नमस्कार पाठक मित्रों
जिंदगी सुख और दुख का दूसरा नाम है। जीवन में समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता । किस्मत और हालात बदलते देर नही लगती है। फिर भी हम सुख का समय आसानी से बिता लेते हैं। जब जिंदगी में सब अच्छा अच्छा ही चल रहा हो तो हमें मालूम ही नहीं चलता कि समय कैसे उड़ कर निकल जाता है। परन्तु जब समय अनुकूल नहीं हो तो हालात हमें कमजोर और निराशावादी बना देते हैं। ऐसा लगता है कि हमारी जिंदगी अब ठीक नहीं हो पाएगी। परन्तु ऐसा नहीं होता है। हर रात के बाद सुबह होती है बस सुबह तक कैसे पहुँचना है और उसका इंतजार कैसे करना है यह ही पता लगाना होता है। हमें अपनी सोच बदलनी होती है, साथ ही छोटी छोटी बातों में सुधार लाना ज़रूरी होता है। यदि हम यह करते हैं तो ये मुश्किलों का दौर भी निकल जाता है। हम सबको बाहर उतना सीखने की जरूरत नहीं है जितना कि अपने अतीत की पाठशाला से सीखने की!
एक बार निराश होने पर हम हाथ - पैर ढीले कर लेते हैं। हमारी आशा का सूरज निराशा के बादलों में छिपा जाता है ।हमें यह समझना होगा कि हमें एक बार निराश होने पर दुबारा काम को शुरू करने के लिए किसी खास समय का इंतजार नहीं करना है। हमें किसी विशेष पल का इंतजार नहीं करना है बल्कि जब हमारी दृष्टि में कोई बात आ जाती है, जब मन किसी काम को करना ठान लेता वही किसी काम की शुरुआत का सही समय होता है। उसी समय गंभीरता से हमें अपने जीवन के लक्ष्य का निर्धारण कर आगे की योजना बना लेनी चाहिए। बस इसके लिए जरूरी है अपने इन सपनों को पूरा करने के लिए लगन, धैर्य, स्पष्ट योजना के साथ साथ प्रबल इच्छा शक्ति को समेट कर आगे बढ़ जाएं। जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए ? यह सवाल हमेशा घूमता रहता है। धैर्य, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच ही हमें इन कठिनाइयों से उबरने में मदद करते हैं। यदि हम अपने मन में दृढ़ निश्चय और स्पष्ट उद्देश्य रखते हैं, तो कोई भी कठिनाई हमें हमारी मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती है।
सबको अशेष स्नेहपूर्ण शुभकामनाएँ
अगली बार चर्चा को आगे बढ़ाते हैं। स्वस्थ वआनंदित रहकर जीवन में मुस्काते हुए अग्रसर रहें।
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती