Tour to Prayagraj in Hindi Travel stories by Deepa shimpi books and stories PDF | प्रयाजराज की सैर

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प्रयाजराज की सैर

प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह त्रिवेणी संगम, कुंभ मेला, प्राचीन मंदिरों और औपनिवेशिक युग की इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप प्रयागराज की सैर पर जा रहे हैं, तो ये मुख्य जगहें जरूर देखें:

1. त्रिवेणी संगम

यह वह पवित्र स्थान है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी मिलती हैं। यहां स्नान करना धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है।

2. खुसरो बाग

यह मुगलकालीन बागबानी कला का बेहतरीन उदाहरण है। इसमें मुगल शहजादे खुसरो और अन्य शाही परिवार के लोगों की कब्रें हैं।

3. इलाहाबाद किला

अकबर द्वारा बनवाया गया यह किला संगम के पास स्थित है। हालांकि इसका अधिकांश हिस्सा सेना के नियंत्रण में है, लेकिन पातालपुरी मंदिर और अक्षयवट को देखने की अनुमति मिलती है।

4. आनंद भवन और जवाहर प्लेनेटेरियम

यह नेहरू परिवार का पूर्व निवास था, जिसे अब संग्रहालय बना दिया गया है। पास ही जवाहर प्लेनेटेरियम भी है, जहां खगोल विज्ञान से जुड़ी रोचक जानकारियां मिलती हैं।

5. अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आज़ाद पार्क)

यह वही स्थान है जहां चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए शहादत दी थी। पार्क में उनकी प्रतिमा भी है।

6. हनुमान मंदिर (लेटे हुए हनुमान जी)

यह मंदिर संगम तट के पास स्थित है और यहां हनुमान जी की एक विशाल लेटी हुई मूर्ति है।

7. ऑल सेंट्स कैथेड्रल

यह गॉथिक शैली में बना एक भव्य चर्च है, जिसे पत्थर गिरजाघर भी कहा जाता है।

8. प्रयागराज विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट

ये ब्रिटिश काल की स्थापत्य कला के शानदार उदाहरण हैं और शहर की शान बढ़ाते हैं।

9. कुंभ मेला (अगर समय मिले तो)

हर 12 साल में एक बार लगने वाला कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होता है।

10. स्ट्रीट फूड और लोकल बाजार

चाट, समोसा, जलेबी और अल्लू टिक्की जैसी स्थानीय स्वादिष्ट चीजों का मजा लें। चौक बाजार और कटरा बाजार से शॉपिंग भी कर सकते हैं।

प्रयागराज की सैर ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों से भरी होती है। आप यहां कितने दिनों के लिए घूमने का प्लान बना रहे हैं?
कुंभ मेला की सैर: एक दिव्य अनुभव

कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेला है, जो हर 12 साल में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर प्रयागराज में आयोजित होता है। छह साल बाद अर्धकुंभ और हर तीन साल में हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में भी कुंभ मेले लगते हैं। यह आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं, साधु-संतों, और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

1. संगम स्नान का महत्व

कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करना है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रमुख स्नान की तारीखों (शाही स्नान) पर यहां साधु-संतों और अखाड़ों का विशेष स्नान होता है।

2. साधु-संतों और अखाड़ों का जमावड़ा

कुंभ मेला विभिन्न संप्रदायों के साधु-संतों का अनूठा संगम है। विशेष रूप से नागा साधु, जो पूरे शरीर पर भस्म लगाए रहते हैं, ध्यान और योग करते दिखाई देते हैं। इसके अलावा, बैरागी, उदासी, और विभिन्न अखाड़ों के साधु यहां प्रवचन और दर्शन कराते हैं।

3. आध्यात्मिक प्रवचन और भजन-कीर्तन

देशभर से आए संत-महात्मा अपने शिविरों में प्रवचन और ध्यान-योग सत्र आयोजित करते हैं। यहां विभिन्न कथा-वाचकों द्वारा रामायण, भगवद गीता और वेदांत पर व्याख्यान होते हैं।

4. टेंट सिटी और कुंभ का भव्य आयोजन

कुंभ मेले के दौरान पूरा इलाका अस्थायी टेंट सिटी में बदल जाता है, जहां हजारों शिविर लगाए जाते हैं। यहां आधुनिक सुविधाओं से युक्त धर्मशालाएं, आश्रम, और सरकार द्वारा बनाए गए सुविधाजनक ठहरने के स्थल होते हैं।

5. सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले का आनंद

कुंभ मेला केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है। यहां विभिन्न लोकनृत्य, नाट्य मंचन, और शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम होते हैं। मेले में कई दुकानें लगती हैं, जहां धार्मिक पुस्तकें, पूजन सामग्री, और स्थानीय हस्तशिल्प की खरीदारी कर सकते हैं।

6. विशेष दर्शन: भव्य नागा साधुओं की शोभायात्रा

शाही स्नान के दिन नागा साधु अपने समूहों के साथ भव्य जुलूस निकालते हैं। ये दृश्य देखने लायक होता है, जिसमें घोड़े, हाथी, और सजे-धजे रथों पर संत-संन्यासी बैठते हैं और पूरे धूमधाम से गंगा में स्नान करने जाते हैं।

7. कुंभ मेले में क्या सावधानियां बरतें?

भीड़ में सतर्क रहें और अपने सामान का ध्यान रखें।

संगम स्नान के दौरान सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।

सरकारी टेंट सिटी या रजिस्टर्ड धर्मशालाओं में ही रुकें।

खाने-पीने की चीजों का ध्यान रखें और स्वच्छता बनाए रखें।


कुंभ मेला: एक जीवन बदलने वाला अनुभव

कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है। यदि आपने कुंभ मेले की यात्रा नहीं की है, तो यह अनुभव जरूर लेना चाहिए।

क्या आप अगली बार कुंभ मेले में जाने की योजना बना रहे हैं?
दीपांजलि दीपाबेन शिम्पी गुजरात