Nafrat e Ishq - Part 15 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 15

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Nafrat e Ishq - Part 15

 


यह दिन सहदेव के लिए बेहद खास था। उसने अपनी मेहनत और काबिलियत का पहला फल चखा था, और अब उसे अपनी योग्यता साबित करने का मौका मिल चुका था। वह जानता था कि आगे की राह आसान नहीं होगी, लेकिन उसके भीतर एक अद्भुत जोश और आत्मविश्वास भर चुका था।  


अपने केबिन में वापस आकर उसने अपनी सीट संभाली और लैपटॉप पर प्रोजेक्ट के काम में जुट गया। उसके भीतर का जुनून उसे हर पल काम करने के लिए प्रेरित कर रहा था। वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसकी हर योजना न केवल प्रभावी हो, बल्कि मनीषा और पूरी टीम को प्रभावित कर सके।  


काम में इतना डूबा हुआ था कि कब लंच का समय हो गया, उसे पता ही नहीं चला। तभी उसके दोस्त मनोज ने आकर कहा, "भाई, लंच का टाइम हो गया है। तुम काम में इतने खो गए हो कि भूख ही भूल गए!"  


"अरे हां, चलो चलते हैं," सहदेव ने मुस्कुराते हुए कहा और अपनी सीट से उठ गया।  




कैंटीन में पहुंचते ही सहदेव ने देखा कि एक तरफ भीड़ लगी हुई है। चारों तरफ हलचल थी, और लोग उत्सुकता से कुछ देख या सुन रहे थे।  


"अरे, ये क्या चल रहा है?" सहदेव ने मनोज से पूछा।  


"पता नहीं यार, लगता है कुछ खास हुआ है। चलो देखते हैं," मनोज ने कहा।  


सहदेव को भीड़ में जाने का मन नहीं था, लेकिन उत्सुकता ने उसे रोकने नहीं दिया। वह भी मनोज के साथ उस भीड़ की ओर बढ़ गया। जैसे ही वह करीब पहुंचा, उसकी नजर बलजीत पर पड़ी।  


बलजीत एक हंसमुख सरदार था, जो हर किसी से अपनी मजाकिया बातों और जिंदादिली के लिए जाना जाता था। वह अमृतसर से था और उसके परिवार में सभी पुलिस या आर्मी में थे, लेकिन बलजीत ने कॉर्पोरेट लाइन में अपना करियर बनाया था। वह कंपनी का कैमरामैन था और अपनी कला के लिए जाना जाता था।  


  


सहदेव ने बलजीत के कंधे पर हल्के से हाथ रखा और मुस्कुराते हुए कहा, "अरे बल्लू, ये क्या ड्रामा चल रहा है? कहीं मुफ्त में समोसे तो नहीं बंट रहे?"  


बलजीत ने पलटकर देखा और हंसते हुए बोला, "ओ पाजी, आप तो हमेशा फ्री चीज़ों के पीछे रहते हो। लेकिन नहीं, आज मामला कुछ और है।"  


"अच्छा? तो फिर ये भीड़ क्यों लगी है?" सहदेव ने उत्सुकता से पूछा।  


बलजीत ने उसकी बात को नजरअंदाज किया और सहदेव को मजाक में उठाकर घुमाने लगा। "तुझे कुछ बताने से पहले थोड़ा एंटरटेनमेंट तो बनता है!"  


"अरे बल्लू, छोड़ मुझे! सब देख रहे हैं।" सहदेव ने हंसते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश की।  


काफी देर तक उसे घुमाने के बाद बलजीत ने उसे नीचे उतारा और कहा, "भाई, ये जो भीड़ है, वो हमारी प्यारी सोनिया की वजह से है।"  


"सोनिया? वो कौन?" सहदेव ने हैरानी से पूछा।  


"अरे, वही हमारी HR वाली सोनिया। आज उसका बर्थडे है, और वो सबको अपने बर्थडे पार्टी का इनविटेशन दे रही है।"  


"ओह, तो इसलिए इतना हंगामा है। और तुम क्यों इतने खुश हो?"  


बलजीत ने अपनी मूंछों पर ताव देते हुए कहा, "खुश क्यों न होऊं, पाजी? सोनिया की पार्टी मतलब अच्छा खाना, अच्छा म्यूजिक, और ढेर सारी मस्ती!"  


सहदेव ने हंसते हुए कहा, "तुझे तो सिर्फ खाने और मस्ती की पड़ी है। लेकिन देख लेना, कहीं सोनिया तुझे अपने हाथों से केक खिलाने न लग जाए!"  


"अरे, वो तो होना ही है। आखिर मैं यहां का चार्मिंग सरदार हूं!" बलजीत ने हंसते हुए जवाब दिया।  




थोड़ी ही देर में सोनिया खुद भीड़ के बीच से निकली और सहदेव और बलजीत के पास आई। उसके हाथ में खूबसूरत इनविटेशन कार्ड थे।  


"हाय, सहदेव! हाय, बलजीत!" सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा।  


"हाय सोनिया! हैप्पी बर्थडे इन एडवांस!" सहदेव ने कहा।  


"थैंक यू, सहदेव। यह लो, मेरी पार्टी का इनविटेशन। मैं उम्मीद करती हूं कि तुम दोनों जरूर आओगे।"  


"जरूर आएंगे, सोनिया। और हां, केक मुझे खिलाना मत भूलना," बलजीत ने शरारती अंदाज में कहा।  


"केक तो सबको मिलेगा, लेकिन सबसे पहले मुझे खुद खाना है," सोनिया ने हंसते हुए जवाब दिया।  


  


सोनिया से बात करके सहदेव और बलजीत कैंटीन में अपनी सीट पर आ गए।  


"भाई, यह सोनिया की पार्टी कम और इवेंट ज्यादा लग रही है," मनोज ने मजाक करते हुए कहा।  


"सही कह रहा है। लेकिन अच्छा है। ऑफिस की बोरिंग लाइफ में थोड़ा एंटरटेनमेंट भी जरूरी है," सहदेव ने जवाब दिया।  


काम और हंसी-मजाक के बीच सहदेव को महसूस हुआ कि जिंदगी सिर्फ काम और संघर्ष का नाम नहीं है। उसमें मस्ती और दोस्तों के साथ बिताए गए हल्के-फुल्के पल भी उतने ही जरूरी हैं।  


 


लंच के बाद, सहदेव फिर से अपने काम में जुट गया। उसे अब मनीषा के सामने अपनी योजना को और प्रभावी ढंग से पेश करने की तैयारी करनी थी।  


बलजीत, मनोज, और सोनिया जैसे दोस्तों के साथ उसकी जिंदगी में खुशियां और ऊर्जा बनी रही। लेकिन इस सबके बीच, सहदेव ने खुद से वादा किया कि वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करना कभी नहीं छोड़ेगा।  



 


लंच के बाद सहदेव ने अपनी योजना पर आगे काम करने का निर्णय लिया। हालांकि वह जानता था कि मनीषा से पहले उसे टीम की बाकी मेंबर्स, खासकर अनीता और शालिनी का समर्थन हासिल करना होगा। यह प्रोजेक्ट केवल उसके लिए नहीं, बल्कि पूरी टीम के लिए अहम था।  


सहदेव अनीता के केबिन की ओर बढ़ा। अनीता, जो टीम की सीनियर मैनेजर थी, हमेशा सटीक और व्यावहारिक सोच के लिए जानी जाती थी। उसके सुझाव अक्सर टीम को नई दिशा देते थे।  


"मे आई कम इन?" सहदेव ने दरवाजे पर हल्की दस्तक देते हुए पूछा।  


"आओ सहदेव, अंदर आओ," अनीता ने अपने कंप्यूटर स्क्रीन से नजरें हटाकर जवाब दिया।  


सहदेव ने अंदर आकर कहा, "मैम, अगर आपके पास थोड़ा समय हो, तो मैं अपने प्लान को डिस्कस करना चाहता हूं।"  


अनीता ने अपनी कुर्सी पर थोड़ा पीछे झुकते हुए कहा, "ठीक है, बताओ। क्या प्लान है तुम्हारा?"  


सहदेव ने अपने लैपटॉप को खोलते हुए स्लाइड्स दिखाना शुरू किया। उसने विस्तार से समझाया कि वह प्रोजेक्ट में क्या-क्या नई चीजें जोड़ना चाहता है और कैसे टीम के हर सदस्य की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण होगी।  


"यह काफी अच्छा है, सहदेव," अनीता ने गंभीरता से सुनने के बाद कहा। "लेकिन इसमें कुछ सुधार की गुंजाइश है। जैसे कि तुम्हारे टाइमलाइन और रिसोर्स एलोकेशन में थोड़ा फाइन-ट्यूनिंग की जरूरत है।"  


सहदेव ने नोट्स बनाते हुए कहा, "बिल्कुल, मैम। मैं आपकी फीडबैक के आधार पर इसे सुधारूंगा।"  


अनीता ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह अच्छा है कि तुम हर सुझाव को इतनी सकारात्मकता से लेते हो। प्रोजेक्ट की सफलता का यही पहला कदम है। लेकिन ध्यान रखना, मनीषा डिटेल्स में बहुत गहराई तक जाती हैं। तुम्हें हर सवाल का जवाब तैयार रखना होगा।"  


"मैं समझता हूं, मैम। और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि प्रेजेंटेशन पूरी तरह परफेक्ट हो," सहदेव ने आत्मविश्वास के साथ कहा।  




अनीता के साथ बातचीत ने सहदेव को यह एहसास दिलाया कि टीम का सहयोग कितना जरूरी है। उसने तय किया कि वह शालिनी और बाकी टीम से भी बात करेगा, ताकि हर किसी का सुझाव लेकर योजना को और मजबूत बनाया जा सके।  


जब वह केबिन से बाहर निकला, तो उसे शालिनी कॉफी मशीन के पास दिखी।  


"अरे शालिनी, तुमसे एक जरूरी बात करनी है।"  


"हाँ, बोलो," शालिनी ने कॉफी कप उठाते हुए कहा।  


"मैंने प्रोजेक्ट के लिए कुछ प्लान तैयार किए हैं। क्या तुम्हारे पास थोड़ा समय होगा इसे डिस्कस करने के लिए?"  


शालिनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्यों नहीं। अभी मेरा शेड्यूल खाली है। चलो, बैठते हैं।"  




इस बातचीत के दौरान सहदेव को महसूस हुआ कि सही टीमवर्क से किसी भी प्रोजेक्ट को सफल बनाया जा सकता है। उसने अपने नोट्स को और व्यवस्थित किया और खुद से वादा किया कि वह प्रेजेंटेशन में अपनी योजना को सबसे बेहतर तरीके से पेश करेगा।  


आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सहदेव की मेहनत रंग लाएगी और क्या वह मनीषा और पूरी टीम को अपनी क्षमता का परिचय देने में कामयाब होगा।







 क्या सहदेव अपनी योजना को सफलतापूर्वक लागू कर पाएगा? क्या मनीषा उसे और मौके देगी, या फिर उसकी राह में और बाधाएं आएंगी? और सोनिया की बर्थडे पार्टी में क्या नया ट्विस्ट आएगा? 


यह सब तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा!