I can see you - 44 in Hindi Love Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 44

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आई कैन सी यू - 44

अब तक हम ने पढ़ा की कियान को रोवन के अतीत के बारे में पता चला वो भी गलत और झूठी बातें जो लोगों ने अपने अपने कुताबिक गढ़ लिया था। वो नाराज़ हो कर चला गया जिस वजह से लूसी बहुत उदास और परेशान थी इसी दौरान जब वो दोनों पति पत्नी फुलवारी जाने के लिए घर से निकल रहे थे तभी रूमी वहां आई जिस पर कमेला हावी थी। उसका इरादा लूसी को रूमी के हाथों मारना था लेकिन रोवन ने उसे ऐन वक्त पर रोक लिया और फिर कमेला उसका जिस्म छोड़ कर भाग निकली। अब रूमी को बेहोशी छा गई थी। 
रोवन और लूसी ने उसे ठीक से संभाल कर घर ले गए। सोफे पर लिटाया फिर रूमी ने धीरे धीरे आंखे खोली। अपने आप को वहां पा कर हड़बड़ा कर उठ कर बैठ गई। अपने मामा मामी को हैरत में देखते हुए बोली :" मैं यहां कब आई?...मुझे कुछ हो गया था। क्या हुआ था मुझे?

लुसी उसके पास बैठी झट से बोली :" तुम कमेला बन गई थी! थैंक गॉड रोवन सर ने पहचान लिया!"

रूमी के चहरे में डर झलक उठा। उसने सहम कर कहा :" ये कमेला कौन है मामा?"

रोवन ने बहुत ही धीमे स्वर में कहा :" चुड़ैल!"

रूमी ने आंखों को बड़ी बड़ी करते हुए हैरत जताई और सहमी हुई बोली :" क्या मतलब मैं चुड़ैल बन गई थी? आप लोग मज़ाक कर रहे हैं ना?....मामा प्लीज़ मज़ाक मत कीजिए आप मुझे डरा रहे हैं!"

लूसी उसे बताने ही वाली थी के रोवन ने आंखों से इशारा कर के बोलने से मना किया। रोवन ने रूमी को हंस कर जवाब दिया :" हां मैं मज़ाक कर रहा था! तुम्हें बस चक्कर आ गया था इस लिए बेहोश हो गई थी! चलो हम तुम्हें रास्ते में ड्रॉप कर देंगे!"

लूसी :" हां हमे बहुत देर हो गई अब चलना चाहिए!"

रूमी कंफ्यूज रह गई ये सोच कर के उसके साथ अभी क्या हुआ था लेकिन इतना तो समझ रही थी के उसका खुद पर काबू नही था। तीनों कार में बैठे, रास्ते में रूमी का घर पड़ा तो उसे वहां उतार कर लूसी और रोवन फुलवारी के लिए निकल पड़े, लूसी का मन अब भी उलझा हुआ था। वो चुप चाप उदास हो कर बैठी थी। पिछे की सीट पर झुमकी बैठी थी जो खिड़की से झांक कर गुजरते हुए रास्तों को देख रही थी। 

सुनसान सड़क पर फर्राटे से चलती हुई कार में अचानक ये गाना बजने लगा। 

रात में ही जागते हैं ये गुनाहों के घर
इनकी राहें खोलें बाँहें
जो भी आए इधर
ये है गुमराहों का रास्ता
मुस्कानें झूठी हैं
पहचानें झूठी हैं
रंगीनी है छाई
फिर भी है तन्हाई
कल इन्हीं गलियों में, इन मसली कलियों में
तो ये धूम थी
जो रूह प्यासी है, जिसमें उदासी है
वो है घूमती
सबको तलाश वही
समझे ये काश कोई
ये है गुमराहों का रास्ता
मुस्कानें झूठी हैं
पहचानें झूठी हैं
रंगीनी है छाई
फिर भी है तन्हाई
हल्के उजालों में
हल्के अँधेरों में जो इक राज़ है
क्यूँ खो गया है वो?
क्या हो गया है कि वो नाराज़ है?
ऐ रात, इतना बता
तुझको तो होगा पता
ये है गुमराहों का रास्ता

मुस्कानें झूठी हैं!

(गाना लेखक : जावेद अख्तर)

रोवन ताज्जुब से लूसी को देखते हुए बोला :" ये गाना तुम ने बजाया है?"
लूसी गाल पर हाथ धरे गाने में खो गई थी। उसने गाल से हाथ हटा कर कहा :" नहीं झुमकी ने बजाया था! वो बोर हो रही थी। लेकिन आप ने गौर किया ये गाना हमारे ज़िंदगी में कितना फिट बैठता है।

रोवन ने स्टेयरिंग पर हाथ फेरते हुए कहा :" कमाल है इतनी छोटी बच्ची को इतना गहरा और डरावना गाना पसंद है!"

लूसी ने पिछे मुड़ कर झुमकी को एक बार देखा फिर रोवन की ओर देखते हुए धीमी आवाज़ में बोली :" अब वो भूत है तो भूतों वाली पसंद होगी ना!" 

रोवन ने जब देखा के लूसी के चहरे पर उदासी और परेशानी अब भी है तो उसने कुछ देर चुप रहने के बाद कहा :" कभी सोचा नही था के किसी से इतना प्यार करूंगा के उसकी हंसी, उसके चहरे की मुस्कान मेरे दिल की सुकून बन जायेगी! हर वक्त कमेला का डर सताता रहता है फिर भी तुम्हारी चमकती आंखों को देख कर सारी परेशानियां फीकी लगने लगती है।.....मैं समझता हूं तुम कियान भाई की बातों से उलझी हुई हो लेकिन क्या ये नई बात है? उन्होंने तुम्हें विदा करते समय मुझसे कहा था के तुम दोनों हमेशा लड़ते रहते थे! कोई दिन नही गुजरता था जिस में तुम्हारी लड़ाई न हुई हो! तब तुम उनकी बातों को दिल पर नहीं लेती थी अब तुम ने उनकी बातों दिल पर ले लिया! क्या इस लिए क्यों के अब तुम्हारी शादी हो गई है और तुम खुद को पराई समझने लगी हो! लूसी!...बस इतना समझो के अब भी तुम दोनो भाई बहन वैसे ही लड़े हो जैसे पहले लड़ते थे! उनसे एक बार बात कर लो सब ठीक हो जाएगा!"

लूसी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा :" मैं इतना तो समझती हूं के उनके बात का कुछ तो मतलब था! लेकिन मुझे तो बस इस लिए गुस्सा आया था क्यों के वो आपको गलत समझ रहे थे! इस बात पर उन्होंने इतनी बड़ी बात कह दी की अब मुझे उनकी बहन होने पर शक हो गया है। शायद हमारा खून सच में अलग है। जो भी हो मैं पता लगा लूंगी!"

रोवन कुछ देर गहराई से सोचने लगा। फिर उसने मुस्कुरा कर कहा :" मुझसे तुम्हारा खून का रिश्ता तो नहीं है फिर भी हम दोनों में इतना प्यार है! ऐसा लगता है तुम वो परिंदा हो जिसमे मेरी जान बस्ती है।.... बस ये सोचो के तुम से सब कितना प्यार करते हैं। बाकी सब वक्त पर छोड़ दो! मुझे तो ना जाने कितने ही लोग गलत समझते हैं अब मैं सब को जा कर सफाई तो नहीं दे सकता! जिसे जो सोचना है सोचे, किसी के सोच पर हम पाबंदी नहीं लगा सकते और उनके सोचने से हम जीना नहीं छोड़ सकते इस लिए always be happy फ़र्क नहीं पड़ता के लोग क्या सोचते हैं!"

बातें करते करते रास्ता गुज़र गया लेकिन रात घनी हो गई थी। झुमकी गाड़ी में ही सो गई थी और कब्रिस्तान पहुंचते पहुंचते पूरे इलाक़े में सन्नाटा छा गया था। दूर में एक गांव था जहां से घरों में जल रहे लैंप की टिमटिमाती रौशनी दिखाई दे रही थी। घने अंधेरे और जंगल जैसे कब्रिस्तान को देखते ही बदन सिहर उठा। कार की कांच गिराते हुए रोवन ने कहा :" लूसी चौकन्ना रहना और मेरा हाथ मत छोड़ना! ऐसा महसूस हो रहा है जैसे इस जगह की हवा में दहशत फैली हो।"

लूसी ने झुमकी को जगाया :" झुमकी उठ जाओ हम पहुंच गए हैं!"

झुमकी उठी और वो तीनों कार से बाहर निकले। लूसी ने रोवन का हाथ पकड़ रखा था और झमकी ने लूसी का हाथ पकड़ रखा था। रोवन दूसरे हाथ में गन पकड़े किसी खतरनाक शूटर की तरह खड़ा था। 
तीनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़े कब्रिस्तान को ठंडी सांस लेते हुए देखा। देखते देखते झुमकी थर थर कांपने लगी। उसकी आंखों में उसके दिल का दर्द झलकने लगा। उसने तेज़ तेज़ सांसे लेते हुए कहना शुरू किया :" ये वोही जगह है! ये वोही जगह है!"

रोवन और लूसी उसे स्वालिया नज़रों से देख रहे थे।

To be continued.......