The illusion of Aghori Nath and Manjri in Hindi Fiction Stories by SUMIT PRAJAPATI books and stories PDF | अघोरी नाथ और मंजरी का मायाजाल

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अघोरी नाथ और मंजरी का मायाजाल

"“छोड़ो मुझे, जाने दो! मैं एक-एक की शिकायत करूँगी प्रिंसिपल से!"" मंजरी ने गुस्से में चिल्लाया। बीस-इक्कीस साल की गोरी, पतली कमर और विस्तृत नितंबों वाली मंजरी किसी अप्सरा जैसी दिखती थी। पाँच लड़कियों ने उसे जबरदस्ती पकड़ा हुआ था, और वह खुद को छुड़ाने की असफल कोशिश कर रही थी। सामने तुषार और उसके दोस्त कुछ और लड़कियों के साथ जूनियर्स की रैगिंग कर रहे थे।
दूसरी तरफ, मंजरी का स्कूल का दोस्त उज्ज्वल खड़ा था, सिर झुकाए, शर्मिंदा। मंजरी और उज्ज्वल को जबरदस्ती किस कराया गया। जैसे ही मंजरी के होंठ उज्ज्वल के होंठों से छुए, सब ने उसे छोड़ दिया और जोर-जोर से ताली बजाने लगे।
मंजरी जितनी दिखने में सुंदर थी, उतनी ही पढ़ाई में भी होशियार। उसके पिता वीरेंद्र प्रताप सिंह आरटीओ में अधिकारी थे, और उसकी माँ, विदुषी सिंह, एक कॉलेज में प्राध्यापक। दोनों पढ़े-लिखे और आधुनिक सोच वाले थे। उन्होंने मंजरी का दाखिला मशहूर आइंस्टीन इंजीनियरिंग कॉलेज में मेनेजमेंट कोटे से करवाया था। वहीं तुषार जैन नाम का सीनियर लड़का था, जो दुबला-पतला और बेहद आकर्षक था, जैसे किसी हॉलीवुड हीरो की तरह। तुषार अपने पिता की रुतबे का भी खूब फायदा उठाता था।
जब मंजरी ने अपने घर में इस हादसे के बारे में बताया, तो तुषार को जेल भेज दिया गया। लेकिन उसके पिता की वजह से तुषार जल्द ही छूट गया। इसके बाद से मंजरी की जिंदगी और भी कठिन हो गई। तुषार और उसके दोस्तों ने उसे लगातार परेशान करना जारी रखा, जिससे मंजरी मानसिक रूप से टूटने लगी।
तंग आकर एक दिन मंजरी ने आत्महत्या करने का फैसला किया। उसने नदी में कूदने की कोशिश की, लेकिन उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उसे डूबते हुए एक अघोरी मलंग नाथ ने देख लिया और बचा लिया। वह उसे एक सुनसान खंडहर में ले गया। ठंड से कांपती हुई मंजरी को बचाने के लिए मलंग नाथ ने उसके सारे गीले कपड़े उतार दिए और उसे एक कंबल में लपेट दिया।
कंबल इधर-उधर हो गया था, और उसके खुले हुए उन्नत नितंब बाहर निकल आए। उसके शरीर का कुछ हिस्सा भी दिख रहा था। ऐसे हिस्से, जिन्हें देखकर कोई भी पुरुष अपनी नीयत खो दे। लेकिन मलंग नाथ एक औघड़ था, जिसे इस तरह के दृश्य विचलित नहीं कर सकते थे।
 ""मेरे कपड़े कहाँ गए? कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ?"" होश में आते ही मंजरी ने खुद को निर्वस्त्र पाया और जोर से चीख पड़ी। अंधेरी रात के सुनसान खंडहर में उसकी चीखें बेअसर थीं। उसने अपने गुप्तांगों को छूकर यह सुनिश्चित किया कि कुछ गलत नहीं हुआ था। वह थोड़ा आश्वस्त हुई।
मलंग नाथ ने हवा में हाथ घुमाया, और अचानक उसके हाथ में एक केतली और दो गिलास आ गए। केतली से भाप निकल रही थी। मंजरी ने हैरानी से यह दृश्य देखा। उसने सोचा, ""यह आदमी तो जादूगर है!""
मलंग नाथ ने मंजरी से पूछा, ""अगर तुषार तुम्हारी बात मानने लगे, तो सारी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी, है ना?""
मंजरी ने पूछा, ""वह मेरी बात क्यों मानेगा? वह तो मुझसे दुश्मनी रखता है। मेरे पिता पुलिस में हैं और वे कुछ नहीं कर पाए, तो आप क्या करेंगे?""
मलंग नाथ ज़ोर से हँस पड़ा और बोला, “तंत्र कुछ भी कर सकता है।”
आखिर क्या करवाना चाहती है मंजरी इस अघोरी से ? क्या अघोरी मंजरी की सच में मदद करना चाहता है ये कोई नयी मुसीबत है मंजरी के लिए ?