Where there is a will there is a way..... in Hindi Fiction Stories by Purnima Kaushik books and stories PDF | जहां चाह वहां राह .....

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जहां चाह वहां राह .....

एक बहुत प्रसिद्ध कथन है कि जहां चाह वहां राह ..... यानी व्यक्ति अगर चाहे तो सब कुछ मुमकिन है। वह असंभव को संभव बनाने में सक्षम है। अगर वह अपनी इच्छाशक्ति को दृढ़ बनाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाता है तो उसके लिए हर राह आसान हो जाती है। वह एक बार जो ठान ले वह पूरा कर सकता है। बस जरूरत है तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए हिम्मत और जुनून की। फिर संसार में सब कुछ मुमकिन हो सकता है।

ऐसे ही मुश्किलों से लड़ते हुए अपने लक्ष्य को पूरा करने की कहानी है वीर की। जो अपने माता-पिता और दो भाईयों के साथ एक गांव में रहता था। वीर परिवार में सबसे छोटा था और सबसे शरारती भी। बचपन में एक बार खेलते हुए उसकी बॉल से पड़ोसी की खिड़की का कांच टूट गया था। जिसके बाद घर का मालिक वीर के घर जाता है और उसकी मां को खरी - खोटी सुनाकर जाता है। पड़ोसी के जाने पर मां वीर को समझाते हुए कहती है कि वे इसका भुगतान नहीं कर कर सकते हैं। इसीलिए वह आगे से कभी ऐसा न करे। वीर अपनी मां का लाड़ला था। 

शाम को जब वीर के पिता, जो प्राइमरी स्कूल में एक अध्यापक है, आते है और उनको वीर की शैतानी की खबर लगती है तो वह उसे जोर से आवाज लगाते है। जिसे सुनकर वीर घबराकर मां की बाहों में छिप जाता है। फिर जब मां उसे धीरे से पिता के कमरे की तरफ ले जाती है। वीर की आंखों में पिता के बिना कुछ कहे ही आंसू आ रहे थे। जब उसके पिता ने उससे उसकी गलती के बारे में पूछा तो वह वहां से कुछ कहे बिना ही अपने कमरे में भाग गया। जिसे देख उसके पिता उस पर और अधिक गुस्सा हो गए। 

वीर बचपन में कुछ डरा हुआ सा रहता था। जिसे देखकर उसके सभी दोस्त उसका मजाक करते थे। लेकिन बचपन से ही उसने फौज में जाने का मन बनाया हुआ था। जब भी गणतंत्र दिवस पर टीवी पर परेड का कार्यक्रम होता था तो उसे देख वह बहुत उत्साहित होता था और हर बार सीधा खड़े होकर सैल्यूट करता था। यह सब देखकर उसकी मां बहुत खुश होती थी, लेकिन वीर के मन में हमेशा एक डर रहता था कि वह कैसे सब कर पाएगा? कैसे दुश्मनों को मारेगा? वह रात को सोते हुए बहुत से ऐसे ख्वाब देखता कि वह देश के दुश्मनों को मार रहा है लेकिन उठते ही सबकुछ भूलकर वह खेल में लग जाता था। 

एक दिन वीर बहुत उदास था। उस रात उसने खाना भी नहीं खाया। मां ने जब उसकी उदासी का कारण पूछा तो वह मां से गले लग कर रोते हुए पूछता है कि मैं ऐसा क्यों हूँ मां? सब मेरा मजाक क्यों करते हैं? क्या मैं कभी सेना में नहीं जा सकता? वीर के इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए मां ने उसे वीर पुरुषों की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि व्यक्ति अगर चाहे तो अपने लक्ष्य को पूरा कर सकता है। वह अगर ठान ले तो सब कुछ मुमकिन है। राह में आने वाली हर मुश्किल को वह आसानी से पार कर सकता है। उसे बस कड़ी मेहनत, मन में हिम्मत और जुनून की आवश्यकता है। संसार में ऐसा कुछ नहीं है जो असंभव है। अगर एक बार ठान लिया जाए तो असंभव को संभव होने में देर नहीं लगेगी।

अपनी मां से वीरता की कहानी सुनकर वीर को उस रात नींद नहीं आई। अगले दिन सुबह स्कूल जाते हुए भी वह अपनी मां की कही बातों को ही याद कर रहा था। स्कूल में भी वह गंभीरता से पढ़ाई कर रहा था। जिसे देखकर सभी हैरान थे। घर आने पर भी जब वह पढ़ाई में व्यस्त था। मां ने जब वीर की इस गंभीरता का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह अब निश्चय कर चुका है कि सेना में एक बड़ा अफसर बनेगा और उनकी हर इच्छा को पूरी करेगा। उस दिन से वह पढ़ाई में पूरी तरह से व्यस्त हो गया। 

उसने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए राह में आई हर मुश्किल को सूझ - बूझ के साथ पार कर लिया। एक दिन ऐसा आया कि वह अपने नाम की तरह ही 'वीर' बन गया। गांव आते ही सबसे पहले उसने अपनी मां के पैरों में अपना सर झुकाया। मां ने भी बड़े ही प्यार से उसके सर पर अपना हाथ फिराया। जब वीर अपने पिता से आशीर्वाद लेने गया तो पिता ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि आज मेरा बेटा सच में 'वीर' बन गया है। ऐसा कहते हुए उन्होंने वीर को गले लगा लिया और दोनों ही बहुत ही भावुक हो गए।