I Hate Love - 1 in Hindi Love Stories by aruhi books and stories PDF | I Hate Love - 1

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I Hate Love - 1

यह कहानी है जानवी की ,,,,,,जो बहुत ही प्यारी है,,,और अपने घरवालों की लाडली है,,,,,,और साथ में बहुत जिद्दी भी।,,,,,,जो काम एक बार थान ले,,,,,,वो कर के ही रहती है।,,,,,,वो कर बैठी है अंश से प्यार,,,,,,,,और फिर घर वाले उनकी सगाई भी तैय कर देते हैं। ,,,,,,लेकिन अंश दे रहा है जानवी को धोखा। आख़िर क्यों अंश दे रहा है जानवी को धोखा? क्या है राज,,,,,, और अंश के धोखे के बाद,,,,,,,क्या जानवी टूट कर बिखर जाएगी?,,,,,,,या फ़िर भी करती रहेगी उससे मोहब्बत?,,,जानने के लिए पढ़ते रहे i hate love

Kahani suru karte hai,, 
❤❤❤❤❤❤ और मेरे प्यारे रीडर आप मेरी इस कहानी को अपना प्यार जरूर



एक लड़की शॉवर के नीचे बैठी बस रोये जा रही थी ,,, जैसे वह अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश कर रही हो,,,,,,,उस बहते हुए पानी से ,,,,लड़की देखने में बहुत ही खूबसूरत थी ,,,,लेकिन उसकी आंखें रोने की वजह से लाल ,,,,, और सूज गई थी,,,

,और उसकी आंखें,,,,,जैसे कह रही हो ,,,,,कि आज उसका उससे सब कुछ लुट गया हो ,,,,उसका दिल ,,,,,लाखों टुकड़ों में टूट गया हो,,,,, कुछ देर पहले की बातें याद कर उसे अपने सीने में दर्द सा होता हुआ ,,,,,महसूस होता है ,,,और उसकी आँखों में बेताहाशा आँसू बहने लगता है ,,



कुछ देर पहले

फ़्लैश बैक


एक खूबसूरत सी लड़की जिसके हाथ में ए, जे नाम का पेंडेंट था,,, उसने बेबी पिंक or white combination dress  डाला था,,,

वाह देखने में बिल्कुल परी जैसी थी,,, उसकी पंखुड़ी जैसी होथ और उसकी आंखें तो माशाल्लाह, ,,,वो आज बहुत खुश थी,,,वाह ख़ुशी से उस पेंडेंट को देखते हुए,,,

अंश और जानवी,,,,,,हां ये थी हमारी हीरोइन जानवी। ,,,,,,,जो कि अंश और जानवी नाम के पहले शब्द का पेंडेंट,,,,,,,,,अंश को उपहार में देने जा रही थी। ,,,

जानवी अंश के कमरे के गेट के बाहर पहुंच,,,,,,,,जैसे ही दरवाजे पर हाथ रख खोलने को हुई ,,,,,,,कि उसके कानों में अंश के चिखने की आवाज _,,,तुम्हें एक बार में सुनाई नहीं देता,,,,,,,कि मैं उससे प्यार नहीं करता ,,,,,और वही पास में खड़ी लड़की ,,,,,,,क्यों अंश मैं समझ सकती हूं ,,,,,तुम उससे प्यार नहीं करते ,,,,तुमने उसे धोखा दिया है,,,,,,सिर्फ उसका इस्तमाल करने के लिए ,,,,तुमने उससे प्यार का नाटक किया,,,,,पर अंश ,,,

डोली,तुम्हें क्यों समझ में नहीं आता,,,,,,,तुम मेरी,,,,,,इस वक्त सिर्फ एक असिस्टेंट हो,,,,,,और वही बैन कर रहो,,,,मेरी निजी जिंदगी में दखल अंदाजी करना जरूरी नहीं है,,,,

हान अंश,,,,में समझती हूं ,,,,,,कि मैं तुम्हारी असिस्टेंट हूं,,,,,,,पर उससे पहले मैं तुम्हारी दोस्त भी तो हूं ,,,,तुम उसकी खातिर,,,तो मुझे बता सकते हो ,,, कि तुमने उस लड़की को धोखा क्यों दिया ,,,,,

तुम क्यों जान ना चाहती हो डोली,,,और वैसे भी,,,,,तुम जान कर भी क्या करोगी,,,,



मैं तुम्हारी बचपन की दोस्त हूं अंश ,,,,तब भी तुम मुझे,,,,नहीं बता सकते ,,,,

क्या बताऊं मैं तुम्हें ,,,,याह बताओ कि मैंने उससे सिर्फ प्यार का नाटक किया था,,, मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है ,,समझी तुम,,,और फिर थोडा शांत होते हुए,,,



उसे लगता है ,,की मैं उससे बहुत प्यार करता हूं,,, पर कोई प्यार व्यार नहीं था ,,, वाह सिर्फ एक नाटक था,,,,

उससे। पहली मुलाक़ात ,,,,,, उसका मेरे ऊपर गिरना ,,,उससे लगता है कि वह गलती से गिरी थी ,,,नहीं वह मैंने गिराया था ,,,क्योंकि मुझे उसे अपने प्यार की जाल में,,,, फसाना जो था,,,,उसे प्रपोज करना वाह सब एक नाटक था ,,,उसके साथ प्यार की बातें करना ,,,,,वह सब बस नाटक था,,,,सुन लिया तुमने ,,, ,,,,,,या और कुछ भी ,,,बाकी है,,,,,,सुनने को ,,,अंश के दिल की बात सुन डोली बहुत ही खुश हो जाती है,,,,और फिर ,,,,,,,,एक ख़तरनाक मुस्कान करते हुए,,,, एक बार गेट की तरफ देख ,,,,,जहां पर जानवी खड़ी थी,,,,सुनो जानवी सुनो अपने प्यार के मुंह से,,,,,,की वो तुमसे कितना प्यार करता है ,,,

(डोली जो कि जानवी को गेट के पास खड़ा देख__ जंबुझकर अंश के मुंह से सच्चाई को निकल वाना चाहती थी ,,,,)

डोली ____अंश तुम सच में जानवी से प्यार नहीं करते ,,,

मैं तुम्हें कितनी बार काहू ,,,,,की मैं उससे प्यार नहीं करता,, बिल्कुल भी नहीं,,,

अच्छा तुम उससे प्यार नहीं करते तो फिर तुम उसे यहाँ क्यू बुलावाया ,,,,


अंश एटीट्यूड से सोफ़े पर बैठे हुए __,,उस दिन तो मुझे इतना गुस्सा आया था ,,,,,,जब मुझे पता चला,,,,कि मेरी और जानवी की ,,,,,,, सगाई तय कर दी,,, मुझे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था ,,,,,,,,,,,,,,,कि मैं क्या करूं,,,,की सगाई टूट जाये,,,,

fir mai Apne aur uske bich kuchh galatfahmiyon create Kiya,,,,taki vah galatfahmi ki vajah se mujhse Engagement Tod De ,,,,Or fir Hua भी Vaisa hi ,,,usne engagement tod di,,

सगाई टूटने से मुझे फिर से टेंशन हो गई ,,,,,, ,,,की मैं जानवी को लंडन कैसे ले आऊं,,, ,,,,और फिर क्या था ,,,,,,मैंने उससे गलतफहमियों को गलत कर दिया ,,,,,,,और जानवी को मुझ पर फिर से भरोसा हो गया,,,,,,

,,,और वाह मेरी माफ़ी पाने के लिए ,,,,,,,मेरे पीछे लंदन आ गई ,,,,उसे क्या लगता है ,,,,,,की वाह मुझसे माफ़ी माँगने के लिए ,,,,लंदन आई है ,,,,

ये सब उसकी ग़लतफ़हमी है ,,,,, कि वो यहाँ आई है ,,,,वो यहाँ आई नहीं ,,,,उसे मैंने खुद यहाँ बुलाया है,,, यह सब मेरा प्लान था उससे इस लंदन में लाने का ,,,,,

डोली ___पर अंश यह तो गलत है ना ,,,,,,तुमने जानवी के साथ कितना गलत किया है ,,,,,,,,,,


अंश फुल एटीट्यूड से,,,,,,इसमें गलत क्या है,,,, मुझे उसकी जरूरत थी,,,, और उसको मेरी ,,,,,,,मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,मुझे तो सिर्फ अपने काम से फर्क पड़ता है,,,,,

,और उसे जिस काम के लिए,,,,,यहां लाया गया है,,,,,,, वाह; काम में ,,,,,उससे करवा कर ही रहूंगा,,, ,,,,चाहे प्यार से ,,,,,,या फिर जबरदस्ती से ,,,,

अंश डोली से बातें करते हुए वह सोफे से उठता है ,,,,,,,,की तभी उसके फोन की रिंग बजती है ,,,फिर वह इसक्युज मी कह ,,,वाह गेट खोल,,,,,बाहर चला जाता है ,,,,,,,


और वही,,,,,,कामरे के बाहर खड़ी जानवी,,,,,,,जो कि अंश के दिए,,,,धोखे से टूट चुकी थी ,,, उनकी बातें सुन ,,,,,,जैसे उसका दिल बाहार आने को हो,,,रहा था ,,,,,

उसका सर दर्द से फटा जा रहा था,,,याह सोच-सोच कि,,,,,,,अंश ने कभी उससे प्यार किया ही नहीं,,,,,,,वो तो सिर्फ,,,,,,,उसका इस्तमाल कर रहा था,,,

और फिर लॉकेट को अपनी मुट्ठी में बैंड कर लेती है,,,और जब अंश को कमरे से बाहर आता हुआ देखती है,,,,,,,तो वह जल्दी से,,,,उस दरवाज़े से हट ,,,,,वहीं पास में छुप जाती है,,,,और वही डोली ,,,,,,अंश को कमरे से बहार जाता देख,,,,डोली अपने मन मैं ,,,__ मैं तुम्हें कभी उस जानवी का नहीं होने दूंगी ,,,,,अंश ,,,,,और वो भी बहार चली जाती है ,,,,

फ्लैशबैक अंत


उसे खुद के सीने में दर्द सा होता हुआ महसूस हुआ ,,,,,,,और वाह अपने दिल पर हाथ रख,, आखिर क्यों तुमने मेरे साथ ऐसा किया,,,

मैंने तो सिर्फ तुमसे प्यार किया था,,, तुम्हें आखिर मुझसे चाहिए ही क्या था,,,,,,,,एक बार ,,,,,,,काश एक बार बोलकर तो देखते ,,,,,,क्या पता मैं तुम्हें,,,,,,वह दे ही देती,,,,,,

लेकिन तुम्हें मुझे धोखा देकर क्या मिला,,,,,,,,तुम्हारे धोखे से,,,,,,,; मुझे प्यार पर से भरोसा ही उठ गया,,, ,,,,,,मुझे अब तो खुद से नफ़रत होने लगी है,,,,की मैंने तुमसे प्यार ही क्यों किया ,,,,,,,,क्यों मैं तुमसे प्यार करती हूं ,,,,,,,

क्यु मै तुमसे उस दिन मिली,,,,आखिर क्यों ,,,,,मैंने ,,,,,तुम्हारे प्रपोजल को हान कहा ,,,क्यों मैं तुम्हारी हर एक बात पर मर मिटी ,,,,

और क्यों क्यों मैं तुम्हारी सिर्फ एक माफी के लिए,,,,,,अपने पूरे परिवार को छोड़,,,,,,यहां तक ​​आ गई,,,आखिर क्यों ,,,,, और फिर जोरों से रोने लगती है ,,,,कुछ देर बाद जानवी,,,,,,अपने आंसू पोछ खड़ी होती है,,,और अपने आप से ही ,,,,,,,,तुम्हें मुझे बताना होगा मिस्टर अंश,,,,,,,की तुमने ये सब क्यों किया,,,,

याह कह जानवी वॉशरूम से बाहर निकलती है,,, और क्लोजर रूम में जा,,,,,,,अपनी ड्रेस चेंज कर बाहार आती है,,
प्लीज मेरी प्यारी रीडर आप मुझे अपना सपोर्ट जरूर देना और इस नॉवेल को अपना प्यार
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