Jindagi ke rang hazar -- 16 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | जिंदगी के रंग हजार - 16

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जिंदगी के रंग हजार - 16

कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उसकी आदत थी।एनानी कि मोहन लाल से अच्छी दोस्ती थी।दोनों के स्वभाव में कोई साम्य नही था।फिर भी गहरे दोस्त थे।सर्विस में भी और रिटायरमेंट के बाद भी।किसी भी स्टेशन मास्टर या अपने इंचार्ज से उसकी पटती नही थी।हर एक से लड़ना।अगरकोई बात उसके विरुदह जये तो कोरट जाने में भी देर नही करता था।
इसका नतीजा यह निकला कि मुझसे सीनियर होकर भी पदोन्नति में पीछे रह गया और मैं इंचार्ज बन गया।
लेकिन हमारी दोस्ती कम नही हुई।ऑफिस मे भी और बाहर भी दोस्ती वैसी ही रही।आगरा फोर्ट पर सी एम आई में आर के शर्मा आये।उनकी पूरी सर्विस लोगो यानी स्टाफ की शिकायत करने और दंड दिलाने में ही रही।नतीजा न उन्हें कोई स्टाफ पसन्द करता था न ही अधिकारी।उनका एनानी से झड़प हो गई।एनानी तो किसी की सुनता ही नही था।मेरी दोस्ती एनानी से भी थी और आर के शर्मा से भी।एक दिन वह एनानी के बारे में बताते हुए मुझसे बोले,"यार तुम बहुत शांत प्रकर्ति के और शरीफ आदमी हो और एनानी बदमाश उससे दोस्ती तोड़ दो।"
मैं बोला,"आप से दोस्ती अपनी जगह है और एनानी से अपनी जगह। आपके लिय बुरा होगा।लेकिन मेरे से कोई ऐसी बात नही है।"
एक समय ऐसा था जब आर के शर्मा मेरे इंसपकेटर रहे और एक समय ऐसा आया जब मैं उन्हें सुपर सीट करके मंडल में DCI बन गया।
बात तो एनानी की हो रही है।उसके दो लड़के और दो लड़की है।पहले वह फाटक सूरजभान मे किराये के मकान में वर्षो से रह रहा था।रिटायर मेन्ट से पहले मेने उसे मकान खरीदने की सलाह दी और मकान दिला भी दिया था।एनानी ने उसमे ऊपर भी बनवा लिया था और एक छोटी सी दुकान भी बनवा ली थी।
उसका बड़ा लड़का कम बुद्धि का है।इसके लिय दुकान खोली थी।उसमें ब्रेड,बिस्किट आदि रोजमर्रा की चीजें बेचने लगा था।छोटे लड़के ने ला में एड्मिसन ले लिया था। और उसने एल एल बी कर ली थी।और वह एक वकील के अधीन काम करने लगा था।
दो बेटियां थी और उम्र काफी हो रही थी हम कहते इनकी शादी कब करेगा।लेकिन लड़कियों भी अपना भाग्य लिखा कर लाती है।एक एक करके दोनों की शादी हो गयी और वे अच्छे घर मे चली गयी।
बड़े लड़के के बारे में तो उसका मानना था उसकी शादी नही होगी लेकिन छोटा खुद ही शादी करना नही चाहता था।न जाने क्यो।लेकिन छोटा एनानी के रास्ते पर चल पड़ा था।वह बेटे से कह क्या सकता था।खुद जब पीता हो।तो फिर बेटे
को कैसे मना कर सकता था।देर से उठना और रात को देर से लौटना।
सेवा निवर्ती के बाद एनानी ने भी दारू पीना तो नही छोड़ा था लेकिन घूमने जरूर जाता था।मोहन लाल और एनानी का एक और साथी रतन सिंह जो बयाना का रहने वाला है कभी कभी इनसे मिलने आता रहता था।
धीरे धीरे उसे तकलीफ होती गयी।वह पहले पैदल चलता था।लेकिन धीरे धीरे उसका पैदल चलना बन्द हो गया।
औऱ आना जाना भी बंद हो गया।वह घर पर ही पड़ा रहता था और फिर मुझे आज उसके गुजर जाने का समाचार मिला था