रहस्य कथा: "भूतिया हवेली"
किसी छोटे से गांव में एक पुरानी हवेली खड़ी थी, जो सालों से सुनसान पड़ी थी। लोग कहते थे कि हवेली में रात को अजीब-अजीब आवाजें आती हैं और कभी-कभी खिड़कियों से रोशनी झलकती है। गांव के बुजुर्गों का कहना था कि उस हवेली में एक पुराना खजाना छिपा हुआ है, जिसे कोई भी अब तक खोज नहीं पाया था।
राहुल, एक युवा पत्रकार, जो रहस्यमयी घटनाओं में रुचि रखता था, इस हवेली के बारे में सुनकर बहुत आकर्षित हुआ। उसने ठान लिया कि वह इस रहस्य का पर्दाफाश करेगा। एक रात, जब चाँद की रोशनी मंद थी, वह हवेली के पास पहुँचा। हवेली की दरवाजे पर एक पुराना ताला पड़ा हुआ था, लेकिन उसने किसी तरह ताला खोल लिया और भीतर घुस गया।
हवेली के अंदर घना अंधेरा था, लेकिन राहुल ने अपने मोबाइल फोन की रोशनी से रास्ता बनाया। हवेली के भीतर कदम रखते ही एक ठंडी हवा का झोंका उसके चेहरे से टकराया। भीतर का माहौल बिलकुल अजीब था। फर्श पर धूल जमी हुई थी, और दीवारों पर घने जाले लगे हुए थे। एक कमरे में उसने एक पुरानी किताब पाई, जिसमें हवेली के बारे में कुछ रहस्यमयी बातें लिखी थीं। किताब के पन्नों को पलटते हुए वह एक खास पन्ने तक पहुँचा, जिस पर लिखा था - "जो रात के अंतिम पहर में यहाँ आएगा, वह खोलेगा सच का दरवाजा।"
राहुल के मन में जिज्ञासा और भी बढ़ गई। उसने कमरे में इधर-उधर देखा और तभी उसकी नजर एक छिपे हुए दरवाजे पर पड़ी, जो दीवार के एक हिस्से से जुड़ा हुआ था। उस दरवाजे को खोलते ही वह एक सीढ़ी के पास पहुँचा जो नीचे जा रही थी। डर और रोमांच से भरपूर, राहुल ने नीचे जाने का फैसला किया।
नीचे एक गहरा तहखाना था, जहाँ एक पुराना संदूक पड़ा हुआ था। राहुल ने संदूक को खोला और उसमें रखा खजाना देखकर उसकी आँखें चौंधिया गईं। लेकिन खजाने के साथ एक चिठ्ठी भी रखी थी, जिसमें लिखा था - "यह खजाना तुम्हारा नहीं है। जो इसे ले जाएगा, वह सजा पाएगा।"
राहुल ने खजाने को छोड़ दिया और तुरंत हवेली से बाहर निकल आया। उसे एहसास हुआ कि कुछ रहस्य ऐसे होते हैं, जिन्हें न सुलझाना ही बेहतर होता है। हवेली का रहस्य शायद कभी न सुलझे, लेकिन वह जानता था कि कुछ चीजें हमेशा के लिए रहस्यमयी बनी रहती हैं।
राहुल हवेली से बाहर भागते हुए अपनी धड़कनों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था। वह हवा में अजीब सी खामोशी महसूस कर रहा था, जैसे चारों ओर कुछ ताकतें सक्रिय हो गई हों। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था और उसे ऐसा लग रहा था कि हवेली की दीवारें अब भी उसे देख रही हैं। वह जल्दी-जल्दी गाँव की ओर लौटने लगा, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार हवेली पर जा रही थीं।
अचानक, उसके कानों में एक और आवाज आई—एक हल्की सी सरसराहट। वह रुककर चारों ओर देखने लगा। उसका दिल और तेज़ी से धड़कने लगा। उसे महसूस हुआ कि हवेली की ओर बढ़ने वाली एक छाया, बहुत धीमे-धीमे, उसकी दिशा में आ रही थी। वह डर के मारे जैसे काँपने लगा, लेकिन उसने खुद को संभालते हुए और तेज़ी से कदम बढ़ाए। छाया कुछ कदम दूर थी, और अब वह स्पष्ट रूप से देख सकता था कि यह कोई इंसान नहीं था, बल्कि एक धुंधली, अंधेरे में खोई हुई आकृति थी।
राहुल का मन डर से भर गया, और वह और तेजी से दौड़ने लगा। गाँव पहुँचते-पहुँचते उसकी हालत खराब हो चुकी थी। उसे लग रहा था कि जैसे हवेली की उस अदृश्य शक्ति ने उसे पीछा करना शुरू कर दिया हो। गाँव में प्रवेश करते ही, वह सीधे गाँव के बुजुर्ग के पास गया, जो अक्सर हवेली के बारे में कहानियाँ सुनाया करते थे।
बुजुर्ग ने राहुल का चेहरा देखा और समझ गया कि कुछ गलत हुआ है। "तुमने हवेली के खजाने के बारे में सुना था, है ना?" बुजुर्ग ने पूछा। राहुल ने सिर झुकाया और कहा, "हाँ, मैंने खजाना ढूँढा, लेकिन अब मुझे इसका पछतावा हो रहा है।"
बुजुर्ग ने उसकी ओर देखा और धीरे से कहा, "वह हवेली एक प्राचीन शाप से जुड़ी हुई है। जो भी वहाँ खजाना लेने जाता है, उसकी आत्मा पर एक शाप चढ़ जाता है। वह शाप उसे छोड़ता नहीं, और अंततः वह उस शापित जगह की ओर वापस खींच लिया जाता है।"
राहुल ने घबराते हुए पूछा, "क्या इसका कोई हल है?"
बुजुर्ग ने एक गहरी साँस ली और कहा, "कुछ रहस्य कभी सुलझाए नहीं जाते। तुम्हें अपनी ज़िंदगी को फिर से सामान्य बनाने के लिए उस हवेली को छोड़ना होगा। लेकिन याद रखो, हवेली से भागकर भी तुम पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो। शाप तुम्हारे पीछे है, और तुम्हें अपनी आत्मा को बचाने के लिए कुछ और कदम उठाने होंगे।"
राहुल का चेहरा गहरा हो गया। वह समझ गया कि हवेली का रहस्य अब उसे शांति से जीने नहीं देगा। उसने इस खजाने के बारे में कभी किसी को नहीं बताया, लेकिन उसकी आँखों में एक खौफ था। हवेली का शाप उसके साथ था, और राहुल अब जानता था कि यह रहस्य कभी भी उसका पीछा कर सकता था।
समाप्त।
दीपांजलि
दीपाबेन शिम्पी, गुजरात