Nafrat e Ishq - Part 11 in Hindi Love Stories by Umashankar Ji books and stories PDF | Nafrat e Ishq - Part 11

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Nafrat e Ishq - Part 11



मनीषा अपने कमरे में लेटी हुई थी। उसके मन में विचारों का सैलाब था। तकिए को कसकर पकड़ रखा था, उसकी आंखों में गुस्सा, आहत भावनाओं और पछतावे का अजीब सा मिश्रण था।  

"तुम मुझे कैसे भूल सकते हो, सहदेव?" उसने धीमे लेकिन तंज भरे लहजे में बुदबुदाया। "मैंने तुम्हें अपनी ज़िंदगी का वो हिस्सा दिया, जो केवल मेरे पति के लिए होना चाहिए था। लेकिन तुमने... तुमने मुझे बस एक खिलौने की तरह इस्तेमाल किया और फेंक दिया।"

उसकी आंखों के सामने वो पल घूमने लगे, जब उसने सहदेव पर विश्वास किया था। एक समय था जब वह इस रिश्ते को लेकर बेहद गंभीर थी। लेकिन अब, सब कुछ एक धोखे की तरह लग रहा था। उसने गुस्से से तकिए को एक ओर फेंक दिया और बिस्तर पर बैठ गई।  

कुछ देर कमरे में सन्नाटा छाया रहा। लेकिन ये सन्नाटा उसके अंदर उठ रहे तूफान का संकेत था।  

दो महीने पहले की वो रात
इंदौर का फेमस नाइट क्लब। पार्टी का माहौल, चमकती नियॉन लाइट्स, और झूमते-नाचते लोग।  

मनीषा को वो रात याद आने लगी। वो रात जिसने उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।  



तब वो एक रिलेशनशिप में नहीं थी। प्यार के बारे में उसका नजरिया बेहद अलग था। उसे "पहली नज़र का प्यार" जैसी बातें हमेशा मजाक लगती थीं।  

लेकिन उस रात कुछ अलग था।  

उसके दोस्त तानिया देशमुख, रश्मि रुठला, आदित्य चौहान और करण खुराना ने उसे जोर देकर पार्टी में आने के लिए मनाया था।  

पार्टी रात के करीब 11 बजे शुरू हुई। सबने पहले एक फेमस रेस्तरां में डिनर किया और फिर नाइट क्लब की ओर रुख किया।  


क्लब का माहौल

क्लब के अंदर का माहौल बेहद जोशीला था। नियॉन लाइट्स अलग-अलग रंगों में झिलमिला रही थीं। डांस फ्लोर पर लोग अपने-अपने पार्टनर के साथ थिरक रहे थे। 

डांस फ्लोर के ठीक पास बार था, जहां बारटेंडर अपने खास अंदाज में ड्रिंक्स परोस रहे थे। किसी को वाइन चाहिए थी, किसी को मोजितो, तो किसी को वोडका।  

मनीषा और उसकी दोस्त एक तरफ के सोफों पर बैठ गए। आदित्य और करण तुरंत बार की ओर बढ़ गए, जबकि तानिया और रश्मि ने डांस फ्लोर का रुख किया।  

मनीषा ने सोफे पर बैठते हुए पूरे क्लब का मुआयना किया। उसकी नजर बार के दूसरी तरफ प्राइवेट रूम्स पर गई।  


क्लब के प्राइवेट रूम्स हमेशा से ही चर्चा का विषय रहते थे। ये रूम्स हर किसी के लिए खुले नहीं थे। यहां केवल उन्हीं लोगों को एंट्री मिलती थी, जिनके पास सिल्वर, गोल्ड, या डायमंड मेंबरशिप कार्ड्स होते थे।  

मनीषा को इन रूम्स में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। उसने अपने फोन में व्यस्त होने का नाटक किया, लेकिन उसकी नजरें बार-बार उन रूम्स की ओर जा रही थीं।  


तभी तानिया डांस फ्लोर से वापस आई और मनीषा का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए बोली, "तू यहां क्या कर रही है? चल, डांस फ्लोर पर चल!"

मनीषा ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, "नहीं, मुझे डांस नहीं करना आता।"

तानिया ने हंसते हुए कहा, "तू ऐसे नहीं मानेगी। लगता है तुझे ड्रिंक की जरूरत है।"

इससे पहले कि मनीषा कुछ कह पाती, आदित्य एक ट्रे में ड्रिंक्स लेकर लौट आया। "देखो, मैं सबके लिए कुछ न कुछ लाया हूं।"उसने शरारती मुस्कान के साथ कहा।  


उसी वक्त, मनीषा ने उसे पहली बार देखा—सहदेव।  

वो बार के दूसरी तरफ खड़ा था, लेकिन उसकी नजरें सीधे मनीषा पर थीं। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने हल्के से मुस्कुराते हुए अपना ड्रिंक उठाया और उसे हवा में उठाकर टोस्ट किया।  

मनीषा ने शर्माते हुए नजरें झुका लीं। लेकिन उसका दिल अजीब तरीके से धड़कने लगा।  


सहदेव ने कुछ देर बाद खुद को मनीषा के ग्रुप में शामिल कर लिया।  

उसने बड़े सहज अंदाज में सबको ग्रीट किया। तानिया और रश्मि पहले से उसे जानती थीं। आदित्य और करण भी उसके साथ जल्दी घुल-मिल गए।  

लेकिन सहदेव का ध्यान सिर्फ मनीषा पर था।  

उसने उसकी पसंदीदा ड्रिंक का ऑर्डर दिया और हल्की-फुल्की बातचीत शुरू की।  

"तुम डांस क्यों नहीं कर रही?" सहदेव ने पूछा।  

मनीषा ने थोड़ी झिझकते हुए कहा, "मुझे डांस नहीं आता।"

सहदेव ने मुस्कुराते हुए कहा, "डांस सीखने के लिए किसी को परफेक्ट होना जरूरी नहीं है। बस दिल से महसूस करना होता है।"

उसने अपना हाथ बढ़ाया और कहा, "चलो, मैं सिखाता हूं।"


मनीषा ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उसका हाथ थामा।  

डांस फ्लोर पर पहुंचते ही सहदेव ने बेहद सादगी और आत्मविश्वास के साथ उसे डांस स्टेप्स सिखाने शुरू किए।  

म्यूजिक की धुन पर धीरे-धीरे दोनों के कदम तालमेल बिठाने लगे।  


उस रात सहदेव और मनीषा के बीच कुछ ऐसा हुआ, जो उसने कभी महसूस नहीं किया था।  

वो दोनों प्राइवेट रूम्स की ओर बढ़ गए। सहदेव ने कहा, "यहां शोर बहुत ज्यादा है। चलो, थोड़ा शांति में बात करते हैं।"


प्राइवेट रूम्स में मनीषा ने खुद को सहदेव के करीब पाया।  

उसकी बातों में एक अजीब सा जादू था। उसने मनीषा के हर सवाल का जवाब इतनी सहजता से दिया कि वो बस उसे सुनती रह गई।  

लेकिन मनीषा नहीं जानती थी कि ये सब उसकी ज़िंदगी में एक बड़ा तूफान लाने वाला है।  



वर्तमान में वापसी  


मनीषा की आंखों में आंसू आ गए। "मैंने तुम पर भरोसा किया, सहदेव। तुमने मेरी भावनाओं के साथ खेला। और अब तुम मुझे पहचानते भी नहीं।"

उसने गुस्से में अपने फोन को बेड पर फेंक दिया और खुद से कहा, "अब मैं चुप नहीं रहूंगी। तुमने जो किया है, उसका जवाब तुम्हें देना होगा।"

उस रात की यादें उसके अंदर गुस्से की आग को और भड़का रही थीं।  


मनीषा ने तय किया कि अब वो सहदेव को सबक सिखाएगी। उसने अपने फोन में उसकी तस्वीर देखी और कहा, "तैयार हो जाओ, सहदेव। अब मैं तुम्हारे हर झूठ और धोखे का पर्दाफाश करूंगी।"

उसने खुद को संयमित किया और अपने प्लान पर काम शुरू कर दिया।  

कमरे में सन्नाटा था, लेकिन मनीषा के इरादों की गूंज उसे और मजबूत बना रही थी।