Every battle is won with confidence and courage in Hindi Motivational Stories by Purnima Kaushik books and stories PDF | आत्मविश्वास और हौसले से जीती जाती है हर जंग

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आत्मविश्वास और हौसले से जीती जाती है हर जंग

नंदिनी, जो जीवन को सादगी से जीने में ही खुश रहती थी। वह मानती थी कि व्यक्ति का रूप नहीं बल्कि मन सुंदर होना चाहिए। व्यक्ति यदि सुंदर होकर भी अच्छा व्यवहार और कोई खास गुण न हो तो उस सुंदरता का क्या लाभ? वह चाहती थी कि अपनी कला से आगे बढ़े और अपने जीवन को सुंदर बनाए। नंदनी की छोटी बहन विद्या, एक सहेली की तरह उसके साथ रहती थी। जिससे वह अपनी सारी बातें करती थी। लेकिन नंदनी की मां को हमेशा उसके भविष्य की चिंता सताती।

वह सोचती कि उसका विवाह कैसे होगा? नंदिनी के सांवरे रंग को लेकर उसकी मां बड़ी परेशान रहती और उसके रूप को निखारने के लिए उपाय करती रहती। लेकिन नंदनी को अपना रंग पसंद था। अपनी मां के कहने पर वह चेहरे पर उबटन तो लगाती लेकिन उनके जाने के बाद झट से उसे हटा लेती। मां को पता चलने पर जब उसे डांट पड़ती तो वह आत्मविश्वास से भरकर कहती कि "मां, मेरा यह रंग ऐसा ही रहेगा, कभी नहीं बदलेगा। आप कुछ भी लगा लो। मुझे तो अपनी कला से आगे बढ़ना है। मैं अपने रंग से नहीं बल्कि अपनी कला से नई पहचान बनाऊंगी।"

आज वह एक नृत्य प्रतियोगिता में शामिल होने मुंबई जा रही है। जिसके लिए वह बहुत उत्साहित हो रही है। वह जल्दी से अपनी मां के साथ स्टेशन पर जाती है। लेकिन फिर भी वह बाहर जाम के कारण पहुंचने में लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंची तो ट्रेन छुट रही थी। ट्रेन को जाते देख उसे लग रहा था कि मानो उसका सपना उससे दूर जा रहा है। उसने चलती ट्रेन को पकड़ने के लिए दौड़ लगाई। लेकिन अचानक से उसका पैर फिसला और उसके पैर गाड़ी के नीचे आ गए। जब उसने खुद को अस्पताल में पाया तो सामने खड़ी मां से पूछा कि वह कब तक सही हो जाएगी और कितने दिन यहां रुकना होगा? मेरी प्रतियोगिता भी है 2 दिन बाद। तभी अचानक डॉक्टर आकर बताते है कि अब वह कभी चल नहीं पाएगी। ट्रेन के नीचे आने से उसके दोनों पैर कट गए हैं। अपने बारे में सब जानकर नंदिनी हैरान रह गई। वह बस रोए जा रही थी। उसने क्या सोचा था और उसके साथ ये क्या हो गया?

आत्मविश्वास से भरी नंदिनी अब पूरी तरह से टूट चुकी थी। लोगों से जब वह अपने लिए हीनता भरी बातें सुनती तो उसे खुद पर शर्म आती थी। वह अब लोगों से बात करने और उनसे मिलने से भी डरती थी। खुद को एक कमरे में बंद करके बस रोती रहती थी। वह उस भयावह दिन को याद कर डर जाती और खुद को धिक्कारने लगती। सोचती कि काश वह दिन मेरे जीवन में कभी आया ही न होता। नंदनी, जो बहुत ही सरल स्वभाव की थी, उस हादसे के बाद वह सब पर बहुत गुस्सा करने लगी। विद्या, जिसे वह छुटकी बुलाती थी और सबसे अधिक प्यार करती थी। उस पर भी वह गुस्सा किया करती थी। विद्या अपनी दीदी के पास तो आना चाहती लेकिन उसके गुस्से को जानकर नहीं आती। विद्या भी अपनी दीदी की परेशानी को जानती थी। इसलिए उन्हें परेशान भी नहीं करना चाहती थी।

एक दिन उसकी मां कमरे में आई और रोती हुई नंदिनी के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा "क्या हुआ मेरी गुड़िया को?" नंदिनी ने झट से अपनी मां को गले लगा लिया और फफक फफकर रोने लगी। रोते हुए उसने अपनी मां के आंचल को अपने दुखों के सागर से भिगो दिया। वह कहने लगी कि "मां, मेरा साथ क्यों ऐसा हुआ है? क्या मैं इतनी बुरी हूँ? पहले मैं सांवरी थी तो सब मेरा मजाक बनाते थे लेकिन मुझे लगता था कि मैं अपनी कला से आगे बढूंगी और अब वो भी मेरे पास नहीं रही। मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?"

उसकी मां ने जब यह जाना कि नंदिनी ने अपना आत्मविश्वास खो दिया है तो उन्होंने उसका हौसला बढ़ाने के लिए देश की पहली विकलांग पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा हौसले की कहानी सुनाई। कैसे उसने अपने लक्ष्य को पाने के लिए हौसले और जुनून के साथ आगे बढ़ती चली गई। किसी भी डर की परवाह किए बिना बस खुद पर विश्वास रखकर और नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर टिका कर उसने आज एक नई पहचान बना ली है। जो लोग खुद पर विश्वास रखते हैं और अपने लक्ष्य पर ही नजर गढ़ाए रहते हैं। वो जीवन में कभी नहीं हार सकते और तू कैसे हार सकती है? तू तो कहती थी कि व्यक्ति की असली सुंदरता उसके मन और कला से होती है। मैं जानती हूं कि मेरी गुड़िया का मन बहुत सुंदर है और आत्मविश्वास उसमें सबसे बड़ा गुण है। अभी वह कहीं खो गया है। जिसे उसे फिर से वापस लाना है। 

अपनी मां की बातों को सुनकर नंदिनी ने अपने मन में फिर आत्मविश्वास जगाया। उसने अब ठान लिया कि फिर से अपनी कला से आगे बढ़ेगी और नई पहचान बनाएगी। लेकिन इस बार नृत्य से नहीं बल्कि अपनी आवाज से। उसने अपनी आवाज को मधुर बनाने के लिए बहुत प्रयास किया। उसने विभिन्न गायन प्रतियोगिताओं में भाग लिया और जीत हासिल की। पहले बहुत से लोगों ने उसे रोकने का प्रयास किया लेकिन उसने किसी की परवाह नहीं की और आगे बढ़ती चली गई। एक दिन ऐसा आया कि वह एक सफल गायिका बन गई। जिसका श्रेय उसने अपनी मां और बहन को दिया।