तुम्हें अपने अतीत के बारे में कुछ पता है?" बूढ़ा आदमी बोला।

शौर्य चौंग गया। उसे यह आदमी अजीब लग रहा था। उसकी आँखें गहरी और रहस्यमयी थीं, मानो वह सबकुछ जानता हो।

"आप कौन हैं? और मेरा नाम कैसे जानते हैं?"

बूढ़े ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,

"तुम्हारा नाम सिर्फ़ तुम नहीं जानते, इस ब्रह्मांड को भी पता है। तुम वही हो, जिसका इंतज़ार सदियों से किया जा रहा था।"

शौर्य का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आया कि वह बूढ़ा मजाक कर रहा था या सच बोल रहा था। इससे पहले कि वह और कुछ पूछता, वह आदमी अचानक हवा में ग़ायब हो गया! शौर्य स्तब्ध रह गया।

रहस्य की पहली झलक

शौर्य जब घबराकर घर पहुँचा, तो दरवाज़ा ज़ोर से खुला और अंदर से एक गूंजती हुई आवाज़ आई—

"तुम्हारा समय आ गया है, शौर्य!"

उसका दिल बैठ गया। आवाज़ खाली कमरे में गूँज रही थी, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वह ठिठककर खड़ा रहा, सांसें तेज़ हो गईं।

अचानक, उसकी आँखों के सामने वही अंधेरा खंडहर कौंध गया। राख, जलती मशालें और वही रहस्यमयी परछाईं। लेकिन इस बार, परछाईं तेज़ी से उसकी ओर बढ़ने लगी। शौर्य का पूरा शरीर सुन्न पड़ गया।

वह चीखना चाहता था, लेकिन आवाज़ नहीं निकली। उसे महसूस हुआ कि कोई अदृश्य शक्ति उसे अपनी ओर खींच रही थी। उसकी आँखें अचानक जलने लगीं, और उसके अंदर एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ने लगी। वह घबराकर ज़मीन पर गिर पड़ा।

तभी, एक तेज़ रोशनी कमरे में फैली, और सबकुछ शांत हो गया। शौर्य काँपते हुए उठा और अपने चारों ओर देखा।

"यह मेरे साथ क्या हो रहा है?" उसने खुद से कहा।

अचानक, मेज़ पर रखी एक पुरानी किताब अपने-आप खुल गई। पन्नों पर कुछ लिखा था, लेकिन भाषा अनजान थी। जैसे ही शौर्य ने उसे छुआ, शब्द चमक उठे और एक नई दृष्टि उसके मन में जाग गई।

अब उसे एहसास होने लगा कि उसके जीवन में कुछ असामान्य हो रहा है। यह केवल एक शुरुआत थी।

शौर्य का मन बेचैन था। उसने किताब को उठाया और पन्ने पलटने लगा। हर पन्ने पर लिखे शब्दों को देखते ही उसे अजीब सा एहसास होने लगा, मानो वह उन्हें पहले भी देख चुका था।

"क्या यह मेरा ही अतीत है?" उसने खुद से सवाल किया।

तभी, कमरे की खिड़की ज़ोर से खुली और एक तेज़ हवा अंदर आई। रोशनी अचानक मंद पड़ गई, और कमरे में एक अजीब सी घुटन महसूस होने लगी।

"यह केवल शुरुआत है, शौर्य... अब पीछे हटने का समय नहीं।"

उस गूंजती हुई आवाज़ ने शौर्य के मन में और भी सवाल खड़े कर दिए। वह जानता था कि अब उसे अपने अतीत के रहस्यों को सुलझाना होगा, चाहे इसके लिए उसे किसी भी हद तक जाना पड़े।

(अगले अध्याय में: कौन था वह रहस्यमयी बूढ़ा आदमी? शौर्य का असली अतीत क्या है? उसे किससे खतरा है?)