अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया तो गया लेकिन उसने जब आँखें खोली तो रोवन को पहचानने से इनकार कर दिया। डॉक्टर ने कहा के चोट लगने की वजह से वो अपने बीते कल की कुछ कुछ यादों को भूल गई है। उसकी जान बच जाने से रोवन की सांसों में सांस बसी थी लेकिन इस बात से उसके दिल पर तीर सा गढ़ गया था कि अब लूसी उसे भूल चुकी है।
लूसी को खास ऑब्जर्वेशन में रखा गया था। रोवन को भूल जाने के बाद वो बेहोश हो गई थी। उसे दोबारा होश तो आया लेकिन इस बार वो खोई हुई थी। न कुछ बोल रही थी न ही किसी की तरफ देख रही थी। बेसुध सी किसी एक तरफ नज़र टिकाए लेटी हुई थी। उसकी आंखों को देख कर लगता था के बड़े सदमे में है। होंठों की लालिमा फीकी पड़ी थी। रोवन कांच की खिड़की से उसे मायूस हो कर देख रहा था। सभी लोग इधर उधर टहल रहे थे।
रूमी आंखों में फिक्र लिए रोवन के पास आ कर बोली :" मामा आप रात भर से सोए नहीं हैं और इंजर्ड भी हैं! इतनी परेशानी में रहें अब तो कुछ देर आराम कर लीजिए! मामी अब खतरे से बाहर है भले ही उनका दिमाग आपको भूल गया हो लेकिन उनका दिल आपको ज़रूर पहचान लेगा! आप चिंता मत कीजिए और कुछ देर आराम कर लीजिए!"
रोवन ने लूसी से अपनी नज़रे हटाई और एक गहरी सांस लेते हुए कहा :" कैसे चिंता न करूं? लूसी की जान को खतरा अभी भी है। जब तक लूसी ज़िंदा है तब तक मैं लड़ता रहूंगा! उसे कुछ नहीं होने दूंगा!....तुम दोनों घर चले जाओ और मां से कहना हमारे लिए दुआ करे! ये मत बताना के लूसी को कुछ हुआ है। बस ये कहना कि जो मुसीबत हमारे सर पर है उसके टल जाने की दुआ करे, मैं ये इस लिए कह रहा हूं क्यों के मां की दुआ ऊपर वाले के यहां रद्द नहीं की जाती!...तुम समझ गई न मै क्या कह रहा हूं?"
"जी मामा मैं समझ गई! मैं उन्हें समझा दूंगी!"
ये कह कर रूमी ने एक बार लूसी को झांक कर देखा जो अब अंजान सी हो गई थी। फिर उसने आर्यन को बुलाया और घर चली गई।
घर में लूसी के पापा अकेले थे इस लिए उसकी भाभी बड़े भाई और भतीजी कुछ देर रुक कर वे लोग भी चले गए अब लूसी की मां और कियान हॉस्पिटल में रहे।
रोवन को देख कर मम्मी का दिल फट रहा था। वो समझ सकती थी के उसके दिल पर क्या बीती है।
दोपहर होते होते रोवन कहीं जाने लगा। उसे जाता देख कियान झट से खड़ा हो कर बोला :" अब आप कहां जा रहे हैं? सुबह हमें लूसी को घर ले जाना होगा! आप सोच लीजिए आपको क्या करना है। हमारे साथ जाना है या अपने घर जाना है?
रोवन उसकी ओर मुड़ कर बोला :" लूसी को अब मैं याद नहीं इस लिए ज़ाहिर है वो आपके साथ जायेगी लेकिन मैं उसे अकेला नहीं छोड़ सकता इस लिए उसके आसपास ही रहूंगा! अभी मैं उस मुसीबत को जड़ से खत्म करने जा रहा हूं जिसकी वजह से लूसी की ये हालत हुई है। हो सकता है मै वापस न आऊं और कहीं जा कर मर जाऊं क्यों के हमारी लड़ाई किसी इंसान से नहीं बल्कि एक बुरी शक्ति से है! अगर ज़िंदा रहा तो रात तक वापस आ जाऊंगा तब तक लूसी आपकी ज़िम्मेदारी!"
कियान को अपने कहे हुए शब्दों को याद कर के बुरा लग रहा था। उसे एहसास हुआ के जल्दी में आकर और बिना किसी बात को साबित किए उसने रोवन पर इल्ज़ाम लगाया। अब समझ आया के शब्द वापस नहीं लिए जाते न ही उन शब्दों से जो ठेस लगती है उसे ठीक किया जा सकता है।
उसने शर्मिंदगी से कहा :"हो सकेगा तो मुझे माफ कीजिए! मैं बस अपनी बहन की चिंता कर रहा था!...क्या मैं कोई मदद कर सकता हूं?"
रोवन ने गंभीरता से कहा :" हां बस इतना के लूसी से अपनी नज़र न हटाएं!....इसके लिए मैं आपका एहसानमंद रहूंगा!"
वो वहां से तेज़ी से चला गया। अपनी गाड़ी के पास जा कर उसने अपना धूल मिट्टी लगा काला टीशर्ट उतारा और पीछे की सीट पर रखी एक नई व्हाइट शर्ट निकाल कर पहन लिया। कार में बैठा और तेज़ी से चलाते हुए निकल गया।
जब रोवन वहां से निकला तब कुछ दूर में खड़ी कमेला माथे को सिकुड़ कर हैरत में पड़ी उसे जाते हुए देख रही थी। उसने गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठी बांधते हुए बड़बड़ाया :" ये अब भी ज़िंदा है? यानी लूसी भी ज़िंदा होगी!....ये दोनों कितने ढीट हैं मरते ही नहीं है। इस तरह अगर मैं बार बार नाकाम रहूं तो कमज़ोर पड़ती जाऊंगी! किसी एक को खत्म करना बहुत ज़रूरी है। रोवन को मारना ज़्यादा आसान होगा!"
अपने मंसूबे पर पक्का इरादा कर के हॉस्पिटल के अंदर गई। लूसी अब भी उसी तरह बिस्तर में टेक लगा कर बैठी हुई थी। कमेला उसके सामने जा कर प्रकट हुई। लूसी ने उसे आंख घूमा कर देखा लेकिन उसके चहरे पर अब भी किसी तरह का भाव नहीं था। ये देख कर कमेला थोड़ी हैरान हुई। उसे देखते ही जो लूसी गुस्से भरी शिकारी की निगाह डालती थी अब ऐसा लगा जैसे वो उसे जानती ही नहीं।
कमेला ने टोंट कर के कहा :" क्या हुआ मुझसे लड़ते लड़ते थक गई ? या मुझे अनदेखा करने का सिर्फ नाटक कर रही हो?"
लूसी ने उसकी बातें सुन कर सवाल किया :" आप कौन हैं? नर्स हैं यहां की? आपकी बातें बड़ी उलझी हुई है मैं समझी नहीं!"
कमेला समझ गई के उसे वो याद नहीं। खुश होकर मुस्कुराई और अपने आप में बोली :" ये मुझे देख तो सकती है पर भूल चुकी है। अब इसे मारना तो बहुत ही आसान होगा! रोवन भी नहीं है। यही सही मौका है।"
लूसी कमेला को कई सारे सवालात और उलझी हुई निगाहों से देख रही थी।
कमेला ने खुश होते हुए किसी नर्स या डॉक्टर के अंदर घुस कर उसे मारने का इरादा किया तभी झुमकी उसके सामने तन कर खड़ी हो गई और जो बंदूक रोवन ने उसके हाथों से लूसी को भेजा था उसे तान कर बोली :" दीदी की रखवाली के लिए मैं यहां हूं! तुम एक भूत हो तो मैं भी एक भूत हूं। लो अब तुम गोलियां खाओ!"
झुमकी ने दोनों हाथों से पूरी ताक़त लगाकर ट्रिगर दबाया। एक गोली चलते ही कमेला घबरा कर भाग गई। उसे गोली नहीं लगी बल्कि दीवार से टकरा गई। कमेला ने खुद को गोली लगने से बचाया क्यों के अगर उसे गोली लग जाती तो वो दो दिन के लिए बादलों में चली जाती और उसे अब जल्द से जल्द अपने मकसद में कामयाब होना था क्यों के हर एक नाकामी उसे उसकी मौत की तरफ ले जा रही थी।
गोली चलने की हल्की सी आवाज़ बाहर बैठे कियान को सुनाई दी। वो बेतहाशा भाग कर कमरे में आया। देखा तो लूसी आंखे बड़ी बड़ी कर के बैठी है। वो बहुत अचंभे में पड़ी थी।
कियान उसके पास आया और इधर उधर देखते हुए बोला :" लूसी यहां से कुछ आवाज़ आई! क्या तुम ने सुना?
लूसी ने न में सर हिलाया। वो अब भी झुमकी को हैरानी में देख रही थी। उसके दिमाग में पिछली यादें सपने की तरह टूटे टूटे दृश्य में दिखाई देने लगे थे। जैसे नींद से जांगने के बाद सपने धुंधले पड़ने लगते हैं वैसे ही रोवन के साथ बीते हर एक पल धुंधली सी दिखने लगी थी।
झुमकी उसके सिरहाने बंदूक रख कर उसे मुस्कुराते हुए देखते हुए बोली :" दीदी अब मैं जा रही हूं। मुझे जाते हुए बहुत सुकून महसूस हो रहा है। मेरी आखिरी विश है कि आप और जीजू हमेशा खुश रहें और कमेला जैसी चुड़ैल हमेशा के लिए खत्म हो जाए! आपका और जीजू का बहुत बहुत शुक्रिया!...अलविदा दीदी!"
लूसी कुछ कहती इस से पहले झुमकी चमकते रेत के कणों में बदलने लगी। कुछ ही पल में उसके कण ऊपर की ओर उठते हुए गायब हो गए, ये सब देख कर लूसी की आंखों से अनजान एहसास और मन की बेचैनी फूट फूट कर बाहर आने लगी। उसकी बड़ी बड़ी आंखें आंसुओं से सराबोर थी।
To be continued......