Jindagi Chalti Rahti he - 2 in Hindi Drama by Bk swan and lotus translators books and stories PDF | ज़िंदगी चलती रहती है - 2

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ज़िंदगी चलती रहती है - 2

शाम का वक्त था।
अमित अपनी पत्नी से: " मई अभी रेटायर्मेंट लेने का सोच में हूँ.. अभी बस... मैंने अपने जिंदगी में बहुत मेहनत किया.. " बीच में अपने पत्नी का हाथ पकड़ा और
कहा। .. " बहुत दिनोसे इच्छा है.. चलो कुछ दिन तीर्थ यात्रा हो आएंगे... "
पत्नी: " आप के अरमानोंको मै कभी नहीं टाला.. जैसे आपकी मर्जी"
अमित: " मैंने अपने जिंदगी को प्यार किया। . .. बहुत अच्छे से बीत गया.. खैर। .. अब तक की जिंदगी एक तरफ़ा रहा। .. अब आगे क्या होगा ... ए तो वक्त ही तै करेगा... "
अमित की पत्नी : मुझे नींद आरही है.. आप ज्यादा न सोच कर सजाओ जी..." ऐसा कहकर ओ सोगया...
अमित: "तुम तो बड़ी नसीब वाले हो.." ऐसा केहकर अमित भी सोगया..
सुबह के वक्त जॉगिंग जाने से पहले। .. अमित अपना बच्चो को बुलाया और कहा..
" मई अपने 'सी. ई.ओ ' पोस्ट से रिटायर होनेका फैसला लिया..."
यह केहकर पार्क चलागया.. उधर मेहरा अमित का इंतजार में था.. अमित को देख पुछा..
" आज जनाब आने में देर कर दिया.. "
" हां भाई.. देर किया नहीं, लेकिन हुआ.. क्यों कि आज मई अपना रिटारमेंट का फैसला अपना बच्चोंको सुनादिया"
मेहरा : सब कुछ आराम से हो रहा तो इतनी जल्दबाजी क्यों भाई.. कुछ दिन और देखलो.. टाइम पास होजायेगा.. "
अमित कुछ जवाब नहीं दिया.. तो मेहरा ने भी जोर नहीं दिया.. बादमे दोनों अपना अपना घर चलागया..
अमित को घर आते ही कारण (अमित का बड़ा बेटा ) ने पूछा... " पापा अपने इ फैसला कैसे लेलिया.... हम इसका देखभाल आप के जैसे नहीं करपयेगा। ..
कितना मेहनत किया आपने.. तब जाकर हमारा डांढ़ा इतना फैला.. क्या हम इसके काबिल है.. हम सपने में भी नेही सोचपायेंगे... "
अमित :"देखो बेटा। .. मुजके भी रिटायर होने का मन नहीं है। . लेकिन अभी मै 65 का होचुका हूँ.. भगवान ने मुझे पांच 'पंचा रत्नो' जैसा बेटे दिए। ..
वैसे भी तुम्हारा बच्चोंके सात मेरा वक्त यु ही गुजर जाएगा.. और तो और तुम्हारी माँ को मेरा खास जरूरत है..
                                      Part 4
हर रोजकी तरह अमित पार्क पहुंचगया.. तब उन्होंने टी-शर्ट और शार्ट पेहना था। .. इस नए अवतार में अमित को देख के मेहरा ने खूब हसा। ..
मेहरा को देख रोनी ने जोर से भौंका। .. मेहरा धरगया.. अब अमितने जोर से हसा और कहा... " इसी तरह बिना सेक्युर्टी के आना मुझे पसंद है.. कई बार सोचा। . आज ममकिन हो पाया। . तुम तो जानते होना मुझे इस तरह सिंपल जीना बहुत पसंद है.."
बादमे दोनों दोस्त मिलकर वाकिंग शुरू किया.. सभी लोग अमित को देखतेही रहगया.. मेहरा ने अमित को पीनिकेलिए पानी दिया..
अमित :" तुम तो बिलकुल नहीं बदला। .... बचपन में जैसे हो वैसे की वैसे ही हो।"
मेहरा : "तुम मेरा छोड़ अपना सोचो। ... अपना सोचो "
अमित : अरे.. यार तुम फिर से शुरू होगया... बिनवजा बाथ को बतंगड़ बना रहेहो। . ...
तब मेहरा ने भी पाने पीना शुरू करदिया। . और अचानक खाँसनेलगा। . .. अमित ने मेहरा के सर पर प्यार से थप थपाया
मेहरा : अरे। .. तुम ये क्या बोल रहे हो.. तुम्हारा बोलनेका ढंग ही बदलगया। .
 ओ दोनों हस्ते हुए एक बेंच पर बैट गया..
उसी वक्त उनके नजदीक एक बस आकर रुका था.. वह बस वृद्धाश्रम की था। अमित और महरा देखनेलगा.. बुजुर्ग लोग बसमे चढ़ने लगे... इतनेमे एक बूढ़ी
औरत को ड्राइवर ने रोकलिया.. और गालिया देनेलगा। ...
ड्राइवर : सुनो बुढ़िया। ... तेरा औलाद ने दो महीनो से पैसे नेही भेजा.. हमारा सब तुम इधरइच छोड़ने को बोला... अगर तुझे आनेका है तो अपना बेटे से पैसे भेजनेको बोल "
बस में बैठे हुए बुजुर्ग यह देखकर परेशान होगये..
.
बुढ़िया : "देखो बेटा। .. पता नहीं मेरा बेटा कौनसा मुसीबत में होगा... मुझे पैसे भेजने केलिए कितना मेहनत करता होगा.. एक बार मेरे बाथ उनसे कारवादो "
ड्राइवर नंबर दिल कर दिया... बुढ़िया ने दो तीन बार ट्राई किया। .. लेकिन बेटा फ़ोन नहीं उठाया.. ड्राइवर ने उस औरत के हाथ से फोन चीन लिया..
और गुस्से में बोला...
ड्राइवर: " अरे तेरा बेटा उनका बेटे के पढ़ाई केलिए लाखो रूपया खर्च कर रहा था.. और तुम केहरहेहो की पैसे है हे नहीं...तुम माँ बेटोँका पैसे हडपनेका इरादा थतो नहीं। .... "
                                                                                      Part 4 completed