Nafrat e Ishq - 29 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 29

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नफ़रत-ए-इश्क - 29

रायचंद हाउस, रात का वक्त

अभय और समर को छोड़कर बाकी सब टाइमिंग टेबल के पास हाजिर थे । जहां यशवर्धन जी अनिरुद्ध तपस्या और तनु बैठ कर खाना खा रहे थे वहीं चित्रा जी और सरगम वहीं पर खड़े  सब को खाना सर्व कर रहे थे । दोपहर को ऑफिस में जो भी कुछ हुआ था उस वजह से घर का माहौल काफी गर्म था और यशवर्धन जी का मूड भी।

चित्रा ची तपस्या को रोटी सर्व करते हुए उसे खोए हुए देखकर बोली "बेटा आपकी तबीयत तो ठीक है ना आप कुछ खा क्यों नहीं रहे हैं?"

तपस्या जो अपने एहसास में ही खोए हुए थी या फिर यूं कहें के विराट की दिए एहसासों में गुम थी कोई जवाब नहीं देती है।

"सब ठीक है ना प्रिंसेस?"यशबर्धन ने थोड़ा तेज आवाज में पूछा।

तपस्या अपने ख्यालों से वापस आकर हड़बड़ाहट में बोली

"जी जी हम ठीक हैं दादू। बस शॉपिंग करते-करते थक गए हैं कहते हुए वो चित्रा जी को देखकर बोली

"मम्मा हमारा और खाने का मन नहीं है हम सोने जा रहे हैं बहुत थक गए हैं ।"

कहते हुए अपने कमरे के और बढ़ गई।

चित्राची उसके पीछे जाने लगी तो यशवर्धन उन्हें आवाज देते हुए

"उन्हें रेस्ट करने दीजिए बड़ी बहू शॉपिंग करते-करते थक गई होगी कुछ दिनों बाद शादी है रेस्ट करने की बहुत जरूरत है उन्हें ।एक बार रस्में शुरू हो गई तो कहां आराम कर पाएंगी।"

सीढियां चढ़ते हुए जब तपस्या की कानों में शादी की रस्मों की बात पड़ी उसके कदम थोड़े लड़खड़ा से गए। और चेहरे पर एक अजीब सी बेचैनी और बेबसी दिखाई देने लगी। लेकिन दूसरे ही पल वो एक नजर यशवर्धन की ओर डालकर खुद को संभाल कर वहां से चली गई।

चित्रा जी वहीं खड़ी यशवर्धन जी के प्लेट में सब्जी परोंस ने लगी ।यशवर्धन उनके हाथों को इशारों से रोक ते हुए बोले

"बड़ी बहू थोड़ा अपने बेटे पर भी ध्यान दे दीजिए। क्योंकि बदकिस्मती से वो बस आपकी ही सुनता है ।"

फिर थोड़ा रुक कर पानी का ग्लास उठा कर एक सिप लेकर बोले

"बेहतर होगा आप अपनी तरीके से समझा दीजिए क्योंकि अगर हम अपने तरीके से समझाने पर आए तो शायद ना आपको अच्छा लगेगा और ना ही आपके बेटे को।"

कहकर वह पुरी पानी का गिलास खत्म करते हुए उठकर वहां से चले गए।

चित्रा जी अनिरुद्ध जी को देखकर कुछ कहने जा रहे थे लेकिन वो भी मुंह तक लेते हुए अपना खाने का निवाला वापस प्लेट में रखते हुए गुस्से से चित्रा जी को देखकर बोले

"12 साल से ना खुद सुकून से रह रहे हैं और ना हमें सुकून से रहने दे रहे हैं ये लड़का । खुद की जिंदगी तो बर्बाद कर ही रहा है लेकिन साथ ही साथ प्रियांका के जिंदगी के साथ भी खेल रहे हैं।"

और वापस से चित्रा जी को देख गहरी सांस लेते हुए थके हुए आवाज में बोले

"हो सके तो उन्हें समझाने की कोशिश कीजिए चित्रा के पुरानी बातों को भूल कर एक नई जिंदगी शुरू करें जो उनके लिए भी अच्छा है और हम सबके लिए भी।

बोलकर वो भी उठकर चले गए।

"कहां है ये लड़का ?

अनिरुद्ध जी की बात सुनकर दर्द और थके हुए आवाज में बोलकर चित्र जी वही चेयर पर ही निढाल बैठगए।

"अभय ठीक है दीदी समर है उनके साथ और उनको साथ लेकर ही आएंगे।"

सरगम चित्रा जी के करीब आकर बैठ गई और उन्हें समझाते हुए बोलने लगी।

"ठिक हैं??"

सरगम के ओर दिखकर पुछ ते हुए चित्रा जी दर्द और व्यंग भरें अंदाज में मुदकुराने लगी।

सरगम कुछ भी नहीं बोली और चुपचाप उन्हें के पास बैठी रही।

चित्रा जी टेबल पर माथा रखे आंखें बंद करते हुए थके हुई आवाज में बोले

"ठीक नहीं है वो सरगम और ना ही कभी ठीक होंगे ।"

कहते हुए वो खामोश हो गईं।

अग्निहोत्री हाऊस

विराट सूप के बोल के चारों ओर स्पून घूमा ते हुए अपने आप में ही बैठा हुआ था और अनुपमा जी उसे बस देख रहे थे।

"पूछ लीजिए मां वरना आपको फिर रात को नींद नहीं आएगी।"

विराट अनुपमा जी की नजरों को खुद पर महसूस करते हुए कहा । उसकी नज़रें अभी भी सूप के bowl के ऊपर ही थी।

"पीहू काफी कुछ तपस्या जैसी है ना?"

अनुपम जी ने सपाट लहजे में पूछ लिया और विराट के चेहरे के भाव देखने लगी।

विराट के सूप बोल पर घूमते उंगलियां अचानक से रुक गई, उसने नजर उठाकर अनुपमा जी की ओर देखा और

"Good night मां, I am टायर्ड।"

कह कर वो उठने लगा।

अनुपमा जी उसका हाथ पकड़ कर वापस से चेयर पर बिठाते हुए मुंह बना कर  बोली"बस ऐसे ही मन में आया एक सिंपल सवाल तो पूछ लिया। इसका एक सिंपल जवाब दे दो न!!अवॉइड करने की क्या जरूरत है? क्योंकि तुम्हारा यूं नजर चुरा कर जाना बहुत सारे सवाल पैदा करेंगे।"

अनुपमा जी ने कहते हुए तिरछी मुस्कान दी।

विराट ने उनके और देखा और गहरी सांस लेते हुए बिना भाव के कहा "जी मां है वो उनकी तरह उन्हीं के जैसी मुस्कुराहट उनके जैसी मासूमियत उनके ही जैसी नखरे और उन्हीं के जैसे अदाएं।"

कहते कहते उसके चेहरे और बोलने के भाव बदलने लगे थे। बोलते हुए वो रुक गया और अपनी आंखें बंद कर ली उसके बंद नजरों में बस तपस्या ही थी।

"बहुत प्यार करता है उनसे है ना?"

अनुपमा जी की बात सुनकर अपनी आंखें खोलकर उनके तरफ देखने लगा और अजीब से स्माइल करते हुए बोला

"नफरत की जंजीर से लिपटी हुई मोहब्बत है मेरी, ना ये जंजीर कभी टूटेगी और ना मोहब्बत बाहर आएगी इसलिए प्यार बहुत या कम है कभो नापतोल करने की जरूरत नाहीं पड़ी  और नाहीं पड़ेगी।"

बोलकर विराट अनुपमा जी के गालों को हल्का प्यार से चूम कर," गुड नाइट मां ।"कहकर वहां से उठ कर चला गया।

अनुपम जी उसे जाते हुए देख रहे थे और हल्का मुस्कुरा कर आवाज में एक दर्द और सुकून लिए बोले "जिसके बस एक जिक्र भर से ही तू खुद को खोने लगता है उसकी मोहब्बत को कब तक नफरत के जंजीर में जकड़े रखेगा ये मैं भी देखना चाहूंगी।

मुम्बई के एक नाइट क्लब में

अभय एक कोने में बैठकर एक टक टेबल पर रखे भरे हुए शराब के गिलास को घूर रहा था या फिर यूं कहें किसी के गहरी यादों में डूबे हुए था। वहीं उसके सामने समर अपने क्ग्लास की आखिरी घूंट खत्म करते हुए बोले

"बेटा ऐसे शराब के क्लास को घूर कर नशे में डूबने की कला हमें नहीं आती और अगर आपके साथ थोड़ी देर यूं और बैठे तो आपका तो पता नहीं हम तो यही सो जाएंगे।"

समर कहते हुए टेबल पर ही सिर टिकाए जवाब के इंतजार में उसे घूर ने लगे।

अभय ने कुछ नहीं कहा और वैसे ही बैठा रहा।

उसे यूं देखकर समय थोड़ा सीरियस अंदाज में बोले

"घर चलिए अभय किसी और केलिए नहीं तो अपनी मां के बारे में तो सोचिए भाभी भूखी प्यासी आपका इंतजार कर रही है।"

कहते हुए वो वापस से अभय को ही देखने लगे

"घर??? "

एक व्यंग भरी मुस्कराहट लिए अभय ने बोला।

"जहां सुकून होता है घर उसे कहते हैं जहां दम घुटने लगे वो जहन्नुम होता है, चाचू ।"

बोलकर वो अपनी नजर ग्लास पर से हटाकर समर पर डाल देता है।

समर उसे कुछ बोलने को हुए उससे पहले अभय वापस बोल पड़ा,

"वैसे भी घुट घुट कर ही ये जिंदगी कट रही है इससे ज्यादा घुटन बर्दाश्त नहीं होगी।"

बोलकर वो खामोश हो गया तो समर उसे अपने फोन पर आते हुए चित्रा जी की कॉल दिखा कर बोले

"इनका भी दम घुट रहा है आपके बारे में सोच-सोच कर इन्हें कैसे समझाएंगे?"

अभय एक नजर फोन की तरफ देखा जिसमें भाभी मां फ्लैश हो रही थी उसने अपनी आंखें बंद कर ली एक गहरी सांस लेते हुए बोला

"चलिए घर चलते हैं।"

अभय ने कहा और उठकर जाने लगा।

"यू मीन जहन्नुम चलते हैं?"

उसकी बात सुन सुनकर समर ने कहा और मुस्कुरा दिया।

अभय मुस्कुराया और उनके बाजू पकड़ कर खींचते हुए,

"चलिए चाचू , वरना हमारी मां तो फिर भी ठीक हैं लेकीन आप की बीवी आपके साथ क्या करंगी सोचा है, एसा न हो के रात कमरे के बहार ही गुजारनी पड़े।"

अभय ने कहा और सरारती अंदाज में समर के और देखने लगा।

उसकी बात सुनकर समर कुछ पल रुक गए।

"क्या हुआ चाचू? अब लेट नहीं हो रही है आप को? या फिर खडे़ खड़े ही चाची के यादों में ही गुम हो गए?"

समर एक हलकी सी मुसकुराहट लिए अभय को देखा और कुछ शायराना अंदाज लिऐ बोल,

"अजी हम तो उनके दिल में बसते हैं, अगर कमरे से निकाल भी दिया तो बेघर थोड़े ही होंगे।"

बोलकर वो अभय को चलने का इसारा करते हैं।

अग्निहोत्री हाउसरात का वक्त

(ना मंजिल का पता ना रास्ते का होश,सामने आती हुई तेज गाड़ियों की परवाह किए बगैर एक 15 -16 साल का लड़का बस बेसुध आगे बढ़े जा रहा था ।आंखों में चश्मा, चेहरे पर ढेर सारे दाग, बिखरे बाल, कपड़े जगह जगह फटे हुए थे।चेहरे और शरीर पर चोटों के निशान। एक 15 - 16 साल के लडके केलिए शायद ही ये चोट और दर्द झेल पाना आसान होगा,लेकिन दिल पर लगे ,दर्द और चोट इस कदर गहरी थी, कि शरीर पर लगे चोट सुन्ह पड़ चुके थे । वो लड़का सामने आते हुए ट्रक के हैडलाइट को देखते हुए बस उसके और ही कदम बढ़ाए जा रहा था ।ट्रक जितनी तेजी से उसके और बढ रहा था,उसके आगे बढ़ते कदम भी उतनी ही तेजी से रफ्तार पकड़ रहे थे ।ट्रक टकराने को हुआ और उसने अपनी आंखें बन्द करली।)

एक चीख के साथ विराट एक ही झटके में अपने बेड से उठकर बैठ गया। उसकी धड़कने तेज थी। माथे पर पसीने की बूंदे। वो एक गहरी सांस लेता है। और अपने हाथ में बंधी घड़ी के तरफ देखा। जिसमे 12.45 am हुए थे। वो उठकर खड़ा हुआ और साइड टेबल के ऊपर रखे सिगरेट के पैकेट से एक सिगरेट निकालकर होठों में दबाए जलाकर लंबी कस भरने लगा और धुएं के साथ ही अपनी बैचेनी बाहर छोड़ ने लगा।

मिरर के सामने जाकर खड़ा हो कर वो खुद के नीली आंखों में झांक कर बोला"विराट के  आंखों में आप वीर की मासूमियत ढूंढ रहे है प्रिंसेस जो खुद आप के वजह से ही खो गया है। आप के इतने करीब आप का डफर है और आप महसूस ही नहीं कर पा रहे है।"

बोलकर वो व्यंग के साथ मुस्कुराया और सिगरेट की आखरी कस भर कर उसे अपने पैरों के नीचे कुचलते हुए बोला

"डफर ही था वीर जो पागलों की तरह बस आपके आगे पीछे भागता था,104 डिग्री फीवर में भी बस आप को एक project जिता ने केलिए रात रात भर जागता था, अपने ओर अपने घरकी चिंता छोड़ कर बस आप का ही ध्यान रखता था । एक छोटी सी खरोच भी आप पर ना आए इसकेलिए नजाने खुद पर कितनी चोट बर्दास्त करता था।"बोलते बोलते ही उसकी आवाज सर्द हो रही थी।

उसने एक गहरी सांस ली और अपने फोन के तरफ देखा जो ड्रेसिंग टेबल के पास ही रखा हुआ था और बोला "कितने वक्त तक अपने दादू के बंधन में बंधी रहेंगी प्रिंसेस? विराट का नशा आप पर चढ चुका है अब होश तो आप खो कर ही रहेंगी।"

बोलते हुए उसकी नजर फोन स्क्रीन पर ही टिकी हुई थी।

दूसरे ओर रायचंद हाउसतपस्या का कमरा

तपस्या कमरे में अपने बेड पर एकदम से खुदसे ही सिमटी हुए बैठी थी। हाथ में पकड़े अपने फोन को बार बार उठाकर विराट का नंबर डायल करती ओर रिंग से पहले ही बंद कर देती।

वो एक गहरी सांस  खींच कर खुद से ही झल्लाते हुए बोली

"लंदन में ही रहना था हमे यहां आना ही नहीं चाहिए था। क्या करें अब न दादू के खिलाफ जा पाएंगे और ना अब सिद्धार्थ के साथ कोई रस्में निभा पाएंगे।"

खुद से बोलते बोलते ही उसने बेख्याली में ही विराट का नंबर फिर से डायल कर दिया और रिंग की आवाज कानों में पड़ते ही झट से बंद करने जा ही रही थी दुसरे तरफ से विराट ने कॉल पिक करलिया और हेलो बोला।

विराट की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही उसके हाथ रुक गए और साथ ही साथ एक पल केलिए धड़कनें भी।

उसने कुछ नहीं कहा और बस अपनी आंखे कसकर बंद करली जैसे विराट फोन के दुसरे तरफ नहीं उसके सामने ही बैठा हो।

तपस्या की खामोशी महसूस कर विराट तिरछा मुस्कुरादिया ओर चलकर बेड पर बैठ गया और फोन स्पीकर पर डाल कर बेड पर ही रख कर खुद दोनों हाथ सिर के पीछे रख कर बेड पर लेट गया। और अपनी आंखे बंद करली।

कुछ पल केलिए दोनों तरफ ही खामोशी थी।

विराट खामोशी तोड़ ते हुए बोला

"तेरी खामोशी अगर तेरी मजबूरी है    तो रहने दे इस इश्क कोहर इश्क मुकम्मल हो ये कहां जरूरी है।"

विराट के बोलने भर से ही तपस्या की आंखे नम हो गई और उससे भी ज्यादा हैरानी थी उसकी नजरों में।

वो भी अपने बेड पर ही खुद को समेटे लेट गई ओर धीमी आवाज से बोली "डर लग रहा है।"

बीरट आंखे बंद किए ही तिरछा मुस्कुरा दिया और बोला

"डर मुझे भी लग रहा हैइश्क के इस गहरे समंदर से गुजर करअब दिल असमंजस में है केडूब जाए या तहर ना सिख ले।"

विराट की बात सुनकर तपस्या के होठों पर एक हल्की सी सुकून भरी मुस्कान खिल गई।

आवाज बेहद गहरी कर वो कंपकपाते हुए बोली"दादू का सामना करने की हिम्मत नहीं है हम में और नाही अब सिद्धार्थ के साथ शादी की कोई भी रस्म निभाने की हिम्मत

उसकी बात खतम हो उससे पहले ही विराट साफ लफ्जों में एक एक शब्द पर जोर डाल कर बोला "जिस एहसास से इस वक्त आप गुजर  रही हैं उसे नाम देनेकी हिम्मत है? बिना सोचे समझे बिना कोई सवाल जवाब के मुझे चुन ने की हिम्मत है? आंखे बंद किए मुझ पर यकीन करने की हिम्मत है?"

तपस्या बिना एक पल की भी देरी किए बस" hmmm"में जवाब देती है।

तपस्या के उस छोटी सी शब्द में ही विराट के चेहरे पर सुकून आ चुका था।

उस सुकून को अपने आवाज में भरते हुए वो बोला

"कल सुबह आप के इश्क की आजमाइशी का दिन है। कल सुबह आप जिसे  चुनेंगी उसी के साथ ही आप अपनी जिंदगी के सारे रस्में निभाएंगी मिस रायचंद।"

"एक तो अपने गर्लफ्रेंड को उसके सरनेम से कौन बुलाता है? और दूसरी बात आप की आधी बात हमारे सिर पर से देकर गुजर जाती है।"विराट की बात खतम होते ही तपस्या उसपर झल्ला ते हुए बोली और दूसरे ही पल अपना जीव काट ते हुए खुद को ठीक कर कुछ बोल ही रही थी के विराट तुरंत आंखे खोल देता है और पलट कर फोन के करीब बढ़ कर सरारत भरे आवाज में बोला?"

"गर्लफ्रैंड ?"

तपस्या खुद को सही करने के जोश में फिर भी मासूमियत से भरी आवाज में "नहीं हुए क्या?"

विराट तिरछी स्माइल करते हुए"पहली मुलाकात एयरपोर्ट पर, दूसरी आप के इंगेजमेंट पर और तीसरी आप के अपने ब्राइडल शॉपिंग पर इस बीच हमे तो याद नही आ रहा है के हम गर्लफ्रेंड और ब्वॉयफ्रेंड बने कब?"

विराट ने मजाकिया अंदाज में पूछा तो तपस्या तुरंत चीड़ कर रिएक्ट करते हुए बोली"जब आप ने हमे ट्रायल रूम में किस

कहते हुए वो रुक गई और शर्म से आंखे बंद करली।

विराट फोन के बिलकुल करीब आकर इंटेंस आवाज में

"इस वक्त आप को  शर्माते हुए देखने का बहत मन कर रहा है ।"कहकर वो कुछ पल रुका ओर बोला

"प्रिंसेस"





कहानी जारी है ❤️

कल सुबह ऐसा क्या होने वाला है और तपस्या कैसे चुनेगी विराट को ? जानने केलिए आगे पढ़ते रहें।