Shaadi ek Samjhota - 1 in Hindi Short Stories by SUMIT PRAJAPATI books and stories PDF | शादी एक समझौता - 1

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शादी एक समझौता - 1

"""मेरे कपड़े कहाँ गए? कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ?"" होश में आते ही मंजरी ने खुद को निर्वस्त्र पाया और जोर से चीख पड़ी। अंधेरी रात के सुनसान खंडहर में उसकी चीखें बेअसर थीं। उसने अपने गुप्तांगों को छूकर यह सुनिश्चित किया कि कुछ गलत नहीं हुआ था। वह थोड़ा आश्वस्त हुई। तभी उसकी नज़र एक नंग धड़ंग अघोरी पर पड़ी। वो डर गयी। लेकिन उस अघोरी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। उसकी की ऊंचाई लगभग साढ़े पाँच फुट ! कसा हुआ बदन ! गोल गोल आंखें ! बिल्कुल लाल ! एक बार अगर अंधेरे में कोई उन आंखों को देख ले तो डर जाए, ऐसी हैं उसकी आँखें । सफाचट चेहरा !दाढ़ी और मूंछ के नाम पर चेहरे पर एक भी बाल मौजूद नहीं।
उस अघोरी ने हवा में हाथ घुमाया, और अचानक उसके हाथ में एक केतली और दो गिलास आ गए। केतली से भाप निकल रही थी। मंजरी ने हैरानी से यह दृश्य देखा। उसने सोचा, ""यह आदमी तो जादूगर है!""
मंजरी ने चाय पिया तो थोड़ी गर्माहट महसूस हुई। फिर अघोरी के पूछने पर उसने बताना शुरू किया कि आखिर उसके साथ हुआ क्या। उसने अपने कॉलेज की बात बतानी शुरू की। 

“छोड़ो मुझे, जाने दो! मैं एक-एक की शिकायत करूँगी प्रिंसिपल से!"" मंजरी ने गुस्से में चिल्लाया। पाँच लड़कियों ने उसे जबरदस्ती पकड़ा हुआ था, और वह खुद को छुड़ाने की असफल कोशिश कर रही थी। सामने तुषार और उसके दोस्त कुछ और लड़कियों के साथ जूनियर्स की रैगिंग कर रहे थे।
दूसरी तरफ, मंजरी का स्कूल का दोस्त उज्ज्वल खड़ा था, सिर झुकाए, शर्मिंदा। मंजरी और उज्ज्वल को जबरदस्ती किस कराया गया। जैसे ही मंजरी के होंठ उज्ज्वल के होंठों से छुए, सब ने उसे छोड़ दिया और जोर-जोर से ताली बजाने लगे।
मंजरी जितनी दिखने में सुंदर थी, उतनी ही पढ़ाई में भी होशियार। उसके पिता वीरेंद्र प्रताप सिंह आरटीओ में अधिकारी थे, और उसकी माँ, विदुषी सिंह, एक कॉलेज में प्राध्यापक। दोनों पढ़े-लिखे और आधुनिक सोच वाले थे। उन्होंने मंजरी का दाखिला मशहूर आइंस्टीन इंजीनियरिंग कॉलेज में मेनेजमेंट कोटे से करवाया था। वहीं तुषार जैन नाम का सीनियर लड़का था, जो दुबला-पतला और बेहद आकर्षक था, जैसे किसी हॉलीवुड हीरो की तरह। तुषार अपने पिता की रुतबे का भी खूब फायदा उठाता था।
जब मंजरी ने अपने घर में इस हादसे के बारे में बताया, तो तुषार को जेल भेज दिया गया। लेकिन उसके पिता की वजह से तुषार जल्द ही छूट गया। इसके बाद से मंजरी की जिंदगी और भी कठिन हो गई। तुषार और उसके दोस्तों ने उसे लगातार परेशान करना जारी रखा, जिससे मंजरी मानसिक रूप से टूटने लगी।
तंग आकर एक दिन मंजरी ने आत्महत्या करने का फैसला किया। उसने नदी में कूदने की कोशिश की, लेकिन उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उसे डूबते हुए अघोरी मलंग नाथ ने देख लिया और बचा लिया।

आखिर क्या मंशा है अघोरी की मंजरी के लिए ? क्या मंजरी अघोरी के साथ सुरक्षित है ? क्या अघोरी मंजरी की कोई मदद कर पायेगा ?
"
कहानी लेखक सुमित कुमार प्रजापति के द्वारा लिखी गई हैं।