Ishq da Mara - 30 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 30

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इश्क दा मारा - 30

यूवी घर निकल कर जा रहा होता है। तभी रानी सामने आ कर खड़ी हो जाती हैं और बोलती है, "बिना नाश्ता किए हुए कहा जा रहे हों ????

तब यूवी बोलता है, "तुम्हे एक बात समझ में नहीं आती हैं क्या "।

तब रानी बोलती है, "नहीं......

तब यूवी बोलता है, "मेरे रास्ते से हटो"।

तब रानी बोलती है, "नहीं हटती बोलो क्या कर लोगे"।

तब यूवी रानी को धक्का दे कर चला जाता है।

रानी को बहुत ही गुस्सा आता है और वो अपनी बहन के कमरे में जाती है और बोलती है, "दीदी तुम्हारा ये देवर तो बड़ा ही बदतमीज है"।

तब राधा बोलती है, "क्या हुआ ????

तब रानी बोलती है, "वो बिना नाश्ता किए हुए बाहर जा रहा था, तो मैने उससे पूछा कि बिना नाश्ता किए हुए कहा जा रहे हों, तो मुझे धक्का दे कर चला गया"।

तब राधा बोलती है, "तुम्हें उसके पास जाने की जरूरत ही क्या थी "।

तब रानी बोलती है, "अरे बिना नाश्ता किए हुए ही जा रहा था "।

तब राधा बोलती है, "वो नाश्ता करे या फिर ना करे, तुम्हे उससे क्या, घर में बाकी लोग है न, तुम मेहमान हो तो मेहमान बन कर ही रहो समझी "।

तब रानी बोलती है, "तुम कौन सी कम हो उससे, पता नहीं मैं तुम्हारे पास ये सब बताने के लिए क्यों आ गई हुं "।

उसके बाद रानी वहां से चली जाती है।

यूवी गांव की तरफ जा रहा होता है तभी उसे रास्ते में बंटी मिलता है और बोलता है, "यार कहा जा रहा है, तेरा काम मैने कर दिया है, अब तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है"।

तब यूवी बोलता है, "जो बोला था वो हो गया है"।

तब बंटी बोलता है, "हा हो गया है, चल अब यू मुंह बना कर मत घूम, मुझे बहुत ही भूख लग रही है, चल घर कुछ खाते हैं" 

उसके बाद यूवी बंटी के साथ घर आ जाता है।

उधर गीतिका के फूफा जी आ जाते हैं और गीतिका उनके साथ जाने के लिए निकल रही होती है।

तब गीतिका के डैड गीतिका के फूफा जी से बोलते हैं, "अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप बात देना"।

तब गीतिका बोलती हैं, "मुझे अब ना तो आपके पेसो की जरूरत है और ना ही आप लोगों की, और आइंदा मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना , समझना आपकी कोई बेटी थी ही नहीं "।

ये बोल कर गीतिका गाड़ी में बैठ जाती है।

उधर यूवी सबके साथ नाश्ता कर रहा होता है। तब यूवी के पापा बोलते हैं, "जब से रानी बेटी घर में आई है तब से इस घर में बड़ी ही रौनक है"।

तब यूवी की मां भी बोलती हैं, "आप बिल्कुल सही कह रहे है, रानी के घर में आते ही एक अलग दी रौनक घर में आ गई है "।

ये सुन कर रानी बहुत ही खुश होती हैं । तब रानी यूवी के पापा से बोलती हैं, "काका मैं घर से अपना ज्यादा सामान नहीं लाई हूं, इसलिए सोच रही थी कि घर जा कर सामान ले आऊ "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "तुम्हे कही जाने की जरूरत नहीं है , यूवी है न ये ले कर आ जाएगा"।

तभी यूवी बोलता है, "मैं क्यों ले कर आऊ इसका सामान ?????

तब यूवी की मां बोलती है, "चुप चाप नाश्ता करके रानी के साथ इसके घर जाना और इसे ले कर आना "।

तब यूवी बोलता है, "मे कही नहीं जा रहा हूं "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "जितना बोला है उतना ही करो और ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है"।

बंटी यूवी की तरफ देखने लगता है.........